What is Teej Festival – तीज कब आती है | तीज का त्‍यौहार क्‍यों मनाया जाता है।

Teej Festival in Rajasthan in Hindi:- दोस्‍तों जल्‍द ही तीज का त्‍यौहार (Teej Festival) आने वाला है और आप सब भी इस त्‍यौहार का इतंजार कर रहे होगे। इस त्‍यौहार को हम सभी अपने परिवार व रिश्‍तेदारो के साथ बड़ी धूम-धाम से हर साल मनाते है लेकिन क्‍या आपके मन में यह Question आया कि आखिर Teej Festival Kya Hai Teej का त्‍यौहार मनानें के पीछे वजह क्‍या है? क्‍यो हर हर वर्ष इसे इतने उत्‍शुकता से मनाते है। और इसक‍ि पहले से तैयारीया शुरू कर देते है। तो चलिए जानते है कि क्‍यो इस त्‍यौहार को मनाया जाता है।

वैसे तो हमारे देश में समय-समय पर कई तरह के त्‍यौहार मनाए जाते है लेकिन कुछ तयौहार अपने आप में बड़ा महत्‍व रखते है जैसे- होली, दीपावली, तीज, रक्षाबंधन, दशहरा आदि। क्‍योकि ये सभी त्‍यौहार बुराई पर अच्‍छाई कि जीत का सदेंश देते हे। किन्‍तु आज हम बार कर रहे है Teej Festival Kya Hai, और इसे क्‍यों मनाया जाता है। इस त्‍यौहार को औरते बहुत ही उल्‍लास के साथ मनाती है।

Teej Festival

कब आता है Teej ka त्‍यौहार

Teej ka Festival हर वर्ष श्रावन के महिन या नही कि अगस्‍त के माह में आती है। और इस समय चारो ओर हरियाली-हरियाली दिखाई देती है क्‍योकिं यह माह वर्षा का होता है। बहुत से लोग श्रावन के पूरे महिने में भगवान शिव जी कि और माता पार्वती कि पूजा आराधना करते है और बहुत से श्रावन के सोमवार का व्रत रखते है। यह त्‍यौहार श्रावन के महिने में आने के कारण बहुत ही सुन्‍दर लगता है क्‍योकि हर तरफ खुशीयो कि रौनक होती है।

इस त्‍यौहार वाले दिन औरते सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आद‍ि से मुक्‍त होकर लहरीया के वस्‍त्र और चूड़ा पहनकर साथ में अपने हाथो में मेहदीं और पूरे 16 श्रृंगार करती है। और अच्‍छे-अच्‍छे पकवान बनाकर पूरे विधि-विधान से तीज माता क‍ि पूजा करती है। और अपना सुहाग अमर रहने का वरदान मागंती है और कंवारी लडकियां अच्‍छे पति का वरदान मागंती है। सभी औरते एक साथ पूजा करने के बाद बागो में झूला डालकर झूलती है और माता तीज के गीत-गान करती है यह त्‍यौहार बड़े ही हर्ष व उल्‍लास के साथ मनाया जाता है।

Teej Festival पर जिनकी नई-नई शादी हुयी है या होने वाली है उनके लिए सिंधार आता है इसमें औरत के पूरे 16 श्रृंगार और लहरिये के वस्‍त्र और चूडा और अनेक प्रकार कि मिठाई आती है। किन्‍तु तीज में ज्‍यादातर घेवर कि मिठाई बनायी जाती है। वैसे तो हमारे हिन्‍दु धर्म में चार प्रकर कि तीज मनाई जाती है और ये सभी अपने आप में खास महत्‍व रखती है किन्‍तु सबसे बडी और खासTeej Festival Kya Hai है। राजस्‍थान राज्‍य के कई जिलो में इस त्‍यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है यहा पर माता तीज कि बहुत बड़ी स‍वारी निकाली जाती है

