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Karva Chauth Vrat Katha in Hindi | करवा चौथ व्रत कथा व पूजा विधि यहा से जाने

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Karwa Chauth 2022:- प्‍यारे साथियों हमारे हिन्‍दु पंचाग में प्रतिमास दो चतुर्थीया आती है जो भगवान गणेश जी का समर्पित होती है। महिलाए सभी चतुर्थी को भगवान गणेश का व्रत रखती है और अपनी पुत्र व पति की लम्‍बी आयु की कामना करती है साथ ही कुवांरी कन्‍याएं अच्‍छा पति पाने की मनोकामना करती है। पर इन सभी चतुर्थीयों में से सबसे बड़ी व महत्‍वपूर्ण चतुर्थी कार्तिक महीने की कृष्‍ण पक्ष चतुर्थी होती है। जिसे पूरे भारतवर्ष में महिलाएं करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat 2022) के नाम से जानती है। और आज के इस लेख में आपको करवा चौथ से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी का वर्णन कर रहे है। तो आप हमारे लेख के साथ अतिंम शब्‍दों तक बने रहिए

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जानिऐं करवा चौथ का महत्‍व (Karwa Chauth Vrat Ka Mahatva )

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Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi

पंचाग के अनुसार करवा चौथ का व्रत सभी व्रतो में से महान व्रत बताया गया है। जो हर साल में कार्तिक माह की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है इस दिन सभी सुहागिन औरते अपने पति की लम्‍बी आयु बनाऐ रखने के लिए यह व्रत रखती है तथा कुवारी लड़कीया अच्‍छा वर प्राप्‍त करने के लिए इस व्रत को पूरे श्रद्धा के अनुसार रखती है। यह व्रत चतुर्थी को होने के कारण इसे संकष्‍टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi Vrat) भी कहा जाता है।

इस व्रत वाले दिन माता चौथ (Chauth Mata) व गणेश भगवान (Bhagwan Ganesh Ji) की पूजा का विशेष रूव से विधान है। पूजा के दौरान भगवान गणेश जी व माता चौथ की कथा (Chauth Mata Vrat katha) सुनाई जाती है। जिसके बाद रात्रि के समय चांद को अर्घ्‍य देकर सभी महिलाएं अपना करवा चौथ व्रत को पूर्ण करती है। अत: उसके बाद औरते इस व्रत का पारण करती है। और व्रत के पारण के समय भोजन ग्रहण कर लेती है।

करवा चौथ व्रत कब है (Karwa Chauth Vrat kab Hai)

प्‍यारे भाई व बहनो यह व्रत हिंदी पंचाग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक महिने की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है और अग्रेंजी कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 13 अक्‍टूबर 2022 गुरूवार को रात्रि 01:59 मिनट पर शुरू हो रहा है। और 14 अक्‍टूबर 2022शुक्रवार को प्रात: जल्‍दी 03:08 AM पर पूर्ण हो रहा है। ज्‍योतिषों व पंडितों की उदयातिथि के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ व्रत 13 अक्‍टूबर 2022 के दिन किया जाएगा।

करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त (karva Chauth Vrat ka Shub Muhurt)

  • चतुर्थी तिथि (करवा चौथ व्रत) प्रारंभ:- 13 अक्‍टूबर 2022 प्रात:काल 01:59 मिनट पर
  • करवा चौथ व्रत समाप्‍त:- 14 अक्‍टूबर 2022 को प्रात: 03:98 मिनट पर
  • करवा चौथ व्रत पूजा समय:- 13 अक्‍टूबर शाम 05:54 से लेकर रात्रि 07:09 तक
  • पूजा करने की कुल अवधि:- 01:49 मिनट
  • करवा चौथ व्रत का समय:- 13 अक्‍टूबर को सुबह 06:20 मिनट से लेकर शाम 08:09 मिनट तक
  • कुल अवधि:- 13:49 मिनट
  • व्रत वाले दिन चंद्रमा उगने का समय:- रात्रि 08:09 पर लगभग

करवा चौथ व्रत का नियम (Karva Chauth Vrat Ka Tarika)

इस चतुर्थी वाले दिन सभी महिलाए सुबह जल्‍दी स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर नऐ वस्‍त्र धारण करती है और पूरा श्रृंगार करती है। जिसके बाद भगवान सूर्य को जल इत्‍यादि करती है और अपने हाथो में गंगा जल लेकर इस व्रत का सकंल्‍प रखती है। उसके बाद औरते पूरे दिन भूखी-प्‍यासी रहती है जिस कारण इस व्रत का निर्जला व्रत कहा जाता है। दोपहर के समय भगवान गणेश जी व माता चौथ व करवा की पूजा करती है पूजा में रोली व मोली, चावल, घी, नैवेद्य, धूपबत्ती, पुष्‍प, माला, अगरबत्ती, गुड, चीनी आदि का भोग लगाती है। जिसके बाद भगवान गणेश जी की कथा (Bhagwan Ganesh ji ki Katha) सनुती है। उसके बाद चौथ माता की कथा (Chauth Mata Katha in Hindi) सुनती है और आरती करती है। तपश्‍चा्त भगवान सूर्य को अर्घ्‍य देकर पूजा समाप्‍त करती है।

इसके बाद जब रात्रि के समय चंद्रमा उग जाते है तो पहले पूजा करती है उसके बाद जो भी प्रसाद के लिए बनाया है उसका भोग लगाती है। सभी सुहागिन महिलाए एक छलनी से चंद्रदेव (चंद्रमा) के दर्शन करती है उसके बाद अपने पति का मुख देखती है। और चंद्रमा को पानी का अर्घ्‍य देकर तपश्‍चा्त पति के हाथो से पानी ग्रहण करे अपने व्रत का पारण करती है। जिसके बाद अपने पति के पैर छूती और परिवार के सभी बड़ व बूढ़ो के पाव छूकर आशीर्वाद प्राप्‍त करती है।

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Karwa Chauth Vrat Vidhi (करवा चौथ व्रत की विधि)

Karwa Chauth Vrat katha in
  • इस व्रत वाले दिन सभी औरतो को प्रात:काल जल्‍दी उठरक स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर नऐ वस्‍त्र धारण करके पूरा 16 श्रृंगार करे।
  • जिसके बाद भगवान सूर्य को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढा़ने का विशेष महत्‍व है।
  • इसके बाद एक पट्टे पर सबसे पहले गणेश जी की स्‍थापना करे और चौथ माता की तस्‍वीर को रखे। और एक ओर जल से भरा हुआ लौटा रखे।
  • तथा अनाज से भरा हुआ एक करवा रखे। जिसके बाद घी का दीपकर जलाकर दीवार पर चन्‍द्रमा तथा शिवजी व कार्तिकेय की चित्रावली बनाऐ।
  • जिसके बाद सबसे पहले गणेश जी की पूजा करे , पूजा में धूप, दीप, पुष्‍प, रौली, मौली, चावल आदि अर्पित करे।
  • जिसके बाद माता चौथ की शिवजी, चन्‍द्रमा तथा कार्तिकेय की पूजा भी पूरे विधिवत रूप से करे।
  • जिसके बाद सभी औरते अपने हाथो में चावल/गेहूँ के कुछ दाने लेकर गणेश जी और चौथ माता की कथा सुने। और आरती करे।
  • इसके बाद सभी औरते सूर्य भगवान को अर्घ्‍य देकर अपने पति की लम्‍बी आयु बनाऐ रखने की मनोकामना करे।
  • इसके बाद रात्रि के समय चांद उगने के समय पूजा के स्‍थान पर ज्‍योति जलाकर जलते हुए ऊपले के ऊपर प्रसाद चढ़ऐ। तथा उसके बाद चन्‍द्रमा की पूरे विधिवत रूप से पूजा करके छलनी से देखकर अर्घ्‍य दे।
  • जिसके बाद अपने पति के हाथो से पानी पीकर व्रत का पारण करे, तथा पति के पैर छूऐ जिसके बाद घर के सभी बड़े सदस्‍यो के पैर छूकर आशीर्वाद ले।
  • करवा चौथ के व्रत का पारण करने के बाद भोजन ग्रहण करे।

गणेश जी कथा (Ganesh ji katha)

Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi:- एक समय की बात है एक गॉव नगर में एक बुढि़या माई रहती थी। जो रोज मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। वह रोज गणेश को बनाती किन्‍तु मिट्टी का होने के कारण वह गल जाते। जिससे वह परेशान हो गई। तब उसने देखा की नगर में एक सेठ के यहा मकान का काम चल रहा था। वह वहा गई और मिस्‍त्रीयो से बोली की तुम मेरे लिए पत्‍थर का गणेश जी बना दो। बुढि़या की बात सुनकर एक मिस्‍त्री बोला बुढि़या जितनी देर में हम तुम्‍हारे गणेश जी मूर्ति बनाऐ उस समय में तो हम एक दीवार बनाएगे। मिस्‍त्री के मना करने के बाद वह बुढि़या वहा से चली गई। जिसके बाद वे सब मिस्‍त्री दीवार चुने किन्‍तु वह दीवार टेढ़ी हो गई। उन्‍हाेने उस दीवार को पुन: गिराकर दुबारा चुनी, किन्‍तु जितनी बार भी उन्‍होने दीवार चुनी वह टेढी हो जाती। ऐसे करते हुऐ शाम हो गई, और शाम को सेठ आया और मिस्त्रियो से कहा की आज तुम सभी ने कुछ भी काम नही किया।

सेठा की बात सुनकर वो सभी कहतने लगे की आज एक बुढिया आई थी, जो हमसे गणेश जी का पत्‍थ बनाने के लिए कहा किन्‍तु हम सब ने उसे मना कर दिया। जिसके बाद हम जितनी बार भी दीवार बनाऐ उतनी बार ही दीवार टेढ़ी हो गई। उस सेठ ने तुरन्‍त उस बुढिया को बुलाया और कहा मैं तुम्‍हारे लिए सोने का गणेश की बनवा दूगा। किन्‍तु तुम्‍हारे इस गणेश जी से बोले की वो मेरे मकान की दीवार को सीधी कर दे। जिसके बाद सेठ ने बुढि़या को सोने का गणेश जी दिया। और इधर सेठ के मकान की दीवार सीधी हाे गई।

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat katha in Hindi)

Karva Chauth Vrat

Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi:- एक साहूकार के सात पुत्र व एक पुत्री थी। सभी की शादी हो गई। कुछ दिनो बाद करवा चौथ का व्रत आया तो सेठा की सभी पुत्रवधू और उसकी एकलोती बेटी ने भी यह व्रत किया। जब रात्रि हुई तो सेठ के सभी पुत्र भोजन करने बैठे तो उन्‍होने अपनी बहन से कहा की तुम भी भोजन कर लो। तब उसने कहा की भैया अभी चॉद नही निकला है। चांद के निकलने पर अर्घ्‍य देकर ही भोजन करूगी। बहन की बात सुनकर भाइयों ने कहा की बहन चांद तो निकल आया है। अब तुम अर्घ्‍य देकर भोजन जीम लो। यह सुनकर उसने अपनी भाभियों से कहा कि तुम सब भी चांद को अर्घ्‍य देकर भोजन ग्रहण कर लो। परन्‍तु वो सभी इस काण्‍ड को जानती थी।

और अपनी ननद से कहा की बहनजी अभी चॉंद नहीं निकला, यह तो तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखाकर तुम्‍हे चांद बता रहे है। किन्‍तु उसने अपनी भाभियो की बात सुनकर भी ध्‍यान नहीं दिया और उसने अग्नि के प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार चौथ का व्रत भंग करने से गणेश जी और चौथ माता उस पर अप्रसन्‍न हो गए। इसके बाद उसका पति सख्‍त बीमार हो गया जिसके इलाज में उसने सबकुछ लगवा दिया। किन्‍तु जब भी उसका पति मृत्‍यु को प्राप्‍त हो गया। वह अपने मन ही मन में बहुत ज्‍यादा पश्‍चताव करने लगी। जब उसके पति के पार्थिव शरीर को जलाने के लिए ले गऐ तो उसने जलाने नही दिया।

और अपने पति की लाश को लेकर शमशान घाट पर ही बैठी रही। उसकी ननद उसे रोज सुबह शाम खाना देकर चली जाती। कुछ दिनो बाद माघ की चौथ का व्रत आया और उसने वह व्रत पूरे विधि-विधान से किया। जिसके बाद चौथ माता उसके सामने प्रकट हुई और बोली मांगो क्‍या मांगती हो। तुम उसने अपना सुहाग मांगा। इस पर माघ की चौथ ने बोला की मैं तुम्‍हारी सहायता नही कर सकती तुम्‍हारी तो वैशाख की चौथ कर सकती है। जो सभी चौथ में से बड़ी है। तब उस औरत ने पूछा की मैं उसे कैसे पहचानूगी। तब उसने बोला की वह अपने बालो को बिखरे हुए आंधी की तरह आऐगी तो तुम समझ जाना की यही वैशाख की चौथ है।

