Basant Panchami Festival in Hindi | बसंत पंचमी त्यौहार क्यों मनाया जाता है जानिए | Basant Panchami 2022 in Hindi | बसंत पंचमी त्यौहार | Basant Panchami 2022 for Marriage | बसन्त पंचमी 2022 | Basant Panchami 2022 Vivah Muhutat | बसंत पंचमी कब है | बसंत पंचमी त्यौहार 2022 । बसंत पंचमी त्यौहार कब है
नए साल के शुरूआत होने पर त्यौहारों का आना भी शुरू हो जाता है। जैसे मकर सक्रांति, पोंगल, लोहडी, बसंत पंचमी, होली, रक्षा बंधन आदि। ये सभी त्यौहार अपने आप में खास महत्व रखते है और इनमें से कई त्यौहार है जो किसान वर्ग के द्वारा मनाए जाते है। जैसे पोंगल, लोहड़ी, बसंत पंचमी, काति बिहू आदि त्यौहार एसे है जो किसान अपनी फसल की खुशी में मनाते है। क्योंकि जब किसानों की फसल अच्छी होती है तो वो कई प्रकार के पर्व मनाते है
किन्तु आज के इस लेख में हम बात करेगे बसंत पंचमी त्यौहार 2022 Basant Panchami Festival in Hindi के बारें में जो प्रतिवर्ष माघ महीने की शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन आता है। और इस वर्ष बसंत पंचमी फरवरी 2022 में मनाई जाएगी। इस खास त्यौहार पर विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है। और यदि आप बसन्त पंचमी पर्व 2022 के बारें में विस्तार से जानना चाहते है तो पोस्ट के अतं तक बरे रहे।
आखिर क्यों मनाया जाता है बसन्त पंचमी का त्यौहार
वेदों-पुराणों व शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान प्रजापति ब्रह्मा जी ने शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि, विद्या की देवी माता सरस्वती को अपने कमण्डल के जल से अवतरित किया था। जिसे कला, संगीत व ज्ञान, वाणी आदि की देवी कहा जाता है और उनके जन्म के उपल्क्ष में प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है। दूसरी ओर इस दिन से वसंत ऋतु (Basant Panchami) की शुरूआत होती है।
पाैराणिक मान्यताओं के अनुसार हमारे हिन्दु धर्म में बसंत पंचमी को अबूज शावा होने के कारण अति शुभ मुहूर्त व दिन माना जाता है। जिस कारण शादी-विवाह समारोह अन्य किसी प्रकार का कार्यक्रम बसंत पंचमी वाले दिन रखते है। क्योंकि ऋतु पिरवर्तन होने के कारण चारो ओर फूलो से सजे हुए पेड़-पौधे दिखाई देते है। क्योंकि अधिकतर पेड़ो में पुष्प बसंत ऋतु पर ही खिलते है
बसन्त पंचमी 2022 कब है (Basant Panchami 2022 Me kab Hai)
हिंदी पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्लपक्ष की पंचमी Basant Panchami Festival in Hindi को ही बसन्त पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह शुभ दिन ऋतुराज बसन्त के आगमन की सूचना देता है जिस कारण इस दिन भगवान विष्णु व माता सरस्वती की पूजा का विधान होता है। इस वर्ष बसन्त पंचमी का त्यौहार 05 फरवरी 2022 शनिवार के दिन है।
बसन्त पंचमी त्यौहार शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2022 Shubh Muhurat)
बसंत पंचमी तिथि | शुभ मुहूर्त |
बसंत पंचमी कब है | 05 फरवरी 2022 शनिवार के दिन |
बसंत पंचमी आरम्भ | 05 फरवरी को प्रात: 03:47 बजे से |
बसंत पंचमी समाप्त | 06 फरवरी प्रात: 03:46 मिनट पर |
बसन्त पंचमी शुभ मुहूर्त | 05 फरवरी 06:45 मिनट से लेकर 12:34 मिनट पर |
बसंत पंचमी कैसे मनाते है (Basant Panchami Festival Celebration)
इस त्यौहार वाले दिन सभी लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते है क्योंकि यह पीला रंग जीवंतता व प्रकृति का प्रतीक है इस महीने में हमारे चारो ओर पीले-पीले रंग की चादर बिछी हुई दिखाई देती है। क्योंकि किसानों के खेतो में सरसों के फूल ऐसे लहराते है जैसे प्रकृति ने पीले रंग की चादर ओढ़ रखी है।
इस त्यौहार वाले दिन कार्यक्रमों का आयोजन करते है जिसमें माता सरस्वती की रखी जाती है और उनके चरणों मे पीले रंग के पुष्प अर्पण करते है तथा केसरिया रंग व पीले रंग के चावल बनाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन और पीलें रंग के वस्त्र पहनती है तथा नृत्यगान करती है।
बसंत पंचमी पूजा विधि/Basant Panchami Puja Vidhi in Hindi
इस त्यौहार वाले दिन प्रात: जल्दी उठरक स्नान आदि से मुक्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करे। जिसके बाद माता सरस्वती की चरण वंदना करके पूजा करे। पूजा में पीले रंग के पुष्प व भोग अर्पण करे। इस दिन सरसों के फूल चढ़ाना अति आवश्यक है। माता का धूप, दीप, चावल, चंदन आदि से अभिषेक करे। इस दिन माता लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जी की भी पूजा करना आवश्यक है।
Basant Panchami Katha in Hindi (बसंत पंचमी कथा)
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार जब भगवान ने पूरी सृष्टी की रचना की थी उस समय मानव रचना नहीं की थी। जिस कारण धरती पर किसी प्रकार की हलचल व ध्वनि नहीं थी। इस प्रकार की शांति को देखकर सभी देवतागण हैरान हो गए और भगवान त्रिदेवो से कहने लगे की अभी कुछ कमी है। जिस कारण पृथ्वीलोक पर इसी प्रकार की शांति का वातावरण है देवताओं की इस बात को सुनकर ब्रह्मा जी ने भगवान शिवजी और विष्णुजी से कहा की मैं इसका उपाय करता हॅॅू।
सृष्टी के पालहर्ता श्री हरि से आज्ञा लेकर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल अपने हाथों में लेकर मंत्र का उच्चारण किया और पृथ्वी पर छिड़क दिया। वह पर एक शक्ति उत्पन्न हुई जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में तथास्तु मुद्रा थी। तीसरे हाथ में पुस्तक और एक में माला थी यह अदभुत देवी माता सरस्वती थी। सभी देवताओं ने देवी सरस्वती को प्रमाण किया, और कहा की इस सृष्टि में ऐसा मधुरनाद भर दो जिसको सुनते ही लागे विभोर हो जाएग। इस प्रकार माता सरस्वती उत्पन्न हुई और लोगो में ध्वनि व स्वर कला आदि का प्रतीक बनी।
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