Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi | हरतालिका तीज व्रत की कथा पूजा विध‍ि हिंदी में जाने ।

Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi | Teej Vrat Ki Katha Hindi Me | हरतालिका व्रत कथा यहा से पढ़े | Hartalika Teej Katha Hindi Me | हरतालिका तीज व्रत की कथा हिंदी में यहा से पढ़े | Teej Vrat Katha Read In Hindi | तीज व्रत की कथा

हमारे भारत को तो त्‍यौहारों का देश ही कहा गया है सभी त्‍यौहारों की शुरूआत तीज का त्‍यौहार करता है। साल में 3 बार तीज का व्रत किया जाता है हरतालिका तीज, हरियाली तीज, कजरी तीज ये सभी व्रत महिलाए अपने पति की लंबी आयु की कामना व संतान प्राप्‍ति हेतु रखती है। यहा पर आपको भाद्रपद महिने की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि की को पड़ने वाली हरतालिका तीज के बारें में बता रहे है।

Hartalika Teej Vrat Katha In  Hindi

हमारे हिन्‍दु धर्मो के अनुसार इस संसार में जो कोई मनुष्‍य भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती जी का व्रत व पूजा-पाठ इत्‍यादी श्रद्धा भाव से करता है। उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होकर उसे पुण्‍य फलो को लाभ मिलता है। ऐसे में अगर आप भी हरतालिका तीज का व्रत रखते है तो इस लेख के माध्‍यम से बताई गई सभी जनाकारी व व्रत कथा पूजा विधि काे पढ़कर या किसी से सुनकर अपना व्रत पूर्ण कर सकती है।

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हरतालिका तीज का क्‍या महत्‍व है (Hartalika Teej Vrat & Festival Ka Mahatva)

हरतालिका तीज का व्रत (Hattalika Teej Vrat Ki Katha) का महत्‍व सबसे पहले माता पार्वती ने घोर तपस्‍या करके व हर वर्ष हरतालिका तीज का व्रत पूरी श्रद्धा भाव से करके भगवार शंकर को अपने पति रूर में पा लिया। जब माता पार्वती भगवान शिव को पाने के लिए काठी (घोर) तपस्‍या कर रही थी। तो उनकी सहेलियों ने उसे अगवार (हरण) कर लिया था। इसी कारण इस व्रत को हरतालिका तीज का नाम दे दिया।

यदि आप भी अपनी मनोकामनाए पूर्ण करने के लिए हर तालिका तीज का व्रत रखते है। उन्‍हे व्रत वाले दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। और सुन्‍दर वस्‍त्रों कदली स्‍तम्‍भों से गृह को सजाकर रात्रि के समय भगवार के नाम का जागरण करना चाहिए। जिससे भगवार भोलेनाथ आप पर खुश हो जाएगे। इस तरह हरतालिका तीज Hartalika Teej Vrat Katha का बड़ा महत्‍व माना गया है।

हरतालिका तीज के नियम (Hartalika Teej Ke Niyam)

  • हरतालिका का व्रत रखने वाली स्‍त्रीं को पूरे दिन एवं रात को जल ग्रहण नहीं करने के कारण यह व्रत निर्जला व्रत कहलाता है।
  • यह व्रत सुहागन महिलाए एवं कुवांरी कन्‍याए करती है। तथा जिन औरते के पति नहीं है वो औरते भी अपने पुुत्र की लम्‍बी उम्र के लिए हरतालिका तीज का व्रत कर सकती है।
  • जब कोई औरत एक बार इस व्रत को करना प्रारंभ कर देती है उसे हर वर्ष यह व्रत करना होता है।
  • इस व्रत पर पूजा करने के बाद रात्रि के समय सभी औरते के द्वारा जागरण किया जाता है।
  • अगले दिन प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर मंदिर में सीधा देकर किसी गरीब व ब्राह्मण को दान करे। तथा उसके बाद स्‍वयं भोजन ग्रहण करे।

हरतालिका व्रत पूजा सामग्री (Hartalika Teej Puja Samgri List)

