Papankusha Ekadashi 2021 | Papankusha Gyarash Vrat Katha | पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | Gyarash Katha in Hindi | पापांकुशा ग्यारस कथा | Ekadashi Vrat Katha | पापांकुशा एकादशी व्रत 2021 | Ekadashi Katha
दोस्तो आप सभी जानते है हमारे हिन्दु धर्म में कुल 24 एकादशीया है जो अपने आप में बहुत ही खास महत्व रखती है। इनमे से एक है पापांकुश एकादशीPapankusha Ekadashi। जो प्रतिवर्ष आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की एकादशी को पापाकुंशा एकादशी कहते है। जो इस बार 16 अक्टूबर 2021 शरिवार के दिन पड़ रही है। इस एकादशी को पापरूपी हाथी को महावत रूपी अंकुश से बेधने के कारण इसे पापांकुश एकादशी कहते है।
इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है।जो कोई स्त्री या पुरूष श्रद्धा भाव से पापांकुशा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित करता है उसके सभी पापा दूर हो जाते है। इसी कारण इस ग्यारस को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। ऐसे में आप भी अपने सभी पापो का विनाश करने के लिए इस एकादशी का व्रत रखते है तो लेख में दी गई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर या किसी से सुनकर अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। पोस्ट के अन्त तक बने रहे।
पापांकुश एकादशी का महत्व (Papankusha Ekadashi Vrat Mahutva)

ऐसा कहा गया है की एक बार भगवान श्री कृष्ण जी ने युधिष्ठिर को इस एकादशी का महत्व बताया था। उन्होने बताया की इस दिन भगवान पद्यनाथ की पूजा की जाती है। जिससे भगवान विष्णु जी सदैव कृपा बनी रहती है। इस एकादशी वाले दिन सोना, तिल, गाय, अन्न, जल, छाता, कपड़े आदि दान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है और अन्त में वह भगवन के चरण कमलो में स्थान प्राप्त करता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की हिन्दु पंचाग के अनुसार यह एकादशी प्रतिवर्ष आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की एकादशी (यानी दशहरा/विजयादशमी के दूसरे दिन) आती है। तथा दूसरी और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार पापांकुश एकादशी इस वर्ष 27 अक्टूबर 2021 यानी मंगलवार के दिन रहेगी।
पापाकुंशा एकादशी का शुभ मुहूर्त (Papankusha Gyarash Shubh Muhrat 2021)
हिन्दु पंचाग के अनुसार पापांकुश ग्यारस इस बार 16 अक्टूबर 2021 शनिवार के दिन है। इस एकादशी की शुरूआत 15 अक्टूबर 2021 शुक्रवार के दिन (दशहरा के दिन) शाम 06 बजकर 05 मिनट पर हो गई जाऐगी। और 16 अक्टूबर 2021 को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जाऐगी।
इस एकादशी को राहुकाल 16 अक्टूबर को प्रात/ 09 बजकर 19 मिनट पर शुरू होकर सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाऐगा। तथा दूसरे दिन यानी 17 अक्टूबर 2021 रविवार के दिन प्रात 06 बजकर 28 मिनट से लेकर 08 बजकर 45 मिनट के बीच में आप इस व्रत का पारण कर सकते है।
क्योकि शास्त्रो के अनुसार किसी भी एकादशी का व्रत का पारण हरि वासर के समय नही करना चाहिए। हरि वासर समाप्त होने के बाद ही आप एकादशी व्रत का पारण कर सकती है। क्योकि हरि वासर द्वादशी तिथि (ग्यारस के दूसरे दिन) की पहली एक चौथाई अवधि होती है।
पापाकुंशा एकादशी व्रत पूजा विधि (Aaj ki Gyarash Puja Vidhi)
- इस व्रत को रखने वाले स्त्री व पुरूष को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करे।
- जिसके बाद सूर्य भगवान (सत्यनारायण) को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ। और पूरे दिन ब्रह्मचार्य का पालन करे।
- इसके बाद भगवान विष्णु जी के मंदिर जाकर उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करे। उसके बाद पापांकुश एकादशी व्रत (Papankusha ekadashi Vrat Katha in Hindi) की कथा सुने।
- कथा सुनने के बाद आरती करे और भगवान विष्णु जी को प्रसाद चढ़ाकर प्रसाद को बाट देना है।
- विष्णु भगवान की पूजा करते समय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: महामंत्र का जाप करे। जिससे आपके सभी कार्य सिद्ध हो जाऐ।
पापांकुशा ग्यारस व्रत कथा (Papankusha Gyarash Vrat Katha)
प्राचीन काल में विन्ध्याचल पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया (शिकारी) रहता था। उसने अपने पूरे जीवन में हिंसा, लूटपाट, मिथ्या जीवों की हत्या करके बहुत पापी बना हुआ था। वह ज्यादातर अपना समय शराब पीने व वेश्यागमन में ही बिताता था। वह अपने पूरे जीवन में इतेन पापो की गठरी बांध ली।
एक दिन यमराज ने उसके अन्तिम समय से एक दिन पूर्व अपने दूतों को उसे लोन हेतु भेजा। दूतों ने क्रोधन को बताया कि कल तुम्हारा आखिरी दिन है। इसके बाद तुम नरक में रहोगे हमेशा के लिए। दूतो की यह बात सुनकर वह शिकारी ऋषि अंगिरा के आश्रम में पहुच गया। और अंगिरा ऋषि से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए कहा।
क्रोधन की इस दया पूर्वक प्रार्थना पर ऋषि को दया आ गई और उसे आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत बताया। और कहा की यदि तुम यह व्रत पूरे श्रद्ध भाव से करोगे और भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करोगे तो तुम्हारा उद्धार हो जाऐगा।
क्रोधिन ने अंगिरा ऋषि द्वरा बताऐ अनुसार एकादशी का व्रत पूरे विधि विधानो सहित एवं श्रद्धा भाव से किया। और उसकी इस श्रद्धा भाव व्रत को देखकर भगवान विष्णु जी उस पर प्रसन्न हो गऐ। अगले दिन भगवान विष्णु जी वाहन गरूड़ आया और उसे बिठाकर विष्णु लोक ले गऐ। और इधर यमराज के दूत अपने हाथ मलते ही रह गऐ। ऐसे में उस क्रोधिन जैसे महापापी का उद्धार हुआ।
दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पापंकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha in Hindi) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि ऊपर लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कंमट करके जरूर पूछे। धन्यवाद…. दोस्तो
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