Rama Ekadashi Vrat Story in Hindi,
Rama Ekadashi Vrat katha in Hindi:- दोस्तो हमारे हिन्दु धर्म में प्रतिमहीने दो एकादशीया (ग्यारस) आती है। एक कृष्ण पक्ष में तथा दूसरी शुक्लपक्ष में, जो कुल 24 एकादशी है। जिनमें से एक है। रामा/रम्भा एकादशी व्रत जो प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी (ग्यारस) को आता है। जो की भारत का सबसे बड़ा पर्व दिपावली के चार दिन पहले आती है। इस एकादशी के व्रत वाले दिन भगवान कृष्ण जी की पूजा की जाती है। रमा एकादशी व्रत कथा
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार जो कोई स्त्री इस एकादशी के व्रत को पूर्ण श्रद्धा से करेगी उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है। जिस कारण इसे पुण्यदायिनी रमा एकादशी भी कहा जाता है। जो की इस वर्ष 09 नवंबर 2023 गुरूवार दिन है। ऐसे में आप भी रमा एकादशी का व्रत रखते है तो आर्टिकल में दी गई एकादशी व्रत कथा व पूजा विधि को पढकर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। तो पोस्ट के अन्त तक बने रहे।

रमा एकादशी का महत्व (Rambha Ekadashi Vrat Mahvat)
प्रौराणिक मान्यताओ के अनुसार जो कोई स्त्री व पुरूष कार्तिक मास में आने वाली रंभा एकादशी का व्रत पूर्ण विधिवत से करता है। और सच्चे मनोभाव से भगवान विष्णु जी (कृष्ण जी) और माता लक्ष्मी (राधा) जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करता है। तो उसे सभी पापो से छुटकार मिलकर इस धरती पर सुखी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करता है। तथा मरने के पश्चात उसे भगवान की श्री चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
कार्तिक एकादशी कब है /Rama Ekadashi Vrat Kab Hai
पंचांग के अनुसार Kartik Maas Ekadashi Vrat हर साल कार्तिक महिने की कृष्ण पक्ष की एकादशी ग्यारस तिथि को किया जाता है। साल 2023 में यह व्रत 09 नवंबर 2023 गुरूवार के दिन पड़ रहा है। इस साल का यह व्रत बहुत ही फलदायक है कारण पहला गुरूवार के दिन पड़ रहा है और दूसरा कारण की कार्तिक मास तो भगवान विष्णु जी का प्रिय महिना हाेता है।
Rama Ekadashmi Vrat Shubh Muhrta and Time (रम्भा ग्यारस पूजा शुभ मुहूर्त)
हिदी पंचाग के अनुसार रमा एकादशी कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की ग्यारस को आती है एकादशी तिथि का आरंभ 08 नवंबर 2023 को प्रात: 08 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा। 09 नवंबर 2023 को सुबह के 10 बजकर लगभग 42 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। यह एकादशी हर साल दिपावली का त्यौहार से चार दिन पहले आती है इसी लिए इस एकादशी को रोशनी की ग्यारस या दिपावली की ग्यारस भी कहा जाता है।
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रमा एकादशी व्रत पारण का समय
जो भी एकादशी का व्रत करता है उस व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर होता है। कार्तिक ग्यारस व्रत का पारण 10 नवंबर 2023 को प्रात:काल 06:41 से लेकर लगभग 08:53 मिनट तक रहेगा। आप इस समय के मध्य में व्रत रखने वाली सभी औारते व पुरूषों को कार्तिक एकादशी (Kartik Gyaras Vrat) का पारण कर लेना है।
नोट:- हिन्दू कैलेंडकर के तहत रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि को किया जाता है। पर तमिल कैलेंडर के अनुसार यह व्रत ‘पुरतासी’ महिने में किया जाता है। और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में यह व्रत आश्विन महिने में किया जाता है।
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि (Rama Gyaras Vrat Puja Vidhi)
- रंभा एकादशी के व्रत रखने वाले सभी प्रात:काल ब्रह्मामुहूर्त में उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करे।
