Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi | अहोई अष्‍टमी व्रत कथा व पूजा विधि यहा से जाने

Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi:- सनातन धर्म में पति की लंबी आयु की कामना के लिए चौथ का व्रत सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है। उसी प्रकार पुत्र की लंबी उम्र व उसकी कामना हेतु अहोई अष्‍टमी माता का व्रत सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है यह हर साल कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को किया जाता है। अहोई अष्‍टमी व्रत कथा

यह व्रत ज्‍यादातर उत्तरी भारत की महिलाए रखती है। यह व्रत निर्जला होता है जो की करवा चौथ की चार दिन बाद आता है। औरते पूरे दिन भर अहोई आठें का व्रत करती है। और रात्रि के समय तारों को अर्घ्‍य देकर अहोई माता के व्रत का पारण करती है। ऐसे में आप भी अहाई आठें का व्रत रखते है तो पोस्‍ट में बताई हुई कथा व पूजा विधि काे पढ़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। तो पोस्‍ट के अन्‍त तक बने रहे।

Ahoi Ashtami Vrat Ka Mahavt (अहोई अष्‍टमी व्रत का महत्‍व)

शास्‍त्रो के अनुसार जो कोई स्‍त्री अहोई आठें का व्रत पूरे श्रद्धा भाव से करती है। तो उसके सभी पुत्रो की दीर्घाआयु बनी रहती है। और वे सदैव सुख-संपति का आनद लेते है। इस व्रत वाले दिन औरते अहोई माता, भवान भोलेनाथ व माता गौरी (पार्वती) जी की पूजा अर्चना की जाती है। तथा रात्रि के समय बहुत सी औरते तो तारों को अर्घ्‍य देकर इस व्रत का पारण कर लेती है।

Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi

किन्‍तु बहुत सी औरते तारों की जगह चन्‍द्रमा को अर्घ्‍य देकर अहोई अष्‍टमी व्रत का पारण करती है। अत: यदि कोई स्‍त्री नि:संतान है तो उसे अहोई आठें का व्रत पूरे विधिवत रूप से करना चाहिऐ। जिसके फलस्‍वरूप उसे संतान प्राप्‍ति हो सकती है। यह व्रत करवा चौथ की 4 दिन बाद व दीपावली त्‍यौहार के एक सप्‍ताह पहले आता है।

अहोई अष्‍टमी व्रत कथा

अहोई अष्‍टमी 2023 कब है/Ahoi Ashtami Vrat Kab Hai

हिंदू पंचांग के अनुसार यह अष्‍टमी तिथि कार्तिक मास (Kartik Month) की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी होती है। हर साल इस अष्‍टमी तिथि को महिलाए अहोई माता (Ahoi Matha Vrat) का व्रत करती है इस साल यह व्रत 05 नवंबर 2023 रविवार को पड़ रहा है।

Ahoi Ashtami Vrat Puja ka Shub Time (अहोई आठें का शुभ मुहूर्त)

हिन्‍दी पंचाग के अनुसार अहोई अष्‍टमी साल 2023 में 05 नवंबर को प्रात:काल जल्‍दी 12 बजकर 59 मिनट पर लगभग शुरू होगी। 06 नवंबर 2023 को प्रात: 03 बजकर 18 मिनट पर लगभग समाप्‍त हो जाएगी।

  • अहोई अष्‍टमी व्रत:- 05 नवंबर 2023 रविवार
  • अहोई अष्‍टमी पूजा का समय:- शाम 05:33 मिनट से लेकर शाम 06:52 मिनट तक (05 नवंबर को)
  • तारों को देखने का सही समय:- शाम: 05:58 मिनट पर (05 नवंबर को)
  • चंद्रोदय का समय:- प्रात: 12:02 मिनट पर (06 नवंबर को) (कार्तिक मास की अष्‍टमी पर चंद्रमा देरी से उदय होता है)

अहोई अष्‍टमी व्रत पूजा विधि (Ahoi Mata Puja Vidhi)

  • अहोई आठें का व्रत रखने वाली औरतो को प्रात: जल्‍दी उठकर स्‍नान आद‍ि से मुक्‍त होकर सूर्य भगवान को पानी चढ़ाऐ। जिसके बाद पीपल व तुलसी के पेढ़़ में पानी चढाऐ।
  • जिसके बाद शिवालय में जाकर भवगान भोलेनाथ व माता पार्वती जी की विधिवत रूप से पूजा करे।
  • तथा संध्‍या के समय घर पर ही किसी साफ जगह पर दीवार को लीपकर या पौतकर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाऐ। तथा साथ में सात लड़को का चित्र बनाऐ।
  • इसके बाद अहोई का चित बनाकर उस पर पुष्‍प, दीप, धूप, जल, रौली, मौली, चावल इत्‍याद‍ि अर्पित करके पूजा करे। और एक ओर जल से भरा हुआ मिट्टी का कलश रखे। जिसके ऊपर गणेश जी की स्‍थापना करे।
  • अब कलश पर स्‍वास्तिक बनाकर कलश की भी पूजा करे।
  • अब अपने दोनो हाथो में गेहँ या चावल के कुछ दाने लेकर अहोई अष्‍टमी व्रत की कथा (Ahoi Mata ki katha) सुने जिसके बाद आरती करे।
  • आरती करने के बाद प्रसाद चढाऐ। और रात्रि के समय तारे व चन्‍द्रमा को अर्घ्‍य दे। जिसके बाद भोजन ग्रहण करे।

अहोई अष्‍टमी व्रत के नियम

  • कार्तिक मास अष्‍टमी (Kartik Month Ashtami Vrat) वाले दिन आपको भगवान गणेश जी की पूजा अवश्‍य करनी चाहिए।
  • करवा चौथ का व्रत महिलाए चंद्रमा को देखकर खोलती पर अहोई अष्‍टमी का व्रत महिलाए तारों को देखकर खोलती है।
  • मान्‍यताओं के अनुसार व्रत कथा सुनते समय सात प्रकार के अनाज के दाने हाथ में लेना शुभ होता है।
  • माता की पूजा के दौरान आपको अपने बेटे को साथ में अवश्‍य बिठाना चाहिए।
Kartik Month Vrat

अहोई अष्‍टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat katha in Hindi)

एक नगर में एक साहूकार रहता था, उसके सात पुत्र थे। एक दिन साहूकारनी दिपावली के त्‍यौहार पर अपने घर को लीपने के लिए सातों पुत्रो को लेकर मिट्टी खोदने गई। जैसे ही सेठानी ने मिट्टी खोदने के लिए कुदाली मारी त्‍यों ही सेही के बच्‍चे कुदाली की चोट से सदा के लिए सो गऐ। अर्थात वह कुदाली से लगातार मिट्टी खोद रही थी अचानक उेस सेही के बच्‍चे दिखाई दिऐ किन्‍तु वह अपने हाथो को नही रोक पाई।

इसके बाद उसने कुदाल को स्‍याहू (सेही) के खून से सना देखा तो उसे सेही के बच्‍चे मर जाने का बड़ा दु:ख हुआ। परन्‍तु वह विवश थी क्‍योकिं यह काम उसने अंजाने से हो गया। जिसके बाद वह बिना मिट्टी लिऐ व अपसोस करती हुई अपने घर आ गई। उधर जब सेही खाना लेकर अपने घुरकाल (मिट्टी में) आई तो अपने सभी बच्‍चों को मरा हुआ देखा।

अपने बच्‍चों को मरा हुआ देखकर वह जाेर-जोर से विलाप करने लगी। और ईश्‍वर से प्रार्थना करने लगी की हे भगवान जिसने भी मेरे बच्‍चों को मारा है। उसके भी सारे पुत्र मर जाऐ। जिसके बाद उस सेही के श्राप से सेठानी के सातों पुत्र एक वर्ष के अन्‍दर ही मर गऐ। इस प्रकार अपने बच्‍चों को असमय काल के मुहँ में समाऐ जाने पर सेठ-सेठानी को बहुत ज्‍यादा दुख हुआ।

