Ashadha Gupt Navratri 2022 : आषाढ गुप्त नवरात्रि 2022 जानिए शुभ मुहूर्त, घटस्थापना व पूजा विधि: आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि। Ashadha Gupt Navratra 2022 । गुप्त नवरात्रि का महत्व। Importance Of Gupt Navratra । गुप्त नवरात्रि की कथा। Gupt Navratra Katha । गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना। गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि। Gupt navratra Pooja Vidhi । गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त। व्रत से मिलने वाले लाभ। Profit OF Gupt Navratri Vrat । गुप्त नवरात्रि तिथी 2022। Gupt Navratri Date 2022 । गुप्त नवरात्रि के नियम। Rule of gupt navratri।
गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) का महत्व:-
नवरात्रि का त्यौंहार (Ashadha Gupt Navratri) मॉं दुर्गा के लिए किया जाता हैं। इस त्यौंहार (Ashadha Gupt Navratri)मे पूरे नौ दिनाे तक माता दुर्गा की अलग- अलग तरिके से पूजा की जाती है। पौष, चेत्र, आषाढ़ और आश्विन पूरे वर्ष मे चार बार नवरात्रि पड़ती है। इसमें से दो नवरात्रि सार्वजनिक होती है और दो गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। इस नवरात्रि मे तंत्र और विद्या का महत्व होता है। और गुप्त नवरात्री में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। और आपको बता दे कि चेत्र और आषाढ़ महिने की तरह सभी जन मानस के बीच गुप्त नतरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) नहीं मनाई जाती है। और गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) की पूजा वे लोग करते है जो महाविद्याओं और तंत्र विद्या की साधना करते हैं।
हिंदू धर्म के लोग माँ भगवती को समर्पित नवरात्रि के त्यौंहार मे एक विशेष महत्व रखते है। जिनमें से तो दो गुप्त नवरात्रि और दो सामान्य नवरात्रि कही जाती है और हिंदू पंचांग के अनुसार पहली गुप्त नवरात्रि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। गुप्त नवरात्रि के व्रत करने से माँ भगवती जी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है। तो आइए अब जानते है गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि।
गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) की पूजा विधि

आषाढ माह के गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) सिद्धी- साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते है। इसके दौरान 10 महाविद्या, तंत्र साधना और महाकाल की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) को जितना अधिक गोपनीय रखा जाता है उसका उतना ही फल मिलता है।
- घट स्थापना के दिन आप स्नान करके पूजा घर की साफ सफाई कर ले।
- अपने घर के सभी कामो को खत्म कर ले।
- इसके बाद आप सबसे पहले सही मुहूर्त पर घट स्थापना कर ले।
- अन्य नवरात्रो की तरह गुप्त नवरात्रि की पूजा भी नौ दिनो तक करने का संकल्प करे।
- यदि कलश की स्थापना करते है तो सुबह- शाम मॉंं दुर्गा के मंत्र का जाप करे या दुर्गा मॉं की चालीसा का पाठ करे।
- सुबह- शाम माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करे और बताशे का भोग लगावे।
- दुर्गा मॉंं पर लाल रंग के फूल चढाना सबसे श्रेष्ठतम माना जाता है।
- पूरे 9 दिनो तक सच्चे मन से मॉं दुर्गा की पूजा अर्चना करे।
- इसके साथ अष्टमी या नवमी पर कन्याओं का पूजन कर अपना व्रत संपन्न करे।
गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) का शुभ मुहूर्त व तिथी
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महिने मे गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) 30 जून 2022 गुरूवार से प्रारंभ हो जाएगी और 8 जुलाई 2022 शुक्रवार को समापन हो जाएगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 जून सुबह 06:02 मिनट पर शुरू होगा तथा 07:15 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त 30 जून सुबह 11:56 मिनट पर शुरू होगा तथा दोपहर के 12:46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहींAshadha Gupt Navratri की प्रतिपदा तिथि 29 जून 2022 की सुबह 8:21 बजे से शुरू हो जाएगी और 30 जून 2022 सुबह 10:49 बजे तक रहेगी। व्रतो के चलते 7 जुलाई गरूवार को अष्टमी व 8 जुलाई शुक्रवार को नवमी हो जाएगी।
गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) के नियम
पौराणिक कथाओं व शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) के व्रत इच्छा पूर्ति व सिद्धी प्राप्त करने के लिए किये जाते है। इन बातो के पश्चात् कुछ खास खयाल रखना चाहिए-
- गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) के व्रत का ज्यादा प्रसार- प्रचार करते हुए नहीं करना चाहिए।