इसके कुछ समय बाद वैशाख की चौथ आई और उसने पूरे विधि-विधान से श्रद्धा भाव से वैशाख की चौथ का व्रत किया। जब चौथ माता अपने बालो को बिखेरे हुए आग-बबूला होती हुई आंधी की तरह आई। यह देखकर सेठ की पुत्री समझ गई की यह तो चौथ माता है। उसने उनके पैर पकड़ लिऐ और अपनी गलती की मांफी मागंने लगी। और कहा यदि माता तुम मेरा सुहाग नही दोगी तो मैं भी मर जाऊगी। यह कहती हुई वह चौथ माता के पैरो में गिर गई। यह देखकर चौथ माता को उस पर दया आई और उसने उसने पति को जीवित कर दिया। और जाते समय उसकी झोपड़ी का लात मार गई जिसकी जगह भव्‍य महल बन गया। तथा उसके पुत्र प्राप्‍ति का वरदान दे गई।

अपने पति को जीवित पाकर वह बहुत खुश हुई। रोज की तरह उसकी ननद रोटी देने आई तो उसे अपनी भाभी की झोपड़ी नजर नई आई वह इधर-उधर ढ़ूढने लगी। तभी उसकी भाभी की नजर उस पर पढ़ गई और उसने अपने महल की छत से आवाज लगाई। की हम यहा है। यह सब देखकर उसकी ननद तुरन्‍त घर गई और सारी बात बताई। तभी सभी गॉव वाले मिलकर आऐ और उनको खुशी पूर्वक वहा से अपने घर को ले गऐ। तो चौथ माता जैसी उसे टूटी है उसी तरह सभी औरतो को टूटना।

करवा चौथ से जुड़े प्रश्‍न व उत्तर

प्रश्‍न:- करवा चौथ का व्रत कब आता है

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यह व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है जिसे संकष्‍टी चतुर्थी या करवा चौथ, चौथ माता का व्रत कहा जाता है।

प्रश्‍न:- करवा चौथ व्रत कब है 2022 में

इस वर्ष करवा चौथ व्रत 13 अक्‍टूबर 2022 गुरूवार के दिन है।

प्रश्‍न:- करवा चौथ के दिन करवा में क्‍या भरा जाता है।

वैसे तो कोई वास्‍तविक तथ्‍य नही मिला की आखिर करवा चौथ वाले दिन करवा में क्‍या भरा जाता है पर हमारे भारत देश लगभग सभी महिलाए करवा चौथ का व्रत रखती है जिसमें कोई मिट्टी का करवा लाती है या कोई पतासे वाले करवा लाती है। जो महिलाए मिट्टी का करवा लाती वो सभी उसमें मीठा भरती है जैस, चीनी, भूरा आदि। और पतासे वाला करवा लाती है उसमें चावल, गेंहॅू, बाजरा आदि भरती है।

प्रश्‍न:- करवा चौथ की पूजा में क्‍या-क्‍या रखें

इस व्रत वाले दिन महिलाए की सबसे बड़ी समस्‍या यह होती है की आखिर पूजा कैसे करे और पूजा में क्‍या-क्‍या सामान चाहिए। आप चाहे तो बाजार से जो चौथ माता का चित्र आता है उसके नीचे सभी समग्रीयों का वर्णन किया हुआ रहता है। आप वहा से देख सकती है और आपके पास वह नहीं है तो आप एक करवा और उसका ढक्‍कन, गंगाजल, घी, दीपक, रूई, अगरबत्ती, रोली, मौली, अक्षत, कपूर, देसी घी, चीनी, गुड़, हल्‍दी, फल, फूल, माला, कुमकुम, चावल, जौ, लकड़ी का कोई भी आसन, छलनी आदि।

तो प्‍यारे साथियों आज के इस आर्टिकल में आपको करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi) से जुड़ी कुछ सामान्‍य जानकारी आपको बताई है। जो केवल पौराणिक मान्‍यताओं के आधार पर बताई है हमारे द्वारा बताई गई जानकारी व लिखा लेख आपको पंसद आया तो लाईक व शेयर करें। इसके अलावा आप सभी के मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो आप कमेंट करके अवश्‍य पूछ सकते है। धन्‍यवाद

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2 thoughts on “Karva Chauth Vrat Katha in Hindi | करवा चौथ व्रत कथा व पूजा विधि यहा से जाने”

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