श्री सत्‍यनारायण भगवान की व्रत कथा पढे | Sri Satyanarayan Ki Vrat Katha In Hindi

श्री सत्‍यनारायण भगवान की व्रत कथा पढे | Sri Satyanarayan Ki Vrat Katha In Hindi

दोस्‍तो आज हम इस लेख के द्वारा आपको Satyanarayan Vrat Ki Katha के बारे में विस्‍तार से बताएगे। जैसा कि आप सभी जानते है हमारे हिन्‍दू धर्म में कई तरह के देवी-देवताओ को माना जाता है। ऐसे में हम बात कर रहे है भगवान सत्‍यनारायण के बारे में, जिन्‍हे इस ब्रहाण्‍ड का रचियता भी माना जाता है। देवताओ के भी देवता माने जाने वाले सत्‍यनारायण भगवान ने धरती पर अधर्मीयो का नाश करने के लिए कई अवतारो जैसे – विष्‍णु, चतुर्भुज, कृष्‍ण, राम, परशुराम, बलराम, मीन भगवान एवं सत्‍यनारायण आदि के रूप में जन्‍म लिया। इन अवतारो के माध्‍यम से प्रभु ने समय समय पर धरती पर अवतरीत होकर पापीयो का नाश किया तथा धर्म की रक्षा की।

हमारे हिन्‍दु धर्म के शास्‍त्राें में भी कहा गया है कि इस संसार में जो भी मनुष्‍य भगवान विष्‍णु की सेवा भक्ति, पूजा पाठ, व्रत आदि करेगा वह इस पृथ्‍वी लोक से मुक्‍त होकर गोलोक में परमपिता परमेश्‍वर के पावन चरणो को प्राप्‍त करेगा। भगवान विष्‍णु की भक्ति में मन लगाने वाले सभी भक्‍तों की मनोकामनाओ को भगवान पूरी करता है। अगर आप भगवान सत्‍यनारायण को प्रसन्‍न करने के लिए उनकी पूर्जा अर्चना एवं व्रत रखते है तो आज की इस पोस्‍ट मे हम भगवान सत्‍यनारायण की व्रत कथा (Sri Satyanarayan Vrat Ki Katha) के बारे में विस्‍तार से बताएंगे इसलिए आप इसे पूरा जरूर पढ़े।

श्री सत्‍यनारायण भगवान की पूजा की विधि

संसार का जो भी मनुष्‍य सत्‍यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना और व्रत रखता है उसे सुबह जल्‍दी उठकर सबसे पहले स्‍नान करना चाहिए। स्‍नान करने के पश्‍चात् भगवान की पूजा करने बैठै एवं पूजा के दौरान भगवान सत्‍यनारायण, श्री गणेश, गौरी, वरूण, व समस्‍त देवी देवताओं का स्‍मरण कर पूजा करें और अपने मन मे यह सकंल्‍प करे कि मै हमेशा श्री सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनुगा। पूजा करते समय हाथ में फुल लेकर भगवान ध्‍यान करें और उन फूलो को किसी नदी या तालाब में श्रद्धा पूर्वक छोड़कर भगवान को प्रणाम करके सत्‍यनारायण भगवान की कथा (Sri Satyanarayan Vrat Ki Katha) पढ़े या किसी से सुने।

भगवान सत्‍यनारायण व्रत कथा पूजा सामग्री

Sri Satyanarayan Bhagwan का व्रत खोलेने के लिए निम्‍निलिखित सामग्रीया होनी चाहिए जो कि इस प्रकार :-

Satyanarayan Vrat Ki Katha
  • केले का तना या पत्ता
  • आम के पत्ते
  • एक कलश
  • रोली, धूप, कपूर
  • दीपक व फूल
  • व्रत के मौसम के फल
  • पंचामृत ( दूध, घी, शक्‍कर, दही, शहद )
  • अंगवस्‍त्र, वस्‍त्र व चौ‍की

