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Jaya Ekadashi Vrat Katha book in Hindi:- माघ मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को ही जया एकादशी कहते है वैसे तो वर्ष की कुल 24 एकादशीया होती है जो की प्रतिमहीने दो एकादशी पड़ती है और जया एकादशी अपने आप में बड़ा ही महत्व रखती है इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा की जाती है। कहते है जो कोई स्त्री व पुरूष सच्चे भाव से भगवान श्री कृष्णजी की पूजा व अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है। और यदि आप भी जया एकादशी का व्रत रखते है तो आर्टिकल में दी गई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है। इसके लिए लेख में साथ अंत तक बने रहे
जया एकादशी व्रत का महत्व/Jaya Ekadashi Importance
भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है जो कोई मनुष्य माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (जया ग्यारस) का व्रत Jaya Ekadashi Vrat पूर्ण विधिवत रूप से करता है। तो वह व्यक्ति भूत-पिशाच की योनियों से मुक्त हो जाता है तथा ब्रह्मा हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिल जाती है और उस व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वैभव बना रहता है। मृत्यु के बाद उसे वैकुंठ धाम प्राप्त होता है जिस कारण इस व्रत को सर्वश्रेष्ठ व्रत Jaya Ekadashi Vrat माना गया है।
जया एकादशी कब है Jaya Ekadashi Kab Hai
यदि बात रके हिंदी पंचांग के मुताबित तो हर साल माघ महिने (Magh Month Ekadashi) की शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि को जया एकादशी (Jaya Gyarash) का व्रत किया जाता है। जो इस साल 20 फरवरी 2024 मंगलवार के दिन पड़ रहा है इस व्रत की शुरूआत तो 19 फरवरी को प्रात: 8 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगी। उसके बाद 20 फरवरी 2024 को प्रात: 9 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, पर माघ एकादशी का व्रत 20 फरवरी को किया जाएगा।
जया एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त Jaya Ekadashi Vrat Time
- जया एकदशी व्रत:- 20 फरवरी 2024 मंगलवार
- एकादशी तिथि प्रारंभ:- प्रात: 08:49 मिनट (19 फरवरी को)
- एकादशी तिथि समाप्त:- प्रात: 9:55 मिनट (20 फरवरी को)
जया एकादशी व्रत पूजा विधि
- पुराणों व शास्त्रों में लिखा हुआ है की एकादशी व्रत Jaya Ekadashi Vrat Katha की शुरूआत दशमी तिथि के सूर्यास्त के बाद से होती है। और इस दिन तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करते है
- इस व्रत वाले दिन प्रात: जल्दी उठकर गंगा जल युक्त पानी से स्नान आदि करे और साफ वस्त्र धारण करे जिसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
- पूरे दिनभर ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करे,
- एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु (कृष्णजी) की मूर्ति की स्थापना करे।
- जिसके बाद भगवान की पीले रंग के पुष्प, पीले फल, पीले रंग के मिष्ठान, जल, अक्षत, रोली तथा विशिष्ट पदार्थो से पूजा करनी चाहिए।
- पूजा करने के बाद जया एकादशी व्रत कथा Jaya Ekadashi Vrat Katha सुने जिसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती उतारे। अब भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
- संध्या के समय फलाहार करे और इस व्रत का पारण करे। तथा रात्रि के समय भजन कीर्तन आदि करे।
- द्वादशी (दूसरे दिन) स्नान आदि से मुक्त होकर ब्राह्मण को भोजन कराए और उसे यथा शक्ति दक्षिणा करे।
- जिसके बाद स्वयं भोजन करे। ध्यान रहे गाय को रोटी देने के बाद ही आपको भोजन खाना है।
जया एकादशी पारण का समय Jaya Ekadashi Vrat Paran Time
जिन नागरिकों व महिलाओं ने एकादशी का व्रत किया है वो सभी 21 फरवरी 2024 बुधवार के दिन ग्यारस व्रत का पारण करेगे। आप बुधवार को प्रात: स्नान आदि करने के बाद 06 बजकर 55 मिनट से लेकर 09 बजकर 11 मिनट के मध्य में कभी भी कर सकते है। क्योंकि उसके बाद द्वादशी तिथि का समापन हो जाएगा, कारण एकादशी व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि पर होता है।
जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
एकादशी व्रत कथा आज की:- एक बार पांडु पुत्र पांडु पुत्र अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण जी से माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत के बारें में पूछा- अर्जुन के पूछने पर भगवान ने कहानी बताते हुए कहा है-
एक समय की बात है देवराज इंद्र के दरबार में मान्यवान नाम एक गन्धर्व भगवत गीता का गान कर रहा था। किन्तु उसका मन उसकी नवयौवना पत्नी में था जिस कारण वह गीता का पाठ अच्छे से नहीं कर पा रहा था। जिस वजय से उसकी लय-ताल बिगड़ गई इन्द्र ने कुपित (क्रोध) होकर उसे श्राप दे दिया कि तू जिसकी याद में मस्त है वह राक्षसी बन जाए। मान्यवान ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए इन्द्रदेव से क्षमा याचना की और अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा।
किन्तु देवराज ने उसे सभा से बाहर निकलवा दिया जिसके बाद वह गन्धर्व अपने घर आया तो देखा की उसकी पत्नी वास्तव में राक्षसी बन चुकी थी। जिसके बाद व गन्धर्व श्राव से छुटकारा पाने के लिए अनेक यत्न किए किन्तु हर प्रत्यन में निष्फल रहा। एक दिन मान्यवान गन्धर्व की भेट देवर्षि नारद जी से हुई और आप बीती कहानी बताई। नादद जी ने उेस श्राप की निवृत्ति के लिए माघ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत Jaya Ekadashi Vrat Katha बताया। और वहा से चला गया जिसके बाद वह गन्धर्व और उसकी पत्नी दोनो ने माघ मास की जया एकादशी का व्रत पूर्ण विधि-विधान से किया।
इस व्रत के प्रभाव से गन्धर्व की पत्नी राक्षसी का देह त्याग कर पुन: की तरह एक सुदंर नारी का रूप ले लिया। जिसके बाद दोनो पति-पत्नी स्वर्ग लोक चले गए। इसी प्रकार आप भी जया एकदशी का व्रत रखते है तो आपका शरीर पिचाश् योनी में नहीं जाएग अत: उससे छुटकारा मिलेगा।
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डिस्कलेमर:- दोस्तो आज के इस लेख में आपको जया एकदशी व्रत Jaya Ekadashi Vrat Katha के बारें में बताया है। जो पौराणिक मान्यताओं, कथाओं पर आधारित है आपको बताना जरूरी है की Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है। अधिक जानकारी के लिए किसी संबंधित विद्धान, पंडित, ज्योतिष के पास जाएगा, और जानकारी अच्छी लगी हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद