Uniform Civil Code in Hindi:- हमार देश भारत महान देश है यहा सभी नागरिकों को स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार है। संविधान में उल्लेख है की भारत का हर एक नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार होने के साथ सभी के लिए कानून व्यवस्था भी एक है।

Uniform Civil Code (समान नागरिक संहिता) को देश के सभी धार्मिक समुदाय पर लागू होने के लिए सिविल कोड एक नियम बनाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44वें के भाग 4 में Uniform Civil Code (यूसीसी) का स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया हुआ है। की सभी भारतवासियों को स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार है हर एक व्यक्ति अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सकता है।
हाल में ही पूरे देश भर में UCC के मुद्दे को लेकर बहस छिड़ी हुई है इसे लेकर सभी का मत अलग-अलग है तो आइए जानते है यूनिफॉर्म सिविल काेड क्या है व कहा-कहा पर यह लागू किया गया है।
समान नागरिक संहिता का अधिकार क्या है/Uniform Civil Code Kya Hai
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी एक देश में एक कानून. जिस भी देश में समान नागरिकता (UCC) होती है वहा पर विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर आदि विषयों को लेकर जो भी कानून होता है। वह देश के भी धर्मो के व्यक्तियों के लिए समान रूप से मान्य होता है चाहे वह पैसे वाला हो या फिर गरीब आम नागरिक है। यह बात भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 भाग 4 में UCC के बारें मे स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड से देशवासियों को समानता व स्वतंत्रता का पूरा अधिकार बताया हुआ है। जो इस बात पर है की आधुनिक सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं होता है। इसका उद्देश्य तो केवल कमजोर समूह के खिलाफ भेदभाव काे दूर करवाना है। देश में फिलहार इस मुद्दे को लेकर सभी के मध्यम बहुत बढ़ी बहस छिड़ी हुई है।
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यूनिफॉर्म सिविल कोड कहा पर लागू है/Uniform Civil Code in India
फिलहाल भारत देश का एकमात्र राज्य है जहा पर UCC समान नागरिक संहिता का कानून पास हुआ है वहा की जनता इस नियम को फोलो भी कर रही है। इस राज्य को हमारे संविधान में विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है इसी लिए इसे गोवा सिविल कोड (Goa Cicil Code) के नाम से भी जाना जाता है।
इस राज्य में हिंदू, मुस्लिम, ईसालई सहित अन्य सभी धर्मो और जातियों के लिए कए ही फैमिली लॉ होता है। इस कानून के नियम में गोवा राज्य में कोई भी तीन तलाक (ट्रिपल तलाक) मान्य नहीं है। जब तक शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है तो शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होती.शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही शादी मान्य होती है और तलाक कानूनी रूप से कोर्ट के तहत मिलता है।
घर जायदात/संपत्ति पर पति व पत्नी के साथ आधी हक उनके बच्चों का होता है. इस हक में बेटियों को भी शामिल किया जाता है। भारत का एक मात्र राज्य है जहा पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को 4 शादिया करने का अधिकार बिल्कुल भी नहीं होता है। जबकि कुछ शर्तो के साथ हिन्दु धर्म में दो शादी करने की कानूनी छूट दी गई है।
भारत में क्यों नहीं लागू हो पाया यूसीसी
भारत में समान नागरिक कानून (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का जिक्र सर्वप्रथम साल 1835 में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी के दौरान हुआ था। उस समय ब्रिटिश सरकार ने एक रिपोर्ट में कहा था की अपराधों, सबूतों जैसे मुद्दों पर एक समान कानून लागू करने की जरूरत है। संविधान के 44वें आर्टिकल में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की बात कही गई है पर फिर भी भारत में यह कानून लागू नहीं किया जा सका।
कारण भारतीय संस्कृति की विविधता है जहा एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते है। आज भी आप देख सकते है भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के रीति रिवाजों में दिन रात का अंतर होता है। सभी धर्म के लोग अपने रिति रिवाज व कानून अलग मानते है ऐसे में सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होता है तो सभी धर्मो का कानून अपने आप खत्म हो जाता है।
समान नागरिक संहिता कहा-कहा लागू है
यदि हम समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की बात करें भारत में एकमात्र राज्य है गोवा जहा पर यह कानून लागू किया हुआ है।
- अमेरिका
- आयरलैंड
- पाकिस्तान
- बांग्लादेश
- मलेशिया
- तुर्किये
- इंडोनेशिया
- सूडान
- मिस्त्र
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इन सभी देश में यह कानून लागू किया हुआ है जिस कारण पूरे देश धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते है