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Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi | मासिक शिवरात्रि व्रत कथा व पूजा विधि जानिए शुभ मुहूर्त

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Masik Shivratri in Hindi | मासिक शिवरात्रि व्रत कथा व पूजा विधि जानिए शुभ मुहूर्त | Masik Shivratri Vrat Katha | मासिक शिवरात्र का व्रत कैसे किया जाता है | Shivratri | मासिक शिवरात्रि | Masik Shivratri Vrat katha in Hindi | मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करे । Masik Shivratri Vrat Kab hai | मासिक शिवरात्रि व्रत | Masik Shivratri Vrat |मासिक शिवरात्रि क्‍या है | Masik Shivratri Vrat Vidhi | मासिक शिवरात्रि की कथा

प्‍यारे दोस्‍तो हर बार की तरह इस बार मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत शुभ व फलदायक है पंचाग के अनुसार हर महिने कि कृष्‍ण पक्ष कि चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि व्रत (Masik Shivratri Vrat) किया जाता है। और आज हम आपको इस आर्टिकल में चैत्र महिने कि चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि व्रत के बारें में विस्‍तार से बताएगे। मान्‍यताओं के अनुसार इस व्रत वाले दिन भगवान शिवजी कि तो कृपा बनती है पर कहा जाता है कि भगवान विष्‍णु जी (Lord vishnu ji) कृपा बनी रहती है इसीलिए आप सभी कभी भी चूकना मत और हर महिने कि कृष्‍ण पक्ष कि चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत अवश्‍य रखिए जो भगवान शिवजी का अति प्‍यारा व्रत है और इस व्रत के प्रभाव से मनचाहा वरदान पाए व अपने जीवन काे सफल बनाएं।

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पुराणों व शास्‍त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि भगवान शिवजी को अत्‍यन्‍त प्रिय है। इसी लिए शिवभक्‍तों के लिए यह वर्ष वह महीना बहुत ही अच्‍छा होगा। इस बार तो नववर्ष की शुरूआत मासिक शिवरात्रि के व्रत से हुई है जिस कारण संसार के सभी शिव भक्‍तों पर भगवान शिवजी की कृपा सदैव बनी रहेगी। जो भी व्‍यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत करता है उस पर भगवान भोलेनाथ की कृपा-दृष्टि सदैव बनी रहती है। ऐेसे में आप भी मासिक शिवरात्रि का व्रत करते है तो आर्टिकल में दी गई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।

मासिक शिवरात्रि का महत्‍व (Masik Shivratri Mahavat)

Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi
Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi

मान्‍यताओं के अनुसार जो कोई व्‍यक्ति भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करता है तथा उनको प्रसन्‍न करने के लिए व्रत रखता है तो भोलेनाथ भगवान उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है। शिव पुराण के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले स्‍त्री व पुरूष को मनचाहा वरदान मिलता है। कहा जाता है मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान भोलेनाथ को अति प्रिय है

मासिक शिवरात्रि कब है 2023 (March Masik Shivratri Vrat Date)

वैसे तो मासिक शिवरात्रि का व्रत (Shivratir Vrat ) हर महीने कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है पर आज के आर्टिकल में आपको मार्च 2023 महीने यानी चैत्र महिने आने वाली मासिक शिवरात्रि व्रत के बारें में बता रहे है। चैत्र महिने में यह व्रत ओर भी ज्‍यादा फलदायक माना जाएगा। कहा जाता है जो कोई मानव मासिक शिवरात्रि का व्रत श्रद्धा-भाव के साथ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।

वैसे तो यह व्रत हर महिने कि चतुद्रशी तिथि जो भी कृष्‍ण पक्ष में किया जाता है पर कैलेंडर के अनुसार मार्च महिने में यानी चैत्र मास में मासिक शिवरात्रि का व्रत 20 मार्च 2023 सोमवार के दिन है जिसे आप सभी चैत्र मासिक शिवरात्र‍ि व्रत भी कह सकते है। इस महिने में मासिक शिवरात्रि का व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है जिस कारण इसका और भी ज्‍यादा महत्‍व बढ़ गया है।

मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Shivratri Shub Muhurat )

