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Pradosh Vrat Katha in Hindi | प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि विस्‍तार से पढ़े

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Chaitra Month Pradosh Vrat 2023 Date and Time:– दोस्‍तो आपको बता दे की प्रदोष व्रत प्रतिमहीने शुक्‍लपक्ष व कृष्‍णपक्ष की त्रयोदशी (तेरस) को आता है। तथा यह व्रत ज्‍यादातर मंगलवार वार को पड़ने के कारण इस व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है।और आज हम बात करेगे अप्रैल के महीने (April Month Pradosh Vrat 2023) आने वाला प्रदोष व्रत के बारें में जो 03 अप्रैल 2023 सोमवार के दिन पड़ रहा है। इस व्रत वाले दिन भगवान शिवजी व माता पार्वती के साथ-साथ हनुमानजी की पूजा की जाती है। इस महीने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत ज्‍यादा फलदायक है

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पौराणिक मान्‍यताओ के अनुसार इस संसार में जो कोई स्‍त्री व पुरूष प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधानो व श्रद्धा भाव तथा विधिवत रूप से करता है। उसके सभी कष्‍ट दुर हो जाते है और वह अपने जीवन में सभी सुख भोगकर अंत में स्‍वर्ग लोक में स्‍थान प्राप्‍त करता है। ऐसे में आप भी प्रतिमाह प्रदोष व्रत रखते है तो लेख में दी गई कथा व पूजा विधि को पढ़़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकते है। तो पोस्‍ट के अंत तक बने रहे।

Pradosh Vrat Katha in Hindi
Pradosh Vrat Katha in Hindi/Bhaum Pradosh Vra Katha in Hindi

प्रदोष व्रत का महत्‍व जानिए

शायद आप सभी में से बहुत कम लोग यह जानते होगे की जो लोग भगवान शिवजी के अन्‍नय भक्‍त है उन सभी के लिए यह व्रत बहुत ही जरूरी है। इस व्रत वाले दिन संकट मोचन हनुमान जी व भगवान भोलेनाथ जी की पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो हनुमानजी भगवान शंकर का की एक अवतार है। किन्‍तु आज इन्‍हे राम भक्‍त हनुमान से जानते है। इस व्रत वाले दिन प्रदोष काल में ही पूजा की जाती है। जिससे भगवान शिवजी तो आपकी सभी इच्‍छाऐ पूरी करेगे। तथा हनुमानजी (बालाजी) आपके सभी संकट कर लेगे।

(Pradosh Vrat Ka Shub Muhurat) प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

  • अप्रैल प्रदोष व्रत का प्रारंभ:- 03 अप्रैल 2023 काे प्रात: 06:24 मिनट पर
  • अप्रैल प्रदोष व्रत का समापन:- 04 अप्रैल 2023 को प्रात: 08:05 पर लगभग

चैत्र प्रदोष व्रत में क्‍या न खाए

प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को पूजा का फल तभी मिलता है जव व्रत रखने वाले को नियमो का पालन करना होता है इस व्रत वाले दिन व्रत रखने वाले को अन्‍न, चावल, लाल मिर्च और सादा नमक नहीं खाना चाहिए।

चैत्र प्रदोष व्रत पर शुभ योग

इस बार चैत्र प्रदोष व्रत वाले दिन 3 शुभ योग बन रहे है जो कि निम्‍नलिखित है

  1. सिद्ध योग:- प्रात:काल से लेकर रात्रि 08:07 मिनट तक लगभग
  2. साध्‍य योग:- सिद्ध योग समाप्‍त होने के बाद साध्‍ययोग लग जाएगा।
  3. द्विपुष्‍कर योग:- सुबह 06:27 मिनट से लेकर 08:07 मिनट तक

(Pradosh Vrat Puja Vidhi) भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत Bhaum Pradosh Vrat Katha रखने वाले सभी स्‍त्री व पुरूष प्रात:काल जल्‍दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्‍नान करे और साफ वस्‍त्र धारण करे।
  • जिसके बाद सूर्य भगवान को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
  • इसके बाद शिवालय में जाकर सबसे पहले भगवान शिवजी और माता पार्वती तथा गणेश जी की पूजा करे। उसके बाद हनुमान जी महाराज की पूजा पूर्ण विधिवत रूप से करे।
  • पूजा में रौली-मौली, चावल, पुष्‍प, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, जनेऊ, आदि चढ़ाकर पूजा करे।
  • जिसके बाद अपने दोनो हाथ जाेड़कर भौम प्रदोष व्रत की (Pradosh Vrat Katha in Hindi) कथा सुने, तपश्‍चात भगवान शिवजी व हनुमानजी की आरती करे।
  • आरती करने के बाद प्रसाद चढ़ाकर वहा मौजूद सभी को बांट देना है।
  • उसके बाद स्‍वयं थोड़ा सा प्रसाद ग्रहण करे इस व्रत का पारण कर सकते है।
  • इस व्रत वाले दिन एक समय भोजन किया जाता है।

