Vrat Katha

Papmochani Ekadashi Vrat Katha In Hindi~ पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा व पूजा विधि एंव शुभ मुहूर्त जानिए

Papmochani Ekadashi 2024 In Hindi~ पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा व पूजा विधि एंव शुभ मुहूर्त जानिए | पापमोचनी एकादशी 2024 । Papmochani Ekadashi in Hindi | पापमोचनी एकादशी व्रत कथा | Papmochani Ekadashi ki katha in Hindi | पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा सुनाइए | Papmochani Ekadashi Vart kab Hai | एकादशी व्रत की विधि | Papmochani Ekadashi Vrat Vidhi | एकादशी व्रत कथा | Papmochani Ekadashi Vrat Katha | ग्‍यारस व्रत कथा | Ekadashi Vrat katha in Hindi | Papmochani Gyarash Vrat katha in Hindi ग्‍यारस व्रत कब है

Papmochani Ekadashi Vrat Katha In Hindi 2024 :- प्‍यारे भाई व बहनों एकादशी व्रत का महत्‍व सनातन धर्म में बहुत है तथा सभी व्रतों में से सर्वश्रेष्‍ठ व्रत माना जाता है जो की प्रतिमास 2 एकादशी होती है। किन्‍तु आज में इस छोटे से लेख में आपको पापमोचनी एकादशी व्रत के बारें में विस्‍तार से बताएगे। यह महत्‍वपूर्ण व्रत चैत्र मास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है जिसे आम भाषा में पापमोचनी ग्‍यारस का व्रत (Papmochani Gyaras Vrat in Hindi) भी कहा जाता है। और यदि आप इस व्रत के बारें में अधिक जानकारी जानना चाहते है तो हमारी आप सभी से विनती है की लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

Papmochani Ekadashi Vrat Katha In Hindi

पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्‍व क्‍या है

वेद, पुराणों में रचना के अनुसार इस पूरी सृष्ट्रि में जो मानव पाप, बुरे कर्म आदि करता है उन सभी को यह एकादशी पापों से मुक्ति दिलाती है जिस कारण इसे पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2024) कहा जाता है। और हर मानव को यह अहसार कराती है की उसे कभी अपनी जिम्‍मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए। यदि किसी मुनष्‍य में अजाने में उससे किसी प्रकार का घोर पाप हो जाता है तो उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। यदि वह व्‍यक्ति‍ नियमित रूप से इस एकादशी का व्रत पूर्ण विधि व विधान से करेगा तो उसको अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसी लिए इस एकादशी को सर्वश्रेष्‍ठ ग्‍यारस माना गया है क्‍योंकि व्‍यक्ति को अपने पापों से छुटकारा दिलाने के कारण इस पाप-मोचनी एकादशी कहा जाता है।

एकादशी का व्रत कब है (Papmochani Ekadashi Vrat Kab Hai)

वैसे तो यह पापमुक्ति व्रत हर साल चैत्रमास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी (ग्‍यारस) को किया जाता है जो की इस वर्ष 2024 में 05 अप्रैल 2024 के दिन पड़ रहा है। ज्‍योतिषों व पंडितो के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi) की शुरूआत तो 04 अप्रैल 2024 गुरूवार के दिन संध्‍या के समय यानी04 बजकर लगभग 16 मिनट पर हो जाएगी। और अगले दिन 05 अप्रैल 2024 शुक्रवार को दोपहर 01 बजकर लगभग 28 मिनट पर समाप्‍त होगा। उदयातिथि के मुताबित तो पापमोचनी एकादशी का व्रत (चैत्र मास एकादशी व्रत) 05 अप्रैल 2024 को पड़ेगा।

पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 2024

ज्‍योतिषों के अनुसार इस एकादशी का शुभ मुहूर्त पूजा हेतु प्रात:काल 06 बजकर 06 मिनट से आरंभ हो रहा है और आप 10 बजकर लगभग 49 मिनट के मध्‍य वाले समय में एकादशी व्रत की पूजा-अर्चना कर सकते है। किसी कारण आप इस शुभ मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाए है तो आप इसके बाद अभिजित मुहूर्त में ही पूजा कर सकते है। यह 11 बजकर 59 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर के 12 बजकर 49 मिनट के मध्‍य तक रहेगा।

एकादशी व्रत पारण का समय क्‍या है

इस एकादशी Ekadashi 2024 के व्रत का पारण आप द्वादशी वाले दिन किया जाता है इस बार भी आप 06 अप्रैल 2024 को चैत्र एकादशी व्रत का पारण करेगें। पारण करने का समय प्रात: 06:14 से लेकर 08:44 मिनट तक रहेगा। उसके बाद द्वादशी 10:19 पर पारण समाप्‍त होगा।

