Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi।दर्श अमावस्या 2022 जानिए व्रत कथा।जानिए दर्श अमावस्या का महत्व। importance of Darsh Amavasya। जानिए शुभ मुहूर्त 2022। दर्श अमावस्या की शुरूआत 2022। दर्श अमावस्या व्रत दिन व तारिख 2022। दर्श अमावस्या क्या है। what is Darsh Amavasya। दर्श अमावस्या 2022 का महत्व। importance of 2022 Darsh Amavasya। दर्श अमावस्या कब है | दर्श अमावस्या क्या होती है | Darsh Amavasya Kya Hoti Hai | Darsh Amavasya 2022 । दर्श अमावस्या व्रत कथा
दर्श अमावस्या 2022 in hindi
वैसे तो हर साल 12 अमावस्याओं का व्रत किया जाता हैं। प्रत्येक अमावस्या का अपना एक अलग महत्व होता हैं। जिनमें से एक दर्श अमावस्याDarsh Amavasya अपने आप में बहुत महत्व रखती हैं। आज के इस लेख में हम बात करेगें दर्श अमावस्या के व्रत के बारे में। इस दिन भगवान चंद्रमा की पुजा अर्चना की जाती है। यदि आप इस व्रत का पालन करना चाहते है तो नीचे दी गई पूजा विधी, शुभ मुहूर्त व व्रत कथा पढकर अपना व्रत पूर्ण करे। जानने के लिए बने रहिए हमारे लेख के साथ अन्त तक।
दर्श अमावस्या का महत्व

आज हम इस लेख में जानेगें दर्श अमावस्या के महत्व के बारे में। दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन चॉंद दिखायी नहीं देता है। और ना ही उसकी रोशनी दिखायी देती है। क्योंकि इस खास दिन चंद्रमा छिप जाता है। हिन्दु धर्म में इसका बहुत ही महत्व है। यही कारण है कि चंद्र दर्शन दिवस नये चंद्रमा को देखने के लोग इस व्रत को अवश्य रखते है।
दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन का व्रत भगवान चंद्र के लिए किया जाता है। वैसे तो चंद्रमा के देवता चंद्र देव हमारे हिन्दू धर्म में नवग्रहो मे से एक है। चंद्र देव भावनाओं तथा दिव्य अनुग्रह के स्वामी हैं। चंद्र देव को जीव- जंतु, पेड- पौधो के जीवन का पोषण माना जाता हैं। जो लोग इस दिन प्रेम भाव से चंद्र देव कि पुजा-अर्चना करते है उन पर चंद्र देव कि कृपा दृष्टि बनी रहती हैं। और उन्हे अच्छे भाग्य व समृद्धि कि प्राप्ती होती हैं।
यदि चंद्र देव अगर आपकी पुजा से प्रसन्न होते हैं तो वे आपके जीवन को प्रगति तक पहुचाने मे आपकि सहायता करते हैं। यदि आज के दिन आप भगवान चंद्र देव कि सच्चे मन से पुजा करते हैं तो आपको आध्यात्मिक संवेदनशीलता आसानी से प्राप्त कर पाते हैं। भगवान चंद्र देव की पुजा करने से मन में तथा जीवन में बहुत शांति मिलती हैं। दर्श अमावस्या का दीन ज्ञान , शुद्धता तथा अच्छे इरादों से जुडा हुआ हैं , जो आपको अपने जीवन में बहुत आगे तक लेकर जाता हैं जो कोई अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयों तथा संघर्ष करके आगे बढ रहे हैं वे लोग अपने अच्छे भाग्य की प्रार्थना चंद्र देव से कर सकते हैं।
दर्श अमावस्या Darsh Amavasya का दिन अपने व अपने परिवार के लिए प्रार्थना करने के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता हैं। दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन अपने पूर्वजों की पूजा भी करनी चाहिऐ । मन से की गई प्रार्थना चंद्र देव जरूर सुनते हैं और चंद्र देव उसका फल भी अवश्य देते हैं।
अनुष्ठान
- दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन हमे हमारे पितरो की मुक्ति के लिए इस व्रत को करना चाहिए।
- इस दिन लोग पवित्र स्नान के लिए नदियों व तालाबो पर जाते है।
- सुबह अमावस्या तिथी से व्रत की शुरूआत होती है।
- पूर्वजो की शांति के लिए लोग गरीबो में भोजन का दान करते है।
- तिल दान करने से और पांडा तर्पण करने से श्रद्धा किया जाता है।
- इस दिन ऐसा माना जाता है कि आज के दिन अगर कोई पीपल के पेड के नीचे सरसो के तेल का दीपक जलाते है तो उसे हमें लाभ प्राप्त होता है।
- इस दिन नीले फूल काले तिल और सरसौ के तेल से शनिदेव भगवान जी की पूजा की जाती है।
दर्श अमावस्या व्रत तिथी व शुभ मुहूर्त
हर वर्ष दर्श अमावस्या Darsh Amavasya का व्रत आषाढ माह में मनायी जाती है। जो कि इस साल हिन्दु पंचाग के अनुसार दर्श अमावस्या 28 जून मंगलवार को पडने वाली है। अमावस्या की तिथी 28 जून मंगलवार सुबह 5 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी। 29 जून बुधवार सुबह 8 बजकर 22 मिनट पर अमावस्या तिथी समाप्त होगी। इस समय के बीच का समय ही व्रत के लिए शुभ समय रहेगा। आप इस समय के बीच में दर्श अमावस्या के व्रत का पालन कर सकते है। अर्थात अपने पूर्वजो की पूजा कर दर्श अमावस्या के व्रत को पुरा कर सकते है।