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Teej Festival kab Hai/तीज का त्‍यौहार कब है

सुहागिन महिलाओं के लिए खुशियों का रंग भर देना वाल हरियाली तीज का त्‍यौहार अधिकत राजस्‍थान राज्‍य में प्रसिद्ध है। जो हर साल सावन महिने की शुक्‍लपक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। इस साल तीज का त्‍यौहार 19 अगस्‍त 2023 शनिवार के दिन पड़ेगा, इस दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा करी जाती है। माता पार्वती की सुन्‍दर झांकी पूरे जयपुर शहर में निकाली जाती है।

हरियाली तीज क्‍यों मनाई जाती है।

हमारे हिन्‍दू धर्म के अनुसर Teej Festival Kya Hai के दिन ही माता पार्वती जी भगवान शिवजी को अपनी घोर तपस्‍या से प्रसन्‍न कर पाई थी, जिससे प्रसन्‍न होकर भगवान शिवजी में माता पार्वती को अपनी पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया था। माता पार्वती के लिए यह आसान नही था किन्‍तु उन्‍होने हार नही मानी और हर तरह से भगवार को प्रसन्‍न करने के तप किये और अन्‍त में वो सफल हुयी।

तीज त्‍यौहार का शुभ मुहूर्त/Teej Festival Shubh Muhurat

बात करें पंचाग के अनुसार तो सावन महिने की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि वाले दिन ही तीज का प्रसिद्ध त्‍यौहार पूरे राजस्‍थान राज्‍य में मनाया जाता है। इस साल 18 अगस्‍त 2023 शुक्रवार के दिन से रात्रि 08:01 मिनट पर तीज का त्‍यौहार आरंभ हो रहा है। 19 अगस्‍त 2023 को रात्रि 10:19 मिनट पर समाप्‍त होगा

  • सुबह का मुहूर्त:- प्रात: 07:47 से लेकर 09:22 मिनट तक
  • दोपहर का मुहूर्त:- 12:32 मिनट से 02:07 मिनट तक
  • शाम का मुहूर्त:- 06:52 मिनट से लेकर रात्रि 07:15 मिनट तक
  • रात का मुहूर्त:- प्रात: 12:10 मिनट से 12:55 मिलट तक रहेगा।
Teej Festival in Jaipur Raj

How to Celebrate Hariyali Teej |हरियाली तीज कैसे मनाते है।

भारत के राजस्‍थान राज्‍य में इस पर्व का बहुत खास महत्‍व होता है यहा पर एक सास अपनी नयी बहु (बेटे कि पत्‍नी) को पूरे 16 श्रृंगार देती है जिसमें मेंहदी, सिंदूर,बिंदिया, जैवरात, कपडे़, चप्‍पल, चूडे आदि होते है। क्‍योकि ये सभी समाना सुहाग का प्रतीक है अत: इन सब में से श्रृंगार करती है और माता तीज (पार्वती माता) कि पूजा करके अपने पति कि लम्‍बी आयु का वरदान मागंती है। इस बार हरियाली तीज 10 अगस्‍त को मनाई जाएगी।

Teej Festival Kya Hai के तीन दिन पहले से ही राजस्‍थान के जयपुर में बहुत बड़ा तीज बाजार लगता है पर बहुत सी औरते आती है और खरीदारी करती है। राजस्‍थान में यह बहुत पुरानी पंरम्‍परा है आज भी यहा पर शाही परिवार के द्वारा तीज माता कि सवारी निकाली जाती है।

व्रत व पूजा विधि/Teej Vrat Puja Vidhi

Teej Festvial के दिन बहुत सी औरते व्रत रखती है वो सभी औरते प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर भगवान सत्‍यनारायण को जल चढ़ाती है उसके बाद पीपल और तुलसी माता के पेड़ में चढाती है। इस दिन औरत नये वस्‍त्र धारण करके पूरे 16 सोलहे श्रृंगार करती है। इस व्रत को सभी जगह नही करती किन्‍तु राजस्‍थान राज्‍य के मारवाड़ी समाज में यह व्रत रखा जाता है। इस दिन 24 घंटे तक निर्जला व्रत रखती है नही तो कुछ खाती और पीती है। अपने पति क‍ि लम्‍बी आयु में मनोकामनाए करती है।

