Nag Panchami Vrat:- पुराणों के अनुसार नाग देवता को भगवन शिवजी का हार बताया है और विष्णु पुराण के अनुसर नाग देवता विष्णु जी का रक्षक बतया है। जिस कारण सनातन धर्म में नाग पंचमी का अधिक महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति नाग देवता को दूध पिलाता है उसकी सभी इच्छाए पूरी होती है। आइए जानते है इस साल की नाग पंचमी त्यौहार के बारें ………….

नाग पंचमी का महत्व/Nag Panchami ka Mahavta
हम सभी धार्मिक कथाओं के माध्यम से देखते है नाग भगवान शिवजी के गले में सदैव रहता है और भगवान विष्णु जी की सैया भी नाग देवता की होती है। इसीलिए नाग पंचमी का पर्व सनातन धर्म में बहुत खास/महत्व होता है।
सावन का महिना ही त्यौहारों का महिना होता है इस महिने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही नाग पंचमी (Nag Panchami) कहा गया है। इस साल 21 अगस्त 2023 सोमवार के दिन मनाई जाएगी। सावन पंचमी (Sawan Panchami) पर्व वाले दिन नाग देवता (Nag Devata) की पूजा-अर्चना करते है
भगवान शिवजी का कंठ वाहक और भगवान विष्णु जी की सैया होने से नाग पंचमी का त्यौहार और भी ज्यादा खास होता है। मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी वाले दिन नाग देवता की पूजा व्यक्ति के जीवन में सुख-सतृद्धि, स्वयं के खेतों में फसलों की रक्षा करने के लिए की जाती है।
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नाग पंचमी कब है/Nag Panchami Kab ki Hai
हिन्दू पंचाग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व (Nag Panchami Festival) हर साल सावन मास की शुक्लपक्ष की पंचती तिथि को मनाया जाता है। बात करें अग्रेजी कैलेंडर के तहत तो इस साल यह पंचती 21 अगस्त 2023 सोमवार के दिन पड़ रही है। जो इस साल बहुत खास है सोमवार भगवान भोलेनाथ का प्रमुख वार होने से और भी ज्यादा महत्व बढ़ गया है। अत: सभी भक्तों पर भोलेनाथ के साथ नाग देवता भी प्रसन्न होगे।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त/Sawan Nag Panchami Shubh Muhurat
- सावन नाग पंचमी आरंभ:- 21 अगस्त 2023 रात्रि 12:20 मिनट पर
- सावन नाग पंचती समाप्त:- 22 अगस्त 2023 रात्रि 2:00 बजे लगभग
- नाग पंचमी कब है:- 21 अगस्त 2023 सोमवार को
- सावन पंचमी पूजा का समय:- प्रात:05:53 से 08:30 मिनट तक
नाग पचंमी व्रत की विधि/Sawan Nag Panchami Puja Vidhi
- सनातन धर्म में नाग पचंमी पर्व का बहुत महत्व होने से आपको प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
- भगवान सूर्य नारायण को जल का अर्घ्य देकर सावन पंचमी व्रत का संकल्प करें।
- अब पूजा की थाली सजाए जिसमें, फल, फूल, रोली-मौली, चावन, मिश्री, दूध, चंदन, दीपक इत्यादि रखकर मंदिर जाए।
- अब आपको विधि पूर्वक नाग देवता की पूजा करें, ध्यान रहे नाग देवता को कच्चे दूध में घी और चीनी डालकर पिलाए।
- पूजा करने के बाद आपको सावन नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha) सुने, उसके बाद ही नाग देवता की आरती उतारे।
- अवश्य ही नाग देवता आपकी विनती सुना और आपकी इच्छा पूरी होगी।
नाग पचंती पर क्या करना चाहिए/Nag Panchami Par Kya Karna Chahiye
हम पौराणिक ग्रंथो में पढ़ते है या देखते है की सनातन धर्म में प्राचीन काल से पंरपरा चली आ रही है नाग देवता की पूजा करने की, माना गया है नाग देवता को दूध पिलाने से वह आपकी इच्छा अवश्य पूरी करता है। मान्यताओं के अनुसार सावन नाग पंचती पर (Sawan Nag Panchami Festival) अनंत, वासुकि, पझ्भ, महापझ्भ, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया, शंखपाल, पिंगल, अष्ववर, धृतराष्ट्र, कंबल आदि की पूजा करनी चाहिए।
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नाग पचंमी पर क्या उपाय करें/Nag Panchami par Kya Upay Kare
कोई भी जातक कासर्प दोष से मुक्त होना चाहता है तो उसे नाग पचंती वाले दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा किसी पवित्र नदी में प्रवाहित अवश्य करें। या फिर किसी अनाथ/गरीब को दान अवश्य करें जिससे आपके ऊपर से कालसर्प दोष स्वतं ही समाप्त हो जाएगा। कहा जाता है नाग पंचती पर जो शक्स नाग देवता की पूजा करता है उसे सर्प के कटानें का भय नहीं रहता है।