Ekadashi Vrat Ki Katha in H
Papmochani Ekadashi Vrat Katha

पापमोचनी एकादशी व्रत विधि

  • पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi Vrat) वाले दिन मनुष्‍य को प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करें।
  • ध्‍यान रहे इस व्रत वाले दिन स्‍त्री व पुरूष को सात्विक रंगों के वस्‍त्र धारण करने है न की साधारण।
  • जिसके बाद मन में भगवान विष्‍णु जी (Lord Vishnu) का नाम लेकर इस व्रत का संकल्‍प करें और भगवान सत्‍यनाराण को जल चढ़ाकर पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी चढ़ाऐ।
  • जिसके बाद षोडषोपचार सहित भगवान विष्‍णु जी की पूजा अर्चना करे, पूजा में आपको, जल, पुष्‍प, माला, चन्‍दन, चावल, नैवेद्य, धूप, दीप, केला आदि लेना चाहिए।
  • पूजा करते समय एकादशी का व्रत रखने वाले को ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • पूजा आदि करने के बाद पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा (Papmochani Ekadashi Vrat katha) सुनकर भगवान विष्‍णु जी की आरती करे। जिसके बाद प्रसाद चढ़ाकर सभी को वितरण करे।
  • द्वादशी वाले दिन गरीबों व ब्राह्मों को भोजन आदि कराकर दान-दक्षिणा दे।

Papmochani Ekadashi Vrat katha in Hindi (पापमोचनी एकादशी व्रत कथा)

सतयुग के समय चित्ररथ नामक एक रमणीक व बहुत/अतिसुदंर वन था। इस वन में देवराज इन्‍द्र व गन्‍धर्व कन्‍याऐं और सभी देवता स्‍वच्‍छन्‍द विहार करते थे। और मेधावी नामक एक ऋषि भी उस चित्ररथा नामक वन में अपनी घोर तपस्‍या कर रहे थे। वह ऋषि भगवान शिवजी का बहुत बड़ा भक्‍त होने के साथ-साथ भगवान विष्‍णु जी की पूजा पाठ करता था। किन्‍तु वहा पर जो अप्‍सराऍं भ्रमण के लिए आती वो शिव द्रोहिणी अनंग दासी (अनुचरी) थी। एक दिन कामदेव ने उस महर्षि का तप भंग करने लिए उस स्‍थान पर मंजुघोषा नाम की अप्‍सरा को भेजा।

वह अप्‍सरा ऋषि के ईर्द गिर्द नृत्‍य करने लगी उसकी पायलो की आवाज से मुनि का तप से ध्‍यान हट गया और उस अप्‍सरा के युवावस्‍था वाला रूप व हाव भाव, नृत्‍य, गीत तथा उसकी कटाक्षों पर मोहित हो गया। जिसके बाद दोनो पृथ्‍वी लोकर पर आकर रहने लेगे और इसी प्रकार दोनो को रति-क्रीडा करते हुए 57 वर्ष व्‍यतीत हो गए। ए‍क अप्‍सरा मंजुघोषा ने ऋर्षि मेधावी से देवलोक जाने की आज्ञा मांगी तो उस महर्षि के कानों पर चींटी से दौड़ी और वह बहुत क्रोधित हो गया।

तब उस आत्‍मज्ञान हुआ की मुझे रसातल में पहुॅचाने का यही एकमात्र उपाय यह अप्‍सरा मंजुघोषा है। इसी लिए मैं तुम्‍हे श्राप देता हू की तू पिशाचनी बन जा, अपना यह श्राप सुनकर वह ऋषि के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगी। और इस श्राप से मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो मेधावी ऋषि ने उसे कहा की जा हर वर्ष चैत्रमास की कृष्‍ण पक्ष की एकादशी का व्रत करेगी तो तुम्‍हे इस पाप से मुक्ति‍ मिल जाएगी। ऋषि उस अप्‍सरा को मुक्ति का उपाय बताकर अपने पिता च्‍यवन ऋषि के पास चला गया और पूरी घटना के बारें में विस्‍तार से बताया।

अपने पुत्र की बात सुनकर ऋषि च्‍यवन को बहुत क्रोध हुआ और अपने पुत्र को घोर निन्‍दा की तथा उसे कहा की तुम स्‍वयं पाप में पड़ गए। इसी लिए तुम जाओ और चैत्र महिने की एकादशी का व्रत पूर्ण नियम से करो। उस अप्‍सरा ने भी यह व्रत विधि-विधान से किया और कुछ वर्षो के बाद उसे पिशाचनी रूप से मुक्ति मिल गए। जिसके बाद वह देवलोक को चली गई। और तभी से इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi Vrat 2024

प्‍यारे साथियों आज हम आपको इस लेख में पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi Vrat Katha) के बारें में विस्‍तार से बताया है। यह जानकारी केवल सूचना व मान्‍यताओं और पौराणिक जानकारियों के आधार पर व्‍याखित किया है। यदि लेख अच्‍छा लगा हो तो लाईक करे व सभी के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट बॉक्‍स में जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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