Biography of Sarvepalli Radhakrishnan | Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Ki Jeevni Hindi Me | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में | सर्वपल्ली राधाकृष्णन का सम्पूर्ण जीवन परिचय | Sarvepalli Radhakrishnan Ki Biography Hindi Me डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
”हमे मानवता को को उन जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए, जहॉं से अनुशासन और स्वतंत्रता दोनो का उदम हो” का सदेंश पूरे भारतवर्ष को देने वाले महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) जिनका नाम पूरे भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरो में लिखा गया है। इनका जन्म 05 सितम्बर 1888 मद्रास में हुआ। देश को उनके द्वारा शिक्षा में बढ़ावा देने के विशेष योगदान को देखते हुए इन्हे डॉक्टर की उपाधि से नवाजा गया। कलाम जी ने वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति तथा इसके बाद राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
दोस्तो आज के इस आर्टिकल में माध्यम से हम आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के संपूर्ण जीवन परिचय (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography) एवं उनकी सभी उपलब्ध्यिों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है। इसलिए आप सभी से हमारा निवेदन है कि आप इस आर्टिकल को पूरा अन्त तक अवश्य पढ़े।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय हिदीं में (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography)
जीवन परिचय बिन्दु | जीवन परिचय विवरण |
पूरा नाम | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी |
जन्म | 05 सितबंर 1888 |
जन्म स्थान | तिरूमनी गॉंव, मद्रास (तमिलनाडु) |
माता व पिता का नाम | देवी सिताम्मा – सर्वपल्ली विरास्वामी |
पत्नी का नाम | सिवाकमु |
बच्चें | 1 पुत्र सर्वपल्ली गोपाल 4 पुत्रिया- सुमित्रा, शकुंतला कस्तूरी, रूकमणी |
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डॉं सर्वपल्ली राधाकृष्णन का आरंभिक जीवन (Early Life of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan)
डॉ. Sarvepalli Radhakrishnan जी का जन्म तमिलनाडु के मद्रास शहर में तिरूमनी गॉंव में 05 सितबंर 1888 को हुआ। इनका जन्म एक गरिब ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता सर्वपल्ली विरास्वामी विद्धाव होने के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। इसी कारण राधाकुष्णन ने बचपर से ही बहुत कठिनायो का सामना करना पढ़ा। 08 मई 1908 मात्र 18 वर्ष की आयु में इनका विवाह दूर की रिश्तेदार की बहन सिवाकमु से करवा दिया।
शादि के बाद इनके पांच बेटिया और एक बेटा हुआ, जिसका नाम सर्वपल्ली गोपला था। जो आगे जाकर देश के महान इतिहासकार बने। सन 1956 में इनकी पत्नी सिवाकमु का देहांत हो गया। दोस्तो भारतीय क्रिकेटर खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण सर्वपल्ली राधाकृष्ण के परिवार पीढ़ी से है। आएये अब जानते है इनकी आरंभिक शिक्षा के बारे में।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Education)
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan जी का बचपन अपने गॉंव तिरूमनी में ही बीता, और गॉंव से ही अपनी आंरभिक शिक्षा की। इसके बाद आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए पिता सर्वपल्ली विरास्वामी जी ने क्रिश्रिचयन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल (तिरूपति) में दाखिला दिलवाया। यहा पर इन्होने सन 1896 से लेकर 1900 तक अपनी पढ़ाई करी, तथा इसके बाद वेल्लूर की कॉलेज से अपनी शिक्षा जारी रखे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शुरूआत से हाेनार के साथ एक ईमानदार छात्र होने के कारण इन्हे स्कॉलरशिप मिलती रही। इन्होने अपने आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास क्रिश्रिचयन कॉलेज से अपनी स्नातक डिग्री पूरी करी। इसके बाद सन 1906 में दर्शनशास्त्र में एम.ए (M.A.) किया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के करियर शुरूआत (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Ka Career)
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सन 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के 7 वर्षो तक दर्शनशास्त्र के टीचर रहे। तथा इसके बाद सन 1916 में मद्रास की रजिडेसी कॉलेज में 2 वर्षो तक दर्शनशास्त्र के सहायक प्रध्यापक (Assistant Professor) रहने के बाद 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी ने इन्हे दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बना दिया। यहा पर कई वर्षो तक प्रोफेसर रहकर ये इंग्लौंड चले गऐ।
राधाकृष्णन को 1937 से लेकर19541 में इंग्लैंड की Oxford University (ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय) में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बना दिया गया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन पहले भारतीय थे जो इंग्लैंड के विश्वविद्यालय में प्रोफेसर Professor नियुक्त किए गए। इसी कारण इन्हे शिक्षा के क्षेत्र में पहला महत्व देते है और इनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इंग्लैंड में कई वर्ष बीताने के बाद ये वाफस इंडिया आ गए, और जिस कॉलेज से एम.ए. किया उसी के उपकुलपति (Vice Chancellor) बन गए। यहा पर एक वर्ष तक के बाद इन्होने बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति (Vice Chancellor) बन गए। यहा पर रहते हुए रधाकृष्णन ने बहुत सी पुस्तकें लिखी है।
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डॉं. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीती में आना (Radhakrishnan’s Entry into Politics)
15 अगस्त 1947 को जब भारत देश आजाद हुआ, तब जवाहर लाल नेहरू जी व अन्य सभी नेताओ के बार-बार आग्रह करने पर डॉं सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी देश के लिए सोवियत संघ (रूस) में विशिष्ट राजदूत का कार्य करने के लिए मान गए। इसके बाद राधाकृष्णन ने सन 1947 से लेकर 1949 तक भारत के संविधान निर्मात्री सभा सदस्य के लिए कार्य किया। जब भी वो संसद में अपना कार्य करते तो उनकी लग्न और मेहनत को देखकर सभी लोग उनकी प्रंशासा करने लगे। उसके बाद डॉ. ने राजनीतिक में अपना नाम बना लिया।
इसके बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) 13 मई 1952 से लेकर 13 मई 1962 तक देश के प्रथम उपराष्ट्रपति बने। इसके बाद 13 मई 1962 में भारत के दित्तीय राष्ट्रपति निर्वाचित हुऐ। जब राधाकृष्णन देश के राष्ट्रपति बने तो इनको अपने कार्यकाल में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पढ़ा। जब इनका कार्यकाल था, तो उस समय भारत व चीन के बीच में युद्ध छिडा हुआ था। और उसी समय देश के दो प्रधानमंत्रियों का निधन हो गया। जिसके कारण भारत देश को चीन से हार माननी पढ़ी।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को प्राप्त पुरस्कार सूची (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Award List)
- डॉ. राधाकृष्णन जी के शिक्षा व राजनीती के क्षेत्र में बहुत योगदान होने के कारण सन 1954 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- देश के सभी युवाओ को शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु सन 1962 से भारत सरकारन ने इनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने लगे। और आज देश के सभी लोग हर वर्ष 05 सितबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है।
- इसके बाद इन्हे इंग्लैंड सरकार के तहत ”आर्डर ऑफ मेंरिट” का सम्मान दिया है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन कब हुआ
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को एक लम्बी बीमारी चलने के कारण 17 अप्रैल 1975 चेन्नई में हो गया। आज भी देश के सभी युवा आपकी याद में प्रत्येक वर्ष 05 सितबंर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर इनको एक उच्च सम्मान देते है। तथा देश के जो भी उत्कृष्ट टीचर है उनको 5 सितबंर के दिन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्ण के निधन के बाद अमेंरिका सरकार ने सन 1975 में टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जो भारत के पहले गैर ईसाई धर्म के व्यक्ति है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकुष्णन की किताबे
- दी हिन्दू व्यू ऑफ लाइफ, (The Hindu view of Life,)
- रिलीजन एन्ड सोसायटी, (Religion ancSociety.)
- इंडियन फिलॉसफी, (Indian Philosophy)
- द भगवत गीता (The Bhagavad Gita),
- द ब्रह्मासूत्र (The Brahmasuta)
- द प्रिसिपल ऑफ द उपनिषद (The Principal of thr Upanishads),
- मनोविज्ञान के आवश्यक तत्व (Essential Elements of Psychology)
- आर्टिकल्स ऑन इंडियन फिलॉसफी इन एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका (Articles on Indian Philosophy Engyclopedia Briatnnica)
- ईस्ट एण्ड वेस्ट सम रिफलेक्शन (East and West Sum Reflection)
- धम्मपद (Dhammapada),
- रेन ऑफ रिलीजन इन कंटेम्परेरी फिलॉसफी, (Rain of Religion in Contemporary Philiosophy),
- ईस्टर्न रिलिजन्स एंड वैर्स्टन थॉंट (Eastern Religions and Western Thought )
- भगवतगीता (Bhagwat Gita)A Source Book of Indian Philosophy () 1957
- रिकवरी ऑफ के (Recovery off)
- ए सोर्स बुक ऑफ इंडियन फिलॉसफी (A Source Book of Indian Philosophy) 1957
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा में योगदान
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने पूरे जीवन काल में शिक्षा में बहुत सारे योगदान दिया है इनका कहना है की जहा जीने का तरीका और शिक्षा के उद्देश्य आत्म विकास की बात करता है। वहा पर शिक्षण उपागम पद्धती में जीने की कला का महत्व परिलक्षित होता है
बालक की स्वतंत्रता:- राधाकृष्णन जी ने स्वतंत्रता संबंधि विचारों में व्यक्तिवादा व आर्दशवाद दोनो का ही समिश्रण होता है। इनका कहना है की बालक के सामने हमेशा स्वतंत्रा का वातावरण बनाना है जिससे वह बालक ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर सकेगा। इनका कहना है की नियंत्रण बालक पर करने से वह कमजोर वह ज्ञान से दूर भागता है और डा का शिकार होता है। राधाकृष्णन जी का कहना है की स्वतंत्रता ही मानव की सृजन शक्ति के विकास की कुंजी है मनुष्य ईश्वरी आत्मा है
बालक के प्रति प्रेम व सहानुभूति:- डॉक्टर साहब का कहना है की माता-पिता को सदैव अपने बच्चों के साथ प्रेम तथा सहानुभूति का व्यवहार करना चाहिए। जिससे बालक स्वभाविक रूप से व व्यवहारि रूप से विकसित होता रहता है जिससे बालक के मन में दबी जिज्ञासा को वह अपने माता व पिता के अलाव अध्यापक के सामने बोलेगा। उसकी मन में दबी हुई महत्वकांक्षाओं को जानकार उस बालका को शिक्षा प्रदान कर सकेगें।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
राधाकृष्णन जी एक महान शिक्षक व विद्धान होने के साथ अच्छे लेखक भी है। उन्होने अपने जीवन में बहुत से पुस्तके अनमोल वचन लिखे है। जो कि इस प्रकार है:-
- राधाकृष्णन जी कहते है की भगवान की पूजा नही होती, बल्कि उन लोगो की पूजा होती है जो उनके नाम पर बाेलने का दावा करते है।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी कहते है की ज्ञान हमें शक्ति देती है, प्रेम परिपूर्णता देता है।
- किताबे पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और खुशी मिलती है।
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको भारत के महान शिक्षक, विचारक एवं महान विद्धवान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography) के बारे में बताया है। उम्मीद करते है की आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आप सभी को हमारा यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तो के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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