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दोस्तो आज के इस लेख में हम बात करेगें अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha) के बारें में कि यह व्रत कब आता है। और इसकों क्यों किया जाता है। वैसे तो आप सभी जानते होगे कि हमारे हिन्दु धर्म में सभी औरते अपने-अपने पतियो व बेटो तथा भाइयों कि लम्बी उम्र कि कामना के लिए अनेक व्रत रखती है। जिनमें से एक है प्रबोधिनी (अजा) एकादशी व्रत (Bhadrapada Ekadashi Vrat) जिसे करने से औरतो कि सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है। और वे सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करती है। Aja Ekadashi Vrat Katha in Hindi
यह व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रबोधिनी, जया, कामिनी तथा अजा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सभी 24 एकादशीयो में से एक है जो अपने आप में बडा ही महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। और रात्रि को जागरण किया जाता है। इस व्रत को रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते है।

भाद्रपद एकादशी का महत्व बताइए/Aja Ekadashi Vrat Mahatva
मान्यताओं के अनुसार भादवा की एकादशी का व्रत बहुत खास होता है कारण ही इसी महिने में भगवान विष्णु जी ने आठवा अवतार भगवान कृष्ण जी के रूप में लिया था। कहा जाता है इस व्रत के प्रताप से मानसिक, शारीरिक, आर्थिक तीनों तहर से लाभ मिलता है। पुराणों के तहत बताया गया है की गहों की प्रभाव को कम करने हेतु एकादशी का व्रत किया जाता है ऋर्षियों मुनियों का कहना है की भादवा की ग्यारस वाले दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, तप आदि करने से व्यक्ति के सभी पापों का निवारण होता है।
अजा एकादशी कब है/Bhadrapada Ekadashi Vrat Kab hai
यदि बात करते है की भादवा की एकादशी व्रत के बारें में तो यह हर साल भाद्रपद महिने की कृष्ण पक्ष तिथि में ग्यारस वाले दिन किया जाता है। जो इस बार 10 सितंबर 2023 रविवार के दिन पड़ रहा है सभी एकादशीया भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
भाद्रपद ग्यारस का शुभ मुहूर्त/Aja Ekadashi Vrat Shubh Muhurat
भाद्रपद एकादशी की शुरूआत 09 सितंबर 2023 को रात्रि 09:17 मिनट पर आरंभ होकर 10 सितंबर 2023 को रात्रि 09:28 मिनट पर पूरी हो रही है। आप एकादशी का व्रत करते है तो आपको 10 सितंबर 2023 को प्रात: 07:37 मिनट से लेकर 10:44 मिनट के मध्य में पूजा कर सकते है।
अजा एकादशी पूजन की सामग्रीया/Bhadrapada Ekadashi Vrat
अजा एकादशी व्रत (Aja Ekadashi Vrat) को खोलने के लिए निम्नलिखित सामग्रीयो कि जरूरत होती है जो कि इस प्रकार है।
- चावल
- रौली-मौली
- घी का दीपक
- पुष्प
- केले
- कलश
- चन्दल व कपूर
- एक पानी वाला नारियल
- अगरबत्ती व धूप
- एक लौटा जल
- गंगा जल
अजा एकादशी व्रत पूजा विधि (Bhadrapada Ekadashi Vrat Pooja Vidhi)
Bhadrapada Ekadashi Vrat करने वाली सभी औरतो को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य भगवान को पानी चढ़ाऐ। उसके बाद पीपल व तुलसी के पेड़़ में जल चढाऐ। इसके बाद भवगान विष्णुजी जी के मंदिर जाकर नारायण जी कि मूर्ति पर फूल चढ़ाऐ। अगर आपके आस-पास कोई मंदिर नही है तो आप भगवान विष्णु जी कि तस्वीर रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए।
- सबसे पहले एका लौटे में पानी लेकर उसके ऊपर नारियल पर मौली का धागा बाधकर व तिलकर करके उस पर रख देना है।
- इसके बाद मूर्ति या तस्वीर के आगे घी का दीपकर/अगरबत्ती/धूप जलाऐ।
- अब आपको भगवान विष्णु जी कि मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराऐ।
- स्नान कराने के बाद विष्णु भगवान का पंचामृत से अभिषेक करे और दोनो हाथ जोडकर मूर्ति के सामने बैठ जाऐ।
- इसके बाद अजा एकादशी (प्रबोधिनी) पढ़े या फिर किसी अन्य से सुने।
