Padmini Ekadashi Vrat Katha in Hindi। पदमिनी एकादशी कब है जानिए व्रत कथा

Padmini Ekadashi Vrat:- सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्‍व होता है आज बात करते है सावन एकादशी व्रत के बारें में, जो कामिका एकादशी के बाद आती है। मान्‍यताओं के अनुसार अधिकमास में आने वाली ग्‍यारस का महत्‍व कीर्ति, धन, मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते है पदमिनी एकादशी (Padmini Ekadashi Vrat Katha in Hindi) के बारें में…

Padmini Ekadashi Vrat Katha in Hindi

पदमिनी एकादशी का व्रत जब साल में अधिकमास में आता है तब एक श्रावन ओर बढ़ जाता है इस साल वह घड़ी आ गई जब सावन दो है। इस साल पदमिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई 2023 को पड़ रही है।

पदमिनी एकादशी का महत्‍व

सनातन धर्म में वैसे तो 24 एकादशी आती है पर साल में अधिकमास पड़ने से दो एकादशी ओर बढ़ जाती है। जिसे मिलाकर कुल 26 एकादशी का व्रत हिन्‍दु धर्म में हर महिने किया जाता है। सभी एकादशी का व्रत करने के पीछे कोई महत्‍व छिपा हुआ रहता है कहा जाता है पदमिनी एकादशी का व्रत रखने वाला मनुष्‍य को उसके पापो से मुक्ति मिलकर वह श्री हरि के चरणों में वास करता है।

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पदमिनी एकादशी व्रत कब है/Padmini Ekadashi Vrat Kab Hai

पदमिनी एकादशी वैसे तो सावन के महिने में अधिकमास पड़ने पर आती है कैलेंडर के अनुसार इस साल पदमिनी ग्‍यारस का व्रत 29 जुलाई 2023 शनिवार के दिन पड़ रही है। पदमिनी एकादशी को कमला एकादशी (Sawan Ekadashi) भी कहा जाता है

  • पदमिनी एकादशी व्रत की शुरूआत:- 28 जुलाई 2023 दोपहर 02:51 मिनट पर
  • पदमिनी एकादशी व्रत की समाप्‍त:- 29 जुलाई 2023 दोपहर 01:05
  • एकादशी पारण का समय:- 30 जुलाई को सुबह 05:41 से लेकर 08:32 तक

पदमिनी एकादशी व्रत पूजा विधि/Padmini Ekadashi Vrat Puja Vidhi

  • एकादशी व्रत वाले दिन व्‍यक्ति को प्रात: काल स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करने चाहिए।
  • उसके बाद आपको भगवान सूर्य देव का जल का अर्घ्‍य देकर एकादशी व्रत का सकल्‍प करना चाहिए।
  • इसके बाद आपको पीपल व तुलसी वृक्ष में पानी चढ़ाना चाहिए।
  • उसके बाद भगवान विष्‍णु जी की पूजा – पुष्‍प, फल, माला, चावल, नैवेद्य, चन्‍दन आदि से पूजा करनी चाहिए।
  • उसके बाद आपको पदमिनी एकादशी व्रत की कथा सुननी है
  • भगवान विष्‍णु जी की आरती करें
  • द्वादशी वाले दिन आपको एकादशी व्रत का पारण करना है।
परमा एकादशी व्रत कथा जानिए 

पदमिनी एकादशी व्रत कथा/Padmini Ekadashi Vrat katha in Hindi

त्रेतायुग में हैहय नाम के राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा, जो महिष्‍मती पुरी में अपना राज्‍य करता था। राजा के एक हजार पत्‍नी होने के बाद भी उनको कोई पुत्र रत्‍न की प्राप्‍ति नहीं हुई, जिससे वो अपना उत्तराधिकारी बना सके। राजा के पितरों, कुल देवताओं को पूजने वाला कोई उत्तराधिकारी नहीं होने के कारण राजा अधिकतर दु:खी रहता था। राजा ने सन्‍तान प्राप्ति हेतु कई उपाय किया पर फिर भी कोई संतान नहीं हुई।

आखिर में हारकर राजा ने तपस्‍या करने का निश्‍चय किया और अपनी प्रिय पत्‍नी रानी पदमिनी के साथ चल दिया। रानी पदमिनी इक्ष्‍वाकु वंश में उत्‍पन्‍न राजा हरिश्‍चंद्र की बेटी प‍दमिनी कन्‍या थी। राजा ने अपना पूरा राज्‍य अपनी मंत्री को सौंपकर राजसी वेश भूषा में अपनाकर गंधमादन पर्वत पर तपस्‍या करने के लिए चला गया। राजा और रानी ने मिलकर उस पर्वत पर कई हजार साल तक तपस्‍या करी है।

राजा को फिर पर कोई पुत्र की प्राप्ति नहीं हो पाई, तब राजा की पत्‍नी पतिव्रता कमलनयनी पदमिनी से देवी अनुसूया ने कहा की तुम 12 मास से अधिक महत्‍वपूर्ण मलमास है। जिसमें 32 मास पश्‍चात आत है जिसमें द्वादशीयुक्‍त पदमिनी शुक्‍ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने में तुम्‍हारी सभी मनोकामना पूरी होगी। इस व्रत के रखने से भगवान प्रसन्‍न होकर तुम्‍हारी हर इच्‍छा पूरी होगी।

रानी पदमिनी ने पुत्र रत्‍न प्राप्ति हेतु अधिकमास वाली एकादशी का व्रत पूरे श्रद्धा व नियम के अनुसार किया है। इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्‍णु जी प्रसन्‍न हो गए और उन्‍हे संतान होने का वरदान दिया। वरदान देतु इऐ कहा की पदमिनी तुम्‍हे एक बहुत बलवान पुत्र की प्राप्ति होगी उसके बाद रानी को एक पुत्र प्राप्‍त हुआ, जिसका नाम कार्तवीर्य, जो एक बहुत ही बलवान था।

आज आपको मलमास में आने वाली एकादशी व्रत के बारें में बताया है जो केवल पौराणिक मान्‍यताओं, काल्‍पनिक काथाओं के आधार पर लिखा है। किसी भी जानकारी पर अमल करने से पहले किसी संबंधित विशेषज्ञ, पंडित, विद्धान आदि से सलाह करें।

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