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पिठोरी अमावस्‍या पूजा विधि | Pithori Amavasya Puja Vidhi | Shubh Muhurat in Hindi

पिठोरी अमावस्‍या व्रत कब है। | Pithori Amavasya Date & Time | कुशोत्‍पाटनी अमावस्‍या पूजा विधि | कुशाग्रहणी अमावस्‍या पूजन विधि | Pithori Amavasya Puja Vidhi | Kushotpatni/Kusgrahani Amavasya in Hindi

Pithori Amavasya:- दोस्‍तो हिन्‍दु पंचांग के अनुसार पिठोरी अमावस्‍या हर वर्ष भाद्रपद की कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या को आती है। शायद आप जानते होंगे कि पिठाेरी अमावस्‍या को कई जगह पर कुशोत्‍पाटनी या फिर कुशाग्रहणी अमावस्‍या के नाम से भी पुकारा जाता है। पिठोरी अमावस्‍या के दिन अपने पितृों की आत्‍मा की शा‍ंति के लिए धार्मिक कार्य अथवा यज्ञ (कुश) आदि करवाए जाते है।

पिठोरी अमावस्‍या वाले दिन घर के सबसे बड़े सदस्‍य के द्वारा व्रत रखा जाता है ताकि पितर की आत्‍मा को मुक्ति प्राप्‍त हो पाए। इस व्रत वाले दिन पितरों की पूजा की जाती है एवं गरीबो अथवा ब्राह्मणों को दान-पुण्‍य आदि किया जाता है। अगर आप पिठोरी अमावस्‍या के बारे में पूर्ण जानकारी पढ़ना चाहते है तो हमारे इस लेख के साथ अन्‍त तक बने रहे।

पिठोरी अमावस्‍या का क्‍या महत्‍व है (Pithori or Kushotpatni Amavasya Ka Mahatva)

पिठोरी अमावस्‍या का (Pithori Amavasya Vrat) का महत्‍व सबसे पहले भगवान देवराज इंद्र की पत्‍नी शचि ने माता पार्वती को बताया था। इस अमावस्‍या वाले दिन रात्रि काली होती है जिसके कारण इसे कुशाग्रहण अमावस्‍या भी कहा जाता है। यदि कोई स्‍त्री पिठोरी अमावस्‍या का व्रत पूरे विधि-विधान से करे तो उसे जीवन में सभी सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होगी। इस अमावस्‍या के दिन व्रत करने वाली सभी स्त्रिया गुथें हुए आटे से माता दुर्गा एवं अन्‍य 64 देवियों की मूर्तिया बनाती है एवं उनकी पूजा करती है। जबकि पुरूष इस अमावस्‍या पर प्रात:काल जल्‍दी उठकर किसी नदी अथवा कुए पर स्‍नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित करते है।

जिसके बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर अपने पितृों को पिण्‍डदान का प्रसाद लगाया जाता है। ऐसा करने से पितरों को खुशी होती है एवं वे सदा हम पर अपना आर्शीवाद बनाए रखते है। इस तरह से पिठोरी अथवा कुशाग्रहणी/कुशोत्‍पाटनी अमावस्‍या का बड़ा महत्‍व माना जाता है। कुशग्रहणी अमावस्‍य वाले दिन काली रात होती है जिसके कारण इसे पिठोरी अमावस्‍य भी कहते है।

पिठोरी अमावस्‍या

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भाद्रपद अमावस्‍या कब है/Bhadrapad Amavasya Kab Hai

पंचाग के तहत बात करे तो भाद्रपद महिने की अमावस्‍या तिथि का आरंभ 14 सितंबर 2023 को प्रात: जल्‍दी 04:48 मिनट पर हो रहा है। 15 सितंबर 2023 को प्रात: 07:09 को अमावस्‍या तिथि पूरी होने के कारण दोनो तारीख को अमावस्‍या मनाई जाएगी। अब भाद्रपद महिने की अमावस्‍या दो दिनों तक रहेगी 14 सितंबर व 15 सितंबर दोनो तारीख को अपने-अपने पितरों को स्‍नान, पिण्‍ड़ दान आदि करवा सकते है। जिससे आपके पितरों की आत्‍मा को शांति मिले और उनकी कृपा आपके ऊपर बनी रहे।

