Mahatma Gandhi Biography In Hindi | महात्‍मा गॉंधी का जीवन परिचय | गांधी जी कि पूरी हिंस्‍ट्री

महात्‍मा गॉंधी का जीवन परिचय:- दोस्‍तो जब भी हम अपने देश के इतिहास के बारे में बात करते है, तो बहुत से महान योद्धाओ, स्‍वतंत्रता सेनानीयो, वीरो की कहानीया सुनते है या पढ़ते है जैसे- सुभाष चन्‍द्र बोस, भगत सिंह, लाल लाजपतराय, च्रंद्रशेखर आजाद आदि के बारे में। किन्‍तु आज के इस लेख में हम बात करेगे उन महान पुरूष की जो पूरे भारत में ही नहीं बल्‍कि पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है। वो महान पुरूष है महात्‍मा गांधी जी (Mahatma Gandhi Ji)।  जिनको देश का राष्‍ट्रपिता भी कहा जाता है। Mahatma Gandhi Biography In Hindi

Mahatma Gandhi Ji का प्रारंभिक जीवन 

गांधी जी देश कि सभी धरोवरो में से एक है। क्‍योंकि उनका सम्‍मान और उनके विचारो का अनुगमन ना केवल भारतीय ही नही बल्‍कि भारत के बाहर भी बहुत से लोग करते है। और उन्‍हे पूजते है। महात्‍मा गांधी जी का जन्‍म 2 अक्‍टूबर 1869 को गुजरात राज्‍य के पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंन्‍द गांधी और माता का पुतलीबाई था। उस समया इनके पिता करमचंन्‍द गांधी जी गांव के ‘दीवान साहब थे, और माता एक धार्मिक स्‍त्री होने के कारण वह अपना समय ज्‍यातर धार्मिक कार्यो में व्‍यतीत करती थी। Gandhi Ji ने अपना बचपन ज्‍यादातर अपनी माता के पास व्‍यतीत किया है इसी कारण वो एक सच्‍चे पुरूष और सत्‍य, अहिंसा शांति को चुनते वाले और सरल स्‍वभाव के व्‍यक्ति थे।  

महात्‍मा गांधी (Mahatma Gandhi Ji) ने अपनी आरंभिक शिक्षा गांव में शुरू की थी। और सन 1883 में 13 वर्ष की आयु में ही इनका विवाह  कस्‍तूरबा नाम की लड़की से करवा दिया गया। इनके चार पुत्र हुये जिनका नाम – हरीलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मनीलाल गांधी थे। अपने विवाह के बाद भी इन्‍होने अपनी पढ़ाई जारी रखी, और सन 1887 में अहमदाबाद से मैट्रिक पास कर ली। इसके बाद गांधी जी अपनी आगे कि पढ़ाई के लिए सन 1888 में भावनगर में शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया। परन्‍तु कुछ दिनो के बाद ये यहा से घर वाफस चले गये।

Mahatma Gandhi Ji विदेश में शिक्षा एवं वकालात

गांधी जी अपने परिवार में एक अच्‍छे पढ-लिखे और समझदार युवा थे, इसी कारण परिवार के सदस्‍य उनको दीवान का पद देना चाहते थे। किन्‍तु उनका सपना था बैरिस्‍टर बननें का था। और उन्‍होने अपने पिता से वकिल की पढ़ाई के लिए लंदन भेजने के लिए कहा, और सन 1888 में वो अपनी आगे की पढ़ाई के लिए लंदन को चले गये। वहा जाकर यूनिवर्सिटि कॉलेज में कानूनी डि़ग्री के लिए दाखिला लिया। गांधी जी जब लंदन गये तो उनको शुरूआती दिनों में रहने व खान-पीने में बहुत सी कठिनायों का सामना करना पड़ा। क्‍योंकि वो शाकाहारी खाना खाते थे, परन्‍तु धीर-धीरे सब मैनेज कर लिया।