जिसके बाद दोनो सदमें में आकर किसी तीर्थ पर जाकर अपने प्राण गंवा देना ही उचित समझाा। जिसके सेठा व सेठानी दोनो पैदल ही अपने घर से निकल पड़े किसी तीर्थ के लिए। और खाने की ओर कोई ध्‍यान नही दिया। जब तक उन दोनो में शक्ति ओर साहस था वो दाेनो चलते ही रहे।

जब सेठ और सेठानी पूरी तरह अशक्‍त हो गऐ तो मूर्छित होकर गिर पड़े। उन दोनो की इस दशा को देखकर भगवान को उन पर दया आई और मृत्‍यु से बचाने के लिए उनके सभी पापों का विनाश कर दिया। जिसके बाद सेठ और सेठानी को होश आया तो देख की वहा कोई नही था।

अचनाक एक आकाशवाणी हुई की हे सेठ तेरी सेठानी ने मिट्टी खोदते समय ध्‍यान ने देकर सेही के सभी बच्‍चो को मार दिया। इसी कारण तुम्‍हे अपने बच्‍चों की मृत्‍यु का देख देखना पड़ा। अगर यदि तुम अब पुन: घर जाकर तुमन पूरी श्रद्धा व विधिवत रूप से गऊ की सेवा करोगे। और अहोई माता का व्रत पूरे विधि विधान से करोगे तो तुम्‍हे फिर से संतान सुख की प्राप्ति होगी।

इस प्रकार की आकाशवाणी सुनकर सेठ व सेठानी कुछ समय के लिए आशान्वित हो गऐ। फिर दोनो उठे और भगवती देवी का स्‍मरण करते हुए अपने घर को चल दिऐ। घर पहुचकर उन्‍होने श्रद्धा-भक्ति न केवल अहोई माता का व्रत अपितु गऊ माता की सेवा करना भी आरम्‍भ कर दिया।

तथा सभी जीवों पर दया का भाव रखते हुए क्रोध और द्वेष का सर्वथा परित्‍याग कर दिया। ऐसे करने के बाद भगवान व अहोई माता की कृपा से सेठ व सेठानी सात पुत्र हुऐ। इसी तरह सेठ व सेठानी नाना प्रकार के सुख भोगते हुए अत: को स्‍वर्ग लोक को प्राप्‍त हुऐ।

Ahoi Mata ki Aarti In Hindi (अहोई अष्‍टमी आरती)

जय अहोई माता, जय अहोई माता । तुमको निसदिन ध्‍यावत, हर विष्‍णु विधाता। टेक।।

ब्रह्मणी, रूद्राणी कमला तू ही है जगताता। सूर्य चन्‍द्रमा ध्‍यावत नारद ऋषि गाता।। जय अहोई माता।

माता रूप निरंजन सुख-संपति दाता, जो कोई तुमको ध्‍यावत नित मंगल पाता।। जय अहोई माता।

तू ही बसंती, तू ही है शुभदाता, कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय अहोई माता।

जिस धर थारो वासा वहि में गुण आता, कर न सके सोई कर ले मन नही धड़काता।। जय अहोई माता।

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता, खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय अहोई माता।

शुभ गुण सुंदर युक्‍ता क्षीर निधि जाता, रतन चतुर्दश तोकू कोई नही पाता।। जय अहोई माता।

श्री अहोई मॉ की आरती जो कोई नर गाता , उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय अहोई माता।

जय अहोई माता मैया जय अहोई माता तुमको निसदिन ध्‍यावत हर विष्‍णु विधाता। जय अहोई माता।।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।   जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।। कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।   तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता। खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।   शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता। रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।   श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता। उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।

