Guru Nanak Jayanti in Hindi | गुरू नानक जयंती के बारे विस्तार से जाने[ Guru Nanak Jayanti Kab Hai, गुरू नानक जयंती, Guru Nanak Jayanti Date, गुरू नानक जयंती कब है,
Guru Nanak Jayanti Date:- प्यारे दोस्तो गुरू नानक जयंती सिख समुदाय में बहुत बड़ा पर्व होता है। जैसे हमारे हिन्दु धर्म में होली, दिवाली, दशहरा आदि होता है उसी तरह गुरू नानक जयंती का सिख धर्म में विशेष महत्व है। जो की इस वर्ष 08 नवंबर 2022 मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस सिखो के द्वारा सुबह प्रभात फेरिया निकाली जाती है। और सभी गुरूद्वारो में भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। ऐसे में आप गुरू नानक जयंती के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो पोस्ट के अन्त तक बने रहे।
गुरू नानक जयंती का महत्व (Guru Nanak Jayanti ka Mahatva)
गुरू नानक जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। क्योकि इसी दिन सिख समुदाय के प्रथम गुरू गुरू नानक जी का जन्म हुआ था। और इसी उपलक्ष्य में आज पूरा सिख समुदाय बड़े धूम धाम से यह पर्व मनाते है। मान्यता के अनुसार इस दिन सुबह फेरिया लगाई जाती है। देश की सभी गुरूद्वारो का सजाया जाता है। तथा उनमे सभी सिख मिलकर भजन कीर्तन आदि करते है। तथा गुरू द्वारे पर अपना मात्था टेक वाहे गुरू का जाप करते है। तथा अपने-अपने घरो में चारो तरफ घी के दीपक ही दीपक जलाते है। इतिहास के अनुसार नानक जी ने समाज में बढ़ रहे अत्याचार व कुरीतियो व तथा बुराइयो को दूरे करने के लिए अनेक प्रयास किऐ है।

तथा सभी देशवाशियो को एक नई राह दिखाई है। और इस काम के लिए उन्होने पूरे देश में पैदल चलकर यात्रा की है। तथा देश के लोगो को जागरूक किया है। इन सभी कारणो को देखते हुए आज गुरू नानक जयंती को गुरू पर्व या प्रकाश पर्व तथा गुरू पूरब कहा जाता है।
गुरू नानक जयंती कब है (Guru Nanak Jayanti Date)
हिन्दी पंचाग के अनुसार हर साल गुरू नानक जयंती का जन्मदिन कार्तिक मास की पूर्णिमा को आता है जिस कारण इसे गुरू पूर्णिमा भी कहा जाता है। और इस वर्ष गुरू नानक जयंती 08 नवंबर 2022 मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस दिन देश के सभी स्कूलो, कॉलेजो,संस्थानो, कार्यालयो की छुटटी होती है। क्योकि यह दिपावली की तहत बहुत बड़ा महापर्व है। इस पूर्णिमा को गुरू पूरब या प्रकास पर्व भी कहा जाता है
गुरू नानक जयंती कैसे मनाते है (Guru Purb in Hindi)
वैसे तो यह पर्व दिवाली के 15 दिनो के बाद कार्तिक की पूर्णिमा के दिन आता है। और इस दिन हमारे हिन्दु धर्म में कार्तिक माह की सामाप्ती होती है। दूसरी ओर सिख समुदाय में यह दिन बहुत बड़ा है। इस दिन देशभर के सिख मिलकर गुरू देव जी के लिए जुलूत व फेरिया निकालते है। तथा एक साथ बैठकर कीर्तन, जागरण आदि किऐ जाते है। ढ़ोल-मंजीरो के साथ अनेक प्रकार के कार्यक्रम किऐ जाते है। सभी सिख अपने घरो से गुरूद्वारे में जाकर सेवा करते है और लोगो को लंगर (खाना) खिलाते है। नानक जी के जन्म दिन के उपलक्ष्य में सभी सिख सेवा पान करते है।
गुरू नानक का इतिहास या परिचय (Guru Nanak Biography in Hindi)
जन्म | 15 अप्रैल 1469 |
जन्म स्थान | राय भोई की तलवंड (पंजाब पाकिस्तान) |
मृत्यु | 22 सितबंर 1539 |
माता व पिता | तृप्ता देवी, कल्याण चॉद व मेहता कालू |
