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Mangla Gauri Vrat Katha | मंगला गौरी व्रत कथा व पूजा विधि और उद्यापन कैसे करे

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प्‍योर दोस्‍तो आज के इस लेख में हम आपको मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) के बारे में विस्‍तार से जानेगे। जैसा कि आप सभी जानते है श्रावन का महिना माता पार्वती और भगवान शिवजी का होता है ऐसे श्रावण मास में प्रत्‍येक सोमवार को भगवान शिवजी (Lord Shiva) का और प्रत्‍येक मंगलवार को माता पार्वती जी (Mata Parvati Ji) का व्रत रखा जाता है। सावन के माह में जितने भी मंगलवार आते है उनमें रखे गए व्रत गौरी Mangla Gauri Vart व्रत कहलाते है। यह व्रत मंगलवार को रखने के कारण मंगला गौरी व्रत कहलाते है। इन व्रत में भगवान शिवजी, पार्वती, गणेश तथा नन्‍दी कि पूजा की जाती है। यह पूजा जल दूध, दही, विल्‍पत्र, चन्‍दन, पंचामृत, चावल, धूपदीप, पान सुपारी आदी से कि जाती है।

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ऐसा माना जाता है जो भी भगवान शिव और माता पार्वती कि पूजा-पाठ करते है या इनके लिए श्रावन के सभी सोमवार व मंगलवार का व्रत Mangla Gauri Vrat Katha रखते है तो भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है। ऐसे में अगर आप भी माता पार्वती के भक्‍त है और माता को प्रसन्‍न करने के लिए श्रावन के प्रत्‍येक मंगलवार का व्रत रखते है तो आज की इस पोस्‍ट में हम आपको Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) और उद्यापन विधि के बारे में बताएगे जिसे पढ़कर और उद्यापन कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।

Sawan Month 2022 in Hindi

Mangla Gauri Vrat Katha  | मंगला गौरी व्रत कथा
Mangla Gauri Vrat Katha

इस बार सावन मास की शुरूआत 14 जुलाई 2022 गुरूवार के दिन से हुई है और प्रथम सावन का सोमवार 18 जुलाई 2022 के दिन रखा जाएगा। और प्रथम मंगला गौरी का व्रत 19 जुलाई 2022 मंगलवार के दिन रखा जाएगा। यदि आप सावन में पड़ने वाले सभी मंगला गौरी व्रत के बारें में विस्‍तार से जानना चाहते है तो निम्‍नलिखित है-

  • प्रथम मंगला गौरी व्रत:- 19 जुलाई 2022 मंगलवार
  • द्वित्‍तीय मंगला गौरी व्रत:- 26 जुलाई 2022 मंगलवार
  • तृतीय मंगला गौरी व्रत:- 02 अगस्‍त 2022 मंगलवार
  • चतुर्थ मंगला गौरी व्रत:- 09 अगस्‍त 2022 मंगलवार

मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री

  • चौकी
  • लाल रंग व सफेद रंग का कपडा
  • आटै का चौमुख दीपक
  • कलश
  • धूपबत्ती व कपूर
  • गेहॅू व चावल
  • स्‍वच्‍छ मिट्टी की पार्वती माता की मूर्ति
  • पंचामृत, नैवेद्य, अक्षत
  • सोलह प्रकार की फूल
  • माला, पुष्‍प, फल, आटे के लड्डू एवं केले व बिलपत्र के पत्ते
  • सात प्रकार का अनाज
  • 16 सुपारी
  • पान, लौंग
  • 16 श्रृंगार रौली व मौली घी का दीपक, जल आदि

यह भी जाने-

मंगला गौरी व्रत पूजा विध‍ि

मंगला गौरी व्रत Mangla Gauri Vrat वाले दिन स्‍त्री या पुरूष को प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर सूर्य भगवान को पानी चडाऐ। उसके बाद दो चौकी ले एक के ऊपर लाल रंग का कपड़ा और दूसरी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाए। सफेद कपड़े के ऊपर आपको सफेद चावल से नौ ग्रह बनाए और लाल कपड़े के ऊपर गेहॅू से षोडश माता बनाए, और एक ओर भगवान गणेश Lord Ganesha जी कि स्‍थापना करे। अब आपको चौक‍ि के एक ओर थोडे से गेहॅू रखकर उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश: रख देना है। अब आटा का चौमुखी दीपक बनाकर उसमें 16-16 तार की चार बत्तिया बनाकर उस दीपक के अन्‍दर रखकर उसे जला देना है।

अब आपको सबसे पहले गणेश जी पूजन करना है, पूजा के बाद जल, रोली, मौली, चन्‍दन, सिन्‍दूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा आदि कि दक्षिणा चढ़ाते है। इसके कलश का पूजन करके नौ ग्रह और षोडश माता का भी पूजन करे। अब जो चढावा आपने पूजा में चढाया है वो किसी बह्मण को देना होगा। इसके बाद मिट्टी कि मंगला गौरी (पार्वती) कि मूर्ति बनाकर, उसे जल, दूध, दही आदि से स्‍नान करवाकर वस्‍त्र पहनाकर रोली, चन्‍दन, सिन्‍दूर, मेंहदी, व काजल लगाऐ।

अब आपको माता पार्वती (मंगला गौरी) कि मूर्ति के ऊपर सोलह प्रकार के फूल, पत्ते, माला, चढाऐ। और पाचं प्रकार के सोलह-सोलह मेवा, सुपारी, लौंग, मेंहदी, शीशी, कंघी, व चूडियॉं चढाऐ। इसके बाद आपको मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha) सुनकर अपने से बड़ो का आर्शीवाद ले,। इस व्रत वाले दिन एक समय एक तरह का अन्‍न खाया जाता है। तथा अगले दिन मंगला गौरी (Mangla Gauri) का विसर्जन करने के बाद भोजन करते है।

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मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि

यदि महिलए मंगला गौरी का व्रत रखना प्रारंभ करती है तो उसे कम से कम सोलह या बीस मंगला गौरी के लिए व्रत रखने चाहिए। उसके बाद ही आप इस व्रता का उद्यापन कर सकती है। यदि आप मंगला गौरी व्रत उद्यापन (Mangla Gauri Vrat Udyapan Vidhi) करना चाहती है तो नीचे दिए हुए नियमो का पालन करते हुए उद्यापन कर सकती है-

  • इस व्रत का उद्यापन आप केवल मंगलवार के दिन ही कर सकती है।
  • उद्यापन के लिए सबसे पहले आपको प्रा:काल जल्‍दी उठकर गंगा जल से युक्‍त पानी से स्‍नान करके लाल रंग के वस्‍त्र धारण करना चाहिए।
  • इस दिन आपको व्रत रखना होगा और अपने पति अर्थात गठजोड़े के साथ माता पार्वती की पूजा करनी होगी
  • सबसे पहले आपको एक चौकी लेनी है उसके चारो ओर केले के पत्ते या पेंड के चार खंबे लगाने है। उसके बाद मिट्टी के कलश की स्‍थापना करनी है उसके ऊपर नारियल रखना है
  • अब चौकी पर आपको माता मंगला गौरी (Mata Parvati) की मूर्ति की स्‍थापना करनी है
  • अब आपको माता को पूरे 16 श्रृंगार (साड़ी, मेंहदी, चूड़ा, कुमकुम, काजल, बिन्‍दी, बिछीया, पायल, अगूठी, मांग, ओढ़नी, नथ आदि) चढाकर माता की पूजा करनी है।
  • पूजा के बाद आपको मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha in Hindi) सुननी है और माता की आरती ऊतारनी है
  • माता की आरती 16 दीपको से ऊतारनी होगी जिसके बाद आपको मान्‍यताओं के अनुसार 16 पंडितो, पुरोहिता और 16 सुहागिन महिलाओं को भोजन कराना है
  • यह सभी कार्य करने के बाद अपने पत्ति के साथ हवन करें जिसके बाद पीतल के बर्तन में चावल और दक्षिणा डालकर किसी ब्राह्मा को देना है।
  • उसके बाद अपनी सास की पैर छूकर चांदी के बर्तन में 16 लड्डू, आभूषण, वस्‍त्र, सुहाग की पिटारी देनी है
  • य‍ह सब करने के बाद आपका मंगला गौरी व्रत का उद्यापन हो जाएगा।

मंगला गौरी व्रत कथा | Mangla Gauri Vrat Katha

एक समय कि बात है कुरू नामक राज्‍य में धर्मपाल नामक राजा राज करता था। जैसे नाम वैसा ही राजा था, वह बहुत ही विद्धवान, और वह माता पार्वती Mangla Gauri और भगवान शिवजी का भक्‍त था। राजा के किसी भी चीज कि कमी नही थी बस उसके पुत्र कि कमी होने के कारण वह दिन-रात अति दुखी रहता था। एक दिन माता पार्वती और भगवान शिवजी उसक‍ि इस भक्ति-भाव को देखकर उस पर अति प्रसन्‍न हुऐ और उसे पुत्र प्राप्‍ति का वरदान दिया। किन्‍तु वह पुत्र 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

कुछ दिनो के बाद रानी के एक सुन्‍दर पुत्र को जन्‍म दिया, परन्‍तु राजा न तो खुश हुआ और न ही दुखी क्‍योकि वह जानता था, कि उसका पुत्र केवल 16 वर्ष तक जीवित रहेगा। और उस बालक का नामकरण संस्‍कार हुआ, बालक का नाम चिरायु रखा। धीरे-धीरे दिन बितते गये और चिरायु बड़ा होता गया, ऐसे में राजा-रानी को चिन्‍ता सताने लगी कि अब वह बडा हो गया।