अहोई अष्‍टमी व्रत का उद्यापन/Ahoi Ashtami Vrat Udyapan

अहोई अष्‍टमी व्रत उद्यापन की विधि:- आपको यह व्रत करने हुए कई साल बीत गए है अब इसका उद्यापन करना चाहती है तो नीचे दिए हुए नियम के तहत आप इस व्रत का उद्यापन कर सकेगी।

  • कार्तिक मास की अष्‍टमी तिथि वाले दिन आपको प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करने है। उसके बाद सूर्य भगवान, तुलसी व पीपल पेड़ में पानी चढ़ाना है।
  • अब आपको अहोई माता की तस्‍वीर या फिर दिवार पर उसका चित्र बना लेना है।
  • एक कलश में पानी उसके ऊपर श्रीफल रखना है पूजा के लिए कोटाेरी में चावल, मूली, रोली, मोली, कपूर, सिंघाडा का अलावा, पुष्‍प, माता, मिठाई, फल आदि रखना है।
  • सबसे पहले आपको सदैव की तरह अहोई माता की पूजा करनी है
  • जिसके बाद कथा सुनते समय कुछ चावन हाथ में लेकर पल्‍लू से बांधे और आठ थाली में चौदह पूरी, आठ पुए, हलवा रखकर माता को भोग लगाए।
  • उसके बाद एक स्‍थान पर सात जगह पर चार-चार पूड़ी, पुआ रखे और एक पीली रंग की साड़ी अवश्‍य रखे।
  • अब इस साड़ी के साथ सोलह श्रृंगार की सामग्री रखे और इसे अपनी बड़ी ननद, पुजारी, ब्राह्मणी की स्‍त्री को दे।
  • उसके बाद एक ब्राह्मण को भोजन अवश्‍य करवाकर यथा शक्ति दान-दक्षिणा करें।
  • इस प्रकार से आप अहोई माता का व्रत का उद्यापन कर सकती है।

नोट:- व्रत उद्यापन की विधि आपको पौराणिक मान्‍यता, व कथा के आधार पर बताया है विशेष जानकारी के लिए किसी संबंधित पंडित, विद्धान के पास जाना चाहिए।

शिक्षा:- दोस्‍तो बहुत सोच विचार के बाद भली प्रकार से निरीक्षण करने पर ही कार्य का आरम्‍भ करना चाहिए। और अनजाने में भी किसी प्राणी के साथ हिंसा मत किजिऐ। तथा गऊ माता की सेवा के साथ अहोई माता अजक्‍ता देवी भगवती की पूजा करोगे तो संतान सुख व समस्‍त प्रकार के सुख प्राप्‍त होगे।

डिस्‍कलेमर:- दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको अहोई आष्‍टमी व्रत Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi कथा के बारे में सभी जानकारी पौराणिक मान्‍यताओं के आधार पर प्रदान की है। आपको यह बताना जरूरी है Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं देता है। अधिक जानकारी के लिए किसी संबंधित सलाहकार, पंडित आदि के पास जाना चाहिए यदि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कंमट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

यह भी पढ़े-

प्रश्‍न:- अहोई अष्‍टमी कब की है।

उत्तर:- 05 नवंबर 2023 रविवार के दिन

प्रश्‍न:- अहोई अष्‍टमी का व्रत क्‍यों किया जाता है।

उत्तर:- अपने पुत्र की लम्‍बी उम्र के लिए तथा निसंतान को संतान पाने के लिए

प्रश्‍न:- अहोई अष्‍टमी का व्रत जिस वार को होता है उसी वार को कौनसा त्‍यौहार पड़ता है।

उत्तर:- दिपावली

प्रश्‍न:- हिदीं पंचाग के अनुसार अहोई आठें कब आती है।

उत्तर:- प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्‍णपक्ष की अष्‍टमी को किया जाता है।

प्रश्‍न:- अहोई आठें व्रत पर किस देवता की पूजा की जाती है।

उत्तर:- भगवान शिवजी व माता पार्वती तथा अहोई माता

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