Pradosh Vrat Katha in Hindi | प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि विस्‍तार से पढ़े

भौम प्रदोष व्रत |Bhaum Pradosh Vrat | प्रदोष व्रत कथा भौम प्रदोष व्रत कथा | Pradosh Vrat in Hindi । प्रदोष व्रत कब है । प्रदोष व्रत के लाभ | Pradosh Vrat in April | प्रदोष व्रत के नियम | Pradosh Vrat List in Hindi | प्रदोष व्रत की कथा | Pradosh Vrat Katha in Hindi | प्रदोष व्रत कैलेंडर | Pradosh Vrat Katha | प्रदोष व्रत कथा

Pradosh Vrat Katha in Hindi दोस्‍तो आपको बता दे की प्रदोष व्रत प्रतिमहीने शुक्‍लपक्ष व कृष्‍णपक्ष की त्रयोदशी (तेरस) को किया जाता है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत मंगलवार वार को पड़ने के कारण इस व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। बात करें सितंबर महिने अर्थात भाद्रपद महिने की त्रयोदशी व्रत के बारें में तो 12 सितंबर 2023 मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत वाले दिन भगवान शिवजी व माता पार्वती के साथ-साथ हनुमानजी की पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्‍यताओ के अनुसार इस संसार में जो कोई स्‍त्री व पुरूष प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधानो व श्रद्धा भाव तथा विधिवत रूप से करता है। उसके सभी कष्‍ट दुर हो जाते है और वह अपने जीवन में सभी सुख भोगकर अंत में स्‍वर्ग लोक में स्‍थान प्राप्‍त करता है। ऐसे में आप भी प्रतिमाह प्रदोष व्रत रखते है तो लेख में दी गई कथा व पूजा विधि को पढ़़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकते है। तो पोस्‍ट के अंत तक बने रहे।

प्रदोष व्रत का महत्‍व जानिए/Bhaum Prodosh Vrat ka Mahatva

शायद आप सभी में से बहुत कम लोग यह जानते होगे की जो लोग भगवान शिवजी के अन्‍नय भक्‍त है उन सभी के लिए यह व्रत बहुत ही जरूरी है। इस व्रत वाले दिन संकट मोचन हनुमान जी व भगवान भोलेनाथ जी की पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो हनुमानजी भगवान शंकर का की एक अवतार है। किन्‍तु आज इन्‍हे राम भक्‍त हनुमान से जानते है। इस व्रत वाले दिन प्रदोष काल में ही पूजा की जाती है। जिससे भगवान शिवजी तो आपकी सभी इच्‍छाऐ पूरी करेगे। तथा हनुमानजी (बालाजी) आपके सभी संकट कर लेगे।

Pradosh vrat

प्रदोष व्रत कब है सितंबर 2023/Bhadrapad Bhaum Prodosh Vrat Kab Hai

वैसे तो हर महिने में कृष्‍ण पक्ष कि त्रयोदशी तिथि को भौम प्रदोष व्रत किया जाता है अब भाद्रपद महिने की त्रयोदशी तिथि को भोम प्रदोष व्रत किया जाएगा। बात करें गग्रोरियन कैलेंडर के मुताबित तो सितंबर महिने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023 मंगलवार के दिन किया जाएगा।

Pradosh Vrat Ka Shub Muhurat प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद महिने में कृष्‍ण पक्ष कि त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 सितंबर 2023 को रात्रि 11:52 मिनट पर लगभग हो जाएगी। उसके बाद 13 सितंबर 2023 को सुबह जल्‍दी 02:21 मिनट पर लगभग प्रदोष व्रत समाप्‍त हो जाएगा। अत: भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023 के दिन किया जाएगा

  • पूजा का शुभ मुहूर्त:- शाम को 06:30 मिनट से लेकर रात्रि 08:49 मिनट तक (12 सितंबर 2023)

