Surya Chhath Vrat Katha in Hindi | Surya Chhath Vrat Katha | Chhath Vrat katha | सूर्य छठ व्रत की कथा हिंदी में पढ़े । छठ व्रत कथा इन हिंदी
दोस्तो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्टी को सूर्य षष्टी या सूर्य छट कहते है। इस बार यह छठ 12 सितंबर 2021 यानी रविवार के दिन है। वैसे तो छठ पूजा की शुरूआत षष्ठी तिथि से दिन पूर्व चतुर्थी से हो जाती है। खासतौर पर यह व्रत उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में मनाया जाता है। इस व्रत को महिलाए अपने पुत्र की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखती है।
इस दिन गंगा स्नान, जप तथा व्रत करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य-पूजन और गंगा-स्नान का विशेष माहात्म्य है। तथा व्रत की पूजा सामग्री में कनेर का लाल फूल, गुलाब, दीप, तथा लाल वस्त्र का विधान है। ऐसे में आप भी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की छठ का व्रत रखती है तो पोस्ट में माध्यम से बताई हुयी सभी जानकारी को पढ़कर आप अपना व्रत पूर्ण कर सकती है। पोस्ट के अन्त तक बने रहे।

सूर्य छठ व्रत पूजा सामग्री
- रौली व मौली,
- चावल,
- चन्दन
- घी का दीपकर,
- लाल कपड़ा,
- कनेर व गुलाब के पुष्प,
- धूप, दीप,
- गंगाजल,
- डाब,
- जल ,
- धूब
सूर्य छठ व्रत की विधि
- सूर्य छठ व्रत वाले दिन स्त्री को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करे।
- इसके बाद भगवान सूर्य को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढाऐ।
- अब सूर्य भगवान के मंदिर में जाकर (यदि आपके यहा पर सूर्य भगवान का मंदिर नही है तो आप अपने घर के मंदिर के पास सूर्य भगवान की तस्वीर रखकर पूजा करे)
- मंदिर जाकर सबसे पहले भगवान सूर्य को कनेर व गुलाब के फूल चढाऐ।
- इसके बादी घी का दीपक जलाकर सूर्य भगवान को गंगाजल से अर्पित करे।
- अब पूरे विधि-विधान से भगवान सूर्य की पूजा करे।
- पूजा करने के बाद कथा सुने या पढ़े
- तत्पश्चात सूर्य भगवान को प्रसाद चढ़ाऐ प्रसाद चढ़ाने के बाद स्वंय भोजन करे।
- इस व्रत वाले दिन एक सयम भोजन किया जता है।
Surya Chhath Vrat कुछ खास तथ्य

- यह व्रत भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की षष्टी को आत है। व्रत वाले दिन गंगा नदी में स्नान करना होता है ( अगर आप वहा नही जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- व्रत वाले दिन गंगा नदी में स्नान करना और भगवान सत्यनाराण की पूजा करने का खास महत्व है।
- पूजा में कनेर व गुलाब के फूल व लाल वस्त्र दीप-दान आदि का विधान होता है।
- सूर्य भगवान की अराधना करने से नेत्र रोग और शरीर के कोढ़ से मुक्ति मिलती है।
- सूर्य छट का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष को नमक नही खाना चाहिए।
- इस दिन व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष को सूर्य अस्त होने से पहले भोजन कर लेना चाहिए।
सूर्य छठ व्रत कथा (Surya Chhath Vrat Ki Katha)
एक समय की बात है प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। राजा के किसी भी वस्तु की कमी नही थी किन्तु उनके कोई संतान न होने के कारण वो सदैव दुखी रहते थे। एक बार राजा ने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के द्वारा यज्ञ करवाया। यज्ञ सफल होने के कुछ दिनो बाद रानी मालिनी गर्भवती हुयी। किन्तु रानी के नौवे महीने मरा हुआ पुत्र उत्पन हुआ। इस पर राजा बहुत शोक हो गऐ और उन्होने आत्महत्या करने का मन बना लिया।
जैसे ही राजा प्रियव्रत ने आत्महत्या करने की कोशिश की तो उनके सामने एक देवी प्रकट हुई और बोली ”हे राजन, मैं षष्ठी (छठ) देवी हूॅं। और लोगो काे पुत्र सौभाग्य का वरदान देती हूॅ किन्तु जो कोई व्यक्ति मेरी पूजा श्रद्धा भाव से करता है। मैने उसके सभी इच्छाए पूर्ण करी है। यदि तुम भी मेरी पूजा-अर्चना करोगे तो तुम्हे भी पुत्र प्राप्ति का वरदान दूगी। उसके बाद देवी अर्तध्यान हो गई।

यह बात राजा ने अपनी रानी को बताई और दोनो ने भाद्रपद शुक्लपक्ष की षष्ठी को व्रत करना शुरू कर दिया। कुछ दिनो बाद रानी मालिनी फिर से गर्भवती हई। और नौवे महीन बाद रानी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। तब से लेकर आज तक इस पावन व्रत को स्त्रीया पुत्र प्राप्ति और उसकी लम्बी उम्र की कामना के लिए करती है।
यह भी पढ़े-
दोस्तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको छठ व्रत कथा (Surya Chhath Vrat Katha) के बारे में बताया है। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। अगर आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करेके जरूर पूछे। धन्यवाद
यह भी पढ़े-