ऋषि पंचमी व्रत कथा व पूजा विधि हिंदी में जाने | Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi

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ऋषि पंचमी व्रत कथा:- दोस्‍तो जल्‍दी ही भाद्रपद शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी आने वाली है। इस बार यह व्रत 20 सितंबर 2023 बुधवार को है। हमारे धर्मो के अनुसार इस दिन सभी औरते सप्‍त ऋषि की पूजा करती है। ताकी उनके माहवारी के समय नियमो में कोई गलती हो जाती है तो उसी गलती की क्षमा याचना के लिए ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत प्रत्‍येक वर्ष भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की पंचमी को आता है।

सामान्‍यत: ऋषि पंचमी का व्रत अगस्‍त या सितम्‍बर के महीने में पड़ता है किन्‍तु इस बार 20 सितम्‍बर को है। यह व्रत हरतालिका तीज (Hartalika Teej Festival) के दूसरे दिन व गणेश चतुर्थी के दिन आता है। ऐसे मे अगर आप से भी माहामारी के समय कोई गलती हो गई है तो उस दोष मुक्‍त होने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत रखकर इस लेख के माध्‍यम से कथा पढ़कर आप अपना ऋषि पंचमी का व्रत पूर्ण कर सकती हो। पोस्‍ट के अन्‍त बनी रहे।

ऋषि पंचमी का महत्‍व (Rishi Panchami Mahtva)

आप सभी में से बहुत ही कम लोग यह जानते होगे की भाद्रपद माह की शुक्‍लपक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता है। यह व्रत जाने अनजाने हुए सभी पापों के प्रक्षालन के लिए स्‍त्री या पुरूष दोनो को करना चाहिए। व्रत करने वाले को गंगा नदी या किसी अन्‍य पवित्र नदीं एवं तालाब में स्‍नान करना चाहिए। यदि आपके यहा कोई नदी या तालाब नही है तो आप घर पर ही पानी लाकर उसमें गंगाजल मिलाकर स्‍नान कर सकते हो। इसके बाद गोबर से लीपकर मिट्टी या तांबे का जल भरा हुआ कलश रखकर अष्‍टदल कमल बनावें। अरून्‍धती सहित सप्‍त ऋषियों का पूजन कर कथा सुनें तथा ब्राह्मण को भोजन कराकर स्‍वयं भोजन करे।

Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi

ऋषि पंचमी कब मनाई जाती है/Rishi Panchami Kab hai

ऋषि पंचमी कब है:- हर साल भाद्रपद महिने कि शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी कहलाती है कारण है मान्‍यताओं के अनुसार इस तिथि वाले दिन कई महर्षियों कि पूजा करी जाती है। इस पंचमी तिथि वाले दिन महान महर्षियों की पूजा कि जाती है जिस कारण इसे गुरू पंचमी (Guru Panchami) भी कहा जाता है। इस बार ऋषि पंचमी 20 सितंबर 2023 बुधवार के दिन पड़गी .

ऋषि पंचमी पूजा का मंत्र/Rishi Panchami Mantra in Hindi

कश्‍यपोत्रिर्भरद्वाजों विश्‍वामित्रोय गौतम: जमदग्रिर्वसिष्‍ठश्रच स्‍प्‍तैते ऋषयं स्‍मृता। गृह्लन्‍त्‍वर्ध्‍य मया दत्तं तृष्‍टा भवत में सदा।।

ऋषि पंचमी व्रत पूजा की विधि (Rishi Panchami Vrat Puja ki Vidhi)

  • गुरू पंचमी का व्रत रखने वाले सभी स्‍त्री व पुरूष प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान आदि से निवृत होकर भगवान सूर्य नारायण को पानी चढ़ाऐ। इसके बाद पीपल व तुलसा माता के पेड़ में भी पानी चढ़ाऐ।
  • इसके बाद एक शांत जगह पर बैठकर सप्‍त ऋषिया यानी विश्रवामित्र, कण्‍व, ऋषि वशिष्‍ठ, भारद्वाज, वामदेव, अत्रि और शौनक इन सभी को ध्‍यान कर बुलाना चाहिए।
  • ततपश्‍चा्त इनके फल, फूल, चंदन, धूप, अक्षत, मिष्‍ठान, दीप आदि चढ़ाकर सभी सप्‍त ऋषियों की पूरे विध‍ि -विधान से पूजा करे।
  • पूजा समाप्‍त होने के बाद अर्ध्‍य देकर कथ का श्रवण करे।
  • रात्रि के समय जागरणकरके ब्रह्मचर्य नियम का पालन करे, तथा सग से व्रत खोलना चाहिए।
  • पुराणों के अनुसार व्रत को पूरा होते ही किसी धार्मिक स्‍थान व र्ती‍थ पर जाऐ जिससे पुण्‍य फलो की प्राप्ति होगी। और साथ में अंतिम समय में स्‍वर्ग लोक मिलेगा।