नाग पंचमी व्रत कथा/Nag Panchami Vrat Katha in Hindi
Sawan Nag Panchami Vrat Katha in Hindi:- पुराने समय में एक नगर में साहूकार/सेठ था उसके चार पुत्र, और चारो पुत्रों का विवाह भी हो चुका था। चार पुत्रों में से तीन पुत्रों की पत्नीयों का मायका बहुत धनवान था। पर जो सबसे छोटी बहू थी उसके मायके में कोई नहीं था उसका विवाह ही रिश्तेदारों ने करवाया था। अन्य तीन बहु जब भी अपने मायके में जाती तो विभिन्न प्रकार के उपहार लेकर आती थी।
तीनों मिलकर छोटी बहू को सदैव ताना मारती पर वह कभी भी बुरा नहीं मानती और हमेशा की तरह अपना कार्य करती थी। एक दिन सेठानी ने अपनी सभी बहुओं से पेड़ लगाने के लिए बोला, जब बड़ी बहु ने पेड़ लगाने के लिए गड्डा खोदने के लिए खुरपी उठाई, तो देखा एक सर्प आ गया। यह देख उसने उस सर्प को मारने के लिए सोचा पर सबसे छोटी बहु ने उसे रोक दिया और कहा की दीदी यह तो बेजुबान जानवर है। भला आपको क्या नुकसान देगा, उसके बाद सभी बहुओं ने पेड़ लगाया और घर आ गई।
रात्रि के समय वह सर्प छोटी बहु के सपनों में आया और कहा की तुमने मेरी जान बचाई है मैं बहुत प्रसन्न हू मांगो क्या मांगती हो, तब छोटी बहु ने कहा मुझे धन-दौलत कुछ नहीं चाहिए। बस मेरा कोई भी भाई नहीं है क्या आप मेरी भाई बन सकते है सर्प ने उसे अपनी बहन स्वीकार किया। कुछ समय बीत गया तो सभी बहु अपने मायके गई और वापस आकर सदैव की तरह छोटी बहु को ताना मारने लगी।
तब छोटी बहु को अपने सपने के बारें में यादा आया तो उसने मन ही मन सर्प को याद किया। दूसरे दिन वह सर्प मानव रूप धारण करके छोटी बहू के घर आया और उसके ससुराल वालो से कहा की मैं इसका दूर का भाई हूं, अपने साथ मायके ले जाने के लिए आया हूं आप मेरी बहन को मेरे साथ भेजिएगा। ससुराल वालो ने उसे जाने दिया रास्ते में छोटी बहू ने कहा की मै तो आपको जानती हीं नहीं, फिर आप कौन है।
सर्प ने उस समय उसको अपना परिचय दिया और सारी बात बताई, अपने साथ नाग लोक लेकर आ गया। वह बहु वहा पर कुछ दिन रूकी जब विदा की घंडी आई तो सर्प ने उसे बहुत सारा धन-दौलन विभिन्न प्रकार के जेवरा आदि देकर विदा किया। इतना धन देखकर तीनों बहु छोटी बहु से जलने लगी और उसके खिलाप उसके पति को भड़काना शुरू कर दिया। कहा ही तुम्हारी पत्नी तो चरित्रहीन है यह सुनकर उसके पति ने उसको अपने घर से निकाल दिया।
छोटी बहू ने रोते हुए अपने भाई को याद किया उसी समय वह बहन के ससुराल आया और सभी से कहने लगा यदि मेरी बहन पर किसी ने भी झूठा आरोप लगाया तो मैं उसे डस लूगा। उसके बाद पूरी घटना सबसे पता लगी इस प्रकार एक सर्प पन भाई का फर्ज उसकी बहन के लिए निभाया। कहा जाता है आज भी महिलाए सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर नाग देवता की पूजा करती है।
Nag Panchaim ki Katha Hindi Mein/नाग पंचमी की कहानी सुनाइए
पुराने समय में लीलाधर नाम का व्यक्ति एक गांव में निवास करता, उसके तीन पुत्र व एक पुत्री थी। लीलाधन एक किसान होने के कारण वह खेती करके ही अपना गुजारा करता था। वह रोजाना सुबह खेतों में कार्य करने के लिए जल्दी चले जाता, एक दिन लीलाधर जब खेत में हल जोत रहा तो उसके हल के नीचे एक सर्प के बच्चा आकर मर जाता है। जब नागिन को इस बात का पता लगा तो वह आग बबूला हो गई और बदला लेने के लिए लीलाधर के घर पर आ गई।
रात्रि के समय किसान का पूरा परिवार सो रहा था तो उसी दौरान वह नागिन आई और किसान के तीनो पुत्रों व उसकी पत्नी सहीत खुद को डस लिया। पर किसान की एक पुत्री थी जो बच गई और उसका पूरा परिवार मारा गया। जब इस बात का नागिन को पता लगा तो दूसरी दिन दुबारा किसान के घर उसकी पुत्री काे डसने के इरादे से आयी। किसान की पुत्री को इस बात का पता लग चुका था की उसके परिवार की मृत्यु उस नागिन के डसने से हुई है जिसमें बच्चे की मृत्यु मेरे पिताजी के हल के नीचे आकर हुई थी।
