Dattatreya Jayanti 2021 in Hindi | दत्तात्रेय जयंती जाने शुभ मुहूर्त, व्रत कथा व पूजा विधि

दत्तात्रेय जयंती प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह शुक्‍लपक्ष की पूर्णिमा को धूम-धाम से मनाया जाता है। जो की इस वर्ष 18 दिसबंर 2021 को है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवन शिवजी, विष्‍णुजी व ब्रह्माजी तीनों मिलक एक ही रूप धारण किया था। जिसका नाम ऋषि दत्तात्रेय पड़ा था। और इनके नाम से ही दत्त धर्म का उदय हुआ। इस समुदाय के लोगो के लिए मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा वाला दिन बहुत की विशेष होता है। इस दिन इनके संप्रदाय की औरते व्रत इत्‍यादि रखती है तथा पुरूष पूजा-अर्चना करते है। ऐसे में आप इस व्रत से जुडी जानकारी विस्‍तार से जानना चाहते है तो पोस्‍ट के अतं तक बने रहे।

Dattatreya Jayanti 2021 (दत्तात्रेय जयंती)

Dattatreya Jayanti 2021 in Hindi
Dattatreya Jayanti 2021 in Hindi

खास तौर पर यह पर्व भारत की मध्‍य व दक्षिणी राज्‍यों में धूम-धाम से मनाया जाता है। जो प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष महीने की कृष्‍णपक्ष की दशमी से लेकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। तथा कई स्‍थानो पर केवल दशमी वाले दिन ही मनाते है। पुराणों के अनुसार दत्तात्रेय भगवन के तीन सिर व छ: भुजाऍं होने के कारण इन्‍हे त्रिदेवा कहा जाता है। क्‍योकि यह भगवान त्रिदेवों के अंश है।

दत्त संप्रदाय के लोग दत्तात्रेय को भगवान (ईश्‍वर) व गुरू दोनो के रूपों में ही पूजते है। जिस कारण इन्‍हे गुरूदेवदत्त कहा जाता है। पौराणिक मान्‍यताओ के अनुसार इनका जन्‍म मार्गशीर्ष की पूर्णिमा वाले दिन प्रदोष काल में हुआ था। जन्‍म के बाद इन्‍होने श्रीमद्धगावत गीता ग्रंथो के तहत कुल 24 गुरूओ से शिक्षा प्राप्‍त की थी। और आज इनका मुख्‍य स्‍थान कर्नाटक राज्‍य के बेलगाम में स्थित है। जहा पर हजारो व लाखो की संख्‍या में श्रद्धालु आते है।

आपको बता दे भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्‍णु तथा महेश के रूपों को उल्‍लेख मिलता है। और इन्‍होंने अपने जीवन काल में प्रवचन वाली पुस्‍तक गीता, जीवनमुक्‍ता गीता जैसी पवित्र पुस्‍तको पढ़ी है। भगवान दत्तात्रेय ऋषि अत्रि व माता अनुसूइया के पुत्र थे। जिस कारण इनको ”स्‍मृतिमात्रानुगन्‍ता” तथा ‘स्‍मर्तृगामी’ के नाम से जाना जाता है। क्‍योकि जब भी कोई इन्‍हे याद करता था ये तुरंत उसके पास आ जाते थै।

Dattatrey Purnima Vrat 2021 in Hindi

Dattatrey Jayanti 2021 Date (दत्तात्रेय जंयती कब है)

वैसे तो दत्तात्रेय जयंती प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। किन्‍तुु भारत के कई स्‍थानो पर इसे दशमी वाले दिन मनाते है। तथा पंचाग के अनुसार इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती पर्व 18 दिसबंर 2021 शनिवार के दिन पड़ रही है।

  • दत्तात्रेय जयंती प्रारंभ/- 18 दिसबंर 2021 को प्रात: 07:24 पर
  • दत्तात्रेय जयंती समाप्‍त/- 19 दिसबंर 2021 को प्रात: 10:04 पर

दत्तात्रेय व्रत पूजा विधि विस्‍तार से जाने

  • इस पर्व वाले दिन व्रत रखने वाले स्‍त्री व पुरूष को प्रात: काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करे।
  • जिसके बाद पूजा के लिए किसी एक स्‍थान पर गंगाजल छिड़कर एक चौकी बिछाए और उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछा देना है।
  • अब इस चौकी पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति की स्‍थापना करे और उनको पुष्‍प, फल, चन्‍दन, माला, चावल, नैवेद्य, धूप, दीप आदि चढ़ाकर विधिवत रूप से पूजा करे।
  • एक और भगवान दत्तात्रेय (त्रिदेव) की तस्‍वीर के आगे घी का दीपक जलाकर रखे।
  • पूर्ण रूप से पूजा करने के बाद भगवान दत्तात्रेय व्रत की कथा सुने, जिसके बाद दत्तात्रेय भगवान की आरती करे।
  • आरती करने के बाद प्रसाद चढ़ाकर सभी में वितरण करे। तथा किसी ब्राह्मण को भोजन कराके यथा शक्ति दान दक्षिणा देकर विदा करे।
  • जिसके बाद स्‍वयं भोजन ग्रहण करे।

