Gaaj Mata Vrat Katha 2021 | गाज माता व्रत कथा यहा से पढ़े | Gaaj Mata Vrat katha in Hindi | गाज माता व्रत कथा 2021 | Gaaj Mata | गाज माता की कहानी | Gaaj Mata Vrat ki Katha Reade in Hindi
दोस्तो गाज माता का व्रत भाद्रपद महीने में किया जाता है। यदि किसी स्त्री के पुत्र पैदा हुआ हो या फिर किसी के पुत्र का विवाह हुआ है। तो वो औरते उसी वर्ष भाद्रपद महीने (सितम्बर) में किसी शुभ दिन को देखकर गाज माता का व्रत Gaaj Mata Vrat katha कर अजमन करना करती है। इस व्रत वाले दिन परिवार के कुल देवता या कुल देवी की पूजा की जाती है। तथा घर में कच्ची रसोई बनारक भोग चढ़ाया जाता है।
ज्यादातर यह व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की द्वितीया को किया जाता है। जिसमें अपने कुल देवता की पूरे विधि-विधान से दोपहर के समय पूजा की जाती है। तथा प्रसाद चढाया जाता है। पूजा के लिए घर कि सबसे बड़ी पुत्रवधू (बहू) दिवार पर गाज बीज का चित्र बनाती है। जिसके ऊपर एक लड़के का चित्र बनाकर साथ में एक तरफ वृक्ष के नीचे खड़े लडके का चित्र बनाया जाता है।

अर्थात चित्र यह दर्शाता है मड़ी पर गाज का गिरना तथा वृक्ष के द्वारा गाज की सुरक्षा करना है। इस दिन पूजा में पुत्रवधू स्त्रीया मिट्टी के भील और भीलनी बनाकर एक बच्चे की मूर्ति बनाती है। ऐसे में आपके भी यहा पुत्र हुआ है या फिर किसी पुत्र का विवाह हुआ है। और आप उसके लिए गाज माता का व्रत Gaaj Mata Vrat रखते है तो इस आर्टिकल कें माध्यम से बताई हुई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।
गाज माता व्रत की पूजा विधि (Gaaj Mata Vrat Puja Vidhi in Hindi)
- इस दिन परिवार के सभी सदस्य को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर घर के सबसे बड़े सदस्य के द्वारा सूर्य भगवान को पानी चढाया जाता है। जिसके बाद पीपल व तुलसी माता के पेड़ में भी पानी चढ़ाना होता है।
- इसके बाद पूजा के स्थान पर सात जगह पर चार-चार पूड़ी और हलवा रखकर एक लाल रंग का कपड़ा और एक रूपया रख देना है।
- अब एक शुद्ध जल से भरा हुआ लौटा लेकर उस पर सातिया बनाऐ, तथा अपने हाथो में 7 गेहूँ के दाने लेकर परिवार के सभी सदस्य गाज माता की कहानी (Gaaj Mata Vrat Katha) सुने।
- इसके बाद सभी पुरीयो व हलवे को एक ओढ़नी में रखकर अपनी सासुजी के पैर छूकर उन्हे दे देना है।
- इसके बाद उस जल से भरे हुए लौटे को भगवान सत्यनारायण (सूर्य भगवान) को अर्घ्य देना है।
- इसके बाद सात ब्राह्मणियों को भोजन कराकर यथा शक्ति दक्षिणा देकर विदा करे।
- जिसके बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करे।

गाज माता की कथा (Gaaj Mata Vrat Katha)
प्राचीन समय की बात है एक राजा और रानी थे। राजा व रानी के कोई सन्तान नहीं होने के कारण दोनो बहुत दुखी रहते थे। एक दिन रानी ने गाज माता (Gaaj Mata) से प्रार्थना की यदि माता रानी मेरे गर्भ रह जाऐ तो मैं तुम्हारे हलवे की कड़ाही करूगी। ऐसे में कुछ दिनो के बाद रानी गर्भवती हुई और नौ महीने के बाद राजा-रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। किन्तु वह रानी गाज माता की कड़ाई करना भूल गई जिससे माता गाज बहुत ज्यादा क्रोधित हो गई।
एक दिन रानी का बेटा पालने में सो रहा था तो अचानक बहुत तेज आँधी आई, और पालने में सो रहा राजा के पुत्र को उड़ा ले गई। ऑधी में उड़ता हुआ राजा-रानी का बेटा उसी नगर में भील व भीलनी के घर पालना जा गिरा। जब भील-भीलनी दोनो जंगल से लकड़ी लेकर घर आऐ तो उन्हे अपने घर में पालने में सोते हुऐ लड़के को देखा। यहा पर भील व भीलनी के भी कोई संतान नही थी। दोनो उस बालक को भगवान का प्रसाद समझकर बहुत प्रसन्न हुऐ और स्वयं पालने लगे।
एक धोबी जो राजा व भील दोनो के कपड़े धोता था। एक दिन धोबी राजा के कपड़े धोकर महल में देने गया तो पूरे महल में शोर मचा हुआ था। की गाज माता राजा-रानी के पुत्र को उड़ाकर ले गई। तब उसने एक नौकरानी से कहा की मैने पालने में सो रहे एक लड़के को नगर के भील व भीलनी के घर में देखा है। उस नौकरानी ने तुरन्त राजा व रानी को खबर दी।
राजा ने उस भील व भीलनी को बुलाया और कहा की मैं और रानी गाज माता का व्रत रखकर पुत्र रत्न प्राप्त किया है। तब रानी को याद आया की मैने गाज माता को कड़ाई बोली थी किन्तु मैने चढ़ाई नही थी। इसी कारण गाज माता हमारे पुत्र को ले गई। रानी गाज माता से प्रार्थना करने लगी और कहा की माता मेरी भूल के कारण ऐसा हो गया। और गाज माता से क्षमा मांगने लगी।

रानी ने कहा की मैं गाज माता के आज ही कड़ाई चढ़ाऊगी। रानी को इस तरह दु:खी देखकर भील व भीलनी ने उनका पुत्र उन्हे लौटा दिया। जिसके बाद रानी ने गाज माता का पूरा श्रृंगार किया और उसकी शुद्ध धी के हलवे की कड़ाई करी। इधर कुछ दिनो बाद भील व भीलनी के यहा पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई यह देखकर दोनो बहुत खुश हुए।
हे गाज माता जैसे तुमने भील दम्पत्ति को धन दौलत और पुत्र दिया है तथा रानी का पुत्र उसे वापिस लौटा दिया। उसी तरह हे माता रानी आपके सभी भक्तो को धन और पुत्र देकर सम्पन्न रखना।
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