Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi | सकट चौथ व्रत कथा, शुभ मुहूर्त व महत्‍व जानिए

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सकट चौथ व्रत का त्‍यौहार प्रतिवर्ष माघ महीने की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन संकट हरण गणपति गणेशजी की पूजा होती है जिस कारण इसे कई स्‍थानो पर लंबोदर संकष्‍टी के नाम से जाना जाता है। मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा व व्रत आदि रखने से व्‍यक्ति के सभी संकटो का नाश हो जाता है जिस कारण इस संकष्‍टी चतुर्थी (संकट चौथ) कहा जाता है। आप भी सकट चौथ का व्रत करते है तो नीचे दी गई व्रत कथा व पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है। इसके लिए आप इस लेख साथ अंत तक बने रहे।

सकट चौथ/तिलकुट चौथ

Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi । Sakat Chauth Vrat Katha संकष्‍टी चौथ व्रत कथा
Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi

इस हिन्‍दु धर्म की सभी युवती दिनभर निर्जल रहकर शाम को फलाहार करती है। तथा कई स्‍थानों पर पूजा के बाद खाना भी खा लेती है। इस व्रत वाले दिन माता चौथ व भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। तथा सकट माता व गणेश जी को पूरी पकवान का भोग चढ़ाया जाता है और तिल को भूनकर गुड़ के साथ मिलकार माता सकट काे भोग चढ़ाया जाता है जिस कारण इस चतुर्थी तिलकुट चतुर्थी भी कहा जाता है। कई स्‍थानों पर तिलकुल का पहाड़ व बकरा बनाकर उसकी पूजा की जाती है और बाद में घर के बालक के हाथो से उसको कटवाया जाता है।

संकट चौथ व्रत का महत्‍व (Sakat Chauth Vrat Ka Mahtav)

Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत औरते अपनी पुत्र प्राप्‍त‍ि व संतान के सुख वैभव, स्‍वस्‍थ जीवन और दीर्घायु की कामना के लिए रखती है। कहा जाता है जो कोई स्‍त्री श्रद्धा भाव भगवान गणेश जी की पूजा व चतुर्थी का व्रत रखते है उसकी सभी मनोकामनाए व कष्‍ट दूर हो जाते है। और भगवान श्री गणेश जी उस पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते है। वेदो व पुराणों में लिख गया है की सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और आज भी किसी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करते है।

सकट चौथ कब है (Sakt Chauth Date)

हिन्‍दी पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष सकट चतुर्थी का व्रत माघ मास की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है जो की इस वर्ष 29 जनवरी 2024 से आरंभ होकर 30 जनवरी 2024 को समाप्‍त होगा।

  • तिलकुटा चौथ व्रत प्रारंभ:- प्रात: 06:10 मिनट पर (29जनवरी को)
  • सकट चौथ व्रत समाप्‍त:- सुबह 08:54 मिनट पर (30 जनवरी को)
  • तिलकुटा चौथ व्रत कब है:- 29 जनवरी 2024 सोमवार को

सकट चौथ व्रत में सौभाग्‍य योग जानिए

पंडितो व जयोतिषों के अनुसार इस वर्ष सकट चतुर्थी का व्रत सौभाग्‍य योग में पड़ रहा है। यह योग 29 जनवरी को सुबह के 06 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर सुबह के 08 बजकर 54 मिनट पर अगले दिन तक यह रहेगा। किन्‍तु इस योग के सामप्‍त होने के बाद ही शोभन योग का शुरू हो जाएगा। जिस कारण इस समय को अशुभ माना गया है क्‍योंकि इन दोनों ही योगों को मांगलिक कार्यो के लिए अति शुभ माना गया है।

सकट चौथ व्रत चंद्रमा कब उगेगा (Sakat Chauth Vrat )

सकट चौथ के व्रत वाले दिन (29 जनवरी) चंद्रमा का उदय रात्रि के 09 बजे के बाद होगा। चन्‍द्रमा उगने के बाद व्रत रखनी वाली सभी औरते जल का अर्घ्‍य देकर अपने व्रत का पारण करे। क्‍योंकि मान्‍यताओं के अनुसार चौथ के सभी व्रत वाले दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही अपना व्रत पूर्ण माना जाता है।

संकष्‍टी चौथ व्रत पूजा विधि (Sakat Chauth Vrat Puja Vidhi)

Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi

  • इस व्रत वाले दिन औरतो को प्रात: जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करे।
  • जिसके बाद भगवान सत्‍यनाराण काे पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के वृक्ष में अवश्‍य पानी चढ़ाऐ। क्‍योंकि एसा शास्‍त्रों में लिखा गया है।
  • दोपहर के समय एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी व माता चौथ की प्रतिमा काे स्‍थापित कर देना है।
  • इसके अलावा पूजा में जल, रौली, मौली, चावल, गुड, घी, धूप, दीप, पुष्‍प, फल, धूब, तिल या फिर तिलपड्डी, तिल के लड्डू आदि से भगवान गणेश जी व माता सकट की पूजा की जाती है।
  • जिसके बाद व्रत रखने वाली सभी औरते अपने हाथो में अन्‍न या फिर चावल के आखे लेकर भगवान गणेश जी और माता चौथ की कथा Sakat Chauth Vrat Katha सुननी चाहिए।
  • जिसके बाद चौथ माता को और गणेश जी को तिलपड्डी या फिर तिल के लड्डू का भोग लागा।
  • इसके बाद रात्रि के समय चौथ माता व गणपति जी के सामने जोत जलाकर उसमें बनाए हुए पकवानो का भोग लागए।
  • उसके बाद चंद्रमा की पूजा करे और जल का अर्घ्‍य देकर सकट चौथ का व्रत पूर्ण करे।

