Veer Teja ji Biography in Hindi | Teja Dashmi | Teja ji ki Biography Read in Hindi | वीर तेजाजी का जीवन परिचय यहा से पढ़े । वीर तेजाजी । तेजा दशमी । Veer Teja ji Biography | तेजा दशमी 2022 । Veer Tejaji Maharaj | वीर तेजा दशमी 2022 । वीर तेजाजी महाराज की कथा । तेजा दशमी 2022 कब है तेजाजी का मेला कब है
Veer Tejaji Maharaj:- शायद आज यह जानते है कि प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी को वीर तेजाजी दमशी के नाम से जाना जाता है। तो राजस्थाान राज्य के प्रसिद्ध लोक देवताओं में से एक है। बात करें इस वर्ष की तो इस बार तेजाजी दशमी 06 सितम्बर 2022 के दिन मनाई जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दे की ग्रथों में उल्लेख मिलता है की वीर तेजाजी को भगवान शंकर जी का 11वा अवतार बताया है जिनका जन्म राजस्थान के क्षत्रिय परिवार में हुआ था। यह पर्व खासतौर पर राजस्थान व मध्यप्रदेश राज्यो में मनाया जाता है।
इस दिन जितने भी वीर तेजाजी के मंदिर व स्थान है वहा पर बहुत बड़ा मेला लगता है। और मंदिरो में वीर तेजाजी की पूरे विधि-विधानो से पूजा की जाती है। तेजाजी राजस्थान के सभी लोक देवताओ में से प्रथम स्थान पर आते है। आप में से बहुत से लोगो में मन में यह विचार आया होगा की आखिर तेजा दशमी क्या है, क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की कथा क्या है।, यह सब जानने के लिए पोस्ट के अन्त तक बने रहे।
तेजाजी दशमी कब मनाते है। (Teja Dashmi kab Manate hai)
वैसे तो तेजा दशमी प्रतिवर्ष अगस्त या सितम्बर में महीने में मनाई जाती है हिन्दी पंचाग के अनुसार बात करे तो भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की दशमी को Veer Teja Dashmi मनाई जाती है। जो इस बार 06 सितम्बर 2022 मंगलवार के दिन यह दशमी का त्यौहार मनाया जाएगा। प्रमुख रूप से दशमी का त्यौहार भारत के कुछ राज्यों राजस्थान, गुजरात, हरियणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश राज्यो में घूम-धाम से मनाया जाता है।

वीर तेजाजी का जीवन परिचय (Veer Teja ji Biography in Hindi)
तेजाजी को जन्म 1130 में विक्रम संवत माघ सुदी चौदस (अग्रेजी के अनुसार 29 जनवरी 1074 गुरूवार) के दिन राजस्थान राज्य का नागौर जिला का खरनाल नामक गॉव में हुआ था। इनके पिता ताह़ड देव जी जो की अपने गॉंव के प्रमुख मुखिया जी थे, और माता राम कंवरी जो एक ग्रहणी थी। तेजाजी के माता व पिता दोनो ही भगवान शंकर जी के बहुत बड़े भक्त थे। और नाग देवता के आशीर्वाद से उनको तेजा नामक पुत्र प्राप्त हुआ था। जिसे बचपन से प्यार से बाबा नाम से पुकारक बुलाते थे पर जैसे-जैसे तेजा बड़े हुए तो इनका नाम वीर तेजाजा पड गया और आज सभी लोग वीर तेजाजी (लोक देवता) के नाम से पूजते है।
तेजाजी का विवाह (Tejaji ka Vivah)
जब तेजाजी बड़े हुए तो उनका विवाह माता-पिता ने इनका विवाह पेमल नामक राजकुमारी के साथ कर दिया था, पनेर नामक गॉंव के मुखिया रायमल साब जो झॉंझर गौत्र केथे, उनकी बेटी थी। राजकुमारी पेमल जी का जन्म 1131 बुद्ध पूर्णिमा विक्रम सवंत के दिन हुआ था। तेजाजी और राजकुमारी पेमल का विवाह 1074 में पूर्णिमा के दिन पुष्कर घाट (अजमेर) में हुआ। पेमल के मामा खाजूकाला जो तेजाजी के पिता ताहड़ देव जी से दुश्मनी होने के कारण वह एक-दूसरे को मारना चाहते थे।
