Sheetala Ashtami 2022~ शीतला अष्टमी कब है जानिए व्रत कथा, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि | Sheetala Ashtami Kab Hai | बासोड़ा पूजन 2022 | Sheetala Ashtami 2022 Date | बासोड़ा कब है | Sheetala Ashtami Vrat Katha | शीतला अष्टमी 2022 | Basoda Festival in Hindi | शीतला अष्टमी व्रत कथा | Basoda Kab Hai | अष्टमी कथा | Basoda 2022 in Hindi | Basoda | शीतला अष्टमी का त्यौहार कब है
आप तो यह जानते है की हिन्दु धर्म में हर किसी त्यौहार व व्रत का कुछ खास महत्व जरूर होता है। और यहा आए दिन कुछ पर्व व व्रत जरूर होता है। और आज के इस लेख में हम आपको शीतला अष्टमी अर्थात बसोड़ा के त्यौहार के बारें में विस्तार से बताएगे। की इस पर्व को मनाने के पीछे क्या कथा है। व किस प्रकार बसोड़ा का त्यौहार Sheetala Ashtami Festival मनाया जाता है। उसके लिए आप लेख के साथ अतं तक बने रहे।
Sheetala Ashtami in Hindi (बसोड़ा 2022)
बसोड़ा (Sheetala Ashtami Festival) का पर्व होली के सात या फिर आठ दिन बाद आता है जो की प्रतिवर्ष चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष में प्रथम सोमवार के दिन मनाया जाता है। इसके अलावा कई जगहो पर कृष्ण पक्ष में गुरूवार के दिन भी मनाया जाता है और इस वर्ष Sheetala Ashtami Festival 25 मार्च 2022 के दिन मनाया जाएगा। इस खास पर्व वाले दिन सभी व्यक्ति बासी भोजन (एक दिन पहले बना हुआ) खाते है। जिस कारण इसे बसोड़ा का त्यौहा (Basoda Festival in Hindi) भी कहा जाता है।
शीतला अष्टमी क्या है

शीतला अष्टमी हिन्दुओं का मात्र एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन बासी अर्थात ठंडे पकवानों का प्रसाद माता शीतला को चढ़ाया जाता है। यह प्रसादा शीतलाष्टमी के एक दिन पहले अर्थात शीतला सप्तमी के दिन बनाया जाता है। जिसमें खास तौरा पर मीठे चावल जो की गुड़ या गन्ने के रस से बनाये जाते है उनका भोगा माता शीतला देवी का लगाया जाता है। घर की औरते इस दिन माता शीतला का व्रत पति व पुत्र की लम्बी आयु व घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए करती है।
शीतला अष्टमी पर बासी प्रसाद क्यों चढ़ाया जाता है जानिए
वैसे तो आपको इस त्यौहार के नाम से पता चल गया होगा की शीतला अर्थात शीतल/ठंडा है जिसे शीतलता पसंद है क्योंकि देवी शीतला को ठंडा भोजन पसंद होने के कारण बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है। इस पर्व पर भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते है। और सुबह जल्दी उठकर माता शीतला की पूजा की जाती है।
शीतला अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त
इस साल शीतला अष्टमी का पर्व 25 मार्च 2022 के दिन पड़ रहा है जिसकी शुरूआत 24 मार्च 2022 को गुरूवार को रात्रि के 12:09 मिनट पर हो जाएगी। और 25 मार्च की रात्रि को 10:04 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। पूजा करने का शुभ मुहूर्त 25 मार्च को प्रात: 02:39 मिनट से लेकर दोपहर 12:34 तक रहेगा। आप इस शुभ मुहूर्त के बीच में शीतला माता की पूजा कर सकते है।
शीतला अष्टमी पूजा विधि जानिए
- बसोड़ा वाले दिन सभी महिलाओं को जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- जिसके बाद एक थाली में रबड़ी, रोटी, चावल, रोली, मौली, मॅूग की छिलके वाली दाल, हल्दी, धूपबत्ती, एक गूलरी (बड़कुल्ला) की माला, फूलों की माला, पानी का लौटा जिसमें छाछ या दहीं मिला हुआ होना चाहिए।
- आदि सभी समान को लेकर परिवार के सभी सदस्यों का हाथ लगावे और माता शीतला की पूजा करने निकल जाना है।
- रास्ते में सभी महिलाऐं मिलकर माता के गीत-गान करती है
- यदि किसी के घर में कुंडारा भरा जाता हो तो वे एक बड़ा कुंडारा और छ: छोटे कुंडारों और बाजार से मॅगवा लेना चाहिए।
- इन सभी कुंडारों में अलग-अलग पकवान जैसे- रबड़ी, भात, रासगुल्ले, बाजरा, पिसी हुई हल्दी इच्छानुसार पैसे आदि रखकर उनकी पूजा करना है।
- पूजा के समय हल्दी का तिलक किया जाता है जिसके बाद इन सभी कुंडारों को एक बड़े कुंडारे में रख लेना है।