प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha in Hindi)

भौम प्रदोष व्रत की कथा

किसी समय की बात है एक गॉंव में एक बुढिया (वृद्धा( रहती थी। उसके एक ही पुत्र होने के कारण वह दिन रात हनुमान जी की सेवा करती। और अपने पुत्र को सही सलामत बनाऐ रखने की कामना करती रहती थी। वह बुढिया प्रतिरोज हनुमान जी की सेवा करती किन्‍तु मंगलवार के दिन तो पूजा-पाठ को विशेष महत्‍व देती थी। एक दिन हनुमान जी ने सोचा की यह वृद्धा रोज मेरी सेवा करती है क्‍यों न मैं इसकी परीक्षा लॅू।

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यह सोचकर हनुमान जी अपना साधु रूप धारण करके उस बुढिया के घर आ गऐ और जोर से आवाज लगाते हुए कहा की मैं हनुमान भक्‍त हॅू। जब उस बुढि़या मॉं ने आवाज सुनी तो वह तुरन्‍त घर से बाहर आई और साधु को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। और कहा बताइऐ साधु महाराज मैं आपकी क्‍या सेवा कर सकती हॅू।

इस पर हनुमान जी बोले की मुझे बहुत देर से भुख सता रही क्‍या आप मुझे भोजन करा सकती है। यह सुनकर उस वृद्धा से साधु महाराज को अन्‍दर आने को कहा और आसन बिछा दिया। किन्‍तु इस पर साधु ने कहा की हे माता जहा मैं बैठूगा वहा पर आप थोड़ा से लीप दो। तो उस बुडिया ने लीप दिया। यह देखकर हनुमान जी ने पुन: कहा की मेरे और भी काम मैं क्‍या तुम कर दोगी।

उस बुढि़या ने कहा की बताइऐ महाराज ऐसे करके हनुमान जी ने उस वृद्धा को अपने वचनो में बांध लिया। और कहा की तुम अपने बेटे को बुलाओ। और उसकी पीठ पर आग जलाकर मेरे लिए भोजन पकाओ। उस साधु की बात सुनकर वह बहुत ज्‍यादा परेशान हो गई किन्‍तु उसने वचन दिया था।

वह बहुत मजबूर हो गई और अपने बेटे को बुलाई और जमीन पर लीटाकर उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाया। और साधु महाराज के पास आ गई। बुढि़या को देखकर हनुमान जी बोले की भोजन बन गया। वृद्धा ने कहा की बन गया साधु महाराज आप जीम लीजीऐ। तब हनुमान जी ने कहा की पहले तुम अपने बेटे को बुलाओ वह भी साथ खाना खाऐगा।

उस साधु की बात सुनकर बुढि़या बोली हे महाराज आप कैसी बाते कर रहे है मेरो बेटा को अग्नि से जलकर मर गया। वह भोजन करने कैसे आऐगा। तब साधु ने कहा की हे माता आप आवाज तो लगाऐ। और उस बुढिया ने अपने बेटे को आवाज लगाते हुऐ कहा की बेटा आ जाओ और भोजन ग्रहण कर लो। उसका बेटा वहा आया और वह अपने बेटे को जीवित देखकर बहुत खुश हुई तथा साथ आर्श्‍चय चकित रह गई।

तब वह वृद्धा उस साधु के चरणों में अपना सिर रखकर बोली की आप कोई साधारण पुरूष नही है। कृपा करके मुझे अपना रूप बताईऐ। तब हनुमान जी अपने रूप में आ गऐ। स्‍वयं हनुमान जी को देखकर वह वृद्धा बहुत खुश हुई और उन्‍हे प्रणाम किया। हनुमान जी ने कहा की हे माता मैं तुम्‍हारी इस सेवा और भक्ति से प्रसन्‍न हू मांगो क्‍या मांगती हो। तब उसने कहा की हे भगवान मैं तो मेरी पुत्र की सलामती चाहती हॅू। जिसके बाद हनुमान जी उसे आशीर्वाद देते हुऐ उनको धने दौलस सब प्रदान कर गऐ। और उसके सभी कष्‍टो को दूर कर दिया।

दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको भौम प्रदोष व्रत Bhaum Pradosh Vrat Katha in Hindi के बारे में सम्‍पूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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10 thoughts on “Pradosh Vrat Katha in Hindi | प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि विस्‍तार से पढ़े”

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