Saphala Ekadashi Vrat Katha in Hindi | सफला एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha in Hindi | सफला एकादशी 2021 | Gyaras Vrat Katha in Hindi | ग्यारस व्रत कथा | Saphala Ekadashi 2021 in Hindi | सफला एकादशी
पौराणिक मान्यतओं के अनुसार हिन्दु धर्म में सभी एकादशीयों का बड़ा ही महत्व होता है जो प्रतिमहा दो बार आती है परन्तु आज हम बार करेगे सफला एकादशी व्रत के बारे में। हिन्दी पंचाग के अनुसार पौष महीने की कृष्णपक्ष की एकादशी को ही सफला एकादशी कहते है। जो की इस वर्ष की अंतिम एकादशी (ग्यारस) है इसका व्रत करने से व्यक्ति के सारे कार्य सफल हो जाते है क्योकि यह व्रत भ्रगवान विष्णु जी या कृष्ण जी को समर्पित है। यदि आप भी सफला एकादशी का व्रत करते है तो नीचे दी गई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।
सफला एकादशी का महत्व (Saphala Ekadashi 2021 in Hindi)

वैसे तो सभी एकादशीयो अपने आप में एक बड़ा ही महत्व रखती है। और इस एकादशी का महत्व तो आप नाम से ही समझ गऐ होगे की ‘सफला’ अर्थात सभी कार्य को सफल या फिर ‘सफलता’ दिलाने वाली एकादशी सफला एकादशी कहलाती है। मान्यताओं के अनुसार इसे पापों की मुक्ति दिलाने वाली एकादशी भी माना जाता है
क्योंकि इस एकादशी के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी ने सम्राट युधिष्ठिर को बताया था। जिसके करने से युधिष्ठिर के सभी बंधु-बाधवों को मुक्ति प्रदान हो गई थी और उन पर भगवान विष्णु जी अति प्रसन्न हुए थे। तभी से इस एकादशी का महत्व और भी बड़ गया था।
सफला एकादशी कब है (Saphala Ekadashi 2021 Date)
व्रत का नाम | सफला एकादशी व्रत |
कब है | 30 दिसबंर 2021 |
हिन्दी पंचाग के अनुसार कब है | पौष मास की कृष्णपक्ष की एकादशी को |
सफला एकादशी व्रत किस देवता को समर्पित है | भगवान विष्णु जी को |
वैसे तो हिन्दी पंचाग के अनुसार सफला एकादशी (सफला ग्यारस का व्रत) पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है जो की इस वर्ष 30 दिसबंर 2021 गुरूवार के दिन है जो की वर्ष की अंतिम एकादशी है ज्योतिषों व पंडितों के अनुसार सफला एकादशी गुरूवार के दिन होने के कारण इस व्रत को और भी ज्यादा महत्व व शुभ माना जा रहा है। कयोंकि गुरूवार तो स्वयं भगवान विष्णु जी का वार होता है
सफला एकादशी शुभ मुहूर्त (Saphala Ekadashi Shubh Muhurat 2021 )
- सफला एकादशी व्रत प्रारंभ:- 29 दिसबंर 2021 बुधवार को दोपहर के 04:12 मिनट पर
- सफला एकादशी तिथि समापन:- 30 दिसबंर 2021 को दोपहर के 01:40 मिनट पर
- ग्यारस व्रत पारण का शुभ मुहर्त:- 31 दिसबंर 2021 शुक्रवार प्रात: 07:14 से लेकर सुबह 09:18 मिनट तक
आप ऊपर बताऐ हुए शुभ मुहूर्त के बीच में इस सफला एकादशी व्रत की पूजा कर सकते है तथा व्रत का पारण कर सकते है।
Saphala Ekadashi Vrat Katha in Hindi
सफला एकादशी व्रत पूजा विधि (Saphala Gyaras Vrat Puja Vidhi 2021)
- सफला एकादशी का व्रत रखने वाले सभी व्यक्तियों को प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करे। जिसके बाद भगवान सत्यनाराण को जल से अर्घ्य देकर विष्णु भगवान को स्मरण करे।
- जिसके बाद पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी चढ़ाऐ और विष्णु भगवान का ध्यान करे।
