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Gita Jayanti Date 2022:- दोस्तो मार्गशीर्ष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को गीता एकादशी अर्थात गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है। क्योकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता पाठ का उपदेश दिया था। जिस कारण प्रतिवर्ष गीता जयंती या गीता एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी या मौन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है जो इस वर्ष 03 दिसम्बर 2022 को पड़ रही है। और यदि आप इस एकादशी व जयंती के बारे में विस्तार से पढ़ना चाहते है तो पोस्ट के अंत तक बने रहे।
गीता जयंती का महत्व (Geeta Jayanti 2022)
मान्यताओ के अनुसार सनातन अर्थात हिन्दु धर्म में श्रीमद् भगवत गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है। जिसमें कुल 18 अध्याय व 700 श्लोक है। इन सभी अध्यायों व श्लोको में व्यक्ति के संपूर्ण जीवन चरण व सम्पूर्ण ब्राह्माण्ड के ऊपर बताई हुई है। और धार्मिक (धर्म की स्थापना) कार्मिक (कर्म करना) सांस्कृतिक (संस्कृति को अपनाना) तथा व्यहवाहरिक ज्ञाप दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति भागवत गीता का अध्यन श्रद्धा भाव से कर लेता है उसकी पूरी जीवन चरिया बदल जाती है वह सदैव भगवान के भजनो का गुणगान करता है। तथा मृत्यु होने के बाद उसके भगवान के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त होता है।

आपको बता दे श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश सर्वप्रथम भगवान के द्वारा सूर्य देव को दिया गया था। और सूर्यदेव ने विविस्वान को दिया तथा विविस्वान ने इक्ष्वाकु अर्थात अपने पुत्र को दिया था। इक्ष्वाकु ने ही भरतवंश की नीव डाली जिसमें आगे चलकर भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था। वैसे तो गीता का उपदेश कई बार दिया गया है किन्तु अंतिम बार धर्म की स्थापना के लिए भगवान श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को दिया था।
गीता जयंती कब है (Geeta Jayanti Kab Hai 2022)
हिन्दू पंचाग के तहत गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी ग्यारस को मनाई जाती है। और इस वर्ष यह जयंती 03 दिसम्बर 2022 शनिवार के दिन पूरे भारतवर्ष में धूम-धाम से मनाई जाती है। आपकी जानकारी हेतु बता दे गीता जयंती का यह पर्व श्रीमद् भगवद गीता के अनुसार 5159वीं वर्षगॉंठ है यानी आज से 5159 हजार वर्ष पहले गीता का पाठ भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने प्रिय सखा पाण्डु पुत्र अर्जुन को सुनाया था।
गीता जयंती शुभ मुहूर्त (Gita Jayanti Date and Time 2022)
- गीता जयंती/गीता एकादशी का प्रारंभ:- 03 दिसम्बर 2022 को सुबह 05:33 मिनट पर
- गीता एकादशी व्रत का समापन:- 04 दिसम्बर 2022 को प्रात: 05:34 मिनट पर लगभग
- गीता जयंती/मोक्षदा एकादशी व्रत:- 03 दिसम्बर 2022 शनिवार का है
आपको इसी शुभ मुहूर्त के बीच में गीता जयंती अर्थात गीता एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है के व्रत की पूजा करनी है। पुरणों व शास्त्रो के अनुसार इस दिन व्यक्ति को श्रीमद् भागवत गीता का अध्यन करना चाहिए।
गीता जयंती/गीता एकादशी की पूजा विधि
- गीता एकादशी अर्थात मोक्षदा एकादशी व्रत वाले दिन स्त्री को पुरूष को प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
- इसके बाद भगवान विष्णु जी का ध्यान करके ब्रह्मचार्य नियम दिनभर पालन करने का संकल्प करे।
- जिसके बाद भगवान विष्णु जी के मंदिर जाकर पूजा पाठ करे। पूजा में गंगाजल, पुष्प, फूल, धूप, दीप, नैवुद्य, आदि चढाऐ।
- पूजा करते समय इस महामंत्र का जाप करे- ऊँ विष्णें दवाय नम: ।
- जिसके बाद श्रीमद् भागवत गीता का अध्यन करे, जिसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करके पूजा को संपूर्ण करे।
- संध्या के समय पुन: भगवान की आरती करके फलाहार ग्रहण करे। तथा दूसरे दिन स्नान आदि से मुक्त होकर किसी ब्राह्मण को भोजन कराऐ और यथा शक्ति दान-दक्षिणा करे।
- जिसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करे।

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श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक
वेदानां सामवेदोडस्मि देवानामस्मि वासव:। इन्द्रियाणां मनच्श्रास्मि भूतानामस्मि चेतना।।
अर्थ:- पदार्थ तथा जीव में यह अन्तर है कि पदार्थ में जीवों के समान चेतना नहीं होती, अत: यह चेतना परम तथा शाश्रव्त है। पदार्थो के संयोग से चेतना उत्पन्न नहीं की जा सकती।
रूद्राणां शड्करच्श्रास्मि वित्तेशों यक्षरक्षसाम् । वसूनां पावकच्श्रास्मि मेरू: शिखरिणामहम् ।।
अर्थ:- ग्यारह रूद्राें में शंकर या शिव प्रमुख हैं। वे भगवान के अवतार हैं जिन पर ब्रह्माण्ड के तमोगुण का भार है यक्षों तथा राक्षसों के नायक कुबेर हैं जो देवताओ के कोषाध्यक्ष तथा भगवान के प्रतिनिधि है। मेरू पर्वत अपनी समृद्ध प्राकृत सम्पदा के लिए विख्यात है।
पश्चादित्यान्वसून्रूद्राश्रिव्नौ मरूतस्तथा। बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्रर्च्याणि भारत ।।
अर्थ:- कुती पुत्र अर्जुन कृष्ण जी का अन्तरंग सखा तथा अत्यन्त विद्वान था तो भी वह उनके विषय में सब कुछ नहीं जानता था। यहॉंं पर यह कहा गया हैं कि इन समस्त रूपों को न तो मनुष्यों ने इसके पूर्व देखा है। न सुना है। अब कृष्ण इन आच्श्रर्यमय रूपों को प्रकट कर रहे है।
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत: । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मांन सृजाम्यहम् ।।
अर्थ:- हे भारत अर्थात अर्जुन जब-जब इस पृथ्वी पर अर्धम में वृद्धि होती है यानी अर्धम बड़ता है तब-तब मैं धर्म का विनाश करने के लिए अवतार लेता हॅू।
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको गीता जयंती के बारे में विस्तार से बताया है। यदि ऊपर लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने दोस्तो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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