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Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi~निर्जला एकादशी व्रत कथा एवं पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

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दोस्‍तो आज के लेख में बात करेगे निर्जला एकादशी ( Nirjala Ekadashi Vrat Katha ) के बारें में। आप सभी जानतें होगे की हमारे धर्म में बहुत से देवी-देवताओ को मानते है और उनकी पूजा-पाठ व व्रत करते है। किन्‍तु आज हम बात करेगे भगवान विष्‍णु जी के बारे में जो इस पूरे जगत के पिता है। हिन्‍दु धर्म के सभी वेदों पुराणों में लिखा है की जो भी मनुष्‍य भगवान विष्‍णु की भक्ति सेवा करता है उसे भगवान के चरण कमलो में स्‍थान प्राप्‍त होता है। अगर आप विष्‍णु भगवान के भक्‍त है और उनकी पूजा पाठ व सेवा और उनको प्रसन्‍न करने के लिए निर्जला एकादशी का व्रत रखते है। तो आज की पोस्‍ट में हम आपको निर्जला एकादशी व्रत के बारें में विस्‍तार से बताएगें।

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निर्जला एकादशी व्रत कब आता है और इसका महत्‍व

वैसे तो हमारे धर्म में पूरे साल में कुल 24 एकादशीया आती है जो अपने-आप में खास महत्‍व रखती है। किन्‍तु जो ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी अर्थात निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi Vrat) है वह सभी एकादशीयों में से सर्वोत्तम व्रत है। जिस कारण यह व्रत जो कोई करता है उसे सभी एकादशीयों का पुण्‍य फल मिल जाता है। पुराणों के अनुसार जो व्‍यक्ति इस एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा भाव से करता है उसे स्‍वर्ग लोक की प्राप्‍ति होती है। और जीवत रहते हुए भी सभी प्रकार के सुख भोगता है

Nirjala Gyaras Vrat Katha in HIndi

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi । निर्जला एकादशी व्रत की कथा
Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi
व्रत का नाम निर्जला एकादशी व्रत (निर्जला ग्‍यारस)
कब आती है ज्‍येष्‍ठ मास की शुक्‍ल पक्ष ग्‍यारस
इस वर्ष कब है 10/11 जून 2022
किसे समर्पित है भगवान विष्‍णु जी

निर्जला एकादशी का व्रत क्‍यों किया जाता है

महाभारत काल में जब पाड़वों को वनवास हुआ था उस समय उनकी कुटिया में वेदों के रचियाता वेदव्‍यास जी पधारे। पाडु पुत्रों ने वेदव्‍यास जी का आदर-सत्‍कार किया और उनके पास बैंठ गऐ। वेदव्‍यास जी ने देखा की सभी पाडव अच्‍छे से बैठकर वेदव्‍यास जी की बाते सुन रहे थे। किन्‍तु भीम कुछ ओर सोच रहा था तो ऋषि ने उससे पूछा हे भीम तुम इतने उदा क्‍या है। तब महाबली भीम ने कहा हे गुरूदेव आप तो मुझे जानते है की मुझ से भुखा नहीं रहा जाता है जिस कारण मैं किसी भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाता। कृपा करके आप मुझे कोई ऐसा उपाया बताए अर्थात ऐसे व्रत के बारें में बताओं जिससे मुझे सभी व्रतों का फल मिल जाऐ।

तब ऋषि वेदव्‍यास जी ने कहा की हे कुन्‍तीं पुत्र तुम ज्‍येष्‍ठ मास की शुक्‍लपक्ष की जो एकादशी आती है उसका व्रत करोगों तो तुम्‍हे सभी एकादशीयों के व्रत का फल मिल जाएगा। क्‍योंकि यह व्रत सभी एकादशीयों में से सर्वोत्तम है। जिसके बाद महाबली भीम ने निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) को पूर्ण विधि विधान से किया।

निर्जला एकादशी कब है

वैसे तो हर साल निर्जला एकादशी का व्रत ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की जो एकादशी होती है उसे किया जाता है। जो इस बार 11 जून 2022 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। ज्‍योतिषों के अनुसार इस बार यह व्रत दो दिनों का होगा क्‍योंकि इस व्रत की शुरूआत 10 जून को प्रात: 07:25 पर हो जाएगा। और 11 जून को शाम 05:45 मिनट पर समाप्‍त होगा। उदयातिथि के अनुसार 11 जून को ही यहा निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी का व्रत दोस्‍तो इस बार गंगा दशहरा त्‍यौहार के दूसरे दिन किया जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत व पूजा विधि

