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Nag Panchami 2022: नाग पंचमी का त्‍यौंहार क्‍यों मनाया जाता है जानिएं शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

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Nag Panchami 2022:- शायद बहुत कम लोग ही नाग पंचमी पर्व के बारें में जानते होगे यदि आप भी इस व्रत व पर्व के बारे में नहीं जानते है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है। क्‍योकि आज के इस आर्टिकल में आपको नाग पंचमी त्‍यौहार (Nag Panchami Festival 2022) के बारें में बताने जा रहे है तो आप सभी लेख में जो शब्‍द लिखे हुए है उनके अंत तक बने रहिए। तो चलिए शुरू करते है-

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वैसे तो दोस्‍तो हमारे देश को त्‍यौहारो का देश कहा जाता है क्‍योंकि यह पर अनेक प्रकार की अगल-अगल धर्म में व्रत व त्‍यौहारा मनाया जाता है। जैसे हिन्‍दु धर्म में दिवाली, होली, रक्षाबंधन, तीज, दशहरा, गणगौर नाग पंचमी और भी बहुत से त्‍यौहार है। वैसे ही मुस्लिम समुदाय, सिख समुदाय, जैन समुदाय, पारसी आदि धर्मो में भी अनेक प्रकार की व्रत व त्‍यौहार मनाऐ जाते है। किन्‍तु आज हम बात कर रहे है नाग पंचमी व्रत के बारें में जो की प्रतिवर्ष सावन माह (Sawan Month 2022) में मनाया जाता है। इस बार 02 अगस्‍त 2022 मंगलवार के दिन नाग पंचमी का व्रत व त्‍यौहार मनाया जाएगा।

नाग पंचमी का महत्‍व (Nag Panchami Vrat) नाग पंचमी क्‍यों मनाई जाती है

Nag Panchami 2022 । नाग पंचमी 2022
Nag Panchami 2022

हमारे सनातन धर्म में जैसे हर त्‍यौहार का बहुत महत्‍व होता है उसी प्रकार ही नाग पंचमी त्‍यौहार (Nag Panchami Festival in Hindi) का भी बहुत अधिक महत्‍व होता है। शिव पुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिवजी (Lord Shiva) अपने कंठ में नाग को आभूषण की तरह पहने या विराजमान करते है। जिस कारण इस व्रत का और भी ज्‍यादा महत्‍व होता है कहा जाता है की जो कोई व्‍यक्ति नाग पंचमी वाले दिन नाग देवताओ की पूजा अर्चना करता है तो उसके जीवन में सुख समृद्धि सदैव बनी रहती है। और उसके जीवन में कभी भी सर्प दोष नहीं बनता है और जिसके ऊपर काल सर्प दोष है उसका प्रभाव भी कम हो जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस पंचमी वाले दिन नाग को दूध पिलाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए।

नाग पंचमी त्‍यौहार कब है (Nag Panchami 2022 Date and Time)

वैसे तो यह त्‍यौहार प्रतिवर्ष सावन महीने की शुक्‍ल पक्ष की पंचमी वाले दिन मनाया जाता है। जो की इस बार 02 अगस्‍त 2022 मंगलवार (Tuesday, 2 August 2022)के दिन है। इस दिन महिलाएं नाग देवता की पूजा करती है और उनके लिए व्रत भी रखती है।

  • नाग पंचमी की शुरूआत:- 02 अगस्‍त 2022 प्रात:काल 05:13 मिनट पर
  • पंचमी तिथि समाप्‍त:- 03 अगस्‍त 2022 प्रात: 05:41 मिनट पर
  • नाग पंचमी (Nag Panchami Vrat):- 02 अगस्‍त 2022 मंगलवार
  • नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त:- 02 अगस्‍त को सुबह 05:43 मिनट से लेकर सुबह के 08:25 मिनट तक

नाग पंचमी व्रत विधि (Nag Panchami Puja Vidhi)

  • इस व्रत वाले दिन महिलाओं को प्रा:काल जल्‍दी स्‍नान मुक्‍त होकर साफ या नए वस्‍त्र धारण करे।
  • उसके बाद भगवान सूर्य नारायण को जल चढ़ाकर अर्घ्‍य देकर व्रत का संकल्‍प करें
  • जिसके बाद आपको दिवार पर 8 नाग बनाने है जो – अनन्‍त, वासुकि, पझृ, महापद्झ, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक सभी अष्‍टनागों का चित्र बनाकर पूजा की जाती है।
  • पूजा में हल्‍दी, रोली व मोली, चावल, पुष्‍प आदि चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें
  • उसके बाद नाग देवता को दूध में घी और चीनी मिलाकर अर्पित करें
  • जिसके बाद नाग पंचमी का व्रत रखने वाली सभी महिलाओं को व्रत की कथा सुननी चाहिए।
  • जिसके बाद ही सांप के देवता की आरती करें और प्रसाद चढ़ाकर पूजा समाप्‍त करें

नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat katha in Hindi)

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नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