संकटो का होता है नाश

हिन्‍दु धर्म में इस व्रत को एक प्रसिद्ध त्‍यौहार भी माना जाता है जो मनुष्‍य इस चतुर्थी का व्रत नियमो व पालनों से करता हे उसके जीवन में सुख, सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। तथा उसके सभी पापों व संकटों का नाश होता है जिस कारण इसे सकट चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन तिल के लड्डुओं का भोग लगाना आवश्‍यक होता है जिस कारण इसे तिलकुट्टा चौथ (Tilkut Chautha 2022) भी कहा जाता है। जिस कारण इसे देश के कई स्‍थानों पर केवल तिलकुट्टा चौा के नाम से जाना जाता है

सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi)

Tilkut Chauth Vrat katha in Hindi/ तिलकुटा चौथ व्रत कथा

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Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi

एक समय की बात है किसी नगर में एक कुम्‍हार रहता था। एक दिन वह कुम्‍हार अपने बर्तन पकाने के लिए ‘आवा’ लगाया तो उसे बर्तन नहीं पके। जिस कारण वह बहुत दुखी हुआ और नगर के राजा के पास अपना फरियाद लेकर चला गया। राजा ने पंडितो को बुलाकर कुम्‍हार की समस्‍या के बारें में पूछा तो पण्डितजी ने कहा कि आज के बाद यदि तुम आवा जलाने से पहले किसी बच्‍चे की बलि देगा तो आवा स्‍वयं पक जाएगा। राजा ने उस कुम्‍हार को बच्‍चे की बली देने की आज्ञा दे दी थी।

वह कुम्‍हार रोज किसी बच्‍चे की बलि देकर आवा जलाता और अपने बर्तन को पकाता एसे करते हुए बहुत दिन बीत गऐ। उसी नगर में एक बुढि़या रहती थी जो सदैव चौथ माता व भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना व व्रत करती थी। किन्‍तु एक दिन उसके बेटे का नबंर आया तो उसे बुढिया माई ने अपने बेटे को चौथ माता के आखे व सुपारी देकर कहा की जब तुम आवा में बैठो तो इनको तुम्‍हारे चारो ओर बखेर लेना।

उसके बाद वह कुम्‍हार आया और उस बच्‍चे को ले गया और उसे आवा में बैठने को कहा तो उस लडके ने भगवान गणेश जी का नाम लिया और माता द्वारा दिए गए आखा और सुपारी को अपने चारो और बिखरकर बैठ गया। और इधर उसकी माता बुढिया चौथ माता के सामने बैठकर उसकी पूजा करने लगी। पहले कुम्‍हार का आवा पकने में कई दिन लगते थे। किन्‍तु इस बार एक ही दिन में कुम्‍हार का आवा पक गया यह देखकर कुम्‍हारा घबरा गया।

और इस बात की राजा से शिकायत करी राजा ने वहा आकर देखा तो सचमुच में एक ही दिन में आवा पक चुका था। तब उस बुढिया को बुलाकर लाए और कहा की तुमने क्‍या जादू-टोना किया है जिससे यह आवा एक ही दिन में पक गया। बुढिया ने जवाब दिया की मैने तो कुछ नहीं किया बस अपने बेटे को चौथ माता के आखे बखेर कर बैठने के लिए कहा था। उसके बाद उस आवा को बाहर निकाल कर देखा तो बुढिया का बेटा जिंदा एवं सुरक्षित था। राजा व नगरवासि इस घटना को देखकर आश्‍चर्य चकित रह गए।Sakat Chauth Vrat Katha

और माता सकट की कृपा से जिन बच्‍चों की अब से पहले आवा में बलि दी थी वाे सभी जीवित हो उठे थे। य‍ह देखकर पूरे नगर वासि बढे ही प्रसन्‍न हुए और उसी दिन से पूरे नगर में चौथ माता का व्रत का उत्‍सव मनाने लगे। तो दोस्‍तो आप भी सच्‍चे भाव से चौथ माता का व्रत करोगे तो माता रानी आपकी सभी मनोकमनाए पूर्ण करेगी।

डिस्‍कलेमर:- दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको सकट चौथ व्रत कथा Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi/ तिलकुटा चौथ व्रत कथा के बारें में विस्‍तार से बताया है। लेख में प्रदान करी हुई जानकारी पूरी पौराणिक कथाओं, व न्‍यूज, पंचांग के आधार पर लिखी है आपको बताना आवश्‍यक है। Onlineseekhe.com किसी तरह की पुष्टि नहीं करेगा अधिक जानकारी के‍ लिए किसी संबंधित विद्धान के पास जाएगा। यदि आपको हमारे द्वारा बातई हुई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करेद्य। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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