Budhvar Vrat Katha in Hindi | बुधवार व्रत कथा व पूजा विधि हिंदी में

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दोस्‍तों आज के लेख में हम बुधवार व्रत की कथा Budhvar Vrat Katha in Hindi के बारे में बताएगे। वैसे तो आप सभी जानते होगे कि हमारे हिन्‍दु धर्म में लोग अनेक देवी;देवताओ को मानते है। इन्‍हे प्रसन्‍न करने के लिए पूजा ; अर्चना तथा व्रत इत्‍यादी करते है। ताकि अपनी सभी मनोकामनाए पूर्ण हो सके। परन्‍तु आप हम बात करेगे भगवान बुधदेव जी के बारे में, बुध पूरे नौ ग्रहो में से सबसे छोटा और हल्‍का ग्रह है। बुधदेव काे बुद्धि का जनक कहा जाता है।

Budhvar Vrat Ki Katha In Hindi | बुधवार व्रत कथा व पूजा विधि हिंदी में Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi
Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi

विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह को दूसरे नबंर पर सबसे गर्म ग्रह है। तथा सूर्य के सबसे निकट ग्रह होने के कारण इसका चुम्‍बकीय क्षेत्र बहुत ज्‍यादा है। बुध ग्रह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में करता है क्‍योकिं पूरे सौरमंड़ल में सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है। इस ग्रह पर दिन अति गर्म और रातें बहुत बर्फीली होती है। इसका तापान्‍तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक ( 600 डि़ग्री C ) है।

यदि किसी व्‍यक्ति के जीवन में ग्रहों का प्रभाव है और उस पर बुध जी का क्रोध प्रचंण्‍ड़ होता है। तो उस व्‍यक्ति के जीवन में दुखाे और कठीनायों की बाढ़ आ जाती है। अगर आपको बुध के दोष से मुक्‍त होना है तो उसे प्रसन्‍न करने के लिए आपकाे उसकी पूजा-अर्चना करनी पड़ेगी। तबही आप इस दोष से मुक्‍त हो सकते है।

शास्‍त्रो के अनुसार जो कोई मनुष्‍य बुधवार का व्रत पूरे विधि-विधान से करेगा। उसके जीवन में ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखों का आनंद होता है। इस दिन भागवान गणेश जी की पूजा की जाती है वेदों पुराणों में गणेश जी को सबसे पहले पूजा की जात‍ि है। इनको विघ्‍न हर्ता व कर्ता धर्ता कहते है। ऐसे में अगर आप भी भगवान बुधदेव जी का व्रत रखते है तो आज की इस पोस्‍ट में हम आपको बुधवार व्रत की कथा ( Budhvar Vrat Ki Katha ) के बारे में बताएगें। जिसे पढ़कर या किसी सी सुनकर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।

बुधवार व्रत पूजा विधि

Budhvar Vrat करने वाले व्‍यक्ति‍ को प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त होकर हरे रंग के वस्‍त्र धारण करे। इसके बाद सुर्य भगवान को जल चढ़ाऐ और तुलसी माता तथा पीपल के पेंड़ में भी पानी चढ़ाऐ। इसके बाद आपको मंदिर जाकर भगवान गणेश जी की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिऐ। गणेश जी की पूजा करने के बाद आपको भगवान शंकर जी की भी पूजा करनी चा‍हिऐ। इस दिन भगवान भोलेनाथ जी की पूजा धूप, बेल-पत्र आदि से करनी चाहिऐ, साथ में बुधवार व्रत की कथा ( Budhvar Vrat Ki katha ) पढ़े या फिर किसी और से सुने।

Budhvar Vrat Katha in Hindi
Budhvar Vrat Katha in Hindi

कथा सुननें के बाद आरती करके प्रसाद ग्रहण करे तब आपको वहा से जाना चाहिऐ। अगर आप बीच में ही चले जाते है तो भगवान बुधदेव जी क्रोध हो जाते है। और वो आपके उपर अपना दोष स्‍थापित कर देते है। बुधवार व्रत वाले दिन व्‍यक्ति हो रात या दिन में एक बार ही भोजना करना चाहिऐ। जो इन सभी नियमो से बुधवार का व्रत करता है तो उसी का व्रत पूर्ण होता है।

बुधवार व्रत की कथा

आइये अब आपको बुधवार के व्रत की कथा ( Budhvar Vrat Ki Katha ) के बारे में विस्‍तार से बताते है। यह कथा एक पति और पतनी की तथा भगवान बुधदेव जी की है जो कि इस प्रकार है:-