Hattalika Teej Vrat (हरतालिका तीज का व्रत) खोलने के लिए निम्‍नलिखित सामग्रीयों की जरूरत होती है जो की इस प्रकार है:-

  • सुहाग की सभी सामग्रीया
  • उीस मौसम के फूल व फल
  • मिट्टी का कलश
  • दूध, दहीं व शहद
  • पंचामृत, घी व शक्‍कर
  • रौली-मौली व चन्‍दन
  • बैलपत्र, धतूरे के फूव व फल
  • तुलसी, मंजरी एवं अकावॅ के पुष्‍प
  • केले के पत्ते, कई तरह के फूल
  • जनैव, वस्‍त्र व नाड़ा
  • बालू रेत व काली मिट्टी
  • कपूर व तुल इत्‍यादी

हरतालिका तीज कब है/Hartalika Teej Kab Hai

हिन्‍दी पंचाग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद महिने की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है इस बार यह 18 सितंबर 2023 सोमवार के दिन है। इस तिथि के बाद गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है

Hartilka Teej Festival

हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Vrat/Festival ka Shubh Muhurat)

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बात करें पंचांग के अनुसार तो भाद्रपद महिने की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर 2023 को प्रात: 11:08 मिनट पर आरंभ होगी। जो अगले दिन 18 सितंबर 2023 को 12:39 मिनट पर समाप्‍त होगी। महिलाए हरतालिका तीज व्रत की पूजा सुबह के प्रदोष काल में या फिर रात्रि के चारों प्रहर के समय में कर सकती है।

  • हरतालिका तीज का मुहूर्त:- प्रात: 06:07 से लेकर 08:34 (18 सितंबर 2023)
  • प्रदोष काल का मुहूर्त:- शाम 06:23 से 06:47 मिनट तक

हरतालिका तीज व्रत पूजा का मुहूर्त/Hartalika Puja Muhurat

  • भाद्रपद शुक्‍ल तृतीया तिथि‍ आरंभ:- 17 सितंबर 2023 प्रात: 11:08 मिनट पर लगभग
  • भाद्रपद शुक्‍ल तृतीया तिथि पूरी:- 18 सितंबर 2023 12:39 मिनट पर
  • हरतालिका तीज मुहूर्त:- सुबह 06:07 मिनट से लेकर 08:34 मिनट तक (18 सितंबर 2023)
  • प्रदोष काल मुहूर्त:- शाम 06:23 से लेकर 06:47 मिनट तक

हरतालिका तीज व्रत रात्रि का मुहूर्त/Hartalika Teej Vrat Puja Time

  • पहला प्रहर पूजा का:- शाम 06:23 से लेकर रात्रि 09:02 मिनट तक (18 सितंबर 2023)
  • दूसरा प्रहर पूजा का:- रात्रि 09:02 से लेकर प्रात: 12:15 मिनट (19 सितंबर 2023)
  • तीसरा प्रहर पूजा का:- प्रात: 12:15 मिनट से 03:12 मिनट तक (19 सितंबर 2023)
  • चौथा प्रहर पूजा का:- प्रात: 03:12 मिनट से प्रात: 06:08 मिनट तक (19 सितंबर)

हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि (Hartalika Teej Vrat ki Pujan Vidhi)