इस विशेष व्रत को रखने वाले व्‍यक्ति भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना रात्रि के समय करना चाहिए। क्‍योंकि शास्‍त्रों में इस व्रत को अति उत्तम बताया गया है। और इस बार तो यह व्रत बहुत ही पुण्‍य फलदायक माना जा रहा है वो इसलिए की यह चैत्र के महीने में पड़ रहा है जो सबसे उत्तम महीना होता है इसी लिए भक्‍तों पर भगवान शिवजी के साथ-साथ भगवान विष्‍णु जी की कृपा बनेगी। माघ महिने का पहला मासिक शिवरात्रि का व्रत होगा।

  • मासिक शिवरात्रि व्रत का प्रारंभ:- 20 मार्च 2023 को प्रात:काल 04:55 मिनट पर
  • मासिक शिवरात्रि व्रत का समापन:- 21 मार्च 2023 को प्रात: 01:47 मिनट पर लगभग
  • माघ मासिक शिवरात्रि व्रत कब है:- 20 मार्च 2023 सोमवार

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 20 मार्च 2023 को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर शुरू हो रही है इसका समापन 21 मार्च 2023 को प्रात: काल 01 बजकर 47 मिनट पर होगा. इस व्रत में रात में जाग कर शिव की पूजा की जाती है.शिव पूजा का समय – प्रात: 12.05 – प्रात: 12.52

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माघ मासिक शिवरात्रि व्रत 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त

ज्‍योतिषों के अनुसार 20 मार्च को निशा काल में पूजा का मुहूर्त रात्रि 12:05 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो कि लगातार रात्रि के 12:52 मिनट तक रहेगा, यदि आप निशा काल में मासिक शिवरात्रि व्रत कि पूजा आदि नहीं करते है। तो आप 20 मार्च को सुबह शिव मंदिर में जाकर भी पूजा-अर्चना कर सकते है।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Shivratri Puja Vidhi in Hindi)

मासिक शविरात्रि व्रत कैसे करें

  • पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri March 2023) वाले दिन भगवान शिवजी की पूजा अर्धरात्रि के समय की जाती है। क्‍योंकि ऐसा पुराणों व शास्‍त्रों में लिखा गया है।
  • इस दिन प्रा‍त: जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर भगवान सत्‍यनारायण को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़़ में पानी चढ़ाऐ।
  • रात्रि के समय भगवान भोले नाथ की मूर्ति अर्थात शिवलिंग को दूध, पानी व गंगाजल से स्‍नान आदि कराए। जिसके बाद भगवान का रौली-मौली, दूध, दही, घी, बिलपत्र, धतुरा, सृजन के पुष्‍प, फल, पुष्‍प आदि से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करे।
  • जिसके बाद भगवान के भजनों को गुणगान करे और आरती करे। इसके बाद भगवान शिवजी काे भोग लगाकर वितरण करे।
  • दूसरे दिन मासिक शिवरात्रि के व्रत का पारण करे।
  • पूजा करते समय भगवान शिवजी के महामंत्र ऊॅ नम: शिवाय का जाप करे

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi)

Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi | Shivratri Vrat Kath
Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi

Maik Shivratri Vrat Katha in Hindi:- प्राचीन समय की बात है एक चित्रभानु नामक शिकारी था। वह शिकार करके उसे बेचता और अपने परिवार का पेंट भरता। वह उसी नगर के एक साहूकार का कर्जदार था और आर्थिक तंगी के कारण समय पर उसका ऋण नहीं चुका पा रहा था। जिससे साहूकार को गुस्‍सा आ गया और शिकारी चित्रभानु को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोगवश उसी दिन मासिक शिवरात्रि थी।

जिस कारण शिवमंदिर में भजन व कीर्तन हो रहे थे और वह बंदी शिकारी चित्रभानु पूरी रात भगवान शिवजी के भजनों व कथा का आनंद लिया। सुबह होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के लिए कहा। शिकारी चित्रभानु ने कहा हे सेठजी मैं कल तक आपका ऋण चुका दूगा। उसका यह वचन सुनकर सेठजी ने उसे छोड़ दिया।

