Devshayani Ekadashi 2022 in Hindi: इस दिन 4 महिनो के लिए सो जाएगे देव, देवशयनी एकादशी 2022, जानिए व्रत, मुहूर्त तथा मिलने वाले लाभ | देवता कौनसे महीने में सोते है । Dev Soni Gyaras 2022 | देवशयनी एकादशी कब है | Devsoni Ekadashi Vrat 2022 | देवशयनी एकादशी व्रत कथा विधि | Devshayani Ekadashi Kab Hai | देव सोनी ग्यारस 2022 | Devshayani ekadashi Vrat Vidhi | देव सोनी ग्यारस कब की है । Devshayani Ekadashi Vrat kaise kare | देव सोनी ग्यारस 2022 कब है | Devshayani Ekadashi Vrat katha in Hindi
Devshayani Ekadashi Vrat katha:- हमारे हिन्दु धर्म में कुल 24 एकादशीया है जो की हर महीने में दो बार आती है एक शुक्ल पक्ष को दूसरी कृष्ण पक्ष को। सभी एकादशीया अपने आप में बड़ा ही महत्व रखती है। और आज के इस लेख में हम बात करेगे देवशयनी एकादशी व्रत (Devshayani Ekadashi Vrat 2022) के बारें में। जो की भगवान विष्णु को पूर्णत समर्पित है कहा जाता है इस दिन भगवान कुछ महीने के लिए निद्रा विश्राम करते है। यदि आप इस व्रत का पालन करते है तो नीचे दि गई पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व व्रत कथा पढ़कर अपना व्रत पूर्ण करे।
Devshayani Ekadashi Vrat देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व:-

हिन्दु धर्म में देवशयनी एकादशी व्रत Devshayani Ekadashi 2022 का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। जो की प्रत्येक वर्ष आषाढ महिने के शुक्ल पक्ष की एकादशी (ग्यारस) तिथी को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन श्री विष्णु भगवान 4 महिनो के लिए पाताल लोक मे राजा बलि के यहां योगनिंद्रा मे चले जाते है। इस समय में सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेज कम हो जाता है इसलिए कहा जाता है कि देव शयन हो गया है आम भाषा में देवसोनी ग्यारस (देवता सो गऐ) है
जिसके 4 महिने के बाद अर्थात कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को अपने लोक क्षीर सागर को वापसि प्रस्थान करते है। इसी कारण इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है और कार्तिक मास वाली एकादशी को देवोत्थनी एकादशी (देवउठनी एकादशी) कहा जाता है। आषाढ़ महीने से लेकर कार्तिक महीने की एकादशी तक के बीच वाले समय को चातुर्मास्य कहा जाता है। इन चार महीनों में भगवान विष्णु जी क्षीर सागर की अनन्त शैया पर शयन करते है। इसिलिए इन चार महीनों में विवाहादि जैसे शुभ कार्य करना वर्जित है।
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर तेज तत्व या शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर काम के परिणाम शुभ नहीं मिल पाते। इस कारण इस समय विवाह करना, गृह प्रवेश करना आदि कार्यो को बहुत ही अशुभ माना जाता है। कहा जाता है इन दिनों में साधु लोग एक ही स्थान पर रहकर तपस्या करते है। देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashi 2022 का व्रत करने से सामूहिक पापो का व समस्याओं का नाश होता है। व्यक्ति का शरीर व मन शुद्ध हो जाता है। यदि हमारे जीवन मे दुर्घटनाओं के योग बने हुए है तो वे भी समाप्त हो जाते है। Devshayani Ekadashi Vrat katha in Hindi
देवशयनी एकादशी तिथि 2022 (Devshayani Ekadashi 2022 Date)
वैसे तो हर वर्ष देवशयनी एकादशी का व्रत आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है। जो की इस वर्ष 10 जुलाई 2022 रविवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत की शुरूआत 09 जुलाई 2022 शनिवार को शाम के 04:29 मिनट पर हो जाएगी। और 10 जुलाई 2022 को दोपहर के 02:13 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। आप इस समय के बीच में देवशयनी एकादशी व्रत का पालन कर सकते है।
देवशयनी एकादशी व्रत कि पूजा विधि: कैसे इस व्रत को करे:-
- इस व्रत को रखने वाले स्त्री व पुरूष को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- उसके बाद भगवान सूर्य नारायण को जल का अर्घ्य देकर इस व्रत का संकल्प करना चाहिए। जिसके बाद पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी अवश्य चढ़ाना चाएिह।
- उसके बाद अपने पूरे घर में गंगा जल का छिडकाऊ करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा की स्थापना करें।
- जिसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा- फल, फूल, चंदन, अक्षत, पंचामृत, धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी, नारियल, सुपारी आदि से करें।
- पूजा करने के बाद देवशयनी एकादशी व्रत की कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha) सुनकर आरती करें।
- उसके बाद भगवान विष्णु जी को प्रसाद चढ़ाऐ
- रात्रि के समय भगवान विष्णु जी को शयन अवश्य कराऐं क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु जी चार मास के लिए शयन करते है।
- इस प्रकार आप देवशयनी ग्यारस का व्रत का पालन कर सकते है।
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी यह कथा
Devshayani Ekadashi Vrat katha
देवशयनी एकादशी की व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat katha) का वर्णन खुद कृष्ण भगवान ने किया था। श्री कृष्ण जी ने यह कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी। पौराणिक कथाओ के अनुसार सतयुग मे मांधवा नाम का राजा राज करता था। उस राजा के राज्य मे तीन साल तक वर्षा नहीं हुई। जिस कारण से राज्य मे बहुत भंयकर आकाल पड गया। सारी भूमि सूखी पड गई। भूमि बंजर होने लगी। राज्य की प्रजा परेशान होकर राजा के पास गई, उन्हें अपना सारा दु:ख बतलाया। वहां राजा भी बहुत चिंतित थे।
राजा माधवा को लगता था कि आखिर हमने ऐसा कौनसा पाप कर दिया जिसकी सजा भगवान हमे दे रहा है। इस विपत्ती से बाहर निकलने के लिए राजा मांधवा अपने सैनिको के साथ
के पुत्र अंगिरा ऋषि के पास गये। ऋषिवर ने उनसे पुछा कि हे राजन तुम्हारे यहां आने का कारण क्या है। राजा ने उनके सामने हाथ जोड कर कहा कि हे ऋषिवर मैंने हमेशा से प्रेम व निष्ठा से हर धर्म का पालन किया है, फिर मेरे राज्य की ऐसी स्थिती क्यों। कृपया करके आप हमारी इस समस्या का हल निकाले। ऋषिवर ने कहा कि हे पुत्र यह सतयुग है। यहां छोटे से छोटे पाप का बहुत बडा दण्ड मिलता है।
ऋषिवर ने राजा से आषाढ महिने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा। ऋषिवर कहते है कि इस व्रत का फल भी अवश्य मिलेगा और इस संकट से भी मुक्ति मिलेगी। राजा ऋषिवर की बातो का अमल करते हुए वापस अपने महल को लौट आए और उन्होंने ऋषिवर के कहे अनुसार देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashi 2022का व्रत किया। उसके बाद राज्य में मुसलाधार वर्षा हुई।
देवशयनी एकादशी व्रत करने से प्राप्त होने वाले फल-
इस व्रत को करने से मनुष्य की समस्त कामनाऐं पूरी होती है। व्रत करने वाले मनुष्य के सारे पाप धुल जाते है। देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashi 2022 का व्रत करने से मनुष्य को मानो जैसे एक नयें जीवन की प्राप्ति हो गई हो। व्यक्ति का मन व शरीर पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाते है। यदि व्यक्ति 4 महीनो तक विधी-विधान सहित पूरे व्रत को करते है तो उन्हें महाफल प्राप्त होता है।
दोस्तो आज के इस लेख में देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashi Vrat Katha 2022 के बारें मे विस्तार से वर्णन किया है। जो कि आध्यात्मिक कथायों के आधार पर बताई गई है। हमारे द्वारा लिखा गया लेख आपको पसंद आया तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करें। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न आए तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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