Nag Panchami 2022:- किसी समय की बात है एक नगर में एक सेठ जी रहते थे जिसके सात पुत्र थे। सातों पुत्रों की शादीया हो चुकी थी जिनमें से 6 बहुओं के पीहर (घर वाले) थे किन्‍तु एक बहू जो सबसे छोटी थी। उसके पीहर नहीं था, शादी के कुछ दिनों के बाद छोटी बहू गर्भवती हुई तो उसे घेवर खाने की इच्‍छा हुई तो उसने अपने जेठानीयो के पास से घेवर चुराकर पानी भरने चली गई। और कुएं पर जाकर एक पेड़ के नीचे घेवर रखकर पानी भरने लग गई। उसने सोचा की पहले पानी भर लेती हू उसके बाद आराम से बैठकर घेवर खाऊगीं। तो उसने पानी भरकर एक ओर रख दिया और घेवर खाने के लिए पेड़ के नीचे चली गई।

जब उसने वहा पर देखा तो उसका घेवर नहीं थो तो वह चकित रह गई और सोचने लगी की आखिर मेरा घेवर कहा गया। तब उसे पेड़ के पास ही एक बांबी (बिल) दिखाई दिया जिसमे एक नागिन रहती थी। नागिन भी गर्भवती होने के कारण उसका घेवर खाने का मन किया तो उस घेवर को वह नागिन खा गई थी। नागिन ने सोचा यदि साहूकार की बहू मुझे गाली देगी तो मै उसे डस लूगी और यदि वह कुछ भी नहीं कहेगी तो इसे मैं पीहर दिखा दूंगी। उसके बाद साहूकार की बहू ने सोचा और कहा की कोई मेरी तरह की गर्भवती होगी तो उसने खा लिया होगा।

साहूकार की बहू की यह बात सुनकर वह नागिन बहुत खुश हुई और अपने बड़े बेटो से कहा की तुम दोनो मनुष्‍य का रूप धारण करके जाओ और उस औरत को मेरे पास लेकर आओ। जिसके बाद नागिन के बेटो ने इंसान का रूप धार किया और साहूकार के घर चल दिए और वहा जाकर साहूकार की पत्‍नी से कहने लगे की हमारी बहन कहा है। हम उसे लेने आए है तब साहूकारी की पत्‍नी अर्थात उस महिला की सास ने कहा की पहले तो तुम दोनो को कभी नहीं देखा और नहीं कभी अपनी बहन के लिए यहा पर आए। तब उन दोनो इंसानी रूप नागो ने कहा की जब हमारी बहन का जन्‍म हुआ था तो उस समय हम दोनो हमारी नानी के थे।

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और शादि के समय हम दोनो भाई परदेश कमाने के लिए चले गए। जिसके बाद सास ने दोनो को अंदर बुलाया तो देखा की दोनो नागो ने सास व जेठानियों के लिए बहुत सारे कपड़े व आभूषण एवं मिठाइयां लेकर आए। य‍ह सब देखकर सास को प्रसन्‍नता हुई किन्‍तु यह सब देखकर जेठानिया जलने लग गई और थोडे समय के बाद बहू आयी तो यह देखकर सोचनी लगी की मेरा तो कोई भी भाई नहीं है। फिर भी वह अपने दोनो भाईयो के साथ चल दी दोनो उसे उसी बांबी (बिल) के पास लेकर चले गई और कहा की बहन हम दोनो नाग है। और एक दिन हमारी माता ने तुम्‍हारा घेवर खाया था तो तभी से उसने तुम्‍हे अपनी बेटी के रूप में मान लिया।

तुम हम दोनो की पूछ को पकड़ लो पर आप डरना मत, उसके बाद वह बहू दोनो की पूछ पकड़कर बांबी के अंदर चली गई। और नागिन से मिली सभी ने उसे बहुत प्‍यार दिया और अच्‍छे तरीके से रखने लगे। कुछ दिनो के बाद उस महिला को नागिन के घर में ही बेटे को जन्‍म दिया और जब वह लड़का बड़ा हुआ तो वह वापस अपने ससुराल चली आई। एक दिन साहूकार की पड़ोसन ने कहा की यदि तुम अपनी माता की लाड़ली हो तो उनसे कहना की आज नाग देवताओ को दूध मैं पिलाऊगी। जिसके बाद उसकी माता मान गई और वह बहू सर्पो के लिए दूघ ठंडा करने लग गई।

किन्‍तु थोड़ी देर बाद आकर उसका बेटा घंटी बजा दिया और सभी सर्प दूध पीने के लिए आ गए, जब सभी दूध पीने लगे तो उनका मुहं जल गया यह देखकर सभी नागो को क्रोध आ गया। और कहने लगे की हम सभी बहन को काटेंगे तो नागिन ने समझाया की इसे मत काटो यह तो तुम सब को आशीष देगी। तब साहूकारी की बहू ने कहा की –

जियो म्‍हारा नाग नागिन, जियो म्‍हारा खड्या ऑडया बीर। बीर उठावे देखणीरो चीर, चीर तो फट जाव पण, बीर जीता रेवे।।