इसीलिए वह पहले से ही नागिन के लिए एक दूध का कटोरा भरकर रख देती है, जब नागिन ने उस दूध के कटोरे को देखा तो उसने पूरा दूध पी लिया। उसी दौरान किसान की पुत्री ने नागिन से हाथ जोड़कर मांफी मांगी, उसकी इस दया भाव को देखकर नाग माता उससे बहुत प्रसन्न हो गई। जिसके बाद नागमाता ने उस लड़की के परिवार को पुन: जीवन दान दिया, और कहा जो भी महिला व पुरूष सावन महिने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग देवता की पूजा करेगी। उसकी व उसके परिवार के सुरक्षा नागों से सदैव बनी रहेगी।
नाग पंचमी व्रत का लाभ/Nag Panchami Benefits
हमारे सनातम धर्म में कुल 18 पुराण है जिनमें से एक है भविष्य पुराण, उसके अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु सर्प के काटने पर होती है तो उसकी आत्मा को मोक्ष नहीं मिलता है। कहा जाता है की नाग पंचमी वाले दिन नाग देवता की पूजा करने से और उसका व्रत रखने से मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है।
ब्रह्मपुराण के अनुसार तो ब्रह्मा जी ने भ्ज्ञी नाग देवताओं को वरदान दिया हुआ है की हर साल नाग पंचमी वाले दिन जाे भी स्त्री व पुरूष अनंत, वासुकी, तक्षक आदि के कारंटनसे कालसर्प दोष्ज्ञ से मुक्ता मिल जाती है।
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नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है बताइए/Nag Panchami Kyo Manyai jati Hai
नाग पंचमी मानने के पीछे कई कारण है/Nag Panchami Manana ke Karan
- शेषनाग के फन पर टिकी है पृथ्वी:- हिंदू धर्मग्रंथो, पुराणों के अनुसार नाग देवता को पूजा जाने का कारण यह बताया है की जो पृथ्वी है वह शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। और भगवान विष्णु जी क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते है।
- शेषनाग और वासुदेव जी का संबंध:- जब मथुरा से भगवान कृष्ण जी को वासुदेव जी यमुना पार गोकुल नदंबाबा के यहा ले जा रहे थे तो शेषनाग ने आकर वर्षा से उनकी छत्र छाया करी थी।
- समुद्रमंथन के समय वासुकी नाग का महत्व:- पुराणों के अनुसार यह बताया गया है की राक्षसो व देवताओं के माध्यम से समुद्र मंथन हुआ था। जिसमें वासुकी नाग ने भी देवताओं की मदद करी थी।
- पांडु पुत्र अर्जुन के पौत्र ने क्यो लिया नाग से बदला:- महाभारत ग्रंथ के अनुसार यह बताया गया है की जब अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित का पुत्र राजा जन्मजेय ने नागों से बदला लेने के लिए नागों के पूरे कुल का विनाश करने के लिए महायज्ञ करवाया था। कारण उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई, इन नागों की रक्षा हेतु महर्षि जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस महा यज्ञ को रोक दिया था। जिस दिन आस्तिक ऋर्षि ने यज्ञ बंद करवाया उस दिन श्रावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी।
इन सभी कारणों के अलावा कई अन्य कारणों के प्रभाव से भारतीय संस्कृति में हर साल श्रावन महिने की शुक्ल पक्ष की तिथि पंचमी को नाग पंचमी का त्यौहार (Nag Panchami Festival) मनाया जाता है।
Disclaimer:- आजा आपको आर्टिकल में सावन नाग पंचमी त्यौहार के बारें में बताया है जो पौराणिक मान्यताओं, काल्पनिक कथाओं के आधार पर लिखा है। आपको यह बताना अति जरूरी हो गया की Onlineseekhe.com किसी भी तरह की पुष्टि नहीं देता है। अत: अधिक जानकारी हेतु किसी विशेषज्ञ, विद्धान से सलाह ले, इस प्रकार आने वाले सभी त्यौहारों के बारें में पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए।
प्रशन व उत्तर–
नाग पचंमी किस दिन है
नाग पंचमी सावन महिने की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि वाले दिन है।
नाग पंचमी कितने तारीख की है।
नाग पचंमी का त्यौहार 21 अगस्त 2023 के दिन है।
नाग पचंमी किस दिन पड़ेगी।
नाग पंचमी का त्यौहार सोमवार के दिन पड़ रही है।
नाग पंचमी पर्व
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