Ashok Vrat Katha in Hindi | अशोक व्रत कथा | Ashok Vrat Katha | अशोक व्रत पूजा विधि| Ashok Vrat Katha Read in Hindi | अशोक व्रत कब का है
अशोक व्रत Ashok Vrat Katha प्रतिवर्ष आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा (पडि़वा/पहला दिन) को किया जाता है। इस व्रत वाले दिन अशोक वृक्ष की पूजा कि जाती है। जो की भगवान शंकर को समर्पित है। जो कोई स्त्री व पुरूष एक बार यह व्रत करना शुरू कर देते है तो उसे लगातार 12 वर्षो तक करना होता है। उसके बाद इस व्रत का उजमन (उद्यापन) किया जाता है।
जो कोई इस व्रत को पूरी श्रद्धा व निष्ठा भाव से करता है भगवान भोले नाथ उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है। ऐसे में आप भी अशोक का व्रत रखते है तो आर्टिकल में दी गई पूजा विधि को पढ़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। तो चलिए पोस्ट के अन्त तक बने रहे।

अशोक व्रत पूजा सामग्री (Ashok Vrat Puja in Hindi)
- रौली-मौली
- चावल
- गंगाजल
- गुड़
- घी
- हल्दी
- कलावा, गंध
- उसी मौसम के फल व पुष्प
- धूप, दीप
- तिल, साम धान
- श्रीफल, अनार, मोदक, ऋतुफल
अशोक व्रत पूजा विधि (Ashok Vrat Puja Vidhi)
- अशोक का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष को प्रात:कला जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर नऐ वस्त्र धारण रके।
- जिसके बाद भगवन सूर्य (सत्यनारायण) को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
- इसके बाद पूजा की सभी सामग्री को लेकर अशोक के पेड़ के पास जाकर उसके चारो ओर सफाई करे और गंगा जल का छिडकाव करे।
- जिसके बाद अशोक के पेड़ को रंगीन कागज के पताकाओ से सजाकर उस पुष्प अर्पित करे।
- इसके बाद भगवान भोलेनाथ का ध्यान करते हुए पेड़ पर वस्त्र चढाऐ। और पूरे विधि-विधान से पूजा करे।
- पूजा के बाद पेड़ पर सप्तधान (सात प्रकार का अन्न) ऋतुफल, नारियल, अनार, लड्डू आदि चढाकर भोग लगाऐ।
- इसके बाद दाेनो हाथ जोड़कर भगवान शंकर का ध्यान करके अपनी इच्छा मांगे और इस महामंत्र का तीन बार जाप करे।
पितृभ्रातपतिश्रूशुराना तथैव च, अशोक शोकशमनो भव सर्वत्र न कुले।।
अर्थात:- हे अशोक वृक्ष: आप मेरे कुल में पिता, भाई, पति, ससुर आदि का शोक शमन रके। ओर अशोक के पेड़ की चारो ओर परिक्रमा करके ब्राह्मण को यथा शक्ति दान-दक्षिणा करे। जिसके बाद दूसरे दिन प्रात: स्नान आदि से मुक्त होकर अशोक का व्रत (Ashok Vrat Katha) तोडते है जिसके बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की त्रेतायुग में जब भगवन राम सीता ओर लक्ष्मण के साथ वन गऐ थे तब रास्ते में माता सीता ने अशोक व्रत किया था। जिसमें अशोक के पूड़ की पूजा करके भगवन शंकर को अर्पित किया था। अत: आपकी जानकारी के तौर पर बता दे की अशोक व्रत (Ashok Vrat Katha) का वर्णन नारद पुराण में किया गया है। जिसमें यह भी लिखा हुआ है की इस व्रत वाले दिन औरते नवरात्रि दुर्गा पूजन के लिए घट/कलश स्थापना करती है।
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको अशोक व्रत (Ashok Vrat Katha in Hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि ऊपर लेख में दी गई जानकारी पंसद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद दोस्तो…..
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