- कथा सुनने के बाद भगवान विष्णु जी कि पुष्प व दीपकर से आरती करे, आरती करने के बाद प्रसाद लगाऐ।
- इस दिन संध्या हाेने से पहले सागार करना चाहिए। तथा गरीब ब्रह्मणों को दान देना चाहिए।
- दूसरे दिन स्नात आदि से मुक्त होकर पूजा करने के बाद गाय को एक रोटी देकर स्वमं को भोजन करना चाहिए।
अजा एकादशी व्रत पारण समय/Gyaras Vrat Paran Time
आपने भाद्रपद महिने की एकादशी का व्रत किया है तो आपको 11 सितंबर 2023 को प्रात: 06:04 मिनट से लेकर 08:33 मिनट के मध्य में कर सकती है। यह एकादशी द्वारदशी वाले दिन रात्रि 11 बजकर 52 मिनट पर लगभग समाप्त होगी इससे पहले आपको इस व्रत का पारण कर लेना है।

अजा एकादशी व्रत कथा | Aja Ekadashi Vrat Katha भाद्रपद एकादशी व्रत कथा
Bhadrapada Ekadashi Vrat katha in Hindi:- पुराणों में कहा गया है कि एक बार सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न में ऋषि विश्वामित्र काे अपना राज्य दान कर दिया है। अगले दिन ऋषि विश्वामित्र दरबार में पहुचें तो राजा हरिश्चन्द्र ने अपना सारा राज्य उन्हे सौप दिया। ऋषि ने दक्षिणा में राजा से पॉंच सौ स्वर्ण मुद्राए और मांगी। दक्षिणा चुकाने के लिए राजा ने अपनी पत्नी व पुत्र तथा स्वयं को बेचना पड़ा।
राजा हरिश्चन्द्र को एक डोम ने खरीदा था। उस डोम ने राजा हरिश्चन्द्र को श्मशान में नियुक्त करके मृतकों के सम्बन्धियों से कर लेकर शव का दाह करने का कार्य सौंपा था। राजा को यह कार्य करते हुऐ कई वर्ष व्यतीत हो गऐ, तो एक दिन अकस्तात् उनकी गौतम ऋषि से भेंट हो गई। तब राजा से गौतम ऋषि ने उसकी यह हालस का कारण पूछा तो राजा हरिश्चन्द्र ने अपने ऊपर बीती सब बातें सुनाई।
राजा हरिश्चन्द्र कि बात सुनकर गौतम मुनि ने उसे अजा एकादशी (भाद्रपद एकादशी) व्रत Aja Ekadashi Vrat करने को कहा और वहा से चले गऐ। हरिश्चन्द्र राजा ने यह व्रत करना आरम्भ कर दिया। राजा को यह व्रत करते हुऐ कई वर्ष व्यतीत हो गये, इसी बीच उनके पुत्र रोहिताश का सर्प के डसने से स्वर्गवास हो गया। जब उसकी माता तारा अपने पुत्र का अंतिम संस्कार हेतु श्मशान पर लायी तो राजा हरिश्चन्द्र ने उससे श्मशान का कर मॉंगा।
किन्तु उसके पास श्मशान का कर चुकाने के लिए कुछ भी नहीं था। उसकने अपनी चुन्दरी का आधा भाग देकर श्मशान का कर चुकाया। इसके बाद वह अपने पुत्र कि चितां को अग्नी देने के लिए आगे बढ़ी तो अचानक आकाश में बिजली चमकी और भगवान विष्णु जी प्रक्रट होकर बोले ” हे राजन” तुमने सत्य को जीवन में धारण करके उच्चतम आर्दश प्रस्तुत किया है।
तुम्हारी इस कर्तव्य और निष्ठा धन्य को देखकर मैं तुम पर प्रसन्न हुआ। इसी लिए तुम्हे इतिहास में जब तक जीवन है तब तक सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के नाम से अमर रहोगे। इसके बाद भगवान अर्तध्यान हो गये और उनका पुत्र रोहित जीवित हो गया। तब ऋषि विश्वामित्र ने उनको उनका राज्य वापस लौटा दिया और तीनो चिरकाल तक सुख भाेगकर अन्त में स्वर्ग को चले गए।
इसी तरी जो भी अजा एकादशी व्रत (Aja Ekadashi Vrat Katha in Hindi) पूरी श्रद्धा भाव से करता है वह इस संसार में सभी सुख भाेगकर अन्त में भगवान के चरणकमलों में स्थान प्राप्त करता है।
डिसक्लेमर:- प्यारे दोस्तो आज कि इस पोस्ट में हमने आपको भाद्रपद महिने की कृष्ण पक्ष की एकादशी अजा ग्यारस (Aja Ekadashi Vrat Katha in Hindi) के बारें में सम्पूर्ण जानकारी दी है। जो केवल और केवल पौराणिक मान्यताओं, कथाओं के आधार पर लिखकर बताई है। आपको बताना जरूरी है Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है अत: अधिक जानकारी हेतु किसी विशेषज्ञ, विद्धान, पंडित के पास जाएगा। यदि आप सभी को हमारी पोस्ट पसंद आयी है तो अपने सभी दोस्तो के पास शेयर करे व आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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