मातृ नवमी कब है:- पितृपक्ष मातृ नवमी Matri Navami प्रतिवर्ष आश्विन महीने की कृष्णपक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन जिस तरह से पुत्र अपने पिता, पितामाह व पूर्वजों आदि के लिए पितृपक्ष तर्पण करते है उसी तरह औरते व पुत्रवधुऍं भी अपनी दिवंता सास, माता, आदि के लिए निमित्त पितृपक्ष की प्रतिप्रदा से लेकर नवमी तक तर्पण का कार्य करती है। ऐसे में आप पितृपक्ष मातृनवमी के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो पोस्ट के अन्त तक बने रहे। Matri Navami in Hindi
पितृपक्ष मातृनवमी का महत्व (Matri Navami ka Mahatv)
आपको बता दे की हमारे हिन्दु धर्म के अनुसार इस दिन परिवार के सभी सदस्य अपनी माताओ, दादी, व ऐसी औरतो का श्राद्ध करते है जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में हुई है। उन सभी औरतो का पिंडदान या श्राद्ध किया जाता है। जिस कारण इसे नवमी का पितृपक्ष मातृ नवमी कहा जाता है।
इस दिन दिवंगत औरतो की आत्माओं की शांति के लिए परिवार की पुत्रवधुओ द्वारा व्रत किया जाता है। इस व्रत के प्रकोप से परिवार की सभी महिलाऐ सौभाग्यवती बनी रहने का आशीर्वाद मिलता है। इसी कारण इस नवमी को कई जगहो पर पितृपक्ष सौभाग्यवती के नाम से जाना जाता है।
इसके अलावा इस दिन उन स्त्री व पुरोषो का भी श्राद्ध किया जाता है जो वर्ष में आने वाली किसी भी नवमी के दिन मृत्यु या परलोक सिधारे है। क्योकि जो कोई जिस तिथि पर मरता है उसका श्राद्ध उसी तिथि के अनुसार किया जाता है। जिस कारण इस श्राद्ध को नौमी श्राद्ध/अविधवा श्राद्ध भी कहा जाता है। यह श्राद्ध कुपुप, रौहिण आदि मुहूर्त में किया जाता है।

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मातृ नवमी कब है/Matri Navami Kab Hai
आश्विन महिने की नवमी के दिन दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है इस साल यह श्राद्ध तिथि 07 अक्टूबर 2023 को है। यह दिन माता का श्राद्ध करने हेतु बहुत ही अच्छा है मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर जो परिवार अपने पूर्वज महिलाओं को श्राद्ध करता है अति शुभ माना गया है
मातृ नवमी का शुभ मुहूर्त (Matri Navami in Hindi)
वैसे तो पितृपक्ष आश्विन महिने की प्रतिपदा से 29 सितंबर 2023 से आरंभ हो गए है और लगातार 14 अक्टूबर 2023 तक पूरा किया जाता है। मातृ नवमी पर श्राद्ध का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है-
- कुतुप मुहूर्त:- प्रात: 11:45 से दोपहर 12:32
- रोहिण मुहूर्त:- दोपहर 12:32 से दोपहर 01:19
- अपराह्ल काल: दोपहर 01:19 से दोपहर 03:40
मातृ नवमी का पूजा विधान (Matri Navami ka Puja Vidhan)

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- पितृपक्ष मातृ नवमी वाले दिन परिवार के सभी सदस्यो को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करे।
- इसके बाद परिवार के सबसे बड़े सदस्य को सूर्य भगवान को पानी चढ़ाकर अपने पितृरो के नाम का पानी चढ़ाऐ।
- जिसके बाद घर में दक्षिण दिशा की ओर एक चौकी रखकर उसके ऊपर सफेद कपड़े का आसन बिछा देना है।
- अब इस चौकी पर मृत परिजनो की तस्वीर रखे, यदि आपके पास तस्वीर नही है तो आप उनके नाम की एक सुपारी या नारियल का गोला रख सकते है।
- अब आपको तस्वीर को माला पहनावे और फल व फूल आदि चढावे और एक तरसफ काले तिल का दीपक व धूप बत्ती जला देना है।
- तस्वीर पर गंगा जल या तुलसी दल अर्पित करे, जिसके बाद गरूड़, गजेन्द्र मोक्ष या भागवत गीता का पाठन करे।
- जिसके बाद श्राद्ध के लिए जो भी पकवान आपने बनाऐ है उनका बाहर दक्षिण दिशा में पितरो के नाम का रख देना है।
- याद रहे ये सब करने से पहले आपको गाय, कौआ व चीटी व चिडि़या तथा ब्राह्मण आदि के लिए भोजन निकाल लेना है।
- अब सभी परिवार के सदस्य पितरो का नाम स्मण करते हुए और उनसे हुई भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए प्रणाम करे।
- इसके बाद स्वयं की यथा शक्ति ब्राह्मणों का दान आदि करे।
- ध्यान रहे इस पितृपक्ष मातृ नवमी वाले दिन माता तुलसी की पूजा करे।
डिस्कलेमर:- दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको पितृपक्ष मातृ नवमी Matri Navami in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की है। यह जानकारी आपको पौराणिक मान्यताओं, धार्मिक मान्यताओं, न्यूज के माध्मय से बताई है। आपको बताना जरूरी है Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ, विद्धान, पंडित के पास जाना पड़ेगा। यदि आर्टिकल में दि गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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