श्री सत्‍यनारायण भगवान व्रत कथा

पहला अध्‍याय

एक समय की बात है नैमिषारण्‍य नाम के तीर्थ स्‍थल पर आर्यावर्त के 88,000 म‍हर्षि इकठ्ठा हुए एवं उन्‍होने मुनिश्रेष्‍ठ श्री सूतजी से कहा, ‘ कि हे मुनिश्रेष्‍ठ कलयुग में मनुष्‍य धर्म के विरूद्ध आचरण करके पापो की गठरी के नीचे दबते जा रहे है ऐसे में हे मुनिश्रेष्‍ठ मनुष्‍य को सही मार्ग पर लाने एवं उनके कल्‍याण के लिए कोई ऐसा रास्‍ता बताये जिससे कि मनुष्‍य धर्म के अनुसार आचरण करे तथा उसके जीवन की सभी मंगल कामनाए एवं इच्‍छाए पूरी हो सके।

यह सुनकर श्री सूतजी ने आर्यावर्त के ऋषियो से कहा की जो आप सभी ने विश्‍व के कल्‍याण के लिए जो बात कही है। मैं इसके लिए एक मंगलकारी व्रत की बात करूगा जिसके बारे में ब्रह्मर्षि नारदजी ने भगवान लक्ष्‍मीनारायण से भी पूछा था। भगवान ने नारदजी को इस व्रत के लिए जो कथा सुनाई आप सभी उस कथा को सुने।

sri satyanarayan vrat ki katha
Satyanarayan Vrat Ki Katha

नारद जी मानव कल्‍याण के लिए भगवान के पास गये

एक बार ब्रह्मर्षि नारदजी मानव के कल्‍याण के बारे में जानने के‍ लिए कई लाेको का भ्रमण करते हुऐ पृथ्‍वीलोक पर आ पहुचे। पृथ्‍वी पर सभी मानवो को खुद के कर्मो के अनुसार मिल रहे सुख और दुखो को देखकर नारदजी का मन विचलित हो उठा। और वो सीधे तीनो लोको के स्‍वामी भगवान विष्‍णु के पास गये, और कहा हे नारायण आप तो सर्वशक्तिमान है। इस पूरी सृष्टि के पालनकर्ता और सर्वश्रेष्‍ठ व सर्वोपरि है आपका कोई आदि अंत नही है। आप तो भगवन सृष्टि के कण कण में विराजमान है और अपने भक्‍तो की सभी मंगलकामाऐ पूरी करने वाले मैं आपको प्रणाम करता हॅू।

नारदजी की ये बाते सुनकर विष्‍णु भगवान ने हसते हुऐ कहा की हे नारद निस्‍संकोच होकर आपके आने का कारण बताऐ। तब नारदजी ने पूछा की पृथ्‍वी लोक पर जन्‍म लेने वाला मनुष्‍य अपने खुद के कर्मो के अनुसार कई तरह की योनियों में रहता है। और कई तरह के दुखो से ग्रसित रहते है। हे त्रिलोकीनाथ कृपा करके मुझे कोई ऐसा उपाय बताऐ। जिस से मैं उन सभी मानवो के दुखो को दूर कर सकू। और वो सभी मोक्ष को प्रप्‍त हो सके।

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सृष्टि के पालनहार विष्‍णु भगवान ने कहा की नारद अब मैं तुम्‍हे एक ऐसे व्रत के बारे में बताउगा। जिसके करने पर संसार के सभी स्‍त्री पुरूष को अपने पापो से मुक्‍ति मिल जाऐगी। और मानव सुख सम्‍पत्त‍ि से भर जाऐगा व कलियुग में उसे मोक्ष प्राप्‍त होगा। तब भगवान ने नारदजी को बताया मनचा, वाचा, कर्मणा से शुद्ध होकर मानव भक्‍ति के भाव से सत्‍यनारायण भगवान का व्रत श्रद्धा से करेगा। व बह्मणो को भोजन खिलाऐगा और दक्षिणा देगा। उस व्‍यक्ति को भगवान के चरण कमलो में स्‍थान प्राप्‍त होगा।

इस प्रकार जो भी मानव श्रद्धा भाव से Sri Satyanarayan Vrat Ki Katha करेगा उसे सभी कष्‍टों से मुक्‍ति प्राप्‍त होगी और वह अपना जीवन सुखी होकर आनन्‍द पूर्वक व्‍यतीत करेगे।

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