दर्श अमावस्या पूजा विधि

Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi
दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन अपने पितरो की पुजा करना सबसे उत्तम कार्य माना जाता है। क्योंकि आज के दिन हमारे पितरो को मुक्ति मिलती है। आज के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर किसी नदी या तालाब के पास जाकर पवित्र स्नान करना चाहिए। और नदी या तालाब में तिल अर्पण करने चाहिए। और स्नान आदि करके सूर्य देव काे अर्घ्य देकर हमारे पितरो का तर्पण करना चाहिए। दर्श अमावस्या के दिन पूरे सच्चे मन से पितरो की पूजा करनी चाहिए। जिससे हमें हमारे पूर्वजो के आर्शीवाद से जीवन में समृद्धी की प्राप्ति होती है। हमे हमारे जीवन में आगे बढने का मार्ग दिखायीं देता है।
साथ ही इस दिन भगवान चंद्र की पुजा भी की जाती है। जिससे हमे अपने जीवन के प्रत्येक कार्यो में सफलता का वरदान मिलता है। दर्श अमावस्या के दिन पितरो व भगवान चंद्र देव की पुजा करने से तथा व्रत करने से भगवान चंद्रमा की कृपा मिलती है। और हमारे मन को मानसिक रूप से शांति मिलती है। दर्श अमावस्याDarsh Amavasya का व्रत करने से हमारा शरीर व मन पुरे तरिके से पवित्र हो जाते है। ऐसा माना जाता है कि दर्श अमावस्याDarsh Amavasya के दिन हमारे पूर्वज धरती पर आकर हमे आर्शीवाद देते है। इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
दर्श अमावस्या उपाय
वैसे तो प्रत्येक अमावस्या बहुत खस होती हैं परन्तु दर्श अमावस्या का व्रत और भी महत्व हैं। यदि इस दिन कुछ उताय किये जाते हैं तो हमे अपने जीवन में सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती हैेेें। जानते हैं आज के दिन हमें क्या उपाय करना चाहिये –
दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi) भगवान हनुमानजी का विशेष महत्व माना जाता हे। यदि दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन हनुमानजी बाहुक का पाठ किया जाता हे। तो अनेक रोगों से छुटकारा मिलता हैं। इसी तरह किसी भी तरह के संकट से छुटकारा मिलता हैं। आज के दिन हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करने से बहुत ही बडा लाभ मिलता हैं।
दर्श अमावस्या Darsh Amavasya के दिन अपने घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं।
दर्श अमावस्या कि कथा (Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi)
अब हम लोग जानते हे दर्श अमावस्या व्रत कथा Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi। प्राचीन काल में बारहसिंह की आत्माएं थी जो सोमरोस पर रहती थी। एक बार बरिशदास ने गर्भ धारण किया और एक बच्ची को जन्म दिया जिसका नाम अछोदा था। वह बहुत दुखी रहती थी क्याेंकि उसके पिता नहीं थे और परिणामस्वरूप वह प्यार की कामना करती रहती थी। वह हमेशा रोती रहती थी ।
पितृ लोक में आत्माओं ने उसे पृथ्वी पर राजा अमावसु की बेटी के रूप में जन्म लेने की सलाह दी। उसने उनकी सलाह पर अमल किया और राजा अमावसु की बेटी के रूप मे जन्म लिया । जो की बहुत महान राजा था। अपनी इच्छा के अनुसार उसने अपने पिता का प्यार और देखभाल प्राप्त की और संतुष्टी महसूस कि। जैसे- जैसे उसकी इच्छा पूरी हुई उसने पितरो को उनकी बहुमूल्य सलाह के लिए धन्यवाद देने का फैसला किया और इसलिए पितृ लोक के कैदियों के लिए पितृ पूजा की व्यवस्था की जिसे श्राद्ध कहते है। जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है उस दिन श्राद्ध की प्रकिया करते है और इस तरह उस दिन को अमावस के नाम से जाना जाता है। तब से अमावस्या के दिन पूर्वजों को श्राद्ध अर्पित करने का रिवाज चला आ रहा हैैै।
दोस्तो आज के इस लेख में दर्श अमावस्या Darsh Amavasya vrat Katha in Hindi के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। जो कि आध्यात्मिक कथाओं के आधार पर वर्णन किया है। हमारे द्वारा लिखा गया लेख यदि आपको पसन्द आए तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न आए तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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