Hariyali Amavasya Kab Hai:- सभी महिनों में से केवल एक महिना ऐसा आता है जिसमें प्रकृति अपना श्रृंगार नीचे से लेकर ऊपर तक करती है। जिस ओर भी हमारे नजरे जाती है उसी ओर हरियाली की घटाए छायी रहती है। एम मात्र महिना सावन, इस महिने की अमावस्या को ही हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) कहते है। आइऐ जानते है क्यों मनाई जाती है हरियाली अमावस्या की डेट, मुहूर्त, महत्व आदि-
अमावस्या हर महिने की कृष्ण पक्ष में आती है मान्यता है की अमावस्या का त्यौहार ही पितरों को समर्पित होता है। अत: हर अमावस्या को पितृ दान, पिंड दान आदि करना होता है

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हरियाली अमावस्या का महत्व/Hariyali Amavasya Festival
बात करें हिन्दु धर्म की तो इस धर्म में लोग अमावस्या को भी एक पर्व की तरह मानते है जो हर महिने में एक बार आती है। पौराणिक मान्यताओं के तहत अमावस्या सोमवार या शनिवार को पड़ती है तो वह और भी ज्यादा खास होती है। सावन महिने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है इस दिन भगवान शिवजी-माता पार्वती की पूजा करी जाती है सावन का महिना ही भगवान शिवजी काे समर्पित होात है।
पाैराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन अमावस्या पर तुलसी, आम, बरगद, नीम आदि वृक्षों की पूजा करने के साथ नया पौधा लगाने से पितृ देव प्रसन्न होते है। ऐसा माना गया है इस अमावस्या पर जो कोई व्यक्तिा पवित्र नदी में स्नान करके दीप दान आदि करने से पाप से मुक्ति मिलती है। नारद पुराण के तहत सावन अमावस्या वाले दिन देव पूजा के साथ वृक्ष पूजा या वृक्ष रोपण करने से आरोग्य संतान व धन संपति बनी रहती है।
हरियाली अमावस्या कब है/Sawan Amavasya Kab Hai
हर महिने में एक अमावस्या होती है पर सावन के महिने में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहते है। जो इस साल 17 जुलाई 2023 सोमवार के दिन है इस वार को पड़ने के लिए यह अमावस्या ओर भी ज्यादा खास है। भारत के कई स्थानों पर इस हरियाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहते है।
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हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त/Sawan Amavasya Shubh Muhurat
- हरियाली अमावस्या प्रारंभ:- 16 जुलाई 2023 रात्रि 10:08 मिनट पर लगभग
- सावन अमावस्या समाप्त:- 18 जुलाई 2023 को प्रात: 12:01 मिनट पर
- सावन अमावस्या कब है:- 17 जुलाई 2023 सोमवार
- स्नान दान समय- सुबह 04:12 से 04:53 मिनट
- अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 05:34 से 07:17 तक
- शुभ (उत्तम)- सुबह 09:01 से 10:44 तक
- शाम का मुहूर्त:- शाम 05:27 से रात्रि 07:20
क्या करें हरियाली अमावस्या पर जानिए
- सावन अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है इसी लिए आप अपने-अपने पितृ का तर्पण, पिंडदान, दान-पुन आदि कार्य करने से पितृ देवता प्रसन्न होते है।
- ऐसा माना गया है हरियाली अमावस्या पर पवित्र नदीं या किसी तीर्थ पर अवश्य स्नान करना चाहिए।
- अमावस्या वाले दिन आपको पूजा के समय ऊँ नम: शिवाय, ऊँ उमो भगवते रूद्राय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
- कहा जाता है इस अमावस्या पर पीपल पेड़ की पूजा करने से तथा संध्या के समय दीपल जलाना शुभ माना गया है।
- अमाव्या वाले दिन ब्राह्मणें को भोजन करवाकर यथा शक्ति दान-दक्षिणा अवश्य करें।
- सावन अमावस्या पर किसी तालाब, बावड़ी, नदीं, झील आदि में मछलियों व अन्य जीवन जंतुओं के लिए आटे की गोलि डालाना शुभ माना है। Disclaimer
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सावन अमावस्या व्रत कथा/Hariyali Amavasya Vrat Katha in Hindi
एक समय की बात है राजा और रानी, जिनके एक पुत्र था, पुत्र का विवाह हो गया। एक दिन राजा की पुत्रवधु ने मिठाई खा ली और पूछने पर चूहा का नाम लगा दिया, जिससे चूहा बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया। चूहा ने मन ही मन में ठान लिया की चोर को राजा क सामने अवश्य लेकर आऊगा, कुछ दिनों के बाद राजा के यहा कुछ मेहमान आए, उस समय राजा अपने कमरे में सो रहा था।
चूहा ने रानी के कपड़े उठाऐ और मेहमानो के पास ले जाकर रख दिया। सुबह होने पर पूरे महलों में यह बात हो गई की छोटी रानी के कपड़े मेहमानो के कमरे में से मिले है जब राजा ने यह बात सुनी तो उसने अपनी पुत्रवधु को महलों से बाहर निकाल दिया, छोटी रानी रोजाना शाम को दीपक जलाकर ज्वार बोती थी। पूजा करने के बाद गुडं धान का प्रसाद वितरण करती, एक दिन राजा जब शिकार खेलकर वहा से गुजर रहा था।
राजा की नजर अपनी बहू पर पड़ी, यह देखकर वह महलो की ओर चल दिया। अगले दिन राजा ने अपने सैनिकाे को आदेश दिया की उस पेड़ के नीचे जाओ और देखो की आखिर छोटी रानी क्या कर रही थी। जब राजा के सैनिक उस पेड़ के पास गऐ तो देखा की दीपक आपस में बातें कर रहे है, दीपक ने बोला की मैं राजा के घर से हू, उस राजा की एक पुत्रवधू थी। जिसने एक दिन मिठाई खाकर चूहा पर चोरी का आरोप लगाया की चूहा ने मिठाई खाई है।
यह देखकर चूहा को बहुत ज्यादा गुस्सा आया और रात्रि के समय उसने छोटी रानी के कपड़े उठाकर मेहमानो के कक्ष में रख दिया। इसी बात पर राजा ने छोटी रानी को घर से बाहर निकाल दिया अब वह रोज मेरी पूजा करती है। भोग लगाती है उसके बाद सिपाही आकर राजा को पूरी घटना बताई, उसके बाद राजा व रानी ने मिलकर पूरे स्वागत से छोटी रानी को वापस महलों में बुला लिया।
Disclaimer: आज आपको आर्टिकल में सावन महिने की अमावस्या (हरियाली अमावस्या, सोमवती अमावस्या) के बारें में जानकारी प्रदान करी है जो केवल पौराणिक मान्यताओं, काल्पनिक कथाओं, पंचाग के अनुसान बताई है। आपको यह बताना जरूरी है की किसी भी बात पर विश्वास करने से पहले किसी संबंधित ज्योतिष , पंडित, वित्द्धान आदि से सलाह करें। और इस प्रकार अन्य सभी व्रत व त्यौहारों के बारें में पूरी जानकारी पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट करके जरूरी पूछे। धन्यवाद
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