 अजा एकादशी व्रत कथा शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

प्रदोष व्रत पूजा सामग्री क्‍या चाहिए

  • पांच प्रकार के फल
  • पांच प्रकार का मेवा
  • पूजा हेतु बर्तन
  • कुश से बना आसान
  • दही, घी, दूध
  • गंगाजन
  • शहरी, धूप, दीप
  • रोली, मौली, पांच मिष्‍ठना
  • बिलपत्र, धतूरा, भांग मंदार पुष्‍प
  • कपूर, चंदन, शिव व माता पार्वत का पूरा श्रृंगार आदि

Pradosh Vrat Puja Vidhi भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत Bhaum Pradosh Vrat Katha रखने वाले सभी स्‍त्री व पुरूष प्रात:काल जल्‍दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्‍नान करे और साफ वस्‍त्र धारण करे।
  • जिसके बाद सूर्य भगवान को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
  • इसके बाद शिवालय में जाकर सबसे पहले भगवान शिवजी और माता पार्वती तथा गणेश जी की पूजा करे। उसके बाद हनुमान जी महाराज की पूजा पूर्ण विधिवत रूप से करे।
  • पूजा में रौली-मौली, चावल, पुष्‍प, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, जनेऊ, आदि चढ़ाकर पूजा करे।
  • जिसके बाद अपने दोनो हाथ जाेड़कर भौम प्रदोष व्रत की (Pradosh Vrat Katha in Hindi) कथा सुने, तपश्‍चात भगवान शिवजी व हनुमानजी की आरती करे।
  • आरती करने के बाद प्रसाद चढ़ाकर वहा मौजूद सभी को बांट देना है।
  • उसके बाद स्‍वयं थोड़ा सा प्रसाद ग्रहण करे इस व्रत का पारण कर सकते है।
  • इस व्रत वाले दिन एक समय भोजन किया जाता है।

प्रदोष व्रत कथा Pradosh Vrat Katha in Hindi

Bhaum Prodosh Vrat katha in Hindi:- किसी समय की बात है एक गॉंव में एक बुढिया (वृद्धा( रहती थी। उसके एक ही पुत्र होने के कारण वह दिन रात हनुमान जी की सेवा करती। और अपने पुत्र को सही सलामत बनाऐ रखने की कामना करती रहती थी। वह बुढिया प्रतिरोज हनुमान जी की सेवा करती किन्‍तु मंगलवार के दिन तो पूजा-पाठ को विशेष महत्‍व देती थी। एक दिन हनुमान जी ने सोचा की यह वृद्धा रोज मेरी सेवा करती है क्‍यों न मैं इसकी परीक्षा लॅू।

यह सोचकर हनुमान जी अपना साधु रूप धारण करके उस बुढिया के घर आ गऐ और जोर से आवाज लगाते हुए कहा की मैं हनुमान भक्‍त हॅू। जब उस बुढि़या मॉं ने आवाज सुनी तो वह तुरन्‍त घर से बाहर आई और साधु को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। और कहा बताइऐ साधु महाराज मैं आपकी क्‍या सेवा कर सकती हॅू।

इस पर हनुमान जी बोले की मुझे बहुत देर से भुख सता रही क्‍या आप मुझे भोजन करा सकती है। यह सुनकर उस वृद्धा से साधु महाराज को अन्‍दर आने को कहा और आसन बिछा दिया। किन्‍तु इस पर साधु ने कहा की हे माता जहा मैं बैठूगा वहा पर आप थोड़ा से लीप दो। तो उस बुडिया ने लीप दिया। यह देखकर हनुमान जी ने पुन: कहा की मेरे और भी काम मैं क्‍या तुम कर दोगी।

उस बुढि़या ने कहा की बताइऐ महाराज ऐसे करके हनुमान जी ने उस वृद्धा को अपने वचनो में बांध लिया। और कहा की तुम अपने बेटे को बुलाओ। और उसकी पीठ पर आग जलाकर मेरे लिए भोजन पकाओ। उस साधु की बात सुनकर वह बहुत ज्‍यादा परेशान हो गई किन्‍तु उसने वचन दिया था।

वह बहुत मजबूर हो गई और अपने बेटे को बुलाई और जमीन पर लीटाकर उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाया। और साधु महाराज के पास आ गई। बुढि़या को देखकर हनुमान जी बोले की भोजन बन गया। वृद्धा ने कहा की बन गया साधु महाराज आप जीम लीजीऐ। तब हनुमान जी ने कहा की पहले तुम अपने बेटे को बुलाओ वह भी साथ खाना खाऐगा।

