Sawan Shivratri vrat: सावन शिवरात्रि व्रत इस बार भक्‍तों के लिए बहुत खास है जानिए व्रत कथा, शुभ मुहूर्त

Sawan Shivratri Vrat Katha in Hindi:- मासिक शिवरात्रि व्रत हर महीने की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है पर सावन के महिने में आने वाली शिवरात्रि व्रत सभी भक्‍तों के लिए बहुत खास है। इस साल सावन में दो मासिक शिवरात्रि का संयोग आपके लिए बन रहा है तो आइए जानते है सावन मासिक शिवरात्रि व्रत के बारें में……………

सावन शिवरात्रि व्रत

सावन शिवरात्रि व्रत का महत्‍व/Sawan Shivratri Vrat ka Mahatava

शिव पुराण के अनुसार सावन का महिना भगवान शिवजी को अर्पित है. अत: इस मास में जो भी भक्‍त जन भगवान शिव शंकर जी की अराधना, पूजा, पाठ आदि करता है उसकी सभी इच्‍छाए पूर्ण होती है। सावन के शुरूआत होने पर अधिकतर लोग कांवड यात्रा के लिए जाते है जो सावन शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि पर समाप्‍त होती है। कावडिए किसी पवित्र स्‍थान से जल भरकर लाते है और भगवान शिवजी का जलभिषेक करते है।

ऐसा करने से शिव भक्‍तों पर भगवान भोलनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है उसके सभी कष्‍ट दुख दूर हाेते है। सावन का मास बहुत खास होने से इसमें पड़ने वाले सभी सेामवार व्रत, मंगला गौरी व्रत, मासिक शिवरात्रि व्रत इत्‍यादि विशेष महत्‍व है।

सावन मासिक शिवरात्रि व्रत क्‍यों किया जाता है

पौराणिक मान्‍यताओं व शिव पुराण के अनुसार बताया गया है. की सावन महिने की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिवजी माता पार्वती के सामने प्रकट हुऐ, और कुछ मान्‍यताओं के अनुसार इसी चतुर्दशी को देवी पार्वती जी के संग भगवान भोलेनाथ जी ने विवाह किया। दोनो विवाह के बंधन में बंधकर पती व पत्‍नी बने, इसी लिए सावन महिने की मासिक शिवरात्रि व्रत अधिक खास मानी गई है।

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सावन शिवरात्रि व्रत कब है/Sawan Shivratri Vrat Kab Hai

सावन का महिना तो 04 जुलाई 2023 से शुरू हो गया और सावन की पहली मासिक शिवरात्रि व्रत 15 जुलाई 2023 शनिवार के दिन है। जिसके बाद दूसरा मासिक शिवरात्रि व्रत सावन में 14 अगस्‍त 2023 के दिन पड़ रहा है। दूसरा शिवरात्रि व्रत इस साल अधिकमास में रहेगा।

सावन शिवरात्रि‍ व्रत मुहूर्त/Sawan Shivratri Shubh Muhurat

सावन में पहली मासिक शिवरात्रि व्रत 15 जुलाई 2023 शनिवार के दिन है जिसकी शुरूआत 15 जुलाई रात्रि 08:32 मिनट पर होगी और समाप्‍त 16 जुलाई 2023 को 10:08 मिनट पर होगी।

भगवान शिवजी की पूजा का समय प्रात: 12:07 से लेकर 12:48 मिनट तक रहेगा। 16 जुलाई 2023 में

सावन में अधिकमास में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि व्रत 14 अगस्‍त 2023 के दिन है जिसकी शुरूआत 14 अगस्‍त सुबह 12:25 मिनट पर होगी और 15 अगस्‍त 2023 को दोपहर 12:42 मिनट पर होगी।

शिवजी के पूजा का समय:- 15 अगस्‍त 2023 को प्रात: 12:04 से लेकर 12:48 मिनट तक रहेगा।

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सावन शिवरात्रि व्रत कथा/Sawan Shivratri Vrat Katha in Hindi

प्राचीन समय की बात है एक चित्रभानु नामक शिकारी था। वह शिकार करके उसे बेचता और अपने परिवार का पेंट भरता। वह उसी नगर के एक साहूकार का कर्जदार था और आर्थिक तंगी के कारण समय पर उसका ऋण नहीं चुका पा रहा था। जिससे साहूकार को गुस्‍सा आ गया और शिकारी चित्रभानु को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोगवश उसी दिन मासिक शिवरात्रि थी।