य‍ह सुनकर नागो ने अपनी बहन को माफ कर दिया ऐसे ही कुछ दिन बीत जाने के बाद दुबारा वह पड़ोसन आई और ताना मारकर कही ही तुम अपनी मॉ पर विश्‍वास करती हो तो सातवे कोटे की चांबी लेकर दिखाओ। यह सुनकर वह अपनी मां के पास गई और सातवे ताले की चांबी के लिए जिद करने लगी तो उसकी मां ने उसे चांबी दे दी। जब उसने वह ताला खालो तो देखा की अंदर बाबा नाग देवता झूल रहे थे जो सबसे बड़ नाग थे, यह देखकर बहू ने कहा की सतसिया राम बाबा। तब नाग ने कहा की यदि तुम मुझे सत सियाराम नहीं करती तो आज तुम्‍हारी मौत अवश्‍य थी।

जियो म्हारा नाग नागिनी ,जियो म्हारा खड़्या ऑड्या बीर । बीर उठावे देखणीरो चीर, चीर तो फट जाव पण, बीर जीता रेवे।

Nag Panchami 2022:- थोड़े दिन बीत जाने के बाद पड़ोसन ने फिर से ताना मारा कि यदि तेरी मां तुझ पर विश्वास करती तो तुझे सातवे कोटे की चाबी देती। उसने मां से जिद करके चाबी ले ली और जब ताला खोला तो अंदर झूले में बाबा नाग झूल रहे थे। उसने बाबा नाग से कहा – सतसिया राम बाबा। उन्होंने कहा कि तूने सत सियाराम कर लिया वरना मैं तुझे डस लेता।यह सुनकर बहू ने कहा की आप तो मेरी पिता है आपसे से मुझे कैसा डर और कहने लगी-

जिओ नाग नागिनी, जिओ वासुकी नाग। जीण मेरो लाड लडाया नौ करोड को हार।।

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य‍ह सुनकर नाग देवता ने उसे नौ करोड़ का हार दे दिया यह देख नागिन ने अपने बेटो से कहा की यह तो अब बड़ घरो में हाथ डालने लगी है। इसके अपने घर पहुचा दो, जिसके बाद उसे महिला को नागो ने बहुत से कपड़े, गहने, मिठाया आदि देकर ससुराल छोड आएं। कुछ दिनो के बाद उस छोटी बहू का लड़का झाडू को तोड़ रहा तो उसकी ताई (बहू की जेठानी) ने उसे रोका और कहा की झाडू तोड़ने का इतना ही शोक है तो अपने नाना, मामा के यहा से लाया कर। यह बात नागो ने सुन ली और जाकर अपनी मां से कहा की माता जल्‍दी से दो झाडू सोने की बनवाओ।

और दो चॉदी की बनवाओ, यह सुनते ही नागिन ने सोने व चांदी की झाडू बनवा दी जिसे लेकर दोनो नाग अपने भांजे को दे दिया। य‍ह देखकर उसकी ताईयां ओर भी ज्‍यादा जलने लगी, और एक दूसरे से कहने लगी की जब भी हम इसे ताने मारते है तो इसका धन बढ़ता है। इसी प्रकार जेठानिया कई बार अनेक प्रकार के ताने देती तो तो उनकी जगह पर सोने, चांदी की आभूषण बन जाते। यह सब देखकर पति ने पूछा की तुम इतना धन कहा से लेकर आती हो तो उसने सारी सच्‍चाई बता दी।

तब उसके पति ने कहा की कभी तुम्‍हारे भाई व माता मुझे क्‍यों नहीं बुलाते, यह बात दोनो नागो ने सुन ली और अपनी मां से जा की, तब मां ने कहा की तुम जाओ और तीनो घरवालो को बुलाकर लाओ। जिसके बाद दोनो नाग गऐ और साहूकार के छोटे बेटे बहू और उनके पुत्र को बुलाकर अपने ना‍ग लोक ले आए। और उनकी खूब सेवा की और कुछ दिनो तीनो वही पर बिताकर बहुत से कपड़े, धन, धान, मिठाया, आभूषण आदि के साथ नागिन के परिवार ने विदा कर दिया। इस प्रकार उस महिला का पीहर उस नागिन नही मरते दम तक निभाया और हम भी यह आशा करते है की नाग पंचमी वाले दिन व्रत अवश्‍य करे और नाग देवता को दूध जरूर पिलाऐ। ताकी हमारे सभी मनोरथ पूर्ण हो सके

दोस्‍तो आज के इस आर्टिकल में आपको नाग पंचमी व्रत (Nag Panchami 2022) के बारें में बताया है। जो केवल पौराणिक, काल्‍पनिक कथाओं के साथ-साथ धार्मिक मान्‍यताओं के आधार पर बताया है। यदि हमारे द्वारा लिखा हुआ लेख आपको पसंद आया तो लाईक करे और अपने संबंधियो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट करके जरूर पूछ। धन्‍यवाद

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