आपको बता दे दत्तात्रेय जयंती वाले दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी मनाई जाती है जिसे कई स्‍थानो पर अगहन पूर्णिमा के नाम से जानते है। इस जयंती वाले दिन पूर्णिमा पड़ने के कारण इसे दत्ता पूर्णिमा (Datta Purnima )भी कहा जाता है।

दत्तात्रेय भगवान के गरूओ के नाम जाने

आप सभी जानते होगे की तीनों देवो के अवतार भगवान दत्तात्रेय जी ने अपने जीवन काल में कुल 24 गुरूओं से शिक्ष प्राप्‍त की थी। जिस कारण इन्‍हे गुरूदेवदत्त भी कहा जाता है जिनके नाम निम्‍नलिखि है- पृथ्‍वी, जल, वायु, अग्नि, कौआ, कबूतर, अजगर, मछली, हिरण, हाथी, सूर्य, चन्‍द्रमा, आकाश, समुंद्र, जीव-जन्‍तु, सर्प, मकड़ी, झींगुर, पतंगा, भौरा, मधुमक्‍खी तथा आठ प्रकृति के तत्‍व है।

इनके अलावा बालक, लोहार, कन्‍या, पिंगला नामक वैश्‍या ने भी इनको ज्ञान दिया था जिस कारण दत्तात्रेय भगवान इनको अपना गुरू मानते है। भगवान दत्तात्रेय जी ने हमेशा कहा है की यदि हमे जिस भी मानव, जीव-जन्‍तु, पशु-पक्षी आदि से कोई ज्ञान की शिक्षा मिलती है तो उसे अपना गुरू समझना चाहिए।

दत्तात्रेय जयंती कथा (Dattatreya Jayanti Katha in Hindi)

सतयुग की बात है एक बार देवर्षि नारद जी पृथ्‍वी पर भ्रमण करके भगवान शंकर, विष्‍णु जी व ब्रह्मा जी से मिलने स्‍वर्ग लोक चले गए। किन्‍तु उन्‍की भेट त्रिदेवों में से किसी से भी नही हुई और महर्षि देवर्षी की भेट त्रिदेवीयो अर्थात त्रिदेवों की पत्‍नीयो (लक्ष्‍मी, पार्वती, सरस्‍वती) से हो गई। नारदजी ने तीनो देवियों को प्रणाम किया।

नारदजी ने तीनों देवियों का घमण्‍ड़ तोड़ने के लिए कहा कि मैं विश्‍वभर का भ्रमण करता रहता हॅू। किन्‍तु पूरे संसार में केवल ऋषि अत्रि की पत्‍नी देवी अनुसूइया के समान पतिव्रत धर्मवाली, शील एवं सद्गुण सम्‍पन्‍न स्‍त्री मैंने नही देखी। और आप तीनों देविया भी पतिव्रत धर्म में उनसे पीछे है। नारद की बात सुनकर तीनो देवियों के अह्म को बड़ी ठेस लगी। क्‍योंकि वे समझती थी कि हमारे समान पतिव्रता स्‍त्री इस संसार में कोई और नही है।

उसके बाद नारदजी तो वहा से चले गऐ जिसके बाद त्रिदेवियों के पति वहा आऐ और उनको सती अनुसूइया का पतिव्रत धर्म काे नष्‍ट करने के लिए कहा। मजबूरन तीनो देव देवी अनुसूइया का पतिव्रत धर्म को भंग करने के लिए पृथ्‍वी लोक आ गऐ। परन्‍तु संयोगवश त्रिदेव एक ही समय पर ऋषि अत्रि के आश्रम आ पहुँचें।

तीनो देवताओ का एक ही उदेश्‍य था केवल अनुसूइया के पतिव्रत धर्म को नष्‍ट करना। तीनों ने मिलकर योजना बनाई की हम ऋषियों के वेष में माता अनुसूइया से भिक्षा मांगेगे। और तीनो ने मुनियो का वेष बनाकर आश्रम की प्रवेश द्वार पर भिक्षा के लिए आवाज लगाई। आवाज सुनकर माता अनुसूइया बाहर आई और तीनो ऋषियो काे प्रणाम किया।