पिठोरी अमावस्‍या का शुभ मुहूर्त (Pithori Amavasya Shubh Muhurat

इस साल भाद्रपद अमावस्‍या 14 व 15 सितंबर दोनो दिन रहेगी, इस दिन स्‍नान दान आदि करने का शुभ समय प्रात: 04:43 मिनट से लेकर 05:19 मिनट तक रहेगा। दूसरी और अभिजित मुहूर्त प्रात/ 11:52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:41 मिनट तक रहेगा।

कुशोत्‍पाटनी अमावस्‍या पूजा विधि (Pithori Amavasya Puja Vidhi)

पिठोरी/कुशोत्‍पाटनी अथवा कुशोग्रहणी भाद्रपद अमावस्‍या के दिन नियत विधि विधान से पूजन करना चाहिए। व्रत वाले दिन पूजा करने के लिए पूजन विधि है।

  • Kusgrahani Amavasya Ka Vrat रखने वाली सभी औरतों को सुबह प्रात:काल स्‍नान करना चाहिए।
  • स्‍नान करने के बाद सत्‍यनारायण भगवान और पीपल के पेंड़ में पानी चढ़ाना चाहिए।
  • इसके बाद परिवार के सबसे बड़े सदस्‍य के द्वारा सभी पितरों को पिण्‍डदान अथवा तर्पण किया जाता है।
  • इस अमावस्‍या पर भोग लगाने के लिए प्रसाद में खीर, पूरी, पुवा, सब्‍जी अ‍ादि बनते है।
  • पिण्‍डदान आदि करके पितरों के नाम का किसी ब्राह्मण या गरीब को 5 जोड़ी कपडे (रूमाल, शर्ट-पेण्‍ट, मौजे, जूते-चप्‍पल, शॉल इत्‍यादि) अपनी क्षमता के अनुसार दान करना चाहिए।
  • कुशोग्रहणी अमावस्‍या वाले दिन 64 देवीयों की पूजा की जाती है ये 64 देवीया गेंहूँ के आटे से बनाई जाती है।
  • इसके बाद इन सभी मूर्तियो को एक चौकी पर एक साथ रख दे, और बेसन का आटा गूंथ कर इनका श्रृंगार करे।
  • चौकी को अच्‍छे से सजाकर इन सभी मूर्तियों की स्‍थापना करे, स्‍थापना करने के बाद पूरे विधि विधान से पूजा करे।
  • पूजा करके माता दुर्गा व अन्‍य सभी प्रतिमाओ को 16 श्रृंगार (साड़ी, सिदूर, मांग, चूडा, चप्‍पल, टिका आदि) चढ़ाऐ।
  • इसके बाद माता दुर्गा की आरती करे, आरती करने के बाद 64 देवीयों की प्रतिमाओ को भोग लगाए।
  • इसके बाद 5 ब्राह्मण 5 कन्‍याऐ को सबसे पहले भोजन कराए व बाद में स्‍वयं भोजन ग्रहण करे।

पिठोरी अमावस्‍या के बारे में कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य (Important Facts about Pithori Amavasya)

पिठोरी अमावस्‍या (कुशोत्‍पाटनी) वाले दिन सप्‍तमातृका की पूजा की जाती है। ये सप्‍तमातृका 7 देवीयो से मिलकर बनी है। ये वही 7 देवीया है जो भगवान शिव की पहली पत्‍नी माता सती के यज्ञ में समा जाने पर उत्‍पन्‍न हुई थी इने सात देवियो के नाम वैष्‍णवी, कुमारी, इन्‍द्राणी, ब्राह्मणी, महेश्रवरी, वाराही एवं चामुण्‍डी है। दोस्‍तों इन सभी का उल्‍लेख हमें पुराणों, महाभारत व शास्‍त्रो आदि में प्राप्‍त होता है। पुराणो में इस बात का उल्‍लेख भी मिलता है कि भगवान शिवशंकर ने अपनी लीला से योगेश्‍वरी नाम की एक महान शक्ति की उत्‍पत्ति की थी जिसे 7 देवीयो के बाद आठवां स्‍थान प्राप्‍त हुआ।

दोस्‍तों दक्षिण भारत में पिठोरी अमावस्‍या को पोलाला अमावस्‍या के नाम से मनाया जाता है। इसके लिए पूर्ण जानकारीया नीचे दी गई है।

पोलाला अमावस्‍या (Polala Amavasya Puja Vidhi)

