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Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi~ पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा व पूजा विधि एंव शुभ मुहूर्त जानिए

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Papmochani Ekadashi In Hindi~ पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा व पूजा विधि एंव शुभ मुहूर्त जानिए | पापमोचनी एकादशी 2023। Papmochani Ekadashi in Hindi | पापमोचनी एकादशी व्रत कथा | Papmochani Ekadashi Vrat katha in Hindi | पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा सुनाइए | Papmochani Ekadashi Vart kab Hai | एकादशी व्रत की विधि | Papmochani Ekadashi Vrat Vidhi | एकादशी व्रत कथा | Papmochani Ekadashi Vrat Katha | ग्‍यारस व्रत कथा | Ekadashi Vrat katha in Hindi | Papmochani Gyarash Vrat katha in Hindi ग्‍यारस व्रत कब है

Papmochani Ekadashi Vrat 2023 Date and Time:- प्‍यारे भाई व बहनों एकादशी व्रत का महत्‍व सनातन धर्म में बहुत ज्‍यादा महत्‍व रखता है और इसे सभी व्रतों में से सर्वश्रेष्‍ठ व्रत माना गया है। यह व्रत हर महिने में दो बार किया जाता है पहला कृष्‍ण पक्ष क‍ि एकादशी यानी ग्‍यारस को और दूसरा शुक्‍ल पक्ष क‍ि एकादशी को किया जाता है। पर आज में इस छोटे से लेख में आपको पापमोचनी एकादशी व्रत Papmochani Ekadashi Vrat के बारें में विस्‍तार से बताऊगी। यह महत्‍वपूर्ण व्रत चैत्र मास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है जिसे आम भाषा में पापमोचनी ग्‍यारस का व्रत (Papmochani Gyaras Vrat in Hindi) भी कहा जाता है। और यदि आप इस व्रत के बारें में अधिक जानकारी जानना चाहते है तो हमारी आप सभी से विनती है की लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

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पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्‍व क्‍या है

Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi
पापमोचनी एकादशी
Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi

वेद, पुराणों में रचना के अनुसार इस पूरी सृष्ट्रि में जो मानव पाप, बुरे कर्म आदि करता है उन सभी को यह एकादशी पापों से मुक्ति दिलाती है जिस कारण इसे पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) कहा जाता है। और हर मानव को यह अहसार कराती है की उसे कभी अपनी जिम्‍मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए। यदि किसी मुनष्‍य में अजाने में उससे किसी प्रकार का घोर पाप हो जाता है तो उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। यदि वह व्‍यक्ति‍ नियमित रूप से इस एकादशी का व्रत पूर्ण विधि व विधान से करेगा तो उसको अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसी लिए इस एकादशी को सर्वश्रेष्‍ठ ग्‍यारस माना गया है क्‍योंकि व्‍यक्ति को अपने पापों से छुटकारा दिलाने के कारण इस पाप-मोचनी एकादशी कहा जाता है।

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एकादशी का व्रत कब है (Papmochani Ekadashi Vrat Kab Hai)

वैसे तो यह पापमुक्ति व्रत हर साल चैत्रमास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी (ग्‍यारस) को किया जाता है और इस वर्ष 2023 में 18 मार्च 2023 शनिवार के दिन पड़ रहा है। ज्‍योतिषों व पंडितो के अनुसार पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi) की शुरूआत तो 17 मार्च 2023 को दोपहर 02:06 मिनट पर हो जाएगी। और समाप्‍त 18 मार्च 2023 को सुबह 11:03 मिनट पर लगभग हो जाएगी।

पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

  • चैत्र मास कृष्‍ण एकादशी व्रत कि शुरूआत:- 17 मार्च 2023 दोपहर 02:06 पर लगभग
  • पापमोचनी एकादशी व्रत का समापन:- 18 मार्च 2023 को सुबह 11:03 पर लगभग
  • पापमोचनी एकादशी व्रत कब है:- 18 मार्च 2023 शनिवार को
  • एकादशी व्रत पूजा का मुहूर्त:- प्रात: 07:58 मिनट से लेकर 09:29 मिनट तक
  • एकाादशी व्रत पारण:- 19 मार्च 2023 को प्रात: 06:27 मिनट से लेकर 08:07 मिनट तक लगभग
Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi
Papmochani Ekadashi Vrat Katha

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एकादशी व्रत पर इन मंत्रो का जाप जरूर करें

  1. ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय
  2. ऊॅा विष्‍णवे नम:
  3. ऊॅा हूं विष्‍णवे नम:
  4. ऊॅा नारायणाय विझहे। वासुदेवाय धीमहि। तन्‍नों विष्‍णु प्रचोदयात्
  5. श्री कृष्‍ण गोविन्‍ हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदवाय

पापमोचनी एकादशी व्रत विधि/Ekadashi Vrat Puja Vidhi in Hindi

  • पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi Vrat) वाले दिन मनुष्‍य को प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करें।
  • ध्‍यान रहे इस व्रत वाले दिन स्‍त्री व पुरूष को सात्विक रंगों के वस्‍त्र धारण करने है न की साधारण।
  • जिसके बाद मन में भगवान विष्‍णु जी (Lord Vishnu) का नाम लेकर इस व्रत का संकल्‍प करें और भगवान सत्‍यनाराण को जल चढ़ाकर पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी चढ़ाऐ।
  • जिसके बाद षोडषोपचार सहित भगवान विष्‍णु जी की पूजा अर्चना करे, पूजा में आपको, जल, पुष्‍प, माला, चन्‍दन, चावल, नैवेद्य, धूप, दीप, केला आदि लेना चाहिए।
  • पूजा करते समय एकादशी का व्रत रखने वाले को ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • पूजा आदि करने के बाद पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा (Papmochani Ekadashi Vrat katha) सुनकर भगवान विष्‍णु जी की आरती करे। जिसके बाद प्रसाद चढ़ाकर सभी को वितरण करे।
  • द्वादशी वाले दिन गरीबों व ब्राह्मों को भोजन आदि कराकर दान-दक्षिणा दे।

पापमोचनी एकादशी व्रत पर शुभ योग बन रहे है

  1. द्विपुष्‍कर योग:- प्रात/ 12:06 मिनट से लेकर सुबह 06:27 मिनट तक (19 मार्च 2023)
  2. शिव योग:- 17 मार्च 2023 को प्रात:काल 03:33 मिनट से लेकर 18 मार्च को रात्रि में 11:54 मिनट तक
  3. सर्वार्थ सिद्धि योग:- 18 मार्च को प्रात: 06:28 मिनट से लेकर 19 मार्च को 12:29 मिनट तक

Papmochani Ekadashi Vrat katha in Hindi (पापमोचनी एकादशी व्रत कथा)

सतयुग के समय चित्ररथ नामक एक रमणीक व बहुत/अतिसुदंर वन था। इस वन में देवराज इन्‍द्र व गन्‍धर्व कन्‍याऐं और सभी देवता स्‍वच्‍छन्‍द विहार करते थे। और मेधावी नामक एक ऋषि भी उस चित्ररथा नामक वन में अपनी घोर तपस्‍या कर रहे थे। वह ऋषि भगवान शिवजी का बहुत बड़ा भक्‍त होने के साथ-साथ भगवान विष्‍णु जी की पूजा पाठ करता था। किन्‍तु वहा पर जो अप्‍सराऍं भ्रमण के लिए आती वो शिव द्रोहिणी अनंग दासी (अनुचरी) थी। एक दिन कामदेव ने उस महर्षि का तप भंग करने लिए उस स्‍थान पर मंजुघोषा नाम की अप्‍सरा को भेजा।

वह अप्‍सरा ऋषि के ईर्द गिर्द नृत्‍य करने लगी उसकी पायलो की आवाज से मुनि का तप से ध्‍यान हट गया और उस अप्‍सरा के युवावस्‍था वाला रूप व हाव भाव, नृत्‍य, गीत तथा उसकी कटाक्षों पर मोहित हो गया। जिसके बाद दोनो पृथ्‍वी लोकर पर आकर रहने लेगे और इसी प्रकार दोनो को रति-क्रीडा करते हुए 57 वर्ष व्‍यतीत हो गए। ए‍क अप्‍सरा मंजुघोषा ने ऋर्षि मेधावी से देवलोक जाने की आज्ञा मांगी तो उस महर्षि के कानों पर चींटी से दौड़ी और वह बहुत क्रोधित हो गया।

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तब उस आत्‍मज्ञान हुआ की मुझे रसातल में पहुॅचाने का यही एकमात्र उपाय यह अप्‍सरा मंजुघोषा है। इसी लिए मैं तुम्‍हे श्राप देता हू की तू पिशाचनी बन जा, अपना यह श्राप सुनकर वह ऋषि के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगी। और इस श्राप से मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो मेधावी ऋषि ने उसे कहा की जा हर वर्ष चैत्रमास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी का व्रत करेगी तो तुम्‍हे इस पाप से मुक्ति‍ मिल जाएगी। ऋषि उस अप्‍सरा को मुक्ति का उपाय बताकर अपने पिता च्‍यवन ऋषि के पास चला गया और पूरी घटना के बारें में विस्‍तार से बताया।

अपने पुत्र की बात सुनकर ऋषि च्‍यवन को बहुत क्रोध हुआ और अपने पुत्र को घोर निन्‍दा की तथा उसे कहा की तुम स्‍वयं पाप में पड़ गए। इसी लिए तुम जाओ और चैत्र महिने की एकादशी का व्रत पूर्ण नियम से करो। उस अप्‍सरा ने भी यह व्रत विधि-विधान से किया और कुछ वर्षो के बाद उसे पिशाचनी रूप से मुक्ति मिल गए। जिसके बाद वह देवलोक को चली गई। और तभी से इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी

प्‍यारे साथियों आज हम आपको इस लेख में पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi Vrat Katha) के बारें में विस्‍तार से बताया है। यह जानकारी केवल सूचना व मान्‍यताओं और पौराणिक जानकारियों के आधार पर व्‍याखित किया है। यदि लेख अच्‍छा लगा हो तो लाईक करे व सभी के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट बॉक्‍स में जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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