ऋषि पंचमी मुहूर्त/Rishi Panchami Shubh Muhurat

भाद्रपद महिने की पंचमी तिथि का आरंभ 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर लगभग 43 मिनट पर हो जाएगी। उसके बाद 20 सितंबर 2023 को दोपहर के 02 बजकर 16 मिनट पर लगभग समाप्‍त हो जाएगी।

  • सप्‍त ऋषियों कि पूजा का समय:- सुबह 11:01 से लेकर दोपहर 01:28 मिनट तक
  • पूजा कि‍ कुल अवधि:- 2 घंटे 27 मिनट
Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi

ऋषि पंचमी व्रत की कथा (Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi)

Rishi Panchami ki Katha:- एक बार सिताश्‍व नामक राजा ने ब्रह्माजी से पूछा की ”हे पितामह” सब व्रतों में से श्रेष्‍ठ व्रत और तुरन्‍त फलदायक व्रत कौनसा है। राजा सिताश्‍व कि‍ बात सुनकर ब्रह्माजी बोले ”हे राजन” सब व्रतों में से श्रेष्‍ठ और पापों का विनाश करने वाला व्रत ऋषि पंचमी का व्रत है जो भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की पंचमी को आता है।

ब्रह्माजी ने कहा, ”विदर्भ देश में एक उत्तंक नामक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्‍नी सुशीला बड़ी ही पतिव्रता नारी थी। उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी। जब पुत्री बड़ी हुयी तो उन्‍होन उसका विवाह कर दिया। विवाह करने के बाद उसका पति मर गया जिससे वह विधवा हो गई। दु:खी ब्राह्मण-दम्‍पत्ति एवं पुत्र व पुत्री सहित गंगातट पर कुटिया बनाकर रहने लग।

एक दिन उत्तंक समाधि में बैठकर ध्‍यान कर रहा था। तो उसने ज्ञात किया की उसकी पुत्री पिछले जन्‍म में रजस्‍वला (माहामारी) होने पर भी बर्तनों को छू लेती थी। जिसके कारण वह अंत समय में कीड़े पडने से मरी थी। धर्म शास्‍त्रो के अनुसार रजस्‍वला (माहामारी) स्‍त्री पहले दिन तो ”चाण्‍डालिनी” दूसरे दिन ”ब्रह्मघातिनी” तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्‍नान करके शुद्ध होती है।

उत्तंक ब्राह्मण ने सोचा यदि मेरी पुत्रि विधिपूर्वक ”ऋषि पंचमी’/गुरू पंचमी का व्रत एवं पूजन करेगी तो इस व्रत के प्रभाव से इस जन्‍म में पापमुक्‍त हो जाएगी। और उस ब्राह्मण ने अपनी पुत्रि को भाद्रपद शुक्‍ल्‍पक्ष की पंचमी को आने वाला व्रत ऋषि पंचमी के व्रत के बारे में बताया। ब्राह्मण की पुत्रि ने कई वर्षो तक पूरे विधि-विधान से ऋषि पंचमी का व्रत किया। और वह इस व्रत के प्रभाव से सभी दुखो व पापों से मुक्‍त हो गई। और मरने के बाद अगले जन्‍म में अटल सौभाग्‍य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

ऋषि‍ पंचमी की कहानी/Rishi Panchami ki Katha

Rishi Panchami Vrat katha in Hindi:- सतयुद काल में वेद-वेदांग को पूरी तरह से जानने वाला एक सुमित्र नाम ब्रह्मण अपनी पत्‍नी जयश्री के साथ रहता था। ब्राह्मण परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर था, उसका पुत्र सुमति वो भी एक पंडित और अतिथि सत्‍कार करने वाला व्‍यक्ति था। धीरे-धीरे आयु पूरी होने पर दोनो ब्राह्मण पती व पत्‍नी की मुत्‍यु हो गई, मरने के बाद ब्राह्मण की पत्‍नी जयश्री को एक कुतिया का जन्‍म मिला और सुमित्र को एक बैल का जन्‍म मिला।

