What is Holi Festival! होली कब आती है | होली का त्यौहार क्यो मनाया जाता है? | Holi Festival Date | होली कब है | Holi Kab Hai | होली की कथा | Holi in Hindi | होली का त्यौहार कब है | Holi Festival Kab Hai | होली कब आती है
दोस्तों जल्द ही होली का त्यौहार आने वाला है और आप सब भी इस त्यौहार का बेसभरी से इतंजार कर रहे होंगे। इस त्यौहार को हम सभी अपने परिवार एवं दोस्तो के साथ बड़ी धूम-धाम से हर साल मनाते है लेकिन क्या आपके मन में यह Question आया कि आखिर Holi का त्यौहार बनाने के पीछे वजह क्या है?, क्यो हम हर वर्ष इस रंगो के त्यौहार को Celebrate करते है। तो चलिए जानते है कि क्यो इस त्यौहार को मनाया जाता है।
वैसे तो हमारे देश में समय समय पर कई तरह के त्यौहार मनाए जाते है लेकिन कुछ त्यौहार अपने आप में बड़ा महत्व रखते है जैसे होली, दीपावली, दशहरा इत्यादि। क्योकिं ये त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का सदेंश देते है। Holi के दिन सभी लोग लड़ाई-झगड़े भूलकर आपस में एक-दूसरे से गले मिलते है तथा हर्ष उल्लास के साथ एक-दूसरे को तरह-तरह के रंग एवं गुलाल लगाकर इस त्यौहार का आनदं लेते है।

आप सभी जानते है कि भारत त्यौहारो का देश है जहा पर लगभग सभी त्यौहारो को मनाने के पीछे कोई न कोई वजह अवश्य होती है ठीक उसी तरह Holi Kab Hai के पीछे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है। तो चलिए जानते है कि आखिर Holi का त्यौहार क्यो मनाया जाता है?
होली 2023 कब है (Holi Festival Kab Hai)
Holi Festival हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है फाल्गुन महीने में मनाऐ जाने के कारण इसे वसंत ऋतु का सबसे बड़ा त्यौहार व महत्वपूर्ण माना गया है। इस वर्ष होली का त्यौहार 07 मार्च 2023 बुधवार के दिन है। मान्यताओ के अनुसार होली त्यौहार के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक प्रारम्भ होते है होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
होली के त्यौहार के दूसरे दिन रंगो की होली खेली जाती है और इस वर्ष यह होली 08 मार्च 2023 गुरूवार के दिन बड़ी धूम-धाम से मनाई जाएगी। इस दिन हर उम्र के लोग अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों से मिलने जाते है एवं रंगो व पिचकारीयों से इस उत्सव का धूमधाम से मनाते है। यह त्योहार रंगो का त्योहार कहा जाता है क्योंकि इस दिन हर काेई भेदभाव भूलकर मिलकर होली का फेस्टिवल मनाते है।
होली का त्यौहार कैसे मनाते है
होली का पर्व एक प्रकार का सामाजिक पर्व है। यह रंगो का त्यौहार होता है इस दिन सब वर्ण के लोग आपस में भेदभाव मिटाकर बड़े उत्साह से त्यौहार मनाते है। इस दिन सायंकाल के बाद भद्रा रहित लग्न में होलिका दहन किया जाता है इस अवसर पर लकडि़यों तथा घास-फूस इत्यादि का बड़ा भारी ढ़ेर लगाकर होलिका पूजन करके उसमें आग लगाई जाती है। पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
अहकूटा भयत्रस्तै: कृतात्व होली बालिशै: । अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।।

हाेलिका पूजन विधि
फूलो की एक माला, गन्ना, पूजा की सामग्री (जल, मोली, रोली, चावल, गुलाल, गुड आदि) कच्चे सूत की लड़ी, जल का लोटा, नारियल, बूट (कच्चे चने की डाली), पापड़ आदि। जिस स्थान पर आपने होली का ढेर लगया है उसे पूजा जाता है।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ:- 06 मार्च 2023 को शाम 04:17 मिनट
- पूर्णिमा तिथि समाप्त:- 07 मार्च 2023 को शाम 06:09 मिनट पर लगभग
- होलिका दहन का मुहूर्त:- 07 मार्च शाम 06:31 मिनट से लेकर रात्रि 08:58 मिनट लगभग
- कुल अवधि:- 02 घंटे 27 मिनट लगभग
- भद्रा पुंछ:- सुबह 12:43 से लेकर 02:01 तक
- भद्रा मुख:- सुबह 02:01 से लेकर सुबह 04:11 तक
क्यो मनाई जाती है Holi?
Holi का त्यौहार मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाए जुड़ी हुई है लेकिन जो सबसे Famous पौराणिक कथा है वो है भगवान विष्णु के अनंत भक्त प्रह्लाद की। बहुत पहले की बात है हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा हुआ करता था। जिसकाे कई वर्षो की कठिन तपस्या के बाद ब्रह्मा जी के द्वारा एक ऐसा वरदान प्राप्त हुआ जिसके तहत उसे न दिन में मार सकेगा न ही रात में, न बाहर ना ही अंदर, ना ही इसांन से ना ही जानवर से, ना किसी अस्त्र से ना ही किसी शस्त्र से एवं न ही आकाश में व न ही धरती पर।
इस वरदान को पाकर हिरण्यकश्यप अपने आप को भगवान मानने लगा एवं जो उसका विरोध करते वह उन पर अत्याचार करने लगा। ऐसे में राज्य के सभी लोग उससे डरकर उसकी पूजा करने लगे। मगर हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था वह बचपन से ही भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था ओर विष्णु की भक्ति में डूबा रहता था। लेकिन हिरण्यकश्यप को यह बिल्कुल अच्छा नही लगा एवं उसने अपने पुत्र को विष्णु की पूजा करने के लिए मना किया। परतुं प्रह्लाद ने विष्णु की पूजा अर्चना करना नहीं छोड़ा।
इन सब से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की हत्या करने का मन बना लिया। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए हर तरीका अपनाया किन्तु वह उसे मार न पाया। अन्त में असुर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने का षड्यंत्र रचा। होलिका को यह वरदान मिला हुआ था कि आग उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। यह सोचकर उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में जलाने का प्लान बनाया। जिससे कि भक्त प्रह्लाद आग से जलकर मर जाये।

षड्यंत्र के मुताबिक होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। प्रह्लाद अग्नि में प्रवेश करने के बाद भी भगवान विष्णु के नाम का जाप करते रहे। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद के शरीर को जलने नही दिया बल्कि होलिका को मिला हुआ वरदान झूठा साबित हो गया एवं आग में जलकर उसकी मृत्यु हो गई। क्योंकि होलिका ने अपने वरदान का दुरूपयोग किया था। इस तरह से बुराई पर अच्छाई की जीत हुई व तब से आज तक हर साल फाल्गून की पूर्णिमा को इस त्यौहार को मनाया जाता है।
दोस्तो आज के इस प्यारे से लेख में आपको होली के त्यौहार Holi Kab Hai के बारें में बताया है जानकारी अच्छी लगी हो तो लाईक करे तथा मिलने वालो के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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