- अब एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करे। और शुद्ध जल से भरा हुआ पानी का लौटा भी एक ओर रखे।
- जिसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा धूप, दीप, फल, फूल, रौली-मौली, चावल, पंचामृत, नारियल, सुपारी, आंवला, अनार, लौंग, तुलसी, अगरबत्ती, नैवेद्य, चावल, घी आदि से पूजा करे।
- विष्णु भगवान की पूजा करते समय ‘ऊॅ नम: भगवते वासुदेवाय नम:’ इस महामंत्र का जाप करे और विधिवत रूप से पूजा करे।
- जिसके बाद सफला एकादशी व्रत कथा Saphala Ekadashi Vrat Katha in Hindi सुने और भगवान विष्णु जी की आरती ऊतारे, जिसके बाद उनको प्रसाद अर्पण करे।
- यह एकादशी का व्रत फलाहार होता है तो सूर्य भगवान के छिपने से पहले आपको फलों का सागार कर लेना है। तथा व्रत का पारण दूसरे दिन किया जाता है।
- द्वादशी वाले दिन स्नान आदि से मुक्त होकर ब्राह्माणें को भोजन कराऐ तथा जरूरतमंदों को भोजन कराकर यथा शक्ति दान-दक्षिणा दे। जिसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करे।

Saphala ekadashi Vrat Katha in Hindi (सफला एकादशी व्रत कथा)
पद्य पुराण के अनुसार एक समय महिष्मान नाम का राजा था जिसका बड़ा बेटा लुम्पक हमेशा अर्धक के मार्ग पर चलकर पापी बन चुका था। राजा उसको बहुत समझाते थे किन्तु वह उसी मार्ग पर चलता था। एक दिन राजा ने उसे अपने राज्य से बाहर निकालकर देशद्रोही की सजा दे दी। जिसके बाद राजकुमार लुम्पक जंगल में निवास करने लगा।
एक दिन पौष माह की दशमी थी उस दिन रात्रि के समय बहुत ज्यादा ठंड होने के कारण वह सो नही सका। जिसके कारण वह सुबह तक बेहोश की हालत में हो गया। जब दोपहर का समय हुआ और राजकुमार लुम्पक को होश आया तो देखा की दोपहर हो चुकी थी। उसे भुख सताने लगी वह उठा और फल लेने चल दिया।
संध्या में सूर्यास्त से पहले उसने भरपेट फल खाये और अपनी स्वयं की किस्तम को कोसते हुए भगवान को याद करने लगा। जिसके कारण वह एकादशी वाले दिन भी सो नही पाया। और इस प्रकार उसकी अनजाने में पौष मास की कृष्णपक्ष की सफला एकादशी का व्रत पूर्ण हो गया। और इसी व्रत के प्रभाव से राजकुमार लुम्पक पूरी तरह सुधर गया। जिसके बाद वह अपने पिता के राज्य में चला और सारा वृत्तांत सुना दिया।
जिसके बाद वह राजा अपना पूरा राज-पाठ राजकुमार अर्थात अपने पुत्र लुम्पक को सौंपक उसे राजा घोषित करके स्वयं जंगल में तपस्या करने चला गया। और राजा लुम्पक ने भी अच्छे से शासन किया और वृद्धवस्था में उसने अपने पुत्र को राजा घोषित कर दिया। स्वयं तपस्या के लिए जंगल में चला गया। जिसके कुछ वर्षो के बाद राजा लुम्पक की मृत्यु हो गई।
मृत्यु के पश्चात राजा को मोक्ष धाम मिला अर्थात उसे विष्णु लोक का स्थान मिला। मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जी ने सफला एकादशी व्रत के बारें में सम्राट युधिष्ठिर को बताया था। और कहा था इस संसार में जो कोई पुरूष सफला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको सफला एकादशी/ सफला ग्यारस व्रत Saphala Ekadashi Vrat Katha in Hindi के बारें में बतया है। यदि हमारे द्वारा बताई हुई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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