प्यारे दोस्तो आज के इस लेख में हम आपको मंगलवार व्रत की कथा (Mangalwar Vrat Katha) के बार में विस्तार से बताएगे। जैसा की आप सभी जानते हे कि हमारे हिन्दु धर्म में लोग अनेक देवी -देवताओ की पूजा अर्चना व उनका व्रत रखते है। जिनमें से एक है हनुमान जी जो भगवान राम के भक्त है। जिन्हे कई अन्य नामों जैसे बालाजी, बंजरगबली, अंजनीपुत्र, केसरी नन्दन, पवन पुत्र, राम भक्त हनुमान आदि अनेक नामों से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी हनुमानजी की पूजा पाठ करते है या इनके लिए मंगलवार का व्रत (Mangalwar Vrat Katha) रखते है तो बालाजी महाराज उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है। ऐसे में अगर आप भी पवन पुत्र हनुमान के भक्त है व इनको प्रसन्न करने के लिए मंगलवार का व्रत रखते है तो आज की इस पोस्ट में हम आपको Mangalwar Vrat Katha के बारे में बताएगे। जिसे पढ़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।

इस तरह से रखे मंगलवार का व्रत
अक्सर मंगलवार का व्रत की शुरूआरत शुल्क पक्ष के प्रथम मंगलवार से आरंभ करना चाहिए। लेकिन बहुत से लोग इसकी शुरूआत कभी भी कर देते है। मगंलवार के व्रत को सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए उत्तम माना गया है। इस व्रत को रखने वाले स्त्री या पुरूष को प्रात काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर भगवान सुर्य को पानी चढाऐ। उसके बाद पीपल या तुलसी के वृक्ष में भी चढाऐ। इस दिन लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद विधिपूर्वक भगवान हनुमानी जी की पूजा करनी चाहिए, इस दिन लाल रंग के फूलो से पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद व्रत कथा पढ़े या फिर किसी ओर से सुने। कथा सुनने के बाद मंगलवार व्रत कथा की आरती करे और हनुमानजी महाराज का नाम ले। इसके बाद व्रत करने वाले को दिन में एक बार गेहूँ और गुड़ का बना हुआ भोजन करे। यदि कोई इस व्रत का 21 सप्ताह तक करता है तो पवनपुत्र हनुमान उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है।
Mangalwar Vrat Katha (मगंलवार व्रत की कथा)

एक गॉव में ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे, उनके कोई सन्तान नही होने के कारण दोनो बहुत दुखी रहते थे। वह ब्रह्मण रोज हनुमानजी की पूजा हेतु वन में जाता और पूजा के दौरान पुत्र प्राप्ति का वरदान मागंता था। और घर पर उसकी पत्नी पुत्र प्राप्ति के लिए प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखती थी। वह हर मंगलवार को पूरे विधि विधान से हनुमानजी का व्रत व पूजा करती और भोजन बनाकर पहले तो हनुमानजी को भोग लगाती और फिर दोनो ग्रहण करते थे। एक बार कोई ऐसा व्रत आ गया जिसके कारण वह भोजन न बना सकी और हनुमानजी को भोग नही लगा पायी।
वह अपने मन में ऐसा प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार को हनुमान जी का भोग लगाकर अन्न ग्रहण करूगी। वह ब्रह्मणी 6 दिन तक भूखी प्यासी रहने के कारण उसे मूर्छा आ गई। तब हनुमानजी उसकी लगन और निष्ठावान भक्ती को देखकर प्रसन्न हो गये। उन्होने उसे दर्शन दिया और कहा मै तुमसे अति प्रसन्न हूँ। “मै तुम्हे एक सुन्दर बालक देता हूँ”, जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा। हनुमानजी मंगलवार को बाल रूप में दर्शन देकर अन्तर्धान हो गए।
वह ब्रह्मणी सुन्दर बालक पाकर अति प्रसन्न हुई, और उसका नाम मंगल रखा। कुछ दिनो के बाद ब्रह्मण वन से लौटकर आया। तो उसने उस बालक को घर के आगंन में क्रीडा करते देखकर ब्रह्मणी से पूछा “यह बालक कौन है?” तब पत्नी ने कहा की हनुमानजी महाराज मगंलवार के व्रत से प्रसन्न होकर मुझे वरदान के रूप में यह बालक दिया है। ब्रह्मण अपनी पत्नी की बात सुनकर सोचा की यह बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुल्टा व्याभिचारिणी अपनी कलुषता छुपाने के लिए बात बना रही है।

एक दिन पति कुऍं पर पानी भरने के लिए जार रहा था, तब ब्रह्मणी बाेली की मंगल को भी अपने साथ ले जाओ। वह ब्रह्मण मंगल को अपने साथ ले गया और उसे कुऍ में डालकर स्वमं पानी भरकर घर आया, तो पत्नी ने पूछा कि मंगल कहा है। तब पीछे देखा तो मंगल मुस्कुराता हुआ घर आ रहा था, उसको देखकर ब्रह्मण आश्चर्य चकित रह गया। जब रात्रि में ब्रह्मण सोया हुआ था हनुमानजी उसके स्वप्न में आकर बोले की यह बालकर मैन दिया है। तुम अपनी पत्नी को कुल्टा और भुरा भला मत कहा।
पति यह जानकर बहुत ही प्रसन्न हुआ और वह अपनी पत्नी के साथ प्रत्येक मंगलवार का व्रत करने लगा। और अपने जीवन को आन्नदपूर्वक व्यतीत करने लगा। जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha) को पढ़ता है या सुनता है और पूरे नियमो से व्रत रखता है। उसके हनुमान जी की कृपा से सभी कष्ट दूर हो जाते है। उसे सर्व सुख प्राप्त होते है!
प्यारे दोस्तो आज की पोस्ट में आपको मंगलवार व्रत की कथा (Mangalwar Vrat Katha) के बारे में बताया है। अगर आप सभी को हमारी पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तो व मिलने वालो के पास शेयर करे। ताकि वो भी इसे पढ़कर या सुनकर अपना मंगलवार का व्रत पूरा कर सके। और यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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