Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi | पुत्रदा एकादशी व्रत कथा व पूजा विधि जानिए | Putrada Ekadashi Vrat katha | पुत्रदा एकादशी कब है 2023 | Putrada Ekadashi 2023 Date | पुत्रदा एकदशी व्रत कथा | Putrada Ekadashi | वैकुण्ठ एकादशी | Putrada Ekadashi Vrat | वैकुण्ठ एकादशी कब है | Baikunth Ekadashi | वैकुंठ एकादशी व्रत कथा | Vaikunta Ekadashi Kab Ki Hai
Paush Putrada Ekadashi Vrat 2023:- एकादशी का व्रत सभी व्रतो में से श्रेष्ठ व सर्वोत्तम माना जाता है। जो की हर महिने में लगभग दो बार आता है जिसमें पहली एकादशी शुक्लपक्ष की ग्यारस (एकादशी) और दूसरी कृष्ण्पक्ष की एकादशी होती है। साल में लगभग कुल 26 एकादशीया आती है जोन अपने आप में अगल महत्व व पहचान रखती है। पर आज हम आपको पौष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी अर्थात पुत्रदा एकादशी (Paush Month Ekadashi Vrat) के बारें में विस्तार से बताएगे। तो पोस्ट के साथ अंत तक बनें रहे और हमारे द्वारा लिखी हुई व्रत कथा, पूजा विधि आदि को पढ़कर एकादशी व्रत पूर्ण करे।
पुत्रदा एकादशी व्रत (Vaikunta Ekadashi Vrat 2023)
पुत्रदा एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष पौष महिने की शुक्लपक्ष की एकादशी को किया जाता है जिसे कई स्थानों पर वैकुण्ठ एकादशी (Vaikunta Ekadashi Vrat katha) व मुक्कोटी एकदशी (Mukkoti Ekadashi Vrat ) या फिर पौष पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। शायद इसी कारण इस एकादशी को शास्त्रों व पुराणों में विशेष महत्व दिया गया है अर्थात जो कोई स्त्री व पुरूष श्रद्धा भाव से पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है उसे संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है।
इसी लिए पौष की एकादशी व्रत को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत वाले दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है उसके बाद माता लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है। यह एकादशी इस साल 2023 में पहली एकादशी है यानी नये साल का आरंभ ही एकादशी व्रत से हो रहा है।
पुत्रदा एकादशी कब है (Pausha Putrada Ekadashi 2023 Date)

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
बात करें हिंदु पंचाग की तो इसके माध्यम से पुत्रदा एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष पौष माह के महिने की शुक्लपक्ष की ग्यारस को किया जाता है। बात करे कैलेंडर की तो इस वर्ष मुक्कोटी एकादशी व्रत 02 जनवरी 2022 सोमवार के दिन है। तथा हिन्दी पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष पुत्रदा एकादशी (वैकुण्ड एकदशी) का व्रत पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। तो आइये जानते है पंचाग के अनुसार शुभ मुहूर्त-
- पौष पुत्रदा एकादशी:- 02 जनवरी 2023 सोमवार
- एकादशी तिथि प्रारंभ:- 01 जनवरी 2023 को रात्रि 07:11 मिनट पर
- एकादशी तिथि का समापन:- 02 जनवरी 2023 को रात्रि 08:23 मिनट पर
वैकुण्ठ एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त जानिए
सबसे बड़ी बात यह है की एकादशी का व्रत देश में अधिकत माता -बहने करती है और वैकुंठ एकादशी का व्रत ऐसे महिने में आता है जिस समय बहुत ज्यादा सर्दी का मौसम होता है। चारो ओर बादल छाए रहते है जिससे कई बार व्रत पारण करना बड़ा मुश्किल हो जात है। इस वर्ष पौष एकादशी व्रत का पारण शुभ मुहूर्त 03 जनवरी 2023 यानी कूर्म द्वादशी वाले दिन प्रात: ही 07:16 से लेकर 09:22 मिनट तक रहेगा। व्रत रखने वाली महिलाए इस मुहूर्त के मध्य में कभी भी Vakunth Ekadashi Vrat का पारण कर सकती है।
NOTE:- आपकी जानकारी के लिए बता देते है की जो पुत्रदा एकादशी व्रत होता है वह वर्ष में दो बार आता है। पहला श्रावन के महिनी की पुत्रदा एकादशी जिसे सावन पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। और दूसरी पौष माह में आने वाली पुत्रदा एकादशी जिसे कई विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
एकादशी व्रत की पूजा विधि जानिए (Putrada Gyaras Ki Katha)
Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi
- इस व्रत वाले दिन व्यक्ति को प्रात: जल्दि उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करे। और पुत्रदा/वैकुण्ठ एकादशी Putrada Ekadashi व्रत का संकल्प ले।
- जिसके बाद भगवान सत्यनाराण को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेंड में भी जल चढ़ाऐ और भगवान विष्णु जी के नाम का उच्चारण करे।
- जिसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु जी व माता लक्ष्मीजी की मूर्ति की स्थापना करे।
- अब आपको भगवान विष्णु जी की पूजा पूरे विधि-विधान से व श्रद्धा भाव सके करे।
- पूजा में श्री हरि को पीले रंग के वस्त्र व पीले रंग के पुष्प् अवश्य चढ़ाऐ। उसके बाद जल, फल, चंदन, अक्षत, तुलसी, पंचामृत आदि को पूजा में चढ़ाए और पूजा करे।
- जिसके बाद पुत्रदा एकादशी अर्थात वैकुण्ठ एकादशी व्रत की कथा सुने जिसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती उतारे।
- आरती के बाद प्रसाद चढ़ाकर अपनी पूजा को पूर्ण करे।
- मान्यताओं के अनुसार इस व्रत वाले दिन भगवान श्री कृष्ण जी के बालस्वरूप की भी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको उन्ही का जैसे सुदंर संतान मिलेगी।
Paush Putrada Ekadashi Vrat पर उपाय
पुराणों में उल्लेखित मिलता है पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अग्रिष्टोम यज्ञ का फल देता है यानी इस संसार में जो भी विवाहित पति व पत्नी संतान की इच्छा करके यह व्रत पूर्ण नियम से करता है। तो भगवान उसकी यह इच्छा जरूरी पूरी करते है इसी लिए व्रत रखने वाले को पूजा के दौरा भगवान कृष्ण जी को प्रश्न करने हेतु उनका मंत्र 108 बार बोलना है। जिसके बाद रात्रि को जागरण अवश्य करे जिससे आपकी समस्या का निवारण जरूर होता है।
वैकुण्ठ एकादशी व्रत कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
भद्रावती नामक का राज्य था जिस पर सुकेतु नाम का राजा राज करता था। राजा सुकेतु की धर्मपत्नी का नाम शैव्या था किन्तु उनके कोई भी संतान नहीं होने के कारण राजा-रानी बहुत दु:खी रहते थे। संतान दु:ख को झेलते हुए एक दिन राजा ने अपना राजपाठ अपने महामंत्री को सौपकर अपनी पत्नी शैव्या के साथ वन को चल दिए। राजा रानी ने आत्महत्या बनाने का विचार बना लिया और घने वन में अंदर तक चले आए।
राजा व रानी दोनो आत्महत्या करने की सोच रहे थे किन्तु राजा ने कहा की यह तो घोर व महापार है। आत्महत्या करना किसी को शोभा नहीं देता है। उसी पल उन्हे वेदपाठ व मंत्रों की ध्वनि सुनाई दी और वो दोनो उसी ध्वनि की ओर चल दिए। देख की एक सरोवर के निकट कई ऋषि व मुनि गण वेदपाठ कर रहे थे। राजा सुकेतु और उसकी रानी शैव्या ने उन सभी ऋषियों को प्रमाण किया।
राजा सुकेतु अपनी पत्नी शैव्या के साथ उन सभी ऋषियों की सेवा में लग गए। जिससे सभी ऋषि उन दोनो पर अति प्रसन्न हुए और कहा हे वत्स मांगो तुम दोनो क्या मांगते हो। तब राजा ने कहा की प्रभु मेरे कोई पुत्र नहीं है बस हमे एक पुत्र चाहिए। राजा की बात सुनकर मुनिश्रेष्ठाें ने कहा हे राजन यदि तुम और तुम्हारी पत्नी पौष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी Putrada Ekadashi का व्रत पूर्ण नियमों के साथ करोगे। तो तुम्हे अवश्य ही संतान प्राप्ति हो जाएगी।
Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi
जिसके बाद राजा व रानी अपने राज्य भद्रावती आ गए और कुछ दिनो के बाद पौष महीने की एकादशी आयी। राजा सुकेतु व रानी शैव्या ने वैकुण्ठ एकादशी का व्रत बड़ी ही श्रद्धा सके किया। जिस कारण भगवान विष्णु उन पर अति प्रसन्न हुऐ और उन्हे संतान प्राप्ति का वरदान दिया। कुछ दिनों बाद रानी शैव्या ने गर्भधारण किया। और नौ महिने के बाद एक सुंदर बालक को जन्म दिया।
राजा रानी तेजस्वी पुत्र पाकर धन्य हो गऐ। कहा जाता है की कोई व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा रूप से भगवान विष्णु जी पूजा अर्चना करता है और पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है। उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है।
दोस्तो आज के इस छोटे से लेख में हमने आपको पुत्रदा/वैकुण्ठ/ मुक्कोट एकादशी Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi के बारें में विस्तार से बताया है। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद