कोकिला व्रत कथा, Kokila Vrat katha in Hindi : कोकिला व्रत क्यों किया जाता है जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, Kokila Vrat ki Kahani Hindi,
Kokila Vrat katha in Hindi:- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में से बहुत खास मानी गई है। क्योंकि इसे गुरू पूर्णिमा बताया गया है इसी लिए इस दिन भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा व उपासना करी जाती है। इसके अलावा भी इस पूर्णिमा पर कोकिला व्रत किया जाता है आप भी यह व्रत करते है तो नीचे दी गई व्रत कथा, व्रत नियम, शुभ मुहूर्त आदि पढ़कर व्रत को पूर्ण अवश्य करें
आषाढ़ की पूर्णिमा कई मायनों में बहुत खास होने से भगवान लक्ष्मी पति व गुरू की उपासना होती है। साथ में कोकिला व्रत भी होता है जो विवाहित महिलाए अपने-अपने दांपत्य जीवन को खुशहाल रखने के लिए करती है। बताया जाता है कुवारी कन्याऐं कोकिला व्रत करती है तो उनको भगवान शिवजी व माता पार्वती अच्छा वर/सुयोग्य व्रर का आशीर्वाद देते है।

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कोकिला व्रत का महत्व क्या है/Kokila Vrat ka Mahatava
पौराणिक ग्रंथों, शास्त्रों के अनुसार देवी सती को कोयल का अवतार या रूप माना गया. और इसी मान्यता से देवी सती ने भगवान शिवजी को अपने पति रूप में पाने हेतु यह कोकिला व्रत किया था। जिसके बाद भगवान शिवजी व माता सती की शादी हुई. देवी सती भगवान भोलेनाथ जी की पहली पत्नी थी। माना जाता है की किसी के वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ताे वह औरत आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन कोकिला व्रत का पालन कर सकती है।
कोकिला व्रत कब है/Kokila Vrat kab hai 2023
वैसे तो कोकिला व्रत हर साल आषाढ़ की पूर्णिमा वाले दिन किया जाता है जो इस साल 02 जलाई 2023 के दिन कोकिला व्रत है।
- आषाढ़ पूर्णिमा तिथि आरंभ:- 02 जुलाई 2023 रात्रि 08:21 पर
- आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त:- 03 जुलाई 2023 शाम 05:28 मिनट पर
- पूजा का मुहूर्त:- रात्रि 08:21 से लेकर 09:24 मिनट पर
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कोकिला व्रत पूजा विधि/Kokila Vrat Puja Vidhi in Hindi
- इस दिन आपको प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से फ्री होना है. जिसके बाद भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य अवश्य करें।
- उसके बाद शिवालय में जाकर भगवान भोलेनाथ का पंचामृत से अभिषेक कर के गंगाजन चढ़ाऐं।
- मान्यताओं के अनुसार भगवान शिवज को सफेद रंग का पुष्प व माता पार्वती का लाल रंग का पुष्य अवश्य चढ़ाई।
- जिसके बाद बेलपत्र, दुध, धूप, गंध, धतूरा आदि चढ़ाकर घी का दीपर जलाए, और भोलेनाथ की पूजा करें।
- पूजा करने के बाद आपको कोकिला व्रत की कथा (Kokila Vrat Katha) सुननी है।
- पूरे दिन उपहार करके सूर्यास्त के बद पुन: भगवान भोलेनाथ की पूजा करे और फलाहर करके व्रत को पूर्ण करें।
कोकिला व्रत की कहानी/Kokila Vrat katha in Hindi
Kokila Vrat ki Kahani:- एक समय में दक्ष प्रजापति नाम का राजा. जो भगवान विष्णु जी का महान भक्त था। उसकी पुत्री का नाम सती था जो सदैव भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करती और अपने वर रूप में मांगती। देवी सती की मनोकामना पूरी हुई भगवान भोलेनाथा ने सती से शादी रचाई और कैलाश पर्वत पर निवास करने लेग। एक दिन राज दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ करवाया. जिसमें सभी देवता, ऋर्षि, मुनि, राजा-महाराजा को आमंत्रित किया। पर अपने दामाद शिवजी और अपनी बेटी देवी सती का इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया, पर देवी सती उस यज्ञ में बिना बुलाये ही चली आई।
सती अपने पिता के यहा आई और कहने लगी की आपने मेरे पति को इस यज्ञ में आमंत्रित क्यो नहीं किया। इससे मेरा और मेरे पति का अपमान हुआ है पिता जी. बेटी की बात सुनकर राजा दक्ष ने शिवजी को अपमानजन बातें कही जो देवी सतीन सहन नहीं कई पाई। वह अपने पति के खिलाप कई भी शब्द नहीं सुन सकी और देखते ही देखते यज्ञ के हवन कुण्ड़ में कूद गई। जब यह बात शिवजी को पता लगी की देवी सती ने यज्ञ में अपनी आहुती कर दी है यह सुनकर भगवान भोलेनाथ बहुत ज्यादा क्रोधित हो उठे।
शिवजी ने अपनी जटाओं में से क्रुद्ध रूप में वीरभद्र को बुलाया और कहा की दक्षपति राजा के यहा जाओं और हवन का विनाश कर दो। भगवान शिवजी के आदेश का पालन सती नहीं नहीं किया. जिससे वह इतना क्रोधित था की देवी सती को अगले दस हजार साल के लिए कोयल पक्षी होने का श्राप दिया। इस श्राप को देवी ने 10 साल तक पूर्ण किया जिसके बाद सती ने शैलजा के रूप में जन्म लिया।
इसी शैलजा के रूप में सती ने आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत कई सालो तक भगवान शिवजी को अपने पति रूप में पाने के लिए किया था। इसी लिए मान्यता है की जो वैवाहित स्त्री कोकिला व्रत रखती है उसके वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनी रही है।
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Disclaimer:- आज आपको कोकिला व्रत के बारें में बताया है जो केवल पौराणिक कथाओं के आधार पर लिखा है। आपको यह बताना जरूरी है Onlineseekhe.com इसकी पुष्टि नहीं करता. अत: अधिक जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ से पूछे। और यदि आप समय-समय पर इस प्रकार आने वाले सभी व्रत व त्यौहारों के बारें में विस्तार से पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए।
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