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  • इस व्रत को रखने वाली सभी औरते प्रात:काल जल्‍दी उठरक स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर सूर्य भगवान को पानी चढाऐ। उसके बाद पीपल व तुलसी के पेड़ में चढ़ाऐ।
  • इसके बाद घर के आगंन में शिव व माता पार्वती एवं गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर रख दे।
  • इसके बाद Hartalika Teej Vrat की पूजा प्रदोष काल के समय किया जाता है। यानी प्रात:कला या फिर संध्‍या के समय।
  • पूजा के लिए सबसे पहले फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है। फिर उस पर एक चौकी या पट्टा रख देना है।
  • अब एक थाल में सातिया बनाकर उसमें केले के पत्ते रख देना है।
  • इसके बाद भगवार शिवजी व माता पार्वती एवं गणेश जी की मूर्ति को उस केले के ऊपर रख देना है।
  • अब घडिये को एक तरफ रखकर उसके ऊपर कुछ फल रखे और घड़े के मूहं पर लाल नाड़ा बाधे एवं पूजा करके अक्षत चढ़ाऐ।
  • इसके बार भगवान शिव व माता पार्वती एवं भगवान गणेज जी का पूजन पूरे विधि-विधान से करे।
  • Hartalika Teej Vrat Ki Puja के बाद माता पार्वती को 16 श्रृंगार चढ़ाऐ जाते है। तथा भगवान की मूर्ति के चारो ओर परिक्रमा करे।
  • रात में जागरण किया जाता है जागरण में पांच भगवान शिव के भजन पांच ही माता पार्वती एवं गणेश जी के गाए जाते है।
  • भजन गाने के बाद पाचं आरतीया की जाती है। तथा सुबह अन्तिम पूजा के बाद मामा पार्वती को सिदूंर चढ़ाया जाता है।
  • हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली सभी सुहागन औरते उस सिदूंर में से सिदूंर लेती है।
  • इसके बाद भगवान शिव व माता पार्वती को ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाकर व्रत वाली सभी औरते उस प्रसाद से अपना व्रत तोड़ती है।
  • यह सब करने के बाद सभी पूजा की सामग्रीयों का इकठ्ठा कर के किसी नदी या तालाब में विसर्जन कर देते है।

हरतालिका तीज व्रत की कथा (Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi)

हरतालिका तीज के व्रत Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi के माहात्‍मय की कथा भगवान शंकर ने पार्वती को उनके पूर्व जन्‍म का स्‍मरण कराने के लिए सुनाई थी। जो की इस प्रकार है।

Teej Festival

हे पार्वती तुमने एक बार हिमालय पर गंगा तट पर अपनी बाल्‍यावस्‍था में बारह वर्ष की आयु में अधोमुखी होकर घाेर तप किया था। तुम्‍हारी इस कठोर तपस्‍या को देखकर तुम्‍हारे पिता को बड़ा क्‍लेश होता था। एक दिन तुम्‍हारी तपस्‍या और तूम्‍हारे पिता के क्‍लेश के कारण नारद जी तुम्‍हारे पिता के पास आये। और बोले हे राजन विष्‍णु भगवान आपकी कन्‍या सती से विवाह करना चाहते है। उन्‍होने इस कार्य हेतु मुझे आपके पास भेजा है। और तुम्‍हारे पिता ने इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार कर लिया।

इसके बाद देवर्षि नारद जी भगवान विष्‍णुजी के पास जाकर बोले की हिमालयराज अपनी पुत्री सती का विवाह आपसे करना चाहते है। विष्‍णु जी भी इस बात से राजी हो गए। जब तुम घर लोटी तो तुम्‍हारे पिता ने तुम्‍हें बताया की तुम्‍हारा विवाह विष्‍णुजी से तय कर दिया है। यह बात सुनकर माता सती को अत्‍यन्‍त दुख हुआ, और तुम जोर-जोर से विलाप करने लगी।

जब तुम्‍हारी अंतरंग सखी ने तुम्‍हारे रोने का कारण पूछा तो तुमने उसे सारा वृतांत सुना दिया। ओर कहा मैं भगवान शंकर से विवाह करना चाहती हूँ। और उसके लिए मैं कठोर तपस्‍या करके उन्‍हे प्रसन्‍न कर रहीं हूँ। और इधर हमारे पिता विष्‍णुजी के साथ मेंरा सम्‍बन्‍ध करना चाहते है। क्‍या तुम मेरी सहायता करोगी। नहीं तो मैं अपने प्राण त्‍याग दूँगी।

तुम्‍हारी सखी बड़ी दूरदर्शी थी। वह तुम्‍हें एक घनघोर जंगल में ले गयी और कहा की तुम यहा पर भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्‍या कर सकती हो। इधर तुम्‍हरे पिता हिमालयराज तुम्‍हें घर न पाकर बहुत ही चिन्तित हुए। ओर कहा मैं विष्‍णुजी से उसका विवाह करने का वचन दे चुका हूँ। ओर वचन भंग की चिन्‍ता में हिमालयराज मूर्छित हो गए।