पत्नी | सुलक्खनी या नानकी |
बच्चे | श्री चंद व लक्ष्मी दास |
उत्तधिकारी | गुरू अंगद |
गुरू नानक का जन्म सन 1469 में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम गांव में एक खत्री परिवार में हुआ था। जो आज पाकिस्तान के पंजाब जिले में स्थित है। मात व पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी व तृप्ती देवी थी। इनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। सिख धर्म का इतिहास कहता है की नानक जी बचपन से ही विशेष शक्तियो के धनी थे। नानक जी जब 16 वर्ष के हुऐ तो इनकी शादी सुलक्खनी नामक कन्या से हुई जो पुजाब के गुरदासपुर जिले के लाखौकी गांव की रहने वाली थी। शादी के बाद इनके श्रीचंद व लख्मी नामक दो पुत्र हुऐ इनके जन्म के कुछ समय बाद ही नानक जी तीर्थयात्रा के लिए निकल गऐ थे।
इस यात्रा के दौरान रास्ते में जो भी स्थान आते वहा के लाेगो को सामाजिक कुरीतियो व बुराईयो के खिलाफ जागरूक करने के उपदेश देते थे। और आगे बढ़ जातेस। और इसी तरह उन्होने भारत, अफगानिस्तान व अरब के कई स्थानो में यात्रा की। और इसी यात्रा को आज पंजाबी भाषा में ”उदासियॉ” कहा जाता है। इसी यात्रा के दौरान इन्होने बहुत से स्थानो पर अपना डेरा बसाया और उपेश दिया की मूर्ति पूजा निर्थक है तथा रूढि़वादी सोच का विरोध किया। ऐसे करते हुए ओर वृद्ध वस्था में आ गऐ। और अपनी अन्तिम यात्रा पाकिस्तान के करतारपुर में करी। जो आज के समय में करतापुर सिखो को पवित्र धार्मिक स्थन है।
22 सितंबर 1539 में गुरू नानक जी यात्रा के दौरा पाकिस्तान के करतारपुर में मृत्यु को प्राप्त हो गऐ। इन्होने अपने जीवन में सिखो को तीन मूल सिद्धांत अपनाने के लिए कहा जो है- नाम जपो, कीरत करो तथा वंडा चखो। और इनकी दिव्य ज्योति जोत में समा गई। नानक जी ने अपने मृत्यु से पहले अपने प्रिय शिष्य भाई लहना (अंगद) को सिख समुदाय का उत्तराधिकारी घोषित किया था। जो बाद में गुरू अंगद देव कहलाऐ। और ऐ सिखो के दूसरे गुरू थे।
Guru Nanak Jayanti Wishes in Hindi (गुरू नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं)
लख-लख बधाई हो आपको, गुरू नानक का आशीवार्द मिले आप सभी को,
आपको और आपके परिवार को गुरू पूरब/गुरूपर्व की शुभकामनाएं।
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला
धन-धन साहिब श्री गुरूदेव जी के जन्मदिन ढेर सारी बधाईयां।
किसी ने पूछा तेरा घर बार कितना है
किसी ने पूछा तेरा कारोबार कितना है
कोई विरला ही पूछदा है की तेरा गुरू नाल प्यार कितना है
तुमने सिखाया उंगली पकड़र चलना,
तुमने बताया कैसे गिरने पर है संभलना,
तुम्हारी वजह से आज हम पंहुचे इस मुकाम पे,
गुरू पूरब बीते प्रभु नाम पे
वाहे गुरू आशीष देना की पूरी उम्र आपके चरणों में गुजर जाएं,
दीया ऐसा जलाना की ज्ञान की पूंजी से झाेली भर जाए,
बांह पकड़ना ऐसी प्रभु कि संसार रूपी सागर तर जाए…..
गुरू नानक जयंती की शुभकामनाएं (Happy Guru Nanak Jayanti)
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको गुरू नानक जयंती Guru Nanak Jayanti in Hindi के बारे में विस्तार से बताया है। जो केवल पौराणिक कथाओं व न्यूज के बेस पर बताया है। यदि आपको हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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