वहां रहकर इन्‍होने ‘वेजीटेरियन ‘की सदस्‍यता पा ली, तब इन्‍हे थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्‍य गीता को पढ़ने का सुझाव दिया। और इन्‍होने पूरी भागवत गीता को पढ़ा और समझा साथ ही लोगो को उसके बारे में समझाया। सन 1891 में बैरिस्‍टर ( वकील ) बनकर जून 1891 में अपने देश भारत वाफस लौटै। जब ये भारत आये तो इन्‍हे अपनी माता की मौत की खबर सुनी तो बहुत ही दुखी हुये। इसके बाद गांधी जी बॉम्‍बे ( मुबंई ) में एक कोर्ट में वकालत शुरू करी, किन्‍तु इन्‍हे कोई खास सफलता नही मिलने के कारण ये राजकोट चले गये। वहा जाकर कई मुकदमों कि अर्जिया लिखने का कार्य किया और कुछ दिनो बाद ये राजकोट से भी आ गये। सन 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल ( दक्षिण अफ्रीका ) में वकालत का कार्य मिला और ये 1893 में चले गये।

महात्‍मा गॉंधी का जीवन परिचय

Mahatma Gandhi Ji का दक्षिण अफ्रीका जाना

जब गॉंधी जी 24 साल के थे तब वो किसी कानूनी विवाद से सन 1894 में दक्षिण अफ्रीका प्रिटोरिया स्थित भारतीय व्‍यापारियों के मालिक की सहायता से पहुचें थे। गांधी जी ने वहां के लोगो में नस्‍लीय , जाति का भेदभाव देखा। वहा पर गौरे लोग काले लोगो के साथ अन्‍याय करते थे। ए‍क दिन किसी काम से गांधी जी को दूसरे शहर जाना पड़ा तो उन्‍होने अपना टिकट ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्‍बे में करवाया। परन्‍तु कुछ गौरे लोगो ने काला होने की वजह से उन्‍हे ट्रेन के तीसरी श्रेणी के डिब्‍बे में जाने के लिए कहा। तो गांधी जी ने अपना प्रथम श्रेणी का टिकट दिखाया और जाने के लिए मना कर दिया। इसी बीच उनको ट्रेन से नीचे फेक दिया।

जब गांधी जी को ट्रेन से फेका तो उन्‍होन सोचा कि यहा रोज कालो के साथ ऐसा ही दुरव्‍यवहार करते है। इस भेदभाव को मिटाने के लिए उन्‍होनें वहां पर सत्‍याग्रह आदाेंलन शुरू कर दिया, और जब तक जारी रखा तब तक उनको इसमें सफलाता मिल गई। यह सत्‍याग्रह आंदोलन सन 1906 में हुआ था और यह गांधी जी का पहाला सत्‍याग्रह था। तब उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्‍य के अन्‍तर्गत भारतीयों तथा खुद की अपनी पहचान के लिए प्रश्‍न आये। और यही से गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरूआत हो गयी। आगे इनको दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के समुदाय का नेता बनाया गया, और वहा पर नस्‍लीय भेदभाव को खत्‍म कर दिया।

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गांधी जी का भारत में आगमन एवं स्‍वतंत्रता संग्राम में भाग लेना 

महात्‍मा गांधी जाी ( Mahatma Gandhi Ji ) दक्षिण अफ्रीका में लगभग 21 वर्षो तक रहे। और सन 9 जनवरी 1915 में अपने देश भारत वाफस लौटे। जब वो अपने देश में आये तो देखा की यहा पर ब्रिट्रिश सरकार की हुकुमत चल रही थी। जिससे देश में लोग परेशान और बहुत से गुलाम थे। ब्रिटिश साम्राज्‍य के खिलाफ आवज उठाने के लिए सन 1918 में किसानों, गरीबों, मजदूरां को इकठठा किया और चम्‍पारण खेड़ा सत्‍याग्रह शुरू कर दिया। और वहा के किसान मजदूरो को नील की खेती से मुक्‍त कराया। इसी सत्‍याग्रह के बाद गांधी जी को रवीन्‍द्रनाथ टैगाेर द्वारा गांधी जी को महात्‍मा ( Mahatma ) कि उपाधी प्रदान कि गई थी। सन 1914 से 1919 तक गांधीजी ने विश्‍व युद्ध में पूरा संयोग किया और भारत को ब्रिट्रिश साम्राज्‍य की ओर से लडने को कहा। और ईस्‍ट-इण्‍डिया कम्‍पनी यह युद्ध जीत जाती है।