जब देवी भिक्षा देने आई तो तीनो ने भिक्षा लेने से मना किया और कहा की पहले आप हमे भोजन कराऐगी तब ही हम भिक्षा लेगे। अन्‍यथा नही। तीनो ऋषियो की बात सुनकर देवी अनुसूइया ने कहा आप तीनो स्‍नान आदि से निवृत्त होकर आइऐ इतने हम आपको खाना बना देते है। जिसके बाद तीनो देव स्‍नान आदि करके आश्रम में आ गऐ।

देवी अनुसूइया ने कई प्रकार का व्‍यंजन बनाऐ और आसन बिछा दिया। और कहा हे मुनियो कृपा करके आसन ग्रहण करे और भोजन पाऐ। इस पर तीनो देव बोले हम तभी आसन ग्रहण कर सकते है जब तुम प्राकृतिक अवस्‍था अर्थात बिना कपड़ो के हमें भोजन कराओगी। नही तो हम तुम्‍हारे द्वारा से भुखे ही चले जाएगे। तीनो ऋषियो की बात सुनकर देवी अनुसूइया के तन बदन में आग लग गई किन्‍तु पतिव्रत धर्म के कारण वह त्रिदेवों की चाल समझ गई।

जिसके बाद देवी अनुसूइया ने अपने पति ऋषि अत्रि के चरणोदक को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्‍णु, महेश) के ऊपर छिड़क दिया। जिससे त्रिदेव छोटे-छोटे बालक का रूप धारण कर लिए। तब जाकर उन्‍की शर्त के मुताबित अनुसूइया ने कपड़े ऊतारक अपना स्‍तनपान कराया। स्‍तनपान कराने के बाद तीनो बालको को अलग-अलग पालने में सुला दिया। और उनको झुलाने लगी।

बहुत समय बीत जाने पर जब त्रिदेव नहीं लौटे तो त्रिदेविया चिता करने लगी। और त्रिदेवो को खोजती हुई माता अनुसूइया के आश्रम में आ पहुचीं। सती अनुसूइया से त्रिदेवो के बारे में पूछने लगी तो माता ने जवाब दिया की तुम तीनो देवियों के पति इस पालने में विश्राम कर रहे है। तुम इनमें से अपने-अपने पति को पहचान लो और ले जाओ।

किन्‍तु तीनो बालको में मुख एक समान होने के कारण वे नहीं पहचान सकी। तब लक्ष्‍मी जी ने बड़ी चालाकी से अपने पति को उठाया तो वे शंकर जी निकले जिस पर उनका बहुत उपहास उड़ाया। यह देखकर तीनो देवियाे का घमण्‍ड चूर-चूर हो गया और माता अनुसूइया के पैरो में पड़कर माफी मांगने लगी। और अपने पतियों को वापस लौटाने की प्रार्थना करने लगी।

जिस पर माता ने कहा की इन तीनों ने मेरा दूध पिया है इसलिए इन्‍हें किसी न किसी रूप में मेरे पास रहना होगा। जिसके बाद तीनो देवों के अंश में से एक विशिष्‍ट बालक का जन्‍म हुआ। उस बालक के तीन सिर तथा छ: भुजाऐ थी। जिसका नाम दत्तात्रेय रखा गया। जो आगे चलकर बहुत बड़ा ऋषि बना।

माता अनुसूइया ने अपने पति की चरणोदक से पुन: त्रिदेवों को उसी स्‍वरूप में कर दिया। तब तीनों देवाे ने कहा की आज से इस संसार में आप ही हमारी माता के रूप में मानी जाएगी।

दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको दत्तात्रेय जयंती के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

यह भी पढ़े-

प्रश्‍न:- दत्तात्रेय जयंती कब है

उत्तर:- 18 दिसबंर 2021 शरिवार के दिन

प्रश्‍न:- दत्तात्रेय जयंती पर किस भगवान की पूजा की जाती है।

उत्तर:- दत्तात्रेय भगवान

प्रश्‍न:- दत्तात्रेय भगवान के माता पिता का नाम क्‍या है

उत्तर:- माता अनुसूइया व पिता ऋषि अत्रि

प्रश्‍न:- भगवान दत्तात्रेय किसका अवतार है

उत्तर:- ब्रह्मा, विष्‍णु, महेश तीनों का मिलकर

प्रश्‍न:- हिन्‍दी पंचाग के अनुसार दत्तात्रेय जयंती कब मनाई जाती है।

उत्तर:- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन

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