जिस कारण शिवमंदिर में भजन व कीर्तन हो रहे थे और वह बंदी शिकारी चित्रभानु पूरी रात भगवान शिवजी के भजनों व कथा का आनंद लिया। सुबह होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के लिए कहा। शिकारी चित्रभानु ने कहा हे सेठजी मैं कल तक आपका ऋण चुका दूगा। उसका यह वचन सुनकर सेठजी ने उसे छोड़ दिया।

जिसके बाद शिकारी शिकार के लिए जंगल में चला गया किन्‍तु पूरी रात बंदी गृह में भुखा व प्‍यासा होने के कारण वह थक गया औ व्‍याकुल हो गया। और इसी प्रकार वह शिकारी की खोज में बहुत दूर आ चुका था और सूर्यास्‍त होने लगा तो उसने साेचा आज तो रात जंगल में ही बितानी पड़गी। ऊपर से कोई शिकार भी नहीं कर पाया जिससे बेचकर सेठजी का ऋण चुका देता।

यह सोचकर वह एक तालाब के पास पहुच गया और भर पेट पानी पीया। जिसके बाद वह बेल के पेंड में चढ़ गया जो की उसी तालाब के किनारे था। उसी बिलपत्र के पंड के नीचं शिवलिंग की स्‍थापना हो रही थी किन्‍तु वह पूरी तरह बिल की पत्तियों से ढ़का होने के कारण उस शिकारी को दिखाई नहीं दिया। शिकारी चित्रभानु पेंड़ में बैठने के लिए बिल की टहनीया व पत्ते तोड़कर नीचे गिराया।

संयोगवश वो सभी टहनिया व पत्ते भगवान शिवलिंग की पर गिरते रहे। और शिकारी चित्रभानु रात्रि से लेकर पूरे दिन-भर का भूखा प्‍यासा था। और इसी प्रकार उसका मासिक शिवरात्रि का व्रत हो गया। कुछ समय बाद उस तालाब पर पानी पीने के लिए एक गर्भवती हिरणी आई। और पानी पीने लगी । हिरणी को देखकर शिकारी चित्रभानु ने अपने धनुष पर तीर चढ़ा लिया और छोड़ने लगा तो गर्भवती हिरणी बोले।

तुम धनुष तीर मत चलाओं क्‍योंकि इस समय मैं गर्भवती हूॅ और तुम एक साथ दो जीवों की हत्‍या नहीं कर सकते। परन्‍तु मैं जल्‍दी ही प्रसव करूगी जिसके बाद मैं तुम्‍हारे पास आ जाऊगी तब तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने अपने धनुष को ड़ीला कर लिया। इतने में वह हिरणी झाडि़यों में लुफ्त हो गई।

ऐसे में जब शिकारी ने अपने धनुष की प्रत्‍यंचा चढ़ाई और ढीली करी तो उसी दौरान कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐेसे में शिकारी के हाथो से प्रथम पहर की पूजा भी हो गई। कुछ समय बाद दूसरी हिरणी झाडि़यों में से निकली उसे देखकर शिकारी के खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। चित्रभानु ने उस हिरणी का शिकार करने के लिए अपन धनुष उठाया और तीर छोड़ने लगा तो हिरणी बोली हे शिकारी आप मुझे मत मारो।

मैं अभी ऋतु से निकली हूॅ और अपने पति से बिछड़ गई। उसी को ढूढ़ती हुई मैं यहा तक आ पहुची। मैं अपने पति से भेट कर लू उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। यह कहकर वह हिरणी वहा चली गई शिकारी चित्रभानु अपना दो बार शिकारी खो कर बड़ा दु:खी हुआ। और चिंता में पड़ गया की प्रात सेठजी का ऋण कहा से चुकाऊगा।

जब शिकारी ने दूसरी हिरणी का शिकार करने के लिए धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाई तो कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐसे में पूजा का दूसरा प्रहर भी सम्‍पन्‍न हो गया। ऐसे में अर्ध रात्रि बीत गई और कुछ समय बाद एक हिरणी अपने बच्‍चों के साथ तालाब पर पानी पीने के लिए आई। चित्रभानु ने जरा सी देरी नहीं की और धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाई और तीरे को छोडने लगा। इतने में वह हिरणी बोली-

हे शिकारी आप मुझे अभी मत मारों यदि मैं मर गई तो मेरे बच्‍चे अनाथ हाे जाएगे। मैं इन बच्‍चों को इनके पिता के पास छोड़ आऊ जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर शिकारी चित्रभानु जोर से हंसने लगा और कहा सामने आए शिकार काे कैसे छोड़ सकता हॅू। मैं इतना भी मूर्ख नहीं हॅू। क्‍योंकि दो बार मैने अपना शिकारी खो दिया है अब तीसरी बार नहीं।

हिरणी बोले जिस प्रकार तुम्‍हे अपने बच्‍चों की चिंता सता रही है उसी प्रकार मुझे अपने बच्‍चों की चिंता हो रही है मैं इन्‍हे इनके पिता के पास छोडकर वापस आ जाऊगी जिसके बाद तुम मेरा शिकारी कर लेना। मेरा विश्‍वास किजिए शिकारीराज। हिरणी की बात सुनकर शिकारी का दया आ गई और उसे जाने दिया। ऐसे में शिकारी के हाथों से तीसरे प्रहर की पूजा भी हो गई।

कुछ समय बाद एक मृग वहा पर आया उसे देखकर चित्रभानु ने अपना तीर धनुष उठाया और उसके शिकार के लिए छोड़ने लगा। तो वह मृग बड़ी नम्रता पूर्वक बोला हे शिकारी यदि तुमने मेरे तीनों पत्‍नीयों और छोटे बच्‍चों को मार दिया। तो मुझे भी मार दो क्‍योंकि उनके बिना मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। यदि तुमने उनको नहीं मारा है तो जाने दो। क्‍योंकि मैं उन तीनों हिरणीयों का पति हॅू और वो मेरी ही तलाश कर रहीं है। यदि मैं उन्‍हे नहीं मिला तो वो सभी मर जाएगे।

मैं उन सभी से मिलने के बाद तुम्‍हारे पास आ जाऊगा जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर सकते हो। उस मृग की बात सुनकर शिकारी को पूरी रात का घटनाच्रक समझ आ गया और उसने पूरी बात उस मृग को बता दी। मेरी तीनो पत्निया जिस प्रकार प्रण करके गई है उसी प्रकार वो वापस आ जाएगी। क्‍योंकि वो तीनो अपने वचन की पक्‍की है। और यदि मेरी मृत्‍यु हो गई तो वो तीनों अपने धर्म का पालन नहीं करेगी।

मैं अपने पूरे परिवार के साथ शीघ्र ही तुम्‍हारे सामने आ जाऊगा। कृपा करके अभी मुझे जाने दो। शिकारी चित्रभानु ने उस मृग को भी जाने दिया। और इस प्रकार अनजाने में उस शिकारी से भगवान शिवजी की पूजा सम्‍पन्‍न हो गई। जिसके बाद शिकारी का हृदय बदल गया और उसके मन में भक्ति की भावना उत्‍पन्‍न हो गई।

कुछ समय बाद मृग अपने पूरे परिवार अर्थात तीनो हिरणी व बच्‍चों के साथ उस शिकारी के पास आ गया। और कहा की हम अपनी प्रतिज्ञा अनुसार यहा आ गऐ अब आप हमारा शिकार कर सकते है। शिकारी चित्रभानु जंगल के पशुओं की सच्‍ची भावना को देखकर उसका हृदय पूरी तरह पिघल गया। और उसी दिन से उसने शिकारी करना छोड़ दिया।

दूसरे दिन प्रात: होते ही सेठजी का ऋण किसी ओर से उधार लेकर चुकाया और स्‍वयं मेहनत करने लगा। इसी प्रकार उसने अपने जीवन का अनमोल बनाया। जब शिकारी चित्रभानु की मृत्‍यु हुई तो उसे यमदूत लेने आऐ किन्‍तु शिव दूतो ने उन्‍हे भगा दिया और उसे शिवलोक ले गए। इसी प्रकार उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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Disclaimer:- आज आप सभी को लेख में सावन महिने में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि व्रत Sawan Shivratri Vrat Katha in Hindi के बारें में बताया है यह काहानी आपको पौराणिक मान्‍यताओं, काल्‍पनिक कथाओं के आधार पर लिखकर बताया है। आपको यह बताना बहुत जरूरी है Onlineseekhe.com किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं देता है अत- अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ, पंडित व विद्धान के जाए। धन्‍यवाद

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