Eid-al-Adha Mubarak 2023:- जिस प्रकार सनातन धर्म में सभी त्यौहारों को बड़े ही धूम धाम-धाम के साथ मनाया जाता है उसी प्रकार इस्लाम धर्म में भी सभी त्यौहारों को मनाया जाता है। और आपको आज इस्लाम धर्म में प्रसिद्ध बकरीद/ई-उल-अजहा पर्व के बारें में बताएगे, जिसे आम भाषा में सभी लोग बकरा ईद कहते है। जैसे ही 19 जून को माह-ए-जिलहिज्ज का चांद दिखाई देने के बाद बकरीद (Bakra Eid) की तिथि भी तय हो गई है।
जिस प्रकार से हिन्दु धर्म में होली, दिवाली, रक्षाबंधन, दशहरा, तीज आदि को खास माना जाता है उसी प्रकार इस्लाम धर्म में भी बकरीद या नी बकरा ईद को बहुत खास व बड़ा त्यौहारा माना गया है। यह त्यौहारा वाला दिन कुर्बानी के लिए विशेष होता है इससे जुड़ी मान्यता मानी गई की पैगंबर हजरत इब्राहिम से कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। इसी लिए आज भी इस समुदाय में बकरा की कुर्बानी देकर पूरी रीति-रिवाजों के साथ यह ईद का त्यौहारा मनाया जाता है।

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बकरीद में कुर्बानी का महत्व/Eid-Al-Adha Festival 2023
पौराणिक परपंराओं के अनुसार बकरा ईद त्यौहारा पर कुर्बानी का बहुत बड़ा महत्व होता है इसी के चलते आज के दिन बकरा की कुर्बानी दी जाती है जिस कारण इसे बकरा ईद भी कहा गया है। बहुत से लोग इस त्यौहार को लगातार तीन दिनों तक मनाते है और कुर्बानी देते है। पौराणिक इस्लामिक मन्यताओं के तहत ईद-उल-अजहा पर अल्लाह (भगवान) पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा लेने के बाद उनसे सबसे प्यारी वस्तु/चीज की कुर्बानी कर दी थी।
पैगंबर इब्राहिम के बाद उनके बेटे पैगंबर हजरत ईस्माइल से सबसे ज्यादा प्यार होने के कारण वह उनको जान से भी ज्यादा अजीज था। अल्लाह का हुक्म मानकर पैगंबर इब्राहिम ने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया. और जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी करने के लिए हथियार उठाया तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवन दान दिया। और उनके बेटे की जगह एक पशु की कुर्बान मांगी।
उसके बाद उन्हेने एक पशु की कुर्बानी दी. जिलहिज्ज के दसवें दिन हुई इस घटना की याद में ही हर वर्ष जिलहिज्ज के महिने के दसवें दिन को ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। जिसे आप सभी भाईजान मिलकर बकरा ईद भी कहते है।
बकरीद में कुर्बानी का महत्व होता है. इसलिए इस पर्व को कुर्बानी या बकरा ईद भी कहा जाता है. कुछ लोग तो बकरीद से लेकर अगले तीन दिनों तक भी कुर्बानी देते हैं. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, ईद उल अजहा पर अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा ली और अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर देने को कहा. पैगंबर को बेटे हजरत ईस्माइल से सबसे ज्यादा प्यार था और वह उन्हें जान से भी ज्यादा अजीज था.
बकरा ईद कब है/Eid Al Adha Kab Hai
जिस प्रकार हिन्दु धर्म में अपना एक कैलेंडर होता है उसी प्रकार इस्लामिक धर्म में भी अपना अलग कैलेंडर होता है। इस कैलेंडर में जिलहिज्ज महिना इस्लाम का बारहवां महिना होता है जिसे अंतिम महिना माना गया है। यह महिना जोकि जु अल कादा महिने के बाद आता है इसी कारण इस मास को बहुत ही खास व महत्व माना गया है। इस मास में हज जैसे बहुत सी तीर्थयात्रा अदा की जाती है।
और अनेको कुर्बानीया होती है इस साल 19 जून को जु अल कादा के दिन चांद नजर आया और ए जिलहिज्ज क चांद कहा गया। उसके बाद 20 जून को जिलहिज्ज का महिना शुरू हो गया और इसके दसवें दिन ही बकरा ईद का त्यौहार आता है। जो की इस साले 29 जून 2023 को पूरे भारत के अलवा भी अन्य कई मुस्लिम देशों में बकरीद का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना क्या है
Disclaimer:- यह सूचना आपको केवल पौराणिक इस्लामिक मान्यताओं के आधार पर बताई गई है Onlineseekhe.com किसी प्रकार की मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। इस प्रकार की जानकारी के बारें में अधिक गहराई से पढ़ने या जानने के लिए पहले अमल लाये या फिर किसी संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले। समय-समय पर इस प्रकार सभी व्रत व त्यौहारों के बारें में पढ़ने के लिए वेबसाइट के पेज के साथ बने रहिए। किसी प्रकार का प्रश्न है तो अवश्य पूछे धन्यवाद
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