एक समय की बात एक व्‍यक्ति अपनी पत्‍नी के साथ ससुराल गया। दोना कुछ दिनो के लिए वही पर रूक गये। काफि दिनों के बाद उस व्‍यक्ति ने अपने सास व ससुर से अपने घन जाने के लिए कहा। इस पर उसके सास व ससुन ने कहा की आज तो बुधवार है इस दिन घर से बाहर नहीं जाते अशुभ होता है। आप लोग कल सुुबह निकल जाना। परन्‍तु वह व्‍यक्ति नही माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही अपनी पत्‍नी के साथ अपने घर काे चल दिया।

Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi

रास्‍तें में उसकी पत्‍नी काे प्‍यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर कि‍ प्‍यास लगी है। वब वह व्‍यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेन चला गया। जैसे ही वह आदमी पानी लेकर अपनी पत्‍नी के पास पानी लेकर आया, तो वह यह देखकर आश्‍चर्य चकित रह गया। कि ठीक अपनी जैसी सूरत वैसी ही वेशभूषा एक आदमी  उसकी पत्‍नी के पास रथ में बैठा हुआ है। उस आदमी काे बहुत गुस्‍सा आया और उससे जाकर कहने लगा कि तु कौन है। और मेरी पत्‍नी के पास  क्यों बैठा है।

यह सुनकर दूसरा व्‍यक्ति बोला यह मेरी पत्‍नी है। मैं इसे अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूँ। वे दोनों आदमी आपस में झगड़ने लगे, तभी राजा के सिपाही आकर लोटे वाले दोनो आदमीयों को पकड़कर राजा के सामने ले आये। तब राजा ने स्‍त्री से पूछा, तुम्‍हारा पति इन दोनो में से कौनसा है। तब पत्‍नी चुप रही क्‍योकि वह किसे अपना पति बताये वो दोनो तो एक जैसे ही दिख रहे थे। वह किसे अपना असली पति कहे।

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वह व्‍यक्ति भगवान से प्रार्थना करने लगा हे परमेश्‍वर यह क्‍या लीला है, जो सच्‍चा है,वह झूठा बन रहा है,और जो झूठा है, वो सच्‍चा बन रहा है। तभी आकाशवाणी हुई कि मुर्ख आज बुधवार के दिन तुझे अपने ससुराल से गमन नही करना था। यह सब भगवान बुधदेव जी की लीला है। उस आदमी ने मन ही मन में भगवान बुधदेव जी से प्रार्थना कि,और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। यह सुनकर बुधदेव जी ने उस व्‍यक्ति को क्षमा कर दिया और कहा की आगे से ध्‍यान रखना। इतना कहकर भगवान बुधदेव जी वहा से अनतर्धान हो गए। दरबार में यह आश्‍चर्यजनक घटना देखकर सब खबरा गये। तब उस आदमी ने सबको सच बताया, और अपनी पत्‍नी को लेकर घर आ गया।

उसी दिन से दोनाे पति और पत्‍नी बुधवार का व्रत Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi पूरे नियमपूर्वक करने लगे। कुछ महिनो के बादे उनके एक बहुत सुन्‍दर पुत्र हुआ, और वो दोनो अपने पुत्र के साथ सुखी पूर्वक रहने लगे। जो भी व्‍यक्ति इस कथा का श्रवण करता है और बुधवार का व्रत पूरे विधि-विधान से करता है। उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही है। उसको सभी प्रकार के सुख प्राप्‍त होते है।

बुधवार व्रत की आरती

Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi

आरती युगलकिशोरी की कीजै, तन मन धन न्‍यौछावर कीजै….

गौरश्‍याम मुख निरखत रीजै, हरि का स्‍वरूप नयन भरि पीजै…

रवि शशि कोट बदन की शोभा, ताहि निरखि मेरो मन लौभा…

ओढ़े नील पीत पट सारी, कुंजबिहारी गिरवरधारी…

फूलन की सेज फूलन की माला, रत्‍न सिंहासन बैठे नंदलाला…

कंचनथार कपूर की बाती, हरि आए निर्मल भई छाती..

श्री पुरूषोत्तम गिरिवरधारी, आरती करें सकल ब्रज नारी..

नंदनन्‍दन बृजभान किशोरी, परमानंद स्‍वामी अविचल जोरी…प्‍यारे दोस्‍तो आज की पोस्‍ट में आपको बुधवार व्रत की कथा Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi के बारे में बताया है। अगर आप सभी को हमारी पोस्‍ट पसंद आयी हो तो इसे अपने सभी दोस्‍तो व मिलने वालो के पास शेयर करे। ताकि तो भी इसे पढ़कर या सुनकर अपना बुधवार का व्रत पूरा कर सके। और यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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