  • इस दिन व्रत रखने वाले सभी युवा व युवतियों को प्रात:काल जल्‍दी उठकर गंगा जल से स्‍नान आदि करके साफ वस्‍त्र धारण कर लेते हे।
  • पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने वालो को पीले रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए।
  • जिसके बाद भगवान सत्‍यनारायण को जल चढ़ाकर अर्घ्‍य देते हुए इस व्रत का संकल्‍प करना चाहिए। जिसके बाद आपको पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी अवश्‍य चढ़ना चाहिए।
  • फिर एक चौकी बिछाकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा देना चाहिए। इस चौकी के दोनो और केले के पत्ते रखें जल से भरा हुआ घड़ा उसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे।
  • जिसके बाद भगवान विष्‍णु जी (Lord Vishnu Ji) की प्रतिमा को चौकी के ऊपर विराजमना कराऐं।
  • और नारियल, सुपारी, फल, फूल, धूप, दीप, कपूर, पंचामृत, तुलसी, नैवेद्य, घी, जल, माला, पान, लौंग, चंदन अक्षत आदि से भगवान की पूजार करें।
  • पूजा करने के बाद आपको निर्जला एकादशी व्रत की कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha) सुनकर भगवान विष्‍णु जी की आरती ऊतारे।
  • उसके बाद आप भगवान को प्रसाद चढ़ाऐं। इस प्रकार आप निर्जला एकादशी व्रत की पूजा कर सकते है।
  • ताकी इसके प्रभाव से आपकी सभी मनोकामनाए पूर्ण हो सके।

इस व्रत पर पानी पीना वर्जित है

हमारे धर्म में कुल 24 एकादशीया है जिनमें से सर्वश्रेष्‍ट निर्जला एकादशी व्रत है जो की ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍लपक्ष की ग्‍यारस को किया जाता है। यह व्रत सभी व्रतों में से बड़ा व फल दायक होता है यदि कोई युवा व युवती इस व्रत का पालन विधि-विधान से करती है तो उसे सभी एकादशीयों का पुण्‍य फल मिल जाता है। इस व्रत को सभी व्रताें में से कठिन माना गया है क्‍योंकि इस व्रत पर आप नहीं तो पानी पी सकते है और ना ही कुछ खा सकते है। निर्जला एकादशी अर्थात बिना पानी के रहन वाला व्रत है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

महाभात काल की बात है जब पांचों पांडवों व उनकी माता वनवास में जीवन व्‍यतीत कर रहे थे । तब एक दिन महर्षि व्‍यास जी उनकी कुटीया में पधारें। पांंडवों ने उनका भव्‍य स्‍वागत किया। और आसन बिछाकर भोजन कराया। फिर भीम ने व्‍यास जी से कहा हे भगवन ये सभी एकादशी का व्रत करते है। किन्‍तु मुझसे यह व्रत नही होता क्‍योकिं मैं बिना खाए नही रह सकता। इसलिए आप चौबीस एकादशीयों में निराहार रहने का कष्‍ट साधना से बचाकर मुझे कोई ऐसा व्रत बताइये जिसे करनें में कोई असुविधा न हो और उन सब का फल भी मिल जाऐ।

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महर्षि व्‍यास जी ने कहा कुन्‍ती पुत्र भीम तुम ज्‍येष्‍ठ माह की शुक्‍लपक्ष की एकादशी का व्रत रखा करो। इस व्रत में प्रात:काल जल्‍दी स्‍नान करके आचमन में पानी पीने से दोष नहीं होता। इस व्रत से जो अन्‍य तेईस एकादशीया है उन सब का फल भी मिल जाएगा। परन्‍तु तुम जीवन के पर्यन्‍त तक इस व्रत का पालन करना।

महर्षि व्‍यास जी जानते थे कि भीम के उदर में बृक नामक अग्नि है इसलिए वह बहुत ज्‍यादा भोजन करने पर भी उसकी भुख शांत नहीं होती। इसी लिए उन्‍होने भीम को Nirjala Ekadashi Vrat करने को कहा। भीम बडे साहस के साथ यह व्रत करने लगा जिसके परिणाम स्‍वरूप प्रात होते-होते ही वह संज्ञाहीन हो गया। तब पांडवों ने उसे तुलसी चरणामृत प्रसाद देकर उनकी मूर्छा दूर करी। इसीलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहते है।

दोस्‍तो आज की पोस्‍ट में हमने आपको निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi) के बारें में सभी जानकारी प्रदान की है। अगर आप सभी को पोस्‍ट में बतायी गई सभी जानकारी पंसद आयी है तो इसे अपने सभी दोस्‍तो के पास शेयर करे। और कोई प्रश्‍न आपके मन में आता है तो कमंट करे पूछे। धन्‍यवाद

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