Bhadrapad Amavasya:- दोस्‍तो पिठोरी अमावस्‍या/भाद्रपद अमावस्‍या के स्‍थान पर दक्षिणी भारत में खासतौर पर ओडिसा, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाड़ु आदि में पोलाला अमावस्‍या मनाई जाती है। किन्‍तु यहा पर पोलाला अमावस्‍या को सावन महीने की कृष्‍णपक्ष अमावस्‍या को मनाया जाता है। ओर यहा पर पोलेराम्‍मा भगवान (भगवान शक्ति व दुर्गा की शक्ति रूप) की पूजा की जाती है जो वहां का स्‍थानीय देवता है। पोलेराम्‍मा भगवान को बच्‍चों का रक्षक हाेने के कारण यहा की सभी स्त्रिया पोलाला अमावस्‍या का व्रत (Polala Amavasya Vrat) का व्रत रखती है।

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पोलाला अमावस्‍या व्रत पूजा विधि (Polala Amavasya Vrat Puja Vidhi)

पिठोरी अमावस्‍या

पिठोरी अमावस्‍या पूजा विधि

पोलाला अमावस्‍या का व्रत करने करने वाली स्‍त्रीयो को पूजन के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। जो कि निम्‍नलिखित है

  • यह व्रत दक्षिण भारत की लगभग सभी औरते अपने बच्‍चे को छोटी माता (Chicken Pocks), बड़ी माता (Big Pocks) अथवा अन्‍य सभी घातक बीमारीयो से रक्षा करने के लिए व उनकी लम्‍बी उम्र की कामना के लिए पोलेराम्‍मा भगवान का व्रत रखती है।
  • पोलाला अमावस्‍या का व्रत रखने वाली सभी महिलाए सुबह जल्‍दी उठकर घर की साफ-सफाई करके किसी पवित्र नदीं में स्‍नान करती है।
  • इसके बाद भगवान पोलेराम्‍मा के मंदिर में जाकर पूजा की जाती है अगर आसपास मदिंर न हो तो घर में तस्‍वीर की पूजा की जाती है।
  • सबसे पहले घी का दीपकर जलाकर भगवान को पुष्‍प अर्जित करे, और पोलेराम्‍मा भगवान की पूरे विधि-विधान से पूजा करे।
  • पूजा के दौरान व्रत रखने वाली स्‍त्री को दुर्गा चालीसा को 108 बार पढ़ना होता है। तथा देवी माता के चरणों में से रक्षा सूत्र उठाकर अपने बच्‍चें के हाथो में बाधंती है।
  • व्रत वाले दिन पोलेराम्‍मा भगवान को भोग लगाने के लिए चावल की सेवई, नारियल, दूध (थालिगालू प्रवनांम) व बिल्‍ला कुदुमुलू (चावल के आटे की रोटी) बनाई जाती है।
  • यदि इस व्रत को लड़को द्वारा किया जाता है तो चने, दाल एवं गुड़ आदि को मिलाकर भगवान पोलेराम्‍मा का भोग लगाया जाता है वही लड़किया इस व्रत वाले दिन उड़द दाल का वडा बनाकर भगवान को भोग लगाती है।
पिठोरी अमावस्‍या

पोलाला अमावस्‍या व्रत की कथा (Polala Amavasya Vrat Katha)

Bhadrapad Amavasya:- एक समय एक गरीब बुढि़या थी एक दिन उसका लड़का बीमार पड़ जाता है परन्‍तु गरीब होने के कारण वह उसका ईलाज नही करवा पाती है। समय पर ईलाज न होने की वजह से उसका पुत्र ओर ज्‍यादा बीमार हो जाता है। बेटे के बारे में सोचती हुई वह बुढि़या एक दिन मदिंर में बैठी हुई रो रही थी। उस समय मदिंर के पास से गुजर रही एक दूसरी बूढ़ी औरत ने उसके पास जाकर रोने का कारण पूछा।

तो उसने बताया कि उसका बेटा बीमार है एवे गरीबी के चलते उसका ईलाज नही हो पा रहा है। तब उस दूसरी बुढि़या ने उसे सात्‍वंना देते हुए कहा कि तुम चिन्‍ता मत करो। तुम्‍हारा बेटा बिल्‍कुल ठीक हो जाएगा। यदि तुम आने वाली भाद्रपद महिने की पोलाला अमावस्‍या का व्रत करोगी तो तुम्‍हारे कष्‍ठ दूर हो जाएंगे। कुछ दिनों बाद यह अमावस्‍या आई व बुढि़या ने इस दिन पूरे नियमों के साथ व्रत किया। अगले दिन उसका पुत्र पूरी तरह से ठीक हो गया। तो इस तरह से पोलेराम्‍मा भगवान ने उस बुढि़या के कष्‍टो को दूर किया।

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