इसी उपल्‍क्ष में Mahatma Gandhi Ji ( महात्‍मा गांधी जी ) को ब्रिट्रिश सरकार द्वारा सन 1915 में केसर-ए-हिन्‍द की उपाधि से नवाजा गया। कुछ दिनो के बाद गुजरात राज्‍य में साबरमती नदी के तट अपना आश्रम बना लिया और अपनी पत्‍नी के साथ यही पर रहने लगे। 13 अप्रैल 1919 को ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी के गर्वनर ने पंजाब में जलियाबाला बाग हत्‍याकाण्‍ड करवा था। इसमें बहुत से लोग मौत के घाट ऊतार दिये गये, जिस कारण गांधी जी ने केसर-ए-हिन्‍द की उपाधी वाफिस लौटा दी।  

गांधी जी के आदोलन स्‍टेप बाइ स्‍टेप

महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi Ji ) ने अपने देश भारत को ईस्‍ट-इण्‍डिया कम्‍पनी से आजाद करने लोगो को एक साथ इकठठा किया। और सत्‍य-अहिंसा के मार्ग को अपनाकर आजादी पाने के लिए प्रेरित किया। कई लोग इस मार्ग पर चलने से मना कर दिया और उन्‍होनें अपना अलग से दल बना लिया। जिसे लोगो ने गरम दल नाम दिया। इस दल के नेता थे, लाल लाजपतराय, बालगंगाधर तिलक, विपनच्रंद्र पाल, आदि थे। नरम दल के नेता महात्‍मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल आदि। गांधी जी ने आजादी भारत को आजादी दिलाने के लिए निम्‍नलिखित आदोंलन किये जो कि नीच स्‍टेप बाई स्‍टेप है।  

अहमदाबाद मिल मजदूर आदोंलन

 इस आंदाेलन का मुख्‍य कारण अहमदाबाद के मिल के मालिकों और मील के मजदूरो के बीच का प्‍लेग को बोनस था। सन 1917 गुजरात राज्‍य में बहुत तेजी से प्‍लेग कि बीमारी फैल रही थी। इस बीमारी से लोगो की जाने जा रही थी। तब मिल मालीको ने मिल मजदूरों को 70 प्रतिशत बोनस देने का वादा किया और दिया भी।  परन्‍तु जैसे-जैसे प्‍लेग कम होने लगा तो मिल मालिको ने बोनस 70% घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया। प्रथम विश्‍व युद्ध के बाद बिल्‍कुल बंद कर दिया, इससे लोग बहुत परेशान होने लगे

क्‍योंकि युद्ध के बाद मंगाई में बहुत बडातरी हुयी।  इसी कारण मिल के मजदूर मासिक वेतन मांगने के लिए कहा परन्‍तु मिल मालिको ने देने से इंकार कर दिया। 15 मार्च 1918 को अनसूया बेन साराभाई के नेतृत्‍व में अहमदाबाद मिल मजदूर आदोंलन शुरू कर दिया। जब उन्‍हे लगा कि हम असफल हो रहे है तब वहा के सभी मिल मजदूरो ने महात्‍मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) को बुलाया और सारा हाल बताया। फिर गांधी जी इस आदोंलन का नेतृत्‍व साभांला और वो इस में सफल रहे।  

खिलाफत आंदोलन   

इस आंदोलन क‍ि शुरूआत प्रथम विश्‍व युद्ध खत्‍म होने के बाद हुयाी थी। क्‍योंकि जब मित्र राष्‍ट्रो कि जीत हुयी थी तब उन्‍होने एक वादा किया था, कि वो तुर्कि के खलीफाओ के प्रति अच्‍छा और उदारता से व्‍यवहार करेगे। और कुछ समय बाद ब्रिट्रिश साम्राज्‍य ने खालीफा का पद समाप्‍त कर दिया। इससे से परेशान होकर तुर्कि के अली बंधुओ ने 1919 में एक भारतीय खिलाफत कमेठी कि स्‍थापना करी। और महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi Ji ) के नेतृत्‍व में सन 1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू कर दिया। सन 1924 में तुर्कि में खालीफा के पद को बिल्‍कुल समााप्‍त करके जनतांत्रिक ( जनता द्वारा चुना ) सरकार का गठन कर दिया।

असयोग आंदोलन

13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में एक जगह है जलिंयावॉला बाग वहा पर बहुत से भारती अपनी बैठकर कर रहे थे। तब वहा पर जनरल ओ डायर के कहने पर उन सभी के ऊपर अधांधुंध गोलीया चलवा दी। इससे लगभग हजारो लोग मौत के घाट उतर गये। इस घटना और प्रहारो के बाद महात्‍मा गांधी जी ने सोचा  ब्रिट्रिश सरकार के तहत कभी न्‍याय नही मिल सकता, और वो हम पर हर तरह से राज कर रहे है। हमारी वस्‍तुओ को कम दामों में खरीदकर कीमती दामों में हमे ही बेच रहे है।

 यदि हम सब मिलकर इनका संयोग छोड दे तो सायद ये हमे आजाद कर दे। गांधी जी एक आंदोलन या नही कि असयोग आंदोलन कि शुरूआत सितम्‍बर 1920 में कर दी। यह आंदोलन पूरे भारत में फैल गया और सभी ने इसमें भाग लिया। लगभग सफल हो ही गया था। परन्‍तु कुद आंदोलन कारीयाे ने 5 फरवरी 1922 को चौरा-चौरी ( उत्तर प्रदेश ) नामक जगह पर एक पुलिस थाने को जला दिया। उसमें 22 पुलिस कर्मी जिंदा जल गये।

जब यह बात महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi Ji ) को पता लगी तो उन्‍होने तुरंत असयोग आंदोलन का स्‍थगित कर दिया। क्‍योंकि वो कभी खून खराबा नही चाहते थे। वो सत्‍य के मार्ग पर चलकर आजादी पाना चाहते थे। इस घटना के कारण राष्‍ट्रद्रोह के अपराध में 1922 में गांधी जी को बंदी बनाकर पूना जेल में भेज दिया और मुकदमा चलाया। और ईस्‍ट-इण्डिया कम्‍पनी ने 6 साल कि सजा सुनाई। किन्‍तु 1924 में उनका स्‍वास्‍थ्‍य खराब होने के कारण उनको रिहा कर दिया गया।

नमक सत्‍याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन

Mahatama Gandhi

इस आंदोलन क‍ि शुरूआत गांधी जी ने ब्रिट्रिश सरकार के तहत नमक पर कर लगाने के विरोध में सन 1930 में किया था। इस आंदोलन को गांधीजी 78 लोगो के साथ अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्र के तट पर दांडी गांव तक पैदल चलकर पूरा किया है। इस यात्रा कि शुरूआत 12 मार्च की गई थी, और 6 अप्रैल को दांडी पहुचकर खत्‍म किया था।   और नमक कानून को तोड़ा है यह आंदोलन पूरे एक वर्ष तक चला। इसमें बहुत से प्रमुख नेताओ और आ‍दमीयो को गिरप्‍तार कर लिया गया।

बाद में लॉर्ड इर्विन और गांधी जी के आपस के समझौते से खत्‍म हुआ। और सभी गिरफरतार किये गये नेताओ को रिहा कर दिया गया। किन्‍तु यह आंदोलन से पूरे भारत में अग्रेजी सरकार के खिलाफ एक सघंर्ष को जन्‍म दे दिया था। इस समझौते के तहत गांधी जी लंदन में हुये दित्‍तीय गोलमेज सम्‍मेलन में जाने को तैयर हुये। सन 1931 में भारतीया काग्रेस पार्टी के और से इस सम्‍मेलन में गये।  किन्‍तु इस समझौते के बाद गांधी जी को फिर से गिरफरतार कर लिया गया, और उन्‍हे मारने कि कोशिश कि।

परन्‍तु भारतीयो ने विद्रोह खड़ा कर दिया। इससे उन्‍हे रिहा कर दिया गया। सन 1934 में महात्‍मा गांधी जी ने काग्रेस पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया।  इसके बाद उन्‍होने देश कि जनता को एक साथ एकजुट, और छूआछूज को खत्‍म , लोगो को शिक्षित करना, अन्‍याय के विरूध अवाज अठाना, और लोगो कि आवश्‍यकताओ को पूरा करने का रास्‍ता अपना लिया।  

हरिजन आंदोलन

जब गांधी जी ने देखा कि हमारे देश में जाति‍ भेदभाव बहुत ज्‍यादा और छूआछूत भी है। इस मिटाने के लिए और अछूतो के जीवन में सुधार लाने के लिए इस अभियान कि शुरूआत करी। किन्‍तु भीमराव अम्‍बड़ेकर की कोशिशो के बाद अग्रेजी सरकार ने अछूतो को एक नया और अलग सविंधान बनाने कि मजूरी दे दी। परन्‍तु गांधी जी इस बात को मानने से इकांर कर दिया और जेल में ही उपवास शुरू कर दिया। वो 6 दिनो तक भुख-हड़ताल पर रहे। जब अम्‍बड़ेकर जी को पता चला तो वाे एक समझौते के सभी का एक सविंधान करने के विचार किय। इस समझौते का पूना समझाैते के नाम से जाना जाता है।  

अछूतो का भविष्‍य बनानें के लिए हरिजन आंदोलन कि शुरूआत कर दी। यह अभियान लगभग 1 साल तक चला। इस आंदोलन को सफल बनानें के लिए गांधी जी ने 21 दिनो तक उपवास किया। परन्‍तु अम्‍बेड़कर इस आंदोलन से खुश नही थे। गांधी जी के द्वारा बोले गये हरिजन शब्‍द कि निंदा कि।

भारत छोड़ो आंदोलन एवं द्वितीय विश्‍व युद्ध

सन 1 सितम्‍बर 1939 को द्वितीय विश्‍व युद्ध कि शुरूआत हो गयी। क्‍योंकि हिटलर का तानाशाही राज्‍य और ब्रिट्रेन के आधिपत्‍य को समाप्‍त करना था। महात्‍मा गांधी जी (Mahatma Gandhi JI ) इस युद्ध में भाग लेने से इकांर कर दिया था, जिससे बहुत से काग्रेस नेता नाखुश रहे। क्‍योंकि जनता से पूछे बिना ही ब्रिट्रेन ने इस युद्ध में भाग लेने के लिए अनुमती दे दी। गांधी जी ने कहा कि एक तरफ हमारे देश को आजादी देने से मना कर रहे है।

एक और सबसे बड़ी लोकतात्रिक शक्तिया अपनी जीत के लिए भारत को युद्ध में धकेल दिया। और ऐसे मेंं गांधीजी ने युद्ध के साथ ही भारत छोड़ो आंदोलन ( Quit India Movement ) शुरू कर दिया। यह आंदोलन पूरे देश में बहुत ही तीव्र गति से फैल गया, अब देश के हर बच्‍चे से लेकर बूड़ो तक आजादी पाना चाहता था। यह आंदोलन पूरे भारत में ज्‍वाला का रूप ले लिया, अग्रेजी लोग हमारे भारतीयो का मारने लगे और उन्‍हे जेल में बंद करने लगे।

यह आंदोलन हिंसा और असत्‍य के मार्ग पर आ गया , इसमे हमारे हजारो स्‍वतंत्रता सेनानी शहिद हो हुऐ और मौत के घाट उतर गये। अतं में महात्‍मा गांधी जी ने आंदोलन में आंदोलन कारीयो को करो या मरो ( Karo Ya Maro Ka Nara ) दिया और इस तरह लोग आजादी के लिए संघर्ष के मैदान में उतर गये। गांधी जी ने स्‍पष्‍ट्र कर दिया की हम तब तक साथ नही देगे जब तक आप हमे आजादी नही दे दो। और भारत को तत्‍काल आजादी देने को कहा तब अग्रेजी सरकार ने कहा की इस युद्ध में आप हमारा साथ दो हम आपाको युद्ध खत्‍म होते ही आजादी दे देगे। ऐसे मेंं भारत ने नाजी जर्मनी के विरूध युद्ध कि घोषणा कर दि।

और यहा पर भारत छोड़ो आंदोलन ने एक ऐसा रूप ले लिया तब अग्रेजी सरकार ने गांधी जी को 9 अगस्‍त 1942 में गिरफतार करके पुणे के आंगा खा महल में रखा। और साथ में इनकी पत्‍नी कस्‍तूरबा देवी को भी, गांधी जी यहा पर दो सालो तक कैदी के रूप में रहे। और 22 फरवरी 1944 को उनकि पत्‍नी कस्‍तुबा का देहांत हो गया। ऐसे में कुछ समय बाद गांधी जी को मलेरिया बीमारी हो गयाी और उनका उपचार करने के लिए अग्रेजो ने 6 मई 1944 को रिहा कर दिया। इस आंदोलन में गांधी जी को बहुत ही सफलता मिली।

सन 1945 में द्वितीय विश्‍व युद्ध समाप्‍त हो गया और ब्रिट्रिश हुकुमत ने भारतीयों से कहा कि जल्‍दी ही देश कि सत्‍ता तुम्‍हारे हाथो में सौफ दी जाएगी। फिर गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्‍त कर दिया। सन 1945 में बनी क्‍लीमेन्‍ट एटली की अध्‍यक्षता वाली लेबर पार्टी सरकार की प्रथम कार्यवाही में कहा कि भारत में आम चुनावा करवाना होगा। दिसम्‍बर 1945 में देश में चुनाव हुये और काग्रेस सरकार ने केन्‍द्रीय विधान सभा तथा प्रांतीय विधान मंडलों में बहुत से मतो से जीत मिली।

और निवार्चन क्षेत्रो में लगभग 91.3 प्रतिशत बहुमत प्राप्‍त हुऐ।  सन 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया, मिशन के सदस्‍य स्‍टेफोर्ड क्रिप्‍स, पैथिक लारेंस और ए.बी.अलेक्‍जेंडर थे। पर यह असफल रहा और 20 फरवरी 1947 को ब्रिट्रिश सरकार ने कहा जून 1948 तक भारत की प्रभूसत्‍ता भारतीयों के हाथो में सौफ दी जाऐगी।

भारत को आजादी और देश का विभाजन

24 मार्च 1947 को लॉर्ड माउण्‍टबेटन याेजना आयी और लॉर्ड माउण्‍टबेटन को भारत के गर्वनर बनया गया। और 3 जून 1947 को इस योजना में भारत विभाजन या नही दो अलग-अलग राष्‍ट्रो का बनना ( भारत और पाकिस्‍तान ) भी शामिल था। और 4 जुलाई 1947 को ब्रिट्रिश संसद में एटली द्वारा भारतीयो को आजादी विधेयक प्र‍स्‍तुत किया, जो 18 जुलाई को स्‍वीकृती मिली। इस विधेयक के अनुसान भारत और पाकिस्‍तान दाे अलग-अलग राष्‍ट्रो में बन गये। सन 14 अगस्‍त 1947 को पाकिस्‍तान को स्‍वंतत्रता प्रदान कि तथा भारत को 15 अगस्‍त 1947 को आजाद कर दिया। इस प्रकार हमारे देश क‍ि सत्‍ता भारतीयो के हाथो में सौफ दी। अब यहा पर भारतीयाें का राज होगा।

महात्‍मा गांधी जी की पुस्‍तकों के नाम/ Mahatma Gandhi Books Name in Hindi

  • हिन्‍द स्‍वराज :- साल 1909 में
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्‍याग्रह:- साल 1924 में
  • मेरे सपनों का भारत:-
  • ग्राम स्‍वराज
  • सत्‍य के साथ मेरे प्रयोग एक आत्‍मकथा
  • रचनात्‍मक कार्यक्रम जिसका अर्थ और स्‍थान
  • गीता बोध
  • अहिंसा के के प्रथम चरण :- 1910
  • व्‍यक्तिगत सत्‍याग्रह:- 1920
  • हरिजन:- 1933
  • सामाजिक परिवर्तन के लिए धर्म :- 1936
  • स्‍वराज्‍य की ओर:- 1937
  • आत्‍मनिर्भरता:- 1940
  • भारत के लिए संविधान:- 1942
  • अंतिम संदेश:- 1948