इधर तुम्‍हारी खोज होती रही और तुम अपनी सहेली के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मरी तपस्‍या करने में लीन हो गई। इसके बाद भाद्रपद शुक्‍ला की तृतीया को हस्‍त नक्षत्र में तुमने रेता का शिवलिंग स्‍थापित करके व्रत किया। और पूजन करके रात्रि को जागरण किया। तुम्‍हारे इस कठिन तप व्रत से मेरा आसन डोलने लगा। ओर मेरी समाधि टूट गई।

मैं तुम्‍हारे पास तुरन्‍त तम्‍हारे पास पहुचां और वर मॉंगने का आदेश दिया। तुम्‍हारी मॉंग तथा इच्‍छानुसार तुम्‍हें मुझे अर्धागिनी के रूप में स्‍वीकार करना पड़ा। ओर तुम्‍हे वरदान देकर मै कैलाश पर्वत पर चला गया। प्रात: होते ही तुमने पूजा की समस्‍त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व्रत का पारण किया। उसी समय तुम्‍हें खोजते हुए हिमालय राज उस स्‍थान पर पहुँच गए। ओर रोते हुए तुम्‍हारे घर छोड़ने का कारण पूछा।

तब तुमने अपने पिता को बताया की मै तो शंकर भगवान को अपने पति रूप में वरण कर चुकी हूँ। परन्‍तु आप मेरा विवाह विष्‍णुजी से करवाना चाहते थे। इसी लिए मुझे घर छोडकर आना पड़ा। मैं अब आपके साथ घर इसी शर्त पर चल सकती हूँ, की आप मेरा विवाह विष्‍णुजी से न करके भगवान शंकर जी करेगें। ओर गिरिराज तुम्‍हारी बात मान गए और शास्‍त्रोक्‍त विधि द्वारा हम दोनों को विवाह के बन्‍धन में बॉंध दिया।

इसलिए इस व्रत को ”हरतालिका” इसलिए कहते है की पार्वती की सखी उसे पिता के घर से हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी। ”हरत” अर्थात हरण करना और ”आलिका” अर्थात सखी, सहेली। तो हरत+आलिका (हरतालिका)। और भगवान शंकर जी ने माता पार्वती को यह भी बताया की जो कोई स्‍त्री इस व्रत को परम श्रद्धा से करेगी उसे तुम्‍हारे समान ही अचल सुहाग प्राप्‍त होगा।

Disclaimer:- आज आपको यहा हरतालिका तीज के बारें में बताया है जो पौराणिक मान्‍यताओं, काल्‍पनिक कथाओं के आधार पर लिखा है। आपको बताना जरूरी है की Onlineseekhe.com किसी भी तरह की पुष्टि नहीं देता है अत- अधिक जानकारी हेतु किसी विशेषज्ञ, विद्धान से सलाह करें। यदि आप आने वाले सभी व्रत व त्‍यौहारों के बारें में पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए।

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हरतालिका तीज कब आती है

हरतालिका तीज का फेस्टिवल हर साल भाद्रपद महिने की शुक्‍ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाई जाती है।

हरतालिका तीज कैसे मनाया जाता है।

इन दिन भगवान शिवजी व माता पार्वती की पूजा होती है और विवाहित महिलाएं माता गौरी का व्रत रखती है पती की लंबी आयु की कामना हेतु। और जो कुंवारी बालिकाए है वो अच्‍छा वर पाने की कामना में माता गौरी का तीज पर व्रत रखती है।

हरतालिका तीज क्‍यों मनाई जाती है।

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार कोई भी महिला अपने दांपत्‍य जीवन में खुशीया लाना चाहती है तो उसे मां गौरी की उपासना करनी होती है। कहा गया है की हरतालिका तीज का व्रत जो महिला करती है उसे जीवन में सुख शांति बनी रहीती है। पुराण के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तप करके इसी तृतीया तिथि को भगवान शिवजी का पति रूप में पाया था।

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