Bahula Chauth Vrat Katha in Hindi:- दोस्तो आज के इस लेख में हम बात करेगें बहुला चौथ व्रत कथा (Bahula Chauth Vrat Katha) के बारे में कि यह व्रत कब आता है। और इसका क्या महत्व है। वैसे तो आप सभी जानते होगे कि हमारे धर्म में स्त्री और पुरूष अपनी मनोकामनाए पूरी करने के लिए बहुत से व्रत रखते है। ज्यादातर औरते अपने पतियो व बेटो भाइयो कि लम्बी उम्र कि कामना के लिए चौथ का व्रत रखती है। वैसे मो चौथ के व्रत हर महिने में आते है किन्तु एक वर्ष में चार चौथ खास है जिनमें से बहुला चौथ (Bahula Chauth) अपने आप में बहुत ही महत्व रखती है।
बहुला चौथ का व्रत (Bahula Chauth Vrat) भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इस व्रत को माताऍं अपने पुत्रो व औरते अपने पति की रक्षा व लम्बी उम्र हेतु करती है। इस दिन गेहूँ एवं चावल से निर्मित वस्तुऍं वर्जित है। गाय और सिहं की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करने का विधान प्रचलित है। बहुला चौथ को कृष्ण चतुर्थी के नाम से और गुजराज राज्य में बोल चौथ के नाम से जाना जाता है।
बहुला चौथ व्रत का महत्व/Bhadrapad Chaturthi Vrat ka Mahatva
हर साल भाद्रपद महिने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बहुत खास होती है इस दिन भगवान गणेश जी की उपासना के साथ गाय माता की उपासना भी करी जाती है। ऐसा करने पर शुभ फल की प्राप्ति होगी, इस चतुर्थी को बहुला चाैथ के नाम से भी जाना गया है। यह व्रत विवाहित महिलाए तो अपने-अपने पति की लंबी आयु के कामना हेतु करती है और कुंवारी बालिकाए अच्छा वर प्राप्त करने के लिए रखती है।

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बहुला चौथ व्रत कब है 2023 में/Bahula Chauth Vrat Date & Time
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बहुला चाैथ व्रत का रखने वाली स्त्री को अपने पति कि लम्बी उम्र के लिए रखती है आपको बताना चाहेगे कि हर साल बहुला चौथ व्रत भाद्रपद महिने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। बात करे ग्रगोरियन कैलेंडर के मुताबित तो इस बार बहुला चौथ व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) 03 सितबंर 2023 रविवार के दिन रखा जाएगा।
भाद्रपद चतुर्थी (Bhadrapad Chaturthi Vrat) का आरंभ 02 सितबंर 2023 शनिवार की रात्रि 08:49 मिनट पर होगा। जो 03 सितबंर 2023 रविवार शाम 06:24 मिनट तक चतुर्थी तिथि रहेगी। पर बहुला चौथ व्रत (Bhadrapad Chaturthi Vrat) 04 सितबंर को किया जाएगा
बहुला चौथ व्रत पूजा के लिए सामग्री/Bahula Chauth Vrat
Bahula Chauth Vrat को खोलने के लिए निम्नलिखित सामग्रीयों कि जरूरत होती है जो कि इस प्रकार है।
- चावन,
- रौली-मौली,
- एक लौटा शुद्ध जल,
- फूल व धूब,
- गेहूँ या जौ,
- अगरबत्ती व दीपक,
- गणेश जी कि मूर्ति,
- चौथ माता कि तस्वीर,
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बहुला चौथ व्रत पूजा विधि/Sankashti Chaturthi Vrat Puja Vidhi in Hindi
Bhula Chauth Vrat Puja Vidhi in Hindi
- बहुला चाैथ को रखने वाली औरते प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदी से मुक्त होकर नऐ वस्त्र धारण करके सूर्य भगवान का पानी चढाऐ।
- इसके बाद पीपल व तुलसी माता के वृक्ष के भी पानी चढाए।
- इसके बाद दोपहर के समय चौथ माता व कृष्ण भगवान जी कि तस्वीर कि साफ जगह पर स्थापना करे।
- अब एक पट्टा ले और उसके सभी कोनो पर छातीया बनाऐ और गणेश जी कि स्थापना करे।
- अब आपको थोड़ा सा अनाज रखकर उसके ऊपर घी का दीपक जला देना है।
- अब सबसे पहले आपको गणेश जी कि पूजा करके माता चौथ व कृष्ण जी की पूजा करे और प्रसाद चढाऐ।
- अपने हाथों में अनाज के कुछ दाने लेकर माता चौथ जी कि और भगवान गणेश जी कि कथा सुनें।
- कथा सुननें के बाद मामा चौथ व कृष्ण जी कि आरती करे, उसके बाद जो आपके हाथों में अनाज के दाने हे उनको पानी के लौटे में डाल देना है।
- अब उस लौटे के पानी से भगवान सूर्य को अर्ग(पानी चढाए) देना होगा। और साथ में अनाज के दाने भी छोड देना है।