दुश्मनी इतनी बढ़ गई की खाजूकाला ने ताहड़ देव जी को मारने के लिए ताहड़ देव पर हमला कर दिया किन्तु ताहड़ देव जी ने खाजूकाला को मौत के घाट उतार दिया। यह घटना सुनकर पेमल की माता बहुत क्रोधित हुई और वह ताहड़ देव जी के परिवार से बदला लेने के बारे सोचने लगी। और अपनी बेटी पेमल को ससुराल नहीं भेजा और अपने पास ही रख लिया।
तेजाजी का मौत कैसे हुई (Veer Tejaji ki maut kaise hui)
एक दिन तेजाजी की भाभी ने उनको पेमल के बार में कुछ ताने सुनाऐ जिससे उनको बुरा लगा वो तुरन्त उठे और अपनी ‘लीलण’ नाम की घोड़ी पर सवार होकर अपनी प्रिय पत्नी पेमल को लेने ससुराल को चल दिए। जब वो अपने ससुराल पनेर गॉंव पहुचे तो देखा की उनकी सास गायो का दूध निकाल रही थी। और वो सभी गाये तेजाजी की घोडी को देखकर डर गई और पेमल की माता को लात मारकर कूद गई। गाय के लात माने से उसकी माता जी थोड़ा दूर जाकर गिरी तो उसे बहुत तेज गुस्सा आ गया और कहा की इस घोड़ी वाले को ‘काला सॉप काट कावें’ याके कारण मारी गाया कूद गई।
इतना कहकर पेमल की मॉ ने पीछे मुड़कर देखा तो उस घोड़ी पर सवार आदमी कोई और नहीं बल्कि उसका इकलौता दामाद तेजाजी थे। तेजाजी को अपनी सासु माता की यह बात बहुत बुरी लगी और वो वापस अपने गॉंव लौट गए। थोड़ी दूर चलने के बाद उनको रास्ते में उनकी पत्नी राजकुमारी पेमल की बचपन की सहेती थी जिसक नाम लाछा गुजरी था। लाछा गुजरी उसे अपनी सहेली पेमल के पास ले गई तेजाजी ने अपनी पत्नी से खरनाल के लिए चलने को कहा, तो पेमल ने कहा की आज तो बहुत देर हो चुकी है और रात भी होने वाली है। हम कल सवेरी जल्दी खरनाल के लिए निकल जाएगे तो आज की रात आप यही पर विश्राम किजिए। दुर्भाग्य वश उसी रात लाछा गुजरी की सभी गायो को मेर के मीणा चुराकर ले गए।
लाछा गुजरी के गायों को छुड़ाने के लिए तेजाजी भी रात को मेर के मीणाओं के पीछ़ गऐ तो रास्ते में उन्हे एक सॉप जलता हुआ दिखाई दिया। यह देखकर तेजाजी को उस सॉपर पर दया आ गई और उस जलती हुई अग्नि से सर्पराज को बाहर निकाल दिया। जिससे सॉप बहुत क्रोधित हुआ और कहा की तुमने मुझे मेरे जोडे(साप-सापन) से बिछाड दिया क्योकि सॉपिन जल चुकी था। और कहा अब तो मेरा क्रोध तब शांत होगा जब मै तुम्हे डस लूगा। साॅप की बात सुनकर वीर तेजाजी बोले की अब मै किसी को वचन देकर आया हूॅ की उसकी गायो को सही-सलामत उसके पास पहुचाऊगा। जब मै यह वचन पूरा कर दू उसके बाद ही आप मुझे डस लेना नागराज यह कहकर तेजाजी लाछा गुजरी की गायों को छुडाने चल गऐ।
इसके बाद तेजाजी मेर के मीणाओ से युद्ध करके लाछा गुजरी के सभी गायो को मुक्त करवा लेते है और ले जाकर गुजरी को उसकी गाये सौप देते है। गौरक्षा के दौरान तेजाजी जी बहुत ज्यादा घायल हो जाते है तो उनकी पत्नी पेमल उनको अन्दर ले जाने के लिए आई, किन्तु तेजाजी ने कहा की मैने एक सॉप को डसने का वचन दिया है। मुझे अभी जाना होगा नहीं तो नागराज मुझ पर क्रोधित हो जाएगे। उकसे बाद तेजाजी उसी स्थापन पर गऐ और सांप के बिल के पास बैठे गऐ। और कहा हे नागराज अब आप मुझे डस सकते है-