उस साधु की बात सुनकर बुढि़या बोली हे महाराज आप कैसी बाते कर रहे है मेरो बेटा को अग्नि से जलकर मर गया। वह भोजन करने कैसे आऐगा। तब साधु ने कहा की हे माता आप आवाज तो लगाऐ। और उस बुढिया ने अपने बेटे को आवाज लगाते हुऐ कहा की बेटा आ जाओ और भोजन ग्रहण कर लो। उसका बेटा वहा आया और वह अपने बेटे को जीवित देखकर बहुत खुश हुई तथा साथ आर्श्‍चय चकित रह गई।

तब वह वृद्धा उस साधु के चरणों में अपना सिर रखकर बोली की आप कोई साधारण पुरूष नही है। कृपा करके मुझे अपना रूप बताईऐ। तब हनुमान जी अपने रूप में आ गऐ। स्‍वयं हनुमान जी को देखकर वह वृद्धा बहुत खुश हुई और उन्‍हे प्रणाम किया। हनुमान जी ने कहा की हे माता मैं तुम्‍हारी इस सेवा और भक्ति से प्रसन्‍न हू मांगो क्‍या मांगती हो। तब उसने कहा की हे भगवान मैं तो मेरी पुत्र की सलामती चाहती हॅू। जिसके बाद हनुमान जी उसे आशीर्वाद देते हुऐ उनको धने दौलस सब प्रदान कर गऐ। और उसके सभी कष्‍टो को दूर कर दिया।

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि/Pradosh Vrat Udyapan vidhi

Pradosh Vrat Udyapan vidhi in Hindi:- आपको प्रदोष व्रत करने हुए कई साल बीत गए है और अब आप प्रदोष व्रत का उद्यापन करना चाहती है/चाहते है तो नीचे दी हुई प्रदोष व्रत उद्यापन विधि के अनुसार आप अपने व्रत का उद्यापन कर सकती है/ सकते है।

  • प्रदोष व्रत का उद्यापन हमेशा पूरी विधिवत तरीके से करना पड़ता है और केवल त्रयोदशी तिथि वाले दिन इस व्रत का उद्यापर कर सकते है।
  • इस दिन आपको प्रात: जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र पहने है उसके बाद भगवान सत्‍य नारायण को जल का अर्घ्‍य देना है।
  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी, शिवजी व माता पार्वती और हनुमान जी की प्रतिमा को स्‍थापित करना है।
  • उसके बाद विधिवत तरीके से पूजा अर्चना करना है पूजा के दौरान ऊँ उमा सहित- शिवाये नम: महामंत्र का कम से कम 108 पर बाेलना है।
  • शांति पाठ व हवन करवाऐ अतं में आरती करें
  • जिसके बाद ब्रह्माण या कन्‍या को भोजन करवाकर यथा शक्ति दान दक्षिणा करें।
  • इस प्रकार आप प्रदोष व्रत का उद्यापन कर सकते है।

डिसक्‍लेमर:– दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको भौम प्रदोष व्रत Bhaum Pradosh Vrat Katha in Hindi के बारे में सम्‍पूर्ण जानकारी प्रदान की है। यह आपको पौराणिक मान्‍यताओं व कथाओं के आधार पर बताया है। आपको बताना आवश्‍यक है की Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है। अत: अधिक जानकारी हेतु किसी संबंधित विशेषज्ञ, विद्धान, पंडित के पाए अवश्‍य जाएगा। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

यह भी पढ़े-

You may subscribe our second Telegram Channel & Youtube Channel for upcoming posts related to Indian Festivals & Vrat Kathas.

2 thoughts on “Pradosh Vrat Katha in Hindi | प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि विस्‍तार से पढ़े”

  1. Pingback: तो इसलिए रखा जाता है Vijaya Ekadashi Vrat जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत कथा व पूजा विधि पूजा विधि

  2. Pingback: Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi | मासिक शिवरात्रि व्रत कथा व पूजा विधि जानिए शुभ मुहूर्त

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top