जिसके बाद शिकारी शिकार के लिए जंगल में चला गया किन्‍तु पूरी रात बंदी गृह में भुखा व प्‍यासा होने के कारण वह थक गया औ व्‍याकुल हो गया। और इसी प्रकार वह शिकारी की खोज में बहुत दूर आ चुका था और सूर्यास्‍त होने लगा तो उसने साेचा आज तो रात जंगल में ही बितानी पड़गी। ऊपर से कोई शिकार भी नहीं कर पाया जिससे बेचकर सेठजी का ऋण चुका देता।

यह सोचकर वह एक तालाब के पास पहुच गया और भर पेट पानी पीया। जिसके बाद वह बेल के पेंड में चढ़ गया जो की उसी तालाब के किनारे था। उसी बिलपत्र के पंड के नीचं शिवलिंग की स्‍थापना हो रही थी किन्‍तु वह पूरी तरह बिल की पत्तियों से ढ़का होने के कारण उस शिकारी को दिखाई नहीं दिया। शिकारी चित्रभानु पेंड़ में बैठने के लिए बिल की टहनीया व पत्ते तोड़कर नीचे गिराया।

संयोगवश वो सभी टहनिया व पत्ते भगवान शिवलिंग की पर गिरते रहे। और शिकारी चित्रभानु रात्रि से लेकर पूरे दिन-भर का भूखा प्‍यासा था। और इसी प्रकार उसका मासिक शिवरात्रि का व्रत हो गया। कुछ समय बाद उस तालाब पर पानी पीने के लिए एक गर्भवती हिरणी आई। और पानी पीने लगी । हिरणी को देखकर शिकारी चित्रभानु ने अपने धनुष पर तीर चढ़ा लिया और छोड़ने लगा तो गर्भवती हिरणी बोले।

तुम धनुष तीर मत चलाओं क्‍योंकि इस समय मैं गर्भवती हूॅ और तुम एक साथ दो जीवों की हत्‍या नहीं कर सकते। परन्‍तु मैं जल्‍दी ही प्रसव करूगी जिसके बाद मैं तुम्‍हारे पास आ जाऊगी तब तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने अपने धनुष को ड़ीला कर लिया। इतने में वह हिरणी झाडि़यों में लुफ्त हो गई।

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ऐसे में जब शिकारी ने अपने धनुष की प्रत्‍यंचा चढ़ाई और ढीली करी तो उसी दौरान कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐेसे में शिकारी के हाथो से प्रथम पहर की पूजा भी हो गई। कुछ समय बाद दूसरी हिरणी झाडि़यों में से निकली उसे देखकर शिकारी के खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। चित्रभानु ने उस हिरणी का शिकार करने के लिए अपन धनुष उठाया और तीर छोड़ने लगा तो हिरणी बोली हे शिकारी आप मुझे मत मारो।

मैं अभी ऋतु से निकली हूॅ और अपने पति से बिछड़ गई। उसी को ढूढ़ती हुई मैं यहा तक आ पहुची। मैं अपने पति से भेट कर लू उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। यह कहकर वह हिरणी वहा चली गई शिकारी चित्रभानु अपना दो बार शिकारी खो कर बड़ा दु:खी हुआ। और चिंता में पड़ गया की प्रात सेठजी का ऋण कहा से चुकाऊगा।

जब शिकारी ने दूसरी हिरणी का शिकार करने के लिए धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाई तो कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐसे में पूजा का दूसरा प्रहर भी सम्‍पन्‍न हो गया। ऐसे में अर्ध रात्रि बीत गई और कुछ समय बाद एक हिरणी अपने बच्‍चों के साथ तालाब पर पानी पीने के लिए आई। चित्रभानु ने जरा सी देरी नहीं की और धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाई और तीरे को छोडने लगा। इतने में वह हिरणी बोली-

हे शिकारी आप मुझे अभी मत मारों यदि मैं मर गई तो मेरे बच्‍चे अनाथ हाे जाएगे। मैं इन बच्‍चों को इनके पिता के पास छोड़ आऊ जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर शिकारी चित्रभानु जोर से हंसने लगा और कहा सामने आए शिकार काे कैसे छोड़ सकता हॅू। मैं इतना भी मूर्ख नहीं हॅू। क्‍योंकि दो बार मैने अपना शिकारी खो दिया है अब तीसरी बार नहीं।