बहुला चौथ की कहानी/Bahula Chauth Vrat Katha
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द्वापर युग कि बात है जब विष्णु जी जब कृष्ण जी का रूप लेकर धरती पर आये थे, तब उनकी बाल लीलाए देखने के लिए सभी देवी व देवताऐ अनेक प्रकार के रूप लेकर वृदांवन में आ गऐ। भगवान कृष्ण जी कि मधुर लीलाए देखने के लिए एक कामधेनु जाति कि एक गाय बहुला नाम के रूप में बाबा नन्द की गोशाला में गायों के बीच में प्रवेश कर लिया। जब बहुला गया को बाबा नन्द ने देखा तो उसे वह बहुत ज्यादा पसंद आयी और वह ज्यातर उसी के साथ समया बीताने लगा।
जब बहुला का एक बछ़ड़ा भी था, जब वह चरने के लिए वन में जाती तो बाबा नन्न को उसकी बहुत याद आती। एक दिन बहुला वन में चरने के लिए गई हुई थी तो वह चरते हुऐ सभी गायों से बहुत आगे निकल गयाी। और वह चरते-चरते एक शेर के पास जा पहुची। जब बहुला ने शेर को देखा तो वह बहुत घबरा गई। शेन बहुला को देखकर बहुत खुश हुआ क्योकिं उसे आज का शिकार मिल गया है।
बहुला को उस शेर से बहुत डर लग रहा था और उसे अपने बछडें का ख्याल आ रहा था। जैसे कि शेर बहुला को खाने के लिए आगे बडा तो बहुला ने बहुत ही विनती से शेर से बोला कि तुम मुझे अभी मत खाओ। घर पर मेंरा बछडा भूखा है मैं उसे दूध पिलाकर वापस आ जाऊ तब तुम मुझे खा लेना। बहुला कि यह बात सुनकर शेर हंसने लगा और कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर कैसे विश्वास करू।
बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाकर बोली कि मैं जरूर वाफस आऊगी। बहुला जल्दी बाबा नन्द कि गौशाला में आयी और अपने बछडे को दूध पिलायी और उसे प्यार करने लगी। अचानक उसे शेद से खायी हुयी कसम याद आयी। और वह बछडे़ का पेट भरकर दूध पिलाया और वह वापस उसी जंगल में शेर के पास आ गयी। शेर यह देखकर हैरान हो गया, और वह अपने असली रूप में आ गया। असलत में वह शेर भगवान स्वयं कृष्ण जी थे जो बहुला कि परीक्षा लेने के लिए यह खेल रचा था।
कृष्ण जी बहुला से बोले कि मै तुम पर बहुत प्रसन्न हू, तुम इस परीक्षा में सफल हुयी। आज से पूरी मानव जाति तुम्हे गौमाता कहकर तुम्हारी पूजा करेगी। और जो भी स्त्री इस दिन व्रत रखेगा वह बहुला चौथ व्रत (Bahula Chauth Vrat) के नाम से जाना जाऐगा। जो भी इस व्रत को पूरा श्रद्धा भाव से करेगा उसे सुख, समृद्धि ऐश्वर्या व संतान और उसके पति के लम्बी आयु बनी रहेगी।

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