Tula Sankranti 2021 in Hindi शास्त्रो व पुराणों के अनुसार सूर्य के राशि परिवर्तन को ही तुला संक्रांति कहते है। जो की इस बार 17 अक्टूबर 2021 रविवार के दिन पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि को छोड़कर तुला राशि में प्रवेश करता है। धार्मिमक मान्यताओ के अनुसार इस दिन जो कोई स्त्री व पुरूष तीर्थ स्नान, दान, पुण्य, सूर्य देव की पूजा आदि करते है उसकी उम्र आजीविका व बुद्धी सकारात्मक होती है साथ में उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है। ऐसे में तुला संक्रांति से जुड़ी समस्त जानकारी पाना चाहते है तो पोस्ट के अन्त तक बने रहे।

Tula Sankranti 2021 (तुला संक्राति)
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे सनातन धर्म में तुला संक्राति को विशेष खास महत्व रहता है। उनके धर्म में इस दिन को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव जी कन्या राशि को छोड़कर तुला रशि में जाता है। जिस कारण इसे तुला संक्राति कहते है। पंचाग के अनुसार तुला राशि में प्रवेश करने का मुहूर्त 17 अक्टूबर 2021 को दोपहर 01:00 बजे बताया गया है।
इस शुभ मुहूर्त के बीच में सूर्य देव जी तुला राशि में प्रवेश करेगे। जिसके बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में चला जाता है। जिस कारण उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी पड़ने लग जाती है। क्योकि इस गोलार्द्ध पर सूर्य का प्रकाश इतना नही आता है। वही धार्मिक ग्रथों ऋग्वेद, पझ, स्कंद, विष्णु पुराण तथा महाभारत आदि में इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व का उल्लेख मिलता है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। तथा साथ ही पुराणाें में महालक्ष्मी जी की पूजा का भी महत्व बताया गया है। यदि जो कोई मनुष्य इस दिन भगवान सूर्य देव की और माता लक्ष्मी जी की पूजा पूरे विधिवत रूप से करते है उसके जीवन में किसी वस्तु की कमी नही होती है।
तुला संक्रांति के महत्वपूर्ण तथ्य

- आपको बता दे की हिंदी पंचाग के अनुसार तुला संक्राति कार्तिक महीने में आता है।
- खास तौर पर इसे सनातन धर्म में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
- भारत में आेडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों इस पर्व को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
- जब तक सूर्य देव तुला राशि में रहता है इन सभी दिनो में मनुष्य को प्रात: उठकर स्नान आदि करके सूर्य देव का पानी चढ़ाना बहुत ही शुभ माना गया है।
- तुला संक्रांति के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है यदि कोई इस दिन माता की पूजा-अर्चना करता है तो माता उस पर सदैव अपनी कृपा बनाऐ रखती है।
तुला संक्रांति की कथा (Tula Sankranti Katha)
आप सभी जानते है हमारे हिन्दु धर्म में कुल 18 पुराण है जिनमे से एक है स्कंद पुराण। स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्तपति के बारे में कई कहायिा प्रचलित है। जिनमें से एक है विष्णु माया नामक लड़की के बारे में जो भगवान ब्रह्मा जी की पुत्री थी। जो बाद में कावेरा ऋषि की बेटी के रूप में बनी। कावेरा मुनि ने ही विष्णु माया को कावेरी नाम दिया था।
जैसे-जैसे कावेरी बढ़ी हुई तो वह बहुत ही सुन्दर व रूपवती हो गई। एक दिन कावेरी को ऋषि अगस्त्य ने देखा तो उसे कावेरी से प्रेम हो गया। और उन्होने कावेरा ऋषि के पास जाकर शादी का प्रस्ताव रखा। इस शादी के प्रस्ताव को कावेरा मुनि मान गऐ और कावेरी और अगस्त्य मुनि की शादी करवा दी। शादी हाेने के बाद अगस्त्य मुनि अपनी पत्नी कावेरी को अपने साथ लेकर अपने आश्रम चले आऐ।
एक दिन अगस्त्य मुनि अपने काम में इतने व्यस्त हो गऐ की वो अपनी पत्नी कावेरी से मिलना ही भूज गऐ। ऋषि की इस लापरवाही के कारण कावेरी अगस्त्य मुनि के स्नान करने की जगह पर गिर जाती है। और एक नदी का रूप धारण कर इस पृथ्वी पर उद्धृत होती है। जिसका नाम कावेरी ही पढ जाता है। इसी कारण इस दिन को कावेरी संक्रमण या तुला संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको तुला संक्रांति से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान की है। यदि आपको हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पंसद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कंमट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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