भाग्‍य से दोनो ही अपने पुत्र सुमति के घर में रहने लगे, एक दिन सुमति ने अपने माता-पिता का श्राद्ध करने के लिए कई प्रकार के पकवान बनाए। अचानक एक सांप उन सभी पकवान को झूठा कर दिया, यह सभी घटना सुमति की माता जयश्री (कुतिया) ने अपने आंखो से देख लिया था। कुतिया ने सोचा की यदी ब्राह्मण यह झूठा खाना यानी जहर वाला खाना खाएगे तो वो सभी मर जाएगे।

यह सोचकर उसने उस खीर को जाकर छू दिया, यह देख सुमति को बहुत ज्‍यादा क्रोध आया उसने उस कुतिया को बहुत ज्‍यादा पीटा। दुबारा से सभी बर्तनों की सफाई करके पूरा खाना बनाया। उसके बाद सभी ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथा शक्ति दान दक्षिणा देकर विदा किया, ब्राह्मणों का भोजन झूठा बचा हुआ उसे जमीन में गाढ़ दिया। जिस कारण वह कुतिया भूखी ही रह गई

जब आधी रात का समय हुआ तो वह कुतिया अपने पति यानी बैल के पास आई और पूरी घटना सुनाई, बैल दु:खी होकर कहा आज सुमति ने मेरा मुँह बॉंधकर मुझसे हल जुतवाया था। और खाने को घास तक नहीं दिया इससे मुझे बड़ाी दु:ख हो रहा है। उसी दौरान सुमति उन दोनो की बात सुन रहा था और उसे मालूम पड़ गया की बैल और कुतिया मेरे ही माता-पिता है। उसके बाद उसने उन दोनो को भर पेट खाना दिया।

वन में ऋषियों के पास जाकर अपने माता पिता की पशु योनि से छुटकारा दिलाने का उपाय पूछा, तो मुनियों ने कहा ही भाद्रपद महिने की शुक्‍ल पक्ष पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी वाले दिन व्रत करना है। यदि तुम यह व्रत पूरे नियम से करते है तो तुम्‍हारे माता-पिता को अवश्‍य ही पशु योनि से छुटकारा मिलेगा, और दोनो को सदैव के लिए मुक्ति‍ मिलेगी। उसके बाद सु‍मति ने ऐसा ही किया ऋषि पंचमी का व्रत पूरे विधि विधान से किया है। और उसके बाद उसके माता-पिता को पशु योनि से छुटकारा मिले गया था।

ऋषि पंचमी व्रत उद्यापन की विधि (Rishi Panchami Vrat Udapaan Vidhi)

Guru Panchami Vrat:- ऐसा माना जाता है की ऋषि पंचमी का व्रत एक बार करना शुरू कर दे तो फिर यह व्रत प्रतिवर्ष करना जरूरी है। और यह वृद्धावस्‍था तक किया जाता है। इसके बाद आप इस व्रत का उद्यापन कर सकते है। उद्यापन करने के लिए कम से कम 07 ब्राह्मणों को भाेजन करवाते है। यह ब्राह्मण सप्‍त ऋषि का रूप मानकर उन्‍हे दक्षिणा में वस्‍त्र, अन्‍न व य‍था शक्ति रूपया देकर विदा करते है।

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Q: ऋषि पंचमी क्‍या है।

Ans: भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता है। इस दिन माहामारी दोष से मुक्‍त होने के वाली औरते व्रत रखती है।

Q: ऋषि पंचमी कब आती है।

Ans: ऋषि पंचमी प्रत्‍येक वर्ष भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की पंचमी को आती है।

Q: इस बार ऋषि पंचमी कब की है।

Ans: इस बार ऋषि पंचमी का व्रत 20 सितंबर 2023 बुधवार के दिन है।

प्रश्‍न:- ऋषि‍ पंचमी क्‍यो मनाई जाती है।

उत्तर:- कहा गया है इस तिथि पर ऋषियों का प्रताप होता है इसी लिए जो कोई यह व्रत रखता है उसको इस संसार से मुक्ति मिल जाती है।

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