हिरणी बोले जिस प्रकार तुम्‍हे अपने बच्‍चों की चिंता सता रही है उसी प्रकार मुझे अपने बच्‍चों की चिंता हो रही है मैं इन्‍हे इनके पिता के पास छोडकर वापस आ जाऊगी जिसके बाद तुम मेरा शिकारी कर लेना। मेरा विश्‍वास किजिए शिकारीराज। हिरणी की बात सुनकर शिकारी का दया आ गई और उसे जाने दिया। ऐसे में शिकारी के हाथों से तीसरे प्रहर की पूजा भी हो गई।

कुछ समय बाद एक मृग वहा पर आया उसे देखकर चित्रभानु ने अपना तीर धनुष उठाया और उसके शिकार के लिए छोड़ने लगा। तो वह मृग बड़ी नम्रता पूर्वक बोला हे शिकारी यदि तुमने मेरे तीनों पत्‍नीयों और छोटे बच्‍चों को मार दिया। तो मुझे भी मार दो क्‍योंकि उनके बिना मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। यदि तुमने उनको नहीं मारा है तो जाने दो। क्‍योंकि मैं उन तीनों हिरणीयों का पति हॅू और वो मेरी ही तलाश कर रहीं है। यदि मैं उन्‍हे नहीं मिला तो वो सभी मर जाएगे।

मैं उन सभी से मिलने के बाद तुम्‍हारे पास आ जाऊगा जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर सकते हो। उस मृग की बात सुनकर शिकारी को पूरी रात का घटनाच्रक समझ आ गया और उसने पूरी बात उस मृग को बता दी। मेरी तीनो पत्निया जिस प्रकार प्रण करके गई है उसी प्रकार वो वापस आ जाएगी। क्‍योंकि वो तीनो अपने वचन की पक्‍की है। और यदि मेरी मृत्‍यु हो गई तो वो तीनों अपने धर्म का पालन नहीं करेगी।

मैं अपने पूरे परिवार के साथ शीघ्र ही तुम्‍हारे सामने आ जाऊगा। कृपा करके अभी मुझे जाने दो। शिकारी चित्रभानु ने उस मृग को भी जाने दिया। और इस प्रकार अनजाने में उस शिकारी से भगवान शिवजी की पूजा सम्‍पन्‍न हो गई। जिसके बाद शिकारी का हृदय बदल गया और उसके मन में भक्ति की भावना उत्‍पन्‍न हो गई।

कुछ समय बाद मृग अपने पूरे परिवार अर्थात तीनो हिरणी व बच्‍चों के साथ उस शिकारी के पास आ गया। और कहा की हम अपनी प्रतिज्ञा अनुसार यहा आ गऐ अब आप हमारा शिकार कर सकते है। शिकारी चित्रभानु जंगल के पशुओं की सच्‍ची भावना को देखकर उसका हृदय पूरी तरह पिघल गया। और उसी दिन से उसने शिकारी करना छोड़ दिया।

दूसरे दिन प्रात: होते ही सेठजी का ऋण किसी ओर से उधार लेकर चुकाया और स्‍वयं मेहनत करने लगा। इसी प्रकार उसने अपने जीवन का अनमोल बनाया। जब शिकारी चित्रभानु की मृत्‍यु हुई तो उसे यमदूत लेने आऐ किन्‍तु शिव दूतो ने उन्‍हे भगा दिया और उसे शिवलोक ले गए। इसी प्रकार उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको मासिक शिवरात्रि व्रत Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi के बारें में बताया है। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

प्रश्‍न:- मासिक शिवरात्रि कब है

उत्तर:-20 मार्च 2023 सोमवार

प्रश्‍न:- मासिक शिवरात्रि हिन्‍दी पंचाग के अनुसार कब आती है।

उत्तर:- प्रतिवर्ष हर मास में एक बार जरूर मासिक शिवरात्रि का व्रत आता है और यह व्रत कृष्‍ण पक्ष कि चतुद्रशी तिथि के दिन किया जाता है।

प्रश्‍न:- मासिक शिवरात्रि क्‍या है

उत्तर:- मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। कहा जाता है इसी दिन रात्रि के समय भगवान विष्‍णु जी ने शिवजी का अवतरण किया था। जिस कारण यह मासिक शिवरात्रि कहलाई इस दिन भगवान शिवजी की पूजा अर्ध रात्रि के समय की जाती है।

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