- जिसके बाद सूर्य भगवान को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में जरूर जानी चढ़ाऐ क्योकि कार्तिक माह में तुलसी का विशेष महत्व रहता है।
- इसके बाद एक चौकी पर भगवान कृष्ण जी (विष्णु जी) की एक तस्वीर रखे। उस पर धूप, दीप, रौली-मौली, चावल, पुष्प, नैवेद्य, आदि से भगवान कृष्ण जी की पूजा करे।
- इसके बाद अपने दोनो हाथ जोड़कर रंभा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat katha in hindi) पढ़े। तथा आरती करे।
- आरती करने के बाद भगवान को प्रसाद चढा़ऐ और उसे ब्राह्मणों को बाट देना है।
- तथा दूसरे दिन अर्थात द्वादशी वाले दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर ब्राह्मणो को भोजन कराकर यथा शक्ति दान-दक्षिणा दे।
- जिसके बाद स्वयं इस व्रत का पारण करे।
रामा एकादशी व्रत क्यों किया जाता है
हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि (Kartik Month Ekadashi Vrat) पर किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करी जाती है विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक मास का महिना भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय है। कहा जाता है जो महिला कार्तिक मास की एकादशी का व्रत रखती है उनके ऊपर सदैव भगवान विष्णु जी की महिमा बनीं रहती है।
रमा एकादशी व्रत कथा (Rambha Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
प्राचीन समय की बात है एक मुचकुन्द नाम का राजा था। वह बहुत ही दानी व धर्मात्मा होने के कारण राज्य की प्रजा उसे अपने भवगान स्वरूप मानती थी। वह राजा प्रतिमहीने एकादशीयो (ग्यारस) का व्रत पूरे विधि-विधान से करता था। अपने राजा को इस तरह प्रत्येक एकादशी का व्रत करते देख वहा की प्रजा की सभी एकादशीयो का व्रत करने लगी।
राजा मुचकुन्द के एक चन्द्रभागा नाम की पुत्री थी जो अपने पिता के साथ प्रतिमहीने एकादशी का व्रत रखती थी। ऐसे में चन्द्रभागा विवाह योग्य हो गई और उसके पिता ने उसकी शादी राजा चन्द्रसेन के पुत्र राजकुमार शोभन के साथ कर दी। शोभन ज्यातर समय अपने ससुर मुचकुन्द के साथ ही व्यतीत करता था। और वह भी धीरे-धीरे एकादशी का व्रत रखना आरंभ कर दिया।
एक बार कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की एकादशी आई और सभी ने ग्यारस का व्रत रखा हुआ था। किन्तु राजकुमार शोभन इस दिन भूख से इतना व्याकुल हो गया की उसकी मृत्यु हो गई। शोभन की मृत्यु पर राजा मुचकुन्द व रानी तथा उनकी पुत्री चन्द्रभागा जोर-जोर से विलाप करने लगे। किन्तु तीनो ने इस एकादशी का व्रत लगातारा रखा।
मृत्यु के पश्चात शोभन को एकादशी के व्रत के प्रभाव से मन्दराचल पर्वत पर स्थित देव नगर में आवास मिला। और वहॉ पर शोभन की सेवा में रम्भादि आदि अप्सराऍं तत्पर थी। एक दिन किसी काम से राजा मुचकुन्द किसी काम से मन्दराचल पर्वत पर गऐ। तो वहॉं पर उन्होने अपनु दामाद शोभन को देखा।
जिसके बाद वह अपने घर आया और अपनी पत्नी व पुत्री चन्द्रभागा को सारी बात बताई। चन्द्रभागा यह समाचार पाकर अपने पति के पास मन्दराचल पर्वत पर चली आई। यहा पर शोभन और चन्द्रभागा दोनो सुखी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे। और दोनो की सेवा में दिन रात रम्भादि नामक अप्सराऐ लगी रहती थी। जिस कारण इस एकादशी को रंभा/रामा एकादशी कहा जाता है।
डिस्कलेमर:– दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको रंभा एकादशी व्रत कथा Rama Ekadashi Vrat katha in Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है। जो आपको पौराणिक मान्यताओं, कथाओं के आधार पर लिखकर बताई है। आकपो बताना जरूरी है Onlineseekh.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है। विशेष जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ, पंडित, विद्धान के पास जाना चाहिए। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे।धन्यवाद
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