चंपा षष्ठी व्रत कथा | Chhath Vrat Katha in Hindi | बैंगन छठ व्रत कथा Baigani Chhath in Hindi | चंपा छठ व्रत की कथा पढ़े | Champa Shasthi छठ व्रत कथा जाने
दोस्तो बैंगन छठ प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्लपक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है जो मुख्यत: महाराष्ट्र व कनार्टक राज्य में बडी धूम-धाम से मनाई जाती है। कई जगहो पर मार्गशीर्ष की षष्ठी का चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। जो इस वर्ष 09 दिसबंर 2021 को मनाई जाएगी। कहा जाता है जो कोई स्त्री व पुरूष बैंगल छठ/ चंपाषष्ठी का व्रत पूरी श्रद्धा भाव से करता है भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है। और आप इस छठ के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो पोस्ट के अंत तक बने रहे।
बैंगन छठ/चंपाषष्ठी का महत्व (Champa Shasthi 2021 in Hindi)
पुराण के अनुसार यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है तथा इस दिन शिव के मार्कंडेय रूप की पूजा का विधान होता है। यह उत्सव देश के माराष्ट्र व कर्नाटक राज्य में प्रमुख रूप से मनाया जाता है जिस कारण यहा के स्थानीय निवासी शिवजी के खंडोबा अवतार को किसानो का देवता मानते है। तथा कइ्र जगहो पर भगवान शिवजी के पुत्र कार्तिकेया की पूजा भी की जाती है।
इस खास अवसर पर स्थानीय लोग बाजर व बैंगल भगवान शिव को प्रसाद के रूप में अर्पित करते है। जिसक कारण इस छठ को बैंगन छठ कहा जाता है। मान्यताओ के अनुसार शिवजी की पूजा सच्चे भाव से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है। और वह इस जीवन में सुख पूर्वक रहता है।
बैंगन छठ/ चंपाषष्ठी तिथि की शुरूआत
वैसे तो बैंगन छठ व चंपाषष्ठी प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी (छठ) को मनाई जाती है। किन्तु पंचाग के अनुसार इस वर्ष छठ 09 दिसबंर 2021 गुरूवार के दिन पड़ रही है। जिसकी शुरूआत 08 दिसबंर 2021 को रात्रि के 09:25 से हो रही है तथा 09 दिसबंर 2021 को संध्या के 07:53 मिनट पर समाप्त हो रही है।
आप इस शुभ समय के बीच में बैंगन छठ या चंपाषष्ठी व्रत की पूजा कर सकते है। ध्यान रहे 09 दिसबंर 2021 को राहुकाल का दोष दोपहर के 01:35 से शुरू होकर 02:52 पर समाप्त हो रहा है। आप इस अशुभ मुहूर्त के बीच में कोई भी शुभ कार्य ना करे।
छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जाने
एक चौकी, पीतल का लौटा, जल, पीले रंग का वस्त्र, दूध, सुपारी, पारद शिवलिंग, फल, फूल, अक्षत, रौली व मौली, दीपक, पीपल के पत्ते, बैंगन, बाजरा, चंपा के पुष्प, चंदन, पंचामृत , बिलपत्र, चावल आदि
बैंगन छठ/चंपाषष्ठी पूजा विधि जाने
- मार्गशीर्ष माह की शुक्लपक्ष की षष्ठी का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर बैंगनी रंग के वस्त्र धारण करे।
- इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
- इसके बाद पूर्व दिशा की ओर एक चौकी बिछाए उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाऐ। अब इस चौकी पर भगवान शिवजी की तस्वीर या शिवलिंग की स्थापना करे।
- पीतल या तॉबे के लौटे में जल भरकर एक ओर रखे, लौटै के अंदर लॉगं, सुपारी, दूध आदि डाले। जिसके बाद ऊपर पीपल के पत्ते रखकर उस पर नारियल का गोला रख देना है1
- चौकी के एक ओर भगवान गणेश जी की स्थापना करे। तथा एक तरफ घी का दीपक जलाकर रख देना है।
- जिसके बाद भगवान शिवजी व गणेश जी की विधिवत रूप से पूजा करे, पूजा में जल, अक्षत, रौली, मौली, चंदन, चावल, कपूर, बिलपत्र, दूध, फल, पुष्प, बैंगन, बाजरा, चंपा के पुष्प आदि चढा़कर पूजा करे।
- पूजा के दौरान ऊँ: मार्तड़ मल्हारी नमो नम: मंत्र का तीन बार जाप करे। इसके बाद बैंगन छठ या चंपा षष्ठी व्रत कथा सुने।
- कथा सुनने के बाद आरती करे जिसके बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर अपनी पूजा का पूर्ण करे।
- दूसरे दिन पूजा में अर्पित की गई सभी वस्तु को एकत्रित करके किसी नदी या तालाब में बहा देना है।
चंपा षष्ठी/बैंगन छठ व्रत कथा
एक समय की बात है दो राक्षस थे जो भाई थे दोनो का नाम मल्ला और मानी था। दोनो भाई इतने बलशाली व शक्तिशाली होने के कारण पृथ्वी लोक, पाताललोक व स्वर्गलोक को जीत लिया। दोनो राक्षसो से परेशान होकर सभी देवगण व ऋषि मुनि भगवान विष्णु जी के पास गऐ और मदद की गुहार करने लगे। किन्तु भगवान विष्णु जी ने उनकी मदद करने से मना कर दिया।
जिसके गाद सभी देवगण मिलकर ब्रह्मा जी के पास गऐ और सारा वृत्तातं सुना दिया। किन्तु ब्रह्माजी ने भी उनकी मदद करने से मना कर दिया। जिसके बाद निराश व परेशान होकर सभी देवता भगवान शिवजी के पास गऐ और आप बीती बताई। शिवजी को इतना क्रोध आया और उन्होने भयानक बदबूदान खंड़ोबा का रूप धारण कर दोनो राक्षसो को युद्ध के लिए ललकारा।
भगवान शिवजी का यह रूप सोन और सूरज की तरह तेज चमक रहा था। और अपना पूरा चहरा हल्दी से ढ़का हुआ और दोनो राक्षसो से युद्ध के लिए भिड़ गये। और जब भगवान शिवजी ने राक्षस मानी को मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाया तो राक्षस मानी शिवजी से माफी मांगने लगा और अपना सफेद रंग का घोड़ा खंडोबा (शिवजी) को दे दिया। और खंडोबा से वरदान के रूप में मंगा की जहा पर उसकी पूजा होगी वहा पर उसकी भी मूर्ति होगी।
राक्षस मानी के इस वरदान को भगवान शिवजी ने अपना लिया और आज के समय में राक्षस मानी भगवान शिवजी के मंदिर में पूजा जाता है। उसके बाद राक्षस मल्ला ने भी भगवान के चरणों में गिरकर माफी मांगी और वरदान के रूप में पूरी दुनिया का विनाश मांगा। राक्षस मल्ला के मुख से ऐसी बात सुनकर शिवजी ने उसे श्राप दिया की अब से जो कोई व्यक्ति खंडोबा (शिवजी) के मंदिर आऐगा। उन सभी भक्तो के पैरों के निचे आकर तुम्हे कुचला दिया जाऐगा ऐसा कहते हुए राक्षस मल्ला का सिर धड़ से अलग कर दिया।
दोस्तो के आज के इस लेख में हमने आपको चंपा षष्ठी/ बैंगल छठ व्रत कथा के बारे में विस्तार से बताया है। यदि आपको लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद दोस्तो
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