- इसके बाद फूल माला (गुलरी की माला) सब कुण्डारों और सभी पूजा साम्रगी पर चढ़ाकर माता शीतला को अर्पित कर देना है।
- माता को छाछ व दही मिला हुआ पानी चढ़ाकर अपने लौटे में थोड़ा सा सफडाउ लेना है। और उसके छिटे पूरे घर-आंगन में देना है।
- जिसके बाद शीतलाष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है।
शीतलाष्टमी व्रत की कथा
एक समय की बात है एक राजा था जिसका बहुत बड़ा साम्राज्य था। उस राजा के एक पुत्र था किन्तु एक दिन अचानक से राजकुमार को शीतला (चेचक) की बीमारी हो गई जिसे आम भाषा में माता माई निकलना कहते है। और उसी राज्य में एक काछी के पुत्र को भी शीतला निकली हुई थी। काछी का बहुत गरीब होने के कारण उसका इलाज किसी वैद्य के पास नहीं करवा सका। किन्तु किसी के कहने पर वह रोज माता शीतला की पूजा करता और बासा भोजना चढ़़ाता और हमेशा घर की साफ-सफाई रखता। और घर में नमक, तेल, भुनी व तली हुई वस्तु पर रोक लगा दी। और सभी परिवार के सदस्य को ठंडा खिलाता था। ऐसा करने से उसका बेटा बहुत जल्दी ठीक व बिल्कुल स्वस्थ हो गया।
और इधर राजा का बेटा उस बीमारी से और भी ज्यादा ग्रसित हो रहा था। राजा ने बीमारी का प्रकोप कम करने के लिए शीतला माता के मंदिर में यज्ञ आदि करवाता और अच्छे-अच्छे पकवाने बनवाकर माता को अर्पित करता। कई बार सब्जी के साथ मांस भी पकाया जाता और भोग चढ़ाया जाता था। किन्तु कई बार राजकुमार खाने की जिद करता तो उसकी जिद पूरी कर दी जाती थी। जिस कारण माता का प्रकोप कम होेने के कारण ज्यादा होने लगा।
इस प्रकार राजकुमार के पूरे शरीर में कोढ़ हो गया और उनमें जलन होती उसे बहुत दर्द होता। राजा को समझ नहीं आ रहा था की मैं इतना कुछ कर रहा हॅू फिर भी मेरा बेटा ठिक नहीं हो रहा है। एक दिन राजा के गुप्चरों ने बताया की नगर में एक काछी के पुत्र को भी शीतला निकल आई थी और वह बिल्कुल ठिक हो गया। यह सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ गया और सोचन लगा की मैं दिन रात इतनी सेवा करता हॅू फिर भी मेरा बेटा ठिक नहीं हो रहा है।
यही सोचते हुए राजा को नीद आ गई और वह सो गया मध्य रात्रि के समय उसके स्वपनों में देवी शीतला प्रक्रट हुई और बोली हे राजन मैं तुम्हारी इस सेवा से बहुत प्रसन्न हूॅ और इसी कारण तुम्हार बेटा आज जीवित है। किन्तु वह सही इस लिए नहीं हो रहा है क्योंकि तुमने कुछ नियमों का उल्लंघन किया है तुमने ठंडा भोजन ग्रहण नहीं किया और नमक, तली हुई वस्तु आदि को बंद नहीं किया है। यदि तुम इन सभी नियमों का पालन सही से करोगें तो तुम्हारा बेटा बिल्कुल ठिक हो जाएगा।
राजा की अचानक नींद खुली और वह प्रात: ही देवी की पूजा किया और बासा खाना अर्पित किया और पूरे महल में नमक, तेल, तलवी हुई चीज आदि बंद कर दी। जिसके कुछ दिनों के बाद राजा का बेटा पूरी तरह से सही हो गया। जिसके बाद राजा ने पूरे राज्य में आदेश दिया की प्रतिवर्ष चैत्र मास की कृष्ण पक्ष को जो भी प्रथम सोमवार व गुरूवार होगा उसी दिन माता शीतला की पूजा-अर्चना की जाएगी।
शीतला अष्टमी व्रत कथा/बासोड़ा की कथा
प्राचीन समय में एक छोटा सा गॉव था जिसमें एक बुढि़या माई प्रतिवर्ष बसोड़ा आने पर माता शीतला की पूजा करती और बासा खाने का प्रसाद चढ़ाती थी। ऐसा करते हुए उस बुढिया को कई वर्ष बीत गए किन्तु बाकी गॉंव वाले बासोड़ा का पर्व नहीं मानते थे। एक दिन किसी कारण गॉव में अचानक आग लग गई और सभी के घर जलकर राख हो गऐ किन्तु उस बुढिया माई का घर बिल्कुल सही-सलामत रहा। यह देख सभी गॉव के लोग आश्चर्य चकित रह गए और उन्होने उसका कारण पूछा। तो उस बुढिया ने जवाब दिया की यह सब माता शीतला की कृपा से हुआ है। उसी दिन से सभी गॉंव के लोग शीतलाष्टमी का त्यौहार मनाने लगे।
साथियों आज के इस लेख में आपको शीतलाष्टमी के त्यौहार Sheetala Ashtami Festival के बारें में रोचक तथ्य बताए है। यदि हमारे द्वारा बताई हुई जानकारी अच्छी लगी हो तो सभी के साथ साझा करे। और किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे। धन्यवाद
Pingback: तो इसलिए मनाया जाता है Gangaur Festival जानिए व्रत कथा, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त