किन्तु सॉप ने बोला की तुम्हारे तो पूरे शरीर पर घाव के निशान ही निशान है मै घाव पर तुम्हे डस नहीं सकता तो अब तुम बताओं मैं तुम्हे शरीर के किस स्थान पर डसू। सॉप की बात सुनकर तेजाजी ने कहा मेरी पूरे शरीर पर घाव है पर मेरी जीभ पर एक भी घाव नहीं है आप वहा पर डस सकते है। सॉप न वीर तेजाजी को जीभ पर काटां और वो जमीन पर गिर गए। इसके बाद सॉप अपने असली रूप में आऐ वह सॉप कोई और नही बल्कि भगवान शंकर जी थे। भगवान ने कहा की मैं तुम्हारे इस सत्यवचन से प्रसन्न हुआ मैं तुम्हे वरदान देता हू आज से इस संसार मे जिस मनुष्य को सांप काटेगा वह तुम्हारे द्वारा पर ठीक हो जाएगा।
और तुम आज से इस पूरे संसार में वीर तेजाजी (Veer Tejaji) के नाम से विख्यात होगे। और लोग तुम्हे सॉपो के देवता के रूप में पूजा करगे, इसके बाद वीर तेजाजी की मृत्यु हो जाती है। जिस दिन तेजाजी की मृत्यु होती है उस दिन भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष के दिन 10 संवत 1160 (अग्रेजी कैलण्ड के अनुसार 28 अगस्त 1103) को हुई। जब पेमल को यह बात का पता चली की तेजाजी की मौत हो गई तो वो भी अपने पति वीर तेजाजी के साथ चिंता में बैठकर सती हो गई। इस प्रकार वीर तेजाजी का जीवन परिचय है
आज के समय में वीर तेजाजी (Veer Teja ji Biography) के बहुत से देवरे और स्थान पर पूजा जाता है। जिन पर उनकी मूर्ति घोडी पर बैठे हुऐ एक हाथ में बाला लिए हुए तथा सॉप को डसते हुए है। इनके सभी स्थानो पर सॉप काटने वाले व्यक्ति का ”गुडला (सेवक) के द्वारा जहर चूसा जाता है। और इनके नाम की तांती बॉधी जाती है। तथा प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष की दशमी को तेजा दशमी के नाम से विशाल मेला भरता है। इस मेले में दूर-दूर से लाखो श्रद्धालु आते है और अपनी आढ़-बीढ़ खुलवाते है
महत्पूर्ण तथ्य
आपकी जानकारी के लिए बता दे की वीर तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज जी ने खरनाल पर अपना कब्जा कर राजधानी बनाई। जिसके अन्दर पूरे 24 गॉंव आते है। और कई वर्षो तक इनके वंश का राज चला।
दोस्तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आप सभी को तेजा दशमी यानी वीर तेजा दशमी (Veer Teja ji Biography) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है। जो की पौराणिक कथाओं व न्यूज के आधार पर बताया है यदि आप सभी को हमारा यह लेख पंसद आया है तो लाईक करे व अपने मिलने वाले के पास शेयर करे। यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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प्रश्न:- तेजा दशमी कब आती है।
उत्तर:- तेजा दशमी भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी को आती है।
प्रश्न:- वीर तेजाजी की मृत्यु कैसे हुई।
उत्तर:- वीर तेजाजी की मृतयु सॉप के काटने से हुई थी।
प्रश्न:- तेजाजी का जन्म कब व कहा हुआ।
उत्तर:- वीर तेजाजी का जन्म सन 1130 विक्रम संवत माघ सुदी की चौदस (अग्रेजी कैलण्डर के अनुसार 29 जनवरी 1074 गुरूवार) के दिन राजस्थान राज्य के नागौर जिले में खरनाल गॉव में हुआ था।
प्रश्न:- तेजाजी की मृत्यु कब हुई।
उत्तर:- वीर तेजाजी की मृत्यु भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष को 10 संवत 1160 (अग्रेजी कैलण्डर के अनुसार 28 अगस्त 1103) को हुई थी।
प्रश्न:- वीर तेजा की शादी कब व किसके साथ हुई थी।
उत्तर:- तेजाजी की शादी झॉझर गौत्र व पनेर गॉव की मुखिया रायमल की बेटी पेमल से सन 1074 अजमेर पुष्कर घाट पर हुई थी।
प्रश्न:- वीर तेजाजी दशमी कब है 2022 में
उत्तर:- 06 सितम्बर 2022 मंगलवार के दिन
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