Kalashtami Vrat katha in Hindi | कालाष्‍टमी व्रत कथा व पूजा विधि यहा से जाने

Kalashtami Vrat Katha , कालाष्‍टमी व्रत पूजा विधि, Kalashtami Vrat vidhi, कालाष्‍टमी व्रत का उपाय, Kalasthami Vrat ki Kahani, कालाष्‍टमी व्रत उद्यापन विधि, Shatmi Vrat Katha in Hindi, कालाष्‍टमी व्रत नियम, कालाष्‍टमी व्रत की कथा

Kalashtami Vrat katha in Hindi:- पंचाग के अनुसार हर महिने में कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को कालाष्‍टमी व्रत किया जाता है जिसमें रात्रि के समय भैरव नाथ देव की पूजा-अर्चना होती है। विशेषकर तंत्र-मंत्र विद्या सीखने वाले लोग ही कालाष्‍टमी व्रत का अनुष्‍ठान करते है। आएइ जानते है क्‍या कालाष्‍टमी व्रत और क्‍यों किया जाता है जानिए

Kalashtami in Hindi जैसा की आप सभी जानते है हर महिने में कृष्‍णपक्ष की अष्‍टमी तिथि को कालाष्‍टमी काल भैरव जयंती के नाम से जाना जाता है। और आज आपको मार्गशीर्ष महिने की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी (Kartik Month Kalashtami Vrat) तिथि के बारें में बता रहे है। जो इस साल 05 दिसंबर 2023 को पड़ रही है। मान्‍यताओं के अनुसार कालाष्‍टमी व्रत वाले दिन भगवान शिवजी की पूजा का विधान होता है। कहा गया है की इस संसार में जो कोई स्‍त्री व पुरूष श्रद्धा भाव से हर महिने की अष्‍टमी का व्रत करता है। भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाऐ पूर्ण करते है। ऐसे में यदि आप भी कालाष्‍टमी का व्रत रखते है तो पोस्‍ट में बताई हुई व्रत कथा व पूजा विधि‍ को पढ़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। तो पोस्‍ट के अंत तक बने रहे।

कालाष्‍टमी व्रत का महत्‍व (Kalashtami )

शिव पुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिवजी ने रूद्र रूप धारण करके काल भैरव का अवतार लिया था। जिस कारण इस अष्‍टमी को काल भैरव अष्‍टमी भी कहा जाता है। इस तिथि को भैरव रूप धारण करने के कारण मार्गशीर्ष माह कृष्‍णपक्ष की अष्‍टमी को प्रतिवर्ष काल भैरव जयंती मनाई जाती है। भैरवजी की सवारी कुत्ता है इसी कारण इस व्रत वाले दिन काले कुत्ते की पूजा भी करते है।

Kalashtami Vrat katha in Hindi

कालाष्‍टमी व्रत कब है/Adhik Maas Kalashtami Vrat Kab Hai

वैसे तो हर महिने में कालाष्‍टमी का व्रत किया जाता है पर मार्गशीर्ष महिने की अष्‍टमी तिथि और भी ज्‍यादा खास होती है। जो इस साल 05 दिसंबर 2023 मंगलवार के दिन पड़ रही है। यह कालाष्‍टमी और भी ज्‍यादा खास इसलिए बन गई की, क्‍योंकि कार्तिक का महिना भगवान विष्‍णु जी का प्रिय महिना होता है। इस खास महिने में दिपावली, धनतेरस जैसे पर्व मनाया जाता हे

कालाष्‍टमी व्रत का शुभ मुहूर्त व तिथि

वैसे तो प्रतिमाह दो अष्‍टमीया आती है एक कृष्‍णपक्ष अष्‍टमी व दूसरी शुक्‍ल्‍पक्ष अष्‍टमी किन्‍तु शिव पुराण के अनुसार हर महिने की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को कालाष्‍टमी कहा गया है। आज आपको मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाले कालाष्‍टमी व्रत के बारें में बताने जा रहे है

अधिकमास कालाष्‍टमी व्रत शुभ मुहूर्त/Adhik Maas Kalashtami Vrat Shubh Muhurat

पंचांग के अनुसार तो 04 दिसंबर की रात्रि को 09 बजकर 59 मिनट पर लगभग कालाष्‍टमी तिथि का आरंभ हो जाएगा। 06 दिसंबर 2023 को सुबह 12:37 मिनट पर कालाष्‍टमी तिथि का समापन होगा। कालाष्‍टमी व्रत 05 दिसंबर 2023 मंगलवार के दिन रहेगा

कालाष्‍टमी व्रत पूजा विधि (Kaal Bhairav Puja Vidhi)

इस व्रत वाले दिन भगवान भैरव जी को जल का अर्घ्‍य देकर पूजा करे। मान्‍यताओ के अनुसार काल भैरव की पूजा करने से भूत-प्रेत की सभी बाधाऐ, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने,आदि का प्रभाव खत्‍म होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे काल भैरव का पूजन वाम मार्गी समुदाय के लोग तांत्रिक विधि से करते है। क्‍योकि उनका यह कुल देवता माना गया है।

मान्‍यताओ के अनुसार काल भैरव की पूजा प्रदोष काल में या फिर रात्रि के समय करना चाहिए। इस समय पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान षोए़शोपचार विधि अपनानी चाहिए, तथा भैरव चालीसा का पाठन करना चाहिए। और रात्रि के समय जागरण करके भवगान शिवजी व माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। काल भैरव जंयती वाले दिन रविवार या फिर मंगलवार होता है।

कालाष्‍टमी व्रत कथा (Kalashtami  Vrat Katha in Hindi)

Kalashtami Vrat katha in Hindi:– एक बार ब्रह्मा तथा विष्‍णुजी और शिवजी में यह विवाद छिड़ गया की विश्‍व का धारण हार तथा परम तत्त्‍व कौन है। इस विवाद का हल निकाले के लिए वो तीनो त्रिदेव महषियों व देवताओ को बुलाया और उनके सामने यह बात रखी। की हम तीनो में से परम तत्त्‍व कौन है। उनकी बात सुनकर महर्षियो व देवताओ ने निर्णय लिया और कहा की परम तत्त्‍व कोई अव्‍यक्‍त सत्ता नही है।

और तुम तीनो तो उसी विभूति से बने हुऐ हो, अत: तुम तो त्रिदेव हो। भगवान विष्‍णुजी तो ऋषियों की बात मान ली परन्‍तु ब्रह्माजी ने यह स्‍वीकार नहीं किया। वे अपने को ही परमतत्त्‍व मानते रहे। ब्रह्माजी को इस तरह परमतत्त्‍व की अवज्ञा करते देख भगवान शिवजी ने क्रोंध में आकर भैरव का रूप धारण कर लिया।

शिवजी के इस रूप को देखकर ब्रह्माजी का गर्व चूर-चूर हो गया । जिस दिन शिवजी ने रूद्र रूप धारण किया था उस दिन मार्गशीर्ष की दशमी अष्‍टमी थी। जो इसी कारण इसे कालाष्‍टमी में के नाम से जाना गया है।

What is Teej Festival – तीज कब आती है | तीज का त्‍यौहार क्‍यों मनाया जाता है।

काल भैरव जयंती वाले दिन ऐ कार्य नही करे

  • इस दिन किसी भी व्‍यक्ति को झूठ नही बोलना चाहिए। और ना ही किसी के साथ धोख करे, क्‍योकि ऐसा करने से सिर्फ आपको ही हानि होगी।
  • इस दिन सभी परिवार के सदस्‍य काल भैरव जी की तामसिक पूजा करे, तथा बटुक भैरव की पूजा करे क्‍योकि यह सौम्‍य रूप होता है।
  • काल भैरव जयंती वाले दिन किसी भी पशु या पक्षी के साथ दुर्वव्‍हार ना करे।

काल भैरव जयंती वाले दिन क्‍या कार्य करे

  • इस जयंती वाले दिन काल भैरव की मूर्ति के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखना चाहिए। तथा काले तिल, उड़द व सरसों का तेल अर्पित करे। यदि आप ऐसा करते है तो काल भैरव जी आप पर प्रसन्‍न होते है।
  • इसके अलावा बिलपत्र के पत्तो पर लाल या सफेद चंदन से उँ नम: शिवाय लिखकर भगवान शिवजी को अर्पित करे। ध्‍यान रहे बिलपत्र के पत्तो का मुख पूर्व व उत्तर दिश की और होना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव आप पर प्रसन्‍न होगे क्‍योकि वो भगवान शिव का ही एक अवतार है।
  • इस दिन काले कु्त्ते को भोजन कराऐ क्‍योकि काला कुत्त काल भैरव का वाहन है।

काल भैरव स्‍तुति जानिए/Kaal Bhairav Vrat

यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्‍पायमानं। सं सं संहारमूर्ति शिरमुकुटजटाशेखर चन्‍द्रबिम्‍बम्।।

दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्‍वरोमं करालं। पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालमं।।

रं रं रं रक्‍तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्‍णदंष्‍ट्राकरालं। घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।

कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्‍वालितं कामदेहं। तं तं तं दिव्‍यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।

लं लं लं वन्‍दतं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्लाकरालं । धुं धुं धुं धुम्रवर्णं स्‍फुटविकटमुखं भास्‍करं भीमरूपम्।।

रूं रूं रूं रूण्‍डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं। नं नं नं नग्रभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।

वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं। खं खं खं खड्गहस्‍तं त्रिभुवननिलयं भास्‍करं भीमरूपम्।।

टं टं टं टडकारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं। भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।

इत्‍येवं कामयुक्‍तं प्रपठति नियतं भैरवस्‍याष्‍टकं यो। निर्विघ्रं दु:खनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।

नश्‍येद्धिव्‍याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्‍यशंसस्‍य शून्‍यं। सर्वा नश्‍यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्‍तनात्‍सर्वसिद्धिम्।।

भैरवस्‍याष्‍टकमिदं षण्‍मासं य: पठेन्‍नर। स याति परमं स्‍थानं यत्र देवो महेश्रवर:।।

डिस्‍कलेम:- दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको कालाष्‍टमी व काल भैरव जयंती Kalashtami Vrat katha in Hindi के बारे में विस्‍तार से बताया है। यह जानकारी आपको पौराणिक मान्‍यताओं कल्‍पानाओं के आधार पर लिखकर बताई है आपको यह बताना अति जरूरी है की Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं देता है अत: अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ, विद्धान, पंडित के पास जाएग। यदि आपको पोस्‍ट में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने दोस्‍तो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

कृषि में ग्रेजुएशन करने वाली बालिकाओं को मिलेगा यह फायदा जानिए

यह भी पढ़े-

You may also like our Facebook Page & join our Telegram Channel for upcoming more updates realted to Sarkari Jobs, Tech & Tips, Money Making Tips & Biographies.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top