एक दिन राजा के दरबार में एक पण्डित विद्वावन आया और राजा ने आपबीती उस पण्डित को बताया। यह बात सुरकर पण्डित ने राजा से कहा हे राजन तुम अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्‍या से करो, जो सर्वगुण सम्‍पन्‍न वर प्राप्‍ति का वरदान प्राप्‍त हो। और उस कन्‍या को सदा सौभाग्‍यती या सुहागन का वरदान प्राप्‍त हो। राजा ने अपने पुत्र चिरायु का विवाह दूसरे राज्‍य कि राजकुमारी के साथ करवाया, जिसे सदा सुहागन रहने का वरदान प्राप्‍त था। जिस राजकुमारी के साथ चिरायु का विवाह हुआ वह मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat Katha) करती थी।

चिरायु कि पत्‍नी के व्रत के फल स्‍वरूप जो चिरायु के ऊपर अकाल मृत्‍यु का साया था, वह समाप्‍त हो गया। और उसक‍ि आयु 100 वर्ष हो गयाी। अब राजा-रानी व उसके पुत्र व पुत्रवधु सब सुखी पूर्वक रहने लगे। इस तरह जो भी मंगला गौरी का व्रत (Mangla Gauri Vrat) रखता है उसक‍ि सभी मनोकामनाए पूरी होती है। और सुहागन स्‍त्रीयो के पत्यिो कि लम्‍बी आयु का वरदान मिलता है।

इस तरह जो भी नवविवाहित महिलाए इस व्रत (Mangla Gauri Vrat ) को करती है और गौरी के व्रत का पालन करती है उनके वैवाहिक जीवन लम्‍बा व सुखी रहता है। मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha) सुनने के बाद महिला अपनी सास या ननद को 16 लड्डू देती है तथा इसके बाद इसी प्रसाद को ब्रह्मण को देकर, 16 बाती वाले द‍ीपक से माता गौरी कि आरती करती है। और व्रत के दूसरे दिन या नही कि बुधवार के दिन देवी मंगला गौरी (पार्वती माता) कि मूर्ति को पास के पोखर या नदी में विसर्जित कर देती है। और हाथ जोड़कर अपने समस्‍त अपराधों कि क्षमा याचना करती है। और अपने परीवार काे सुखी बनाऐ रखने कि मनोकामनाए करती है।

 Mangla Gauri Vrat Katha

मंगला गौरी व्रत का उद्यापन विधि

  • श्रावन के सभी मगंलवार का व्रत करने के बाद लास्‍ट के मंगलवार वाले दिन इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
  • उद्यापन वाले दिन व्रत करने वाली स्‍त्री का खाना न‍ही खाना चाहिए, उद्यापन वाले दिन स्‍त्री अपने हाथो में मेंहदी लगाकर पूजा करनी चाहिए।
  • मंगला गौरी व्रत उद्यापन पूजा चार ब्रह्मणों से करवानी चाहिए।
  • सबसे पहले एक चौकी ले और उसके चारो ओर केले के पेड़ के चार थम्‍ब मण्‍डप बनाऐ और उस मण्‍डप पर एक ओढ़नी बॉधे।
  • अब एक कलश: ले और उसके ऊपर कटोरी रखकर उसके ऊपर मंगला गौरी (पार्वती) कि स्‍नापना करनी है।
  • अब आपको चौ‍की के ऊपर साड़ी, नथ, चूड़ा, मांग, सुहाग कि सभी वस्‍तुए रखे।
  • अब आपको हवन करवाकर मंगला गौरी कि कथा (Mangla Gauri Vrat Katha) सुननी चाहिए।
  • कथा सुनने के बाद एक चॉंदी के बर्तन में आटे के 16 लड्डू, रूपया व साड़ी रखकर अपनी सास या ननद को देकर उनके पैर छूने चाहिए।
  • अब आपको पूजा कराने वाले पणिड और परिवार के सभी सदस्‍यों का भाेजन कराये।
  • पणितो को धोती या अंगोछा देकर या कुछ ओर दान देकर विदा करे।
  • व्रत करने वाली स्‍त्री को अगले दिन सुबह स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर 16 ब्रह्मणों का जोड़े सहित भोजन कराऐ, और विदा में धोती, अंगोछा तथा ब्राह्मणियों को सुहाग-पिटारी (सुहाग कि सभी वस्‍तुऐ) देनी चाहिए।
  • ये सब करने के बाद स्‍वमं भोजन पाये।

दोस्‍तो आज कि इस पोस्‍ट के माध्‍यम से हमने आपको मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha) व उद्यापन विधि के बारे में सभी जानकारी प्रदान की है। अगर पोस्‍ट में बतायी गयी सभी जानकारी आपको पसंद आयी तो इसे सभी के साथ शेयर करे। व यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो आप कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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