- जितना हो सके उतना गोपनीय रखना चाहिए।
- यदि आप कलश स्थापना कर रहे है तो सुबह शाम मॉं दुर्गा के मंत्र का जाप करे या दुर्गा चालीसा का पाठ करे।
- दुर्गा मॉं की अराधना के लिए लाल पुष्प चढाए लेकिन आक, दूब, मदार व तुलसी ना चढाए।
- गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) में सात्विक भोजन का ही ग्रहण करे।
- साधना करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुहँ करके करनी चाहिए।
- साधना करने के लिए लाल रंग का आसन ही लेना चाहिए।
- गुप्त नवरात्रि में साधना हमे मध्यरात्रि में करनी चाहिए।
- पुजा पाठ करते समय शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- Ashadha Gupt Navratri के दौरान बाल, दाढी व नाखून नहीं काटने चाहिए।
गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) व्रत के लाभ
- गुप्त नवरात्रि मे नौ दिनो तक माता दूर्गा जी की पूजा अर्चना की जाती है माता दूर्गा जी का व्रत करने से घर मे खुशहाली आती है।
- गुप्त नवरात्रि करने से हमारे बहुत से पाप धुल जाते है।
- गुप्त नवरात्रि करने से व्यक्ति की सारी परेशानियां खत्म हो जाती है।
- गुप्त नवरात्रि करने से व्यक्ति मृत्यु चक्र से बाहर निकलता है।
- मॉंं दुर्गा अपने भक्तो की हर छोटी- छोटी इच्छाओं को पूरी करती है।
- इस व्रत को जितने गोपनीय रूप से किया जाएगा उतना ही इस व्रत से फल प्राप्त हो्गा।
गुप्त नवरात्रि की कथा

एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तजनो को प्रवचन दे रहे थे। तभी भीड में से एक स्त्री निकल आई और बोली हे ऋषिवर मैं बहुत दु:खी हूँ। मेरे पति हमेशा बुरे कार्यो से घिरे रहते है। वे धर्म के मामले में मेरा साथ नहीं देते। इसलिए मैं पुजा- पाठ नहीं कर पाती। मेरे पति मास- मदिरा का सेवन करते है। दान के लिए निकाला हुआ अनाज भी नहीं देने देते। इसलिए मैं बहुत परेशान हुॅं। मैं मॉं दुर्गा की अनन्य भक्त हुँ। और मैं पूरे मन से मॉं दुर्गा की पूजा करना चाहती हुॅं। लेकिन मेरे पति मुझे करने नहीं देते हैं।
शृंगी ऋषि उस स्त्री की बात सुनकर बहुत प्रसन्न होते है। और उसे उपाय बताते हुए कहते है कि शरद और वसंत ऋतु के नवरात्रो को तो हर कोई जानता है। लेकिन माघ व आषाढ माह के नवरात्रो को गुप्त नवरात्रो के नाम से जाना जाता है। इन नौ दिनो में मॉंं दुर्गा की अराधना या पुजा अर्चना गोपनीय रूप से की जाती है। गुप्त नवरात्रो में 10 महाविद्यायों की पूजा की जाती है। ऋषि के ऐसा कहने पर वह स्त्राी पुछती है कि हे मुनिवर कृपा करके मुझे आप 10 महाविघाओ के बारे मे सार से बताऐ ये क्या है। मुनिवर कहते है –
ये 10 महाविर देवी सती के रूप मे है। जब सती व शिव का विवाह हुआ तब सती के पिता प्रजापती दक्ष खुश नही थे। तब भगवान शिव से बदला लेने के लिए एक बडे यज्ञ का आयाेजन किया। जिसमे सभी देवी देवताओ को निमंत्रित किया। किन्तु भगवान शिव व उनकी पत्नी सती को नही बुलाया। जब सती को यज्ञ के बारे मे पता चला तो उन्होने यज्ञ मे जाने की जिद करी तो इसे भगवान शिव ने अनसुना कर दिया तब सती ने खुद को भयानक रूप मे बदल लिया तो भगवान शिव भागने लगे। जिस दिशा मे भगवान शिव भाग रहे थे उस दिशा मे माता सती का अलग विग्रह प्रकट होता। अंत मे शिव भगवान रूके और पूछने लगे ये कौन है। तब माता कहती है ये 10 रूप मेरे ही है।
माता के इन्ही रूपो को गुप्त रूप कहा जाता है। इसलिए इन व्रतो को गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) कहा जाता है। ये सब जानकर स्त्री घर को लोट गई और उस स्त्री ने गुप्त नवरात्रो का व्रत्र किया उसका पती धर्म के रास्ते पर आ गया उसकी सब गलत हरकते समाप्त हो गई। परिवार में सुख शान्ति रहने लगी और इस प्रकार कथा संपन्न हुई। बोल सांचे दरबार की जय ।
दोस्तो आज के इस लेख में आषाढ गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri) के बारे में विस्तार से बताया गया है। जो कि आध्यात्मिक व पौराणिक कथाओं के आधार पर वर्णन किया गया है। हमारा द्वारा लिखा गया लेख यदि आपको पसन्द आये तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आए तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
Pingback: Kajli Teej Festival in Hindi~ कजली तीज का त्यौंहार 2022 जानिए महत्व, तिथी व शुभ मुहूर्त, पूजा विधि - Online SeekheKajli Teej Festival in Hindi~ त
Pingback: Yogini Ekadashi vrat Katha ~ क्यों किया जाता है योगिनी एकादशी व्रत जानिए
Pingback: Bhool Bhulaiyaa 2 movie review ~ भूल भुलैया 2। चलिए जानते है मंजूलिका का रहस्य
Pingback: Kamika ekadashi vrat Katha~ कामिका एकादशी व्रत 2022 जानिए व्रत विधि, कथा, व शुभ मुहूर्त