Sant Kabir Jayanti in Hindi ~ संत कबीर जयंती क्यों मनाई जाती है | संत कबीर दास जयंती 2022 । कबीर साहब की जयंती कब मनाई जाती है । Sant Kabir Das Biography in Hindi | Sant Kabir Das Jiveen Parichay in HIndi | संत कबीर का जीवन परिचय
Sant Kabir Jayanti 2022:- साथियो कबीर दास जी हमारे हिंदी साहित्य के बहुत बडे महान कवि है और एक समाज सुधारक भी थे। समाज मे होने वाले अत्याचारो, अपराधो व कुरितियों को रोकने के लिए दास जी ने बहुत प्रयास किए है। कई बार उन्हें समाज से बहिष्कृत भी होना पडा। लेकिन वे अडिग किस्म के व्यक्ति थे । उन्होंने अपने अंतिम समय तक हार नहीं मानी, और समाज का कल्याण करते रहे। और यदि आप कबीर दास जी के बारे अधिक जानकारी जानना चाहते है तो लेख के साथ अतं तक बने रहे।
परिचय

कबीर दास जी का जन्म 1398ई. मे काशी के लहरतारा नामक स्थान मे हुआ। इनका जन्म हिन्दू महिला की कोक से हुआ, लेकिन भरण-पोषण नीरू तथा नीमा(जो कि मुस्लिम धर्म से थे) नामक दम्पत्ति ने किया। इनका जन्म भक्ति काल मे हुआ। दास जी हमारे भारत के इतिहास के महान कवियों मे से एक है।इन्होंने अपने जीवन मे बहुत ही सुन्दर-सुन्दर कविताओ और रचनाऔ का उल्लेख किया है। ये दोनो धर्म से होने के बावजूद, कभी इन्होंने किसी भी धर्म मे भेदभाव नहीं किया। इन्होंने अपना सारा जीवन लोक कल्याण मे लगा दिया।
कबीर दास जी का जीवन / Sant Kabir Jayanti in Hindi
कबीर जी का जीवन बहुत ही कष्टदायक, संघर्षपूर्ण रूप से गुजरा। इनको बचपन मे इनकी माता तालाब के किनारे छोड के चली गई। तो वहा से गुजर रहे दो संपत्ति ने उन्हे देखा तो वे टोकरी मे पउे हुए बच्चे को उठा कर ले गए और उसे अपना लिया। उन्होंने अपने बेटे की तरह उसका(कबीर दास जी) पालन-पोषण किया।इन्होंने अपने जीवन मे ज्यादा पढाई-लिखाई नहीं की थी। ये शुरू से ही साधु संत की संगति मे रहते थे इनके सोचने का नजरीया सबसे अलग था। समाज मे उपस्थित पाखंडी, कुरीतियों,धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचारों का विरोध करते थे। उन्होंने अपने जीवन में इन्हीं सब नकारात्मक कार्यो को रोकने के लिए बहुत से प्रयास किए।
कबीर दास जी की शिक्षा
वे जुलाहे परिवार से थे। शुरू से ही उन्हे अपने परिवार की जिम्मेेदारी मिल गई थी। उन्होंने अपने जीवन मे ज्यादा पढाई-लिखाई नहीं की लेकिन उन्हें धार्मिक शिक्षा स्वामी रामानन्द जी ने दी थी। एक बार संत कबीर दास जी घाट की सिढियों पर लेटे हुए थे तो वहा से गुजर रहे स्वामी रामानन्द जी के पैर अनजाने मे दास जी पर पडे और वे राम-राम कहने लगे। उन्हे अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्हें संत कबीर दास जी को अपना शिष्य बनाना पडा। इस प्रकार कबीर दास जी को रामानन्द जी का सानिध्य प्राप्त हुआ।
कबीर दास जी उनके(स्वामी रामानन्द जी) अत्यंत प्रिय श्ष्यि बन गए। कबीर दास जी उनकी हर एक बात काे कंठस्थ कर लेते थे। उनकी हर एक बात को अपने जीवन मे अमल करते। वे बहुत ही ज्ञानी थे वे स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे फिर भी उन्हें ब्रज, भोजपुरी, अवधि और हिंदी जैसी अनेक भाषाओं का ज्ञान था। इनकी अनेक रचनाओ मे सभी भाषाओं की झांकीयां देखने को मिलती हैं इसलिए इनकी भाषाओं को ”सधुक्कडी” व”खिचडी” भाषा कहते हैं।
कबीर दास जी ने स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की तो उन्होंने रचनाए स्वयं ना लिखकर, अपने शिष्यों को अपने बोल संग्रहित करवाए। उनके एक शिष्य धर्मराज नाम का था जिन्होंने ‘बीजक’ नामक ग्रन्थ लिखा जिसके तीन भाग है-साखी,सबद और रमैनी।
कबीर दास जयंती 2022
Sant Kabir Jayanti in Hindi
संत कबीर दास जी की जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथी को मनाया जाता है इस साल 2022 मे संत कबीरदास जी की जयंती 14जून 2022 को मनाई जायेगी।
- संत कबीर दास जयंती 2022 कब है:– 14 जून 2022
- Sant Kabir Das Jayanti 2022 Date:-14 june 2022
आपको बता दे कि संत कबीर दास जी कि 2022 मे 645 वीं जयंती मनाई जाएगी। हिन्दू ध्रर्म के लोग इसे अभी भी धुम धाम से मनाते है। इस दिन स्कूलो मे एवं काॅलेजो मे कबीर जी के दोहे दोहराए जाते है। संत कबीर दास जी के लगभग 350 से भी ज्यादा दोहे है।
जैसे:- जाति न पूछे साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान । मोल करो तलवार का, पडा रहन दो म्यान ।।
अर्थात:- सज्जन लोगो की जति नहीं पूछनी चाहिए, बल्कि उनके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है, न की उसे ढकने वाले खोल का।
कबीर दास जी का जब देहान्त हुआ तो उनके शव को लेकर हिन्दू और मुसलिम मे विवाद उत्पन्न हो गया। ऐसा कहा जाता है कि जब मृत शरीर से चादर हटाई तो उसमे शव की जगह फुलों का ढेर मिला तो दोनो धर्म के लोगो ने आधे-आधे फूलों से अपने रीति-रिवाज से उनका अन्तिम सस्ंकार किया। हम सब संत कबीरदास द्वारा कही गई बातो, विचारो तथा उपदेशों को अपने जीवन मे अमल करने का प्रयास करना चाहिए।
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