और रात्री के समय माता पार्वती कि पूजा करके Teej Vrat Katha सुनती है और अगले दिन सुबह अपना व्रत तोड़ती है। वैसे तो यह त्‍यौहार कई राज्‍यो में मनाया जाता है किन्‍तु कुछ राज्‍यो में इस त्‍यौहार का एक खात महत्‍व है। जैसे राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, उत्तरप्रदेश, गोवाए गुजरात, कनार्टक आदि राज्‍यो में यह त्‍यौहार मनाया जाता है। किन्‍तु हम उन्‍ही राज्‍यो कि बात करेगे जिनमें यह त्‍यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

वृंदावन में हरियाली तीज कैसे मनाते है। Teej Festival Kya Hai

उत्तरप्रदेश के वृन्‍दावन में Teej Festvial बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है वहा पर यह त्‍यौहार श्रावन में महिने से शुरू होता है और कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी तक मनाते है। यह त्‍यौहार वृंदावन में द्वावपर युग से मनाते आ रहे है ऐसा माना जाता है कि शुरूआत में हरियाली तीज का त्‍यौहार भगवान कृष्‍ण जी ने राधा रानी व सभी गोपियों के साथ बड़ी हे धूमधाम से मनाया था। तब से लेकर आज तक यह परंम्‍परा चली आ रही है।

आज भी ऐसे सुनने में आता है कि तीज त्‍यौहार के दिन कृष्‍ण जी राधा रानी व अपने सभी गोपियो के साथ वृंदावन में आते है और रास रचाते है और एक-दूसरे को झूला झूलाते है। इस दिन यहा पर सोने के झूला बनया जाता है जिसे देखने के लिए लोग आते है। और भगवान कृष्‍णजी और राधा रानी से मनोकामनाए क‍ि कामना करते है।

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राजस्‍थान में हरियाली तीज कैसे मनाते है/Teej Festival in Rajasthan in Hindi

राजस्‍थान राज्‍य में Teej Festival Kya Hai बडी ही सौरव और उल्‍लास के साथ मनाया जाता है खासतर यह जयपुर, उदपुर, जोधपुर आदि में मनाते है। इस पर्व को मनाने के पिछे एक उदेश्‍य है ऐसे सुनने में आता है कि उदयपुर जिले में इस त्‍यौहार कि शुरूआत महाराज फतेह सिंह ने कि थी क्‍योकिं एक समये उसके राज्‍य में अकाल पड गया और पानी कि बहुत बर्बादी होने लगी, ऐसे में पानी को रोकने के लिऐ राजा ने फतेह सागर नामक जलाशय का निर्माण करवाया जो श्रावन के महिने में अमावस्‍य के दिन बनकर पूरा हुआ।

इसी कारण उसी दिन से जलाशय के उत्‍सव में यह तीज का त्‍यौहार मनाया जाता है।यहा पर तीन दिन तक यह मेला लगता है जिसमें सभी तरह के मनोरंजन के साधन उपल्‍बद होते है जैसे खेल, डांस, खाने, आदि। इस मेलो को देखने के लिए पयर्टक दूर-दूर से आते है। इस दिन यहा पर वृक्षा रोपण का कार्यक्रम भी होता है।