महात्‍मा गांधी जी की हत्‍या

ब्रिट्रिश सरकार से आजादी पाकर देश में चारों और खुशहाली-खुशहाली थी जनता बहुत खुश थी। अब वो अपनी आजादी से रह रहे थे। और महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi Ji ) बिड़ला हाऊस में निवास करने लगे और जनता की सेवा करने लगे। रोज की तरह ही गांधी जी एक दिन शाम को प्रार्थना करने के लिए प्रार्थना सभा में जा रहे थे। कि अचानक किसी ने उन पर तीन गोलिया उनके सिने में उतार दी, और बापू वही पर गिर गये। उनके मुख से आखिरी शब्‍द हे राम निकले और वो मौत को प्राप्‍त हो गये। उनकी हत्‍या करने वाला नाथूराम गोडसे था। उसे तुरंत बंदी बनाया और मुकदमा चलाया गया। सन 1949 को उसे मौत की सजा सुनाई गयी।

गांधी जी की शव यात्रा देश की सबसे बड़ी शव यात्रा थी। उसे 31 जनवरी 1948 दिल्‍ली यमुना नदी के किनारे अतिंम संस्‍कार किया गया। गांधी जी स्‍माधि स्‍थल यमुना नदी के पच्शिमी किनारे पर बनाया गया है इनका समाधि स्‍थल काले रंग के सगंमरमर से बनी हुयी है। इनकि सामाधि के ऊपर उनके आखिरी शब्‍द “हे राम'” लिखा हुआ है, जो कि राजघाट पर स्थित है। आज इनका समाधि स्‍थल अपने आप में एक बहुत ही सुन्‍दर उद्यान का रूप ले लिया है।

महात्‍मा गांधी जी उपाधिया और किसने दी

  • बापू- सरोजनी नायडू
  • महात्‍मा – रविन्‍द्रनाथ टैगोर
  • राष्‍ट्रपिता – संभाष च्रंद्र बोस
  • मलंग बाबा – खान अब्‍दुल गफफर खान
  • अर्धनंगा फकीर – फ्रेंक मोरेस
  • देशद्रोही फकीर – विस्‍टन चर्चिल
  • भारतीय राजनीत‍ि का बच्‍चा – एनीबिसेन्‍ट

महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi JI ) के बारे में कविता

सच्‍चाई की राहों पर चलकर, ज्ञान का दीप जलाया था।

सत्‍य और अहिंसा का मार्ग अपनाकर, देश को आजाद कराया था।

जाति-धर्म का भेदभाव भुलाकर, सबको गले लगाया था।

प्रेम भाव से रहने का संदेश , बापू ने फैलाया था।।

लक्ष्‍य हमेशा ऊंचे रखो, सत्‍य की राहों पर चले चलो।

मंजिल तुमको मिल जाएगी, हर बाधाओ से लड़ते चलो।।

विनम्रता भरे अपने स्‍वभाव से , कितने ही आदोलन किये थे।

देश स्‍वंतत्रता की खातिर , खुद की जिदंगी को ही जीना भूल गऐ थे।। 

आज भी दुनिया 2 अक्‍टूबर के दिन, प्‍यार से मनाती है उनका जन्‍म।

उस महान सयक्तित्‍व को हर भारतवासी का कोटि-कोटि नमन।।

आज की इस पोस्‍ट के माध्‍यम से हमने आपको महात्‍मा गांधी जी ( Mahatma Gandhi Ji ) के जीवन के बारे में सभ जानकारी प्रदान की है। अगर पोस्‍ट में बतायी हुयी सभी जानकारी आप सभी को पसंद आयी तो, इसे सभी दोस्‍तो व मिलने वालो के पास शेयर करे। व यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करे और जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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