हरियाली तीज क्‍यों मनाते है/Hariyali Teej Festival in Hindi

इस तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना गया है जो की सावन मास में सभी पर्व में से मुख्‍य पर्व है। यह पर्व सौंदर्य व प्रेम का त्‍यौहार बताया गया है इसी दिन का पूरे साल से इंतजार रहता है। महिलाएं पूरा 16 श्रृंगार करके नएं वस्‍त्र धारण करके माता गौरी की पूजा करती है। सभी मिलकर तीज माता का पर्व मनाती है और बागों में झूलती है यह पर्व भगवान शिवजी व माता पार्वती को पूरी तरह से अर्पित है। चारो ओर हरियाली-हरियाली छायी रहती है एक मात्र त्‍यौहार है जिसमें ऐसा दृश्‍य होता है मानो प्रकृति ने अपना पूरा श्रृंगार किया हुआ है।

What is Teej Festival \

Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi

हरियाली तीज व्रत कथा/Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार हर साल सावन की शुक्‍लपक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाने वाली हरियाली तीज का पर्व भगवान शिवजी व माता पार्वती जी के पुनर्मिलन के उपलक्ष्‍य में मनाई जाती है। कहा गया है की माता पार्वती जी ने भगवान शिवजी को अपने पति रूप में प्राप्‍त करने हेतु बहुत ज्‍यादा कठोर तपस्‍या करी थी। शिव पुराण के अनुसार यह भी बताया गया है की माता पार्वती माता सती का ही स्‍वरूप थी। इसीलिए शिवजी को पाने के लिए कई वर्षो तक तप किया

माता सती ने राजा हिमालय के बेटी के रूप में पुर्नजन्‍म लिया था, इस जन्‍म में इनका नाम पार्वती था। देवी पार्वती बचपन से ही शिव भक्तिनी थी, वह सदैव भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करती थी। एक दिन देवर्षि नारद जी राजा हिमालय के यहा आए और कहा हे राजन तुम्‍हारी पुत्री पार्वती की इस भक्ति भावन को देखकर भगवान विष्‍णु जी बहुत प्रसन्‍न है। देवर्षि नारद जी की बात सुनकर हिमालयराज बहुत प्रसन्‍न हुए।

उसके बाद नारद जी भगवान विष्‍णु जी के पास जाकर बोले की राजा हिमालय उसकी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराना चाहता है प्रभु! यह सुनकर भगवान विष्‍णु जी ने इस विवाह की सहमति प्रदान करी। उसके बाद देवर्षि जी देवी पार्वती के पास गऐ और कहा की पार्वती तुम्‍हारी विवाह तुम्‍हारे पिताजी ने विष्‍णु जी के साथ तय कर दिया है। जब पार्वती ने यह बात सुनी तो उसने अपने पिताजी से कहा की मै विष्‍णु जी से विवाह नहीं रचाऊगी। पर देवी पार्वती की बात को मना करते हुए कहा की तुम्‍हारे विवाह हमने तय कर चुका है और अब विष्‍णु से ही तुम्‍हारी विवाह होगा।

उसके बाद माता पार्वती अपनी सखीयाें के साथ महल को छोड़कर घने जंगल में जाकर, रेत का शिवलिंग बनाया। और रोजाना उसकी पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करनी लगी, और मन ही मन अपने पति रूप मे स्‍वीकार कर लिया। माता पार्वती की इस कठोर तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान शिवजी ने देवी पार्वती का दर्शन दिया और कहा की मांगो क्‍या मांगती हो, तब माता पार्वती ने कहा की मेरे पिताजी जी मेरा विवाह विष्‍णु जी से करवाना चाहते है।

पर मैं मन ही मन में आपको पति रूप में चुन लिया और हे देवो के देव मुझे अपनी पत्‍नी रूप मे स्‍वीकार करों। इसी दौरान पार्वती के पिताजी उसे खोजते हुए वहा पर आ गऐ, उन्‍होने देखा की भगवान शिवजी माता पार्वती को उसकी मनोकामना पूरी होने का आशीवार्द दे दिया। उसके बाद माता पार्वती का विवाह भगवान शिवजी